नाथ सरकार : माफियाराज ऐसे न हो पाएगा साफ…

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राघवेंद्र सिंह

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने माफियाओं के खिलाफ जो अभियान चलाया है उसकी दलगत राजनीति छोड़ दें तो सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। काम कठिन है और चुनौतीपूर्ण कार्य का जोखिम लेने की कमलनाथ सरकार से इतने जल्दी उम्मीद नहीं थी। सरकार ने जब ऐलान कर ही दिया है तो जाहिर है सबकी नजर भी होगी और सराहना के साथ कुछ बदनीयती दिखी तो आलोचना भी होगी। हम मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा पर शक किए बिना ये जरूर कहेंगे कि माफियाओं को संरक्षण देने वाले अफसरों पर जब तक हथौड़े नहीं पड़ेगे,हथकड़ियां नहीं डलेंगी तब तक अतिक्रमण भी होंगे, नकली दूध, मावा, पनीर, नकली दवाएं और नकली खाद बीज का माफिया साफ नहीं हो पाएगा। इस तरह के मुद्दे पर ग्वालियर हाईकोर्ट ने भी सरकार से जवाब मांगा है।

मध्यप्रदेश के चेहरे पर व्यापमं, ईटेंडरिंग और हनीट्रैप के महा घोटाले की जितनी कालिख पुती है वह माफिया के खिलाफ अभियान से भले ही साफ न हो मगर लोगों में कानून के राज का भरोसा पैदा कर सकती है। बहुत साधारण सी बात है यदि नगर निगम का वार्ड अधिकारी और अतिक्रमण अधिकारी के साथ थाने का सिपाही अपने मोहल्ले की पूरी जानकारी रखता है। इनकी जानकारी और मर्जी के बिना इलाके में पत्ता नहीं हिलता।

फिर भला गलियों से लेकर चौराहे तक गुमटी और सड़कों पर बेजा कब्जे कैसे हो सकते हैं। अदालत पूछती है क्यों न अतिक्रमण या भू माफिया पनपाने वाले अफसरों पर कार्र्रवाई की जाए। असल में वार्ड निरीक्षक से लेकर अतिक्रमण अधिकारी और सिटीप्लानर के पास भू माफिया की पूरी जानकारी होती है। इनकी मर्जी के बिना सड़क पर गुमटी से लेकर मल्टीस्टोरी का अवैध निर्माण संभव ही नहीं है। सरकार जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी पर अपराधिक मुकदमे दर्ज किए बिना माफिया के खिलाफ अभियान चलाएगी तो लोग कहेंगे जड़ के बजाए पत्तों का इलाज किया जा रहा है। एक किस्सा हमने पहले भी आपसे साझा किया है। भोपाल में एसपी पन्नालाल हुआ करते थे। गुमटियों और हाथ ठेलों पर अतिक्रमण पर जब उन्होंने एक्शन लिया तो अतिक्रमण से पैसा उगाहने वाले तिलमिलाए। कहा गया कि यह काम तो पुलिस का नहीं नगर निगम का है।

जवाब में पन्नालाल ने कहा कि अगर सड़क चौराहों पर अतिक्रमण से चक्काजाम और गुन्डागर्दी होती है तो यह सबसे पहले कानून व्यवस्था का मामला है। लिहाजा थाना क्षेत्रों में उन्होंने हवलदार से लेकर सीएसपी तक की जिम्मेदारी तय कर दी। जिस हवलदार के मोहल्ले में अतिक्रमण हो वह सस्पेंड होने लगा। टीआई के तबादले होने लगे। इसका असर ये हुआ कि सड़कों पर अतिक्रमण रुका और उनसे होने वाले झगड़े और गुन्डागर्दी भी कम हो गई। अब ऐसे ही सरकारी जमीन पर भू माफिया कब्जे कर ले उस पर प्लाट काट ले,भवन निर्माण हो जाए और पटवारी,तहसीलदार को पता न हो ऐसा असंभव है।

सरकार सबसे पहले तहसीलदार कलेक्टरों को अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार ठहराकर उनपर प्रकरण दर्ज करने की कार्यवाही करने का अभियान चलाए तो जरूर भू माफिया काबू में आ सकते हैं। अभी तो यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि – चोर से कहो चोरी करे और साहूकार से कहो जागता रहा। अतिक्रमण कर करोड़ों रुपए के आलीशान बंगले बन रहे हैं सरकार उन्हें तोड़ तो रही है लेकिन जब ये बन रहे थे उस समय जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्य से विमुख हो आरोपियों से सांठगांठ कर पैसे कमा रहे थे। अब सरकार जागी तो अतिक्रमण तो टूट गया लेकिन उससे कराने वाले अधिकारी-कर्मचारी साफ बच गए। जब तक जिम्मेदार अफसर नहीं नपेंगे, तब तक लोग सरकार की आलोचना करेंगे और कहेंगे विरोधी पक्ष का है तो माफिया और अपना है तो माफियां । इन्दौर से लेकर ग्वालियर जबलपुर और भोपाल में करोड़ों रुपए का निर्माण ध्वस्त किया गया।

आलीशान बंगले और बिल्डिंस डायनामाईट से तो उड़ा दी गईं लेकिन अफसर साफ बच गए। जब तक ये बचेंगे ये सरकार के दामाद जहां भी रहेंगे माफियाओं को पनपाएंगे, माल कमाएंगे और कोई कमलनाथ जैसी कठोर सरकार आई तो खुद ही अपना तबादला कराकर साफ बच निकलेंगे। यही हाल नकली दूध,मावा,पनीर,नकली दवा और खाद बीज का है। खाद्य निरीक्षक से लेकर खाद्य नियंत्रक तक नकली माल और मिलावट के मामले में विक्रेता के बराबर आरोपी नहीं बनाए जाएंगे तब तक शुद्ध के लिए युध्द आधी हकीकत और फसाना ही रहेगा।

हाईकोर्ट ने पूछा, भू माफिया पनपाने
वाले अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं …
ग्वालियर हाईकोर्ट एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया की एक याचिका पर दो न्यायमूर्ति की बेंच ने सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति शील नागू और राजीव कुमार श्रीवास्तव ने गृह,नगरीय प्रशासन और राजस्व विभाग से भू माफिया पनपाने वाले जिम्मेदार अफसरों पर कार्यवाही के बारे में 15 दिनों में जवाब मांगा है।असल में अदालत का यह सवाल मर्ज के इलाज की तरफ पहला कदम है। जवाब जो भी आए कमलनाथ सरकार इस मामले में नीतिगत निर्णय लेकर माफियाओं के खिलाफ निर्णायक कदम उठा सकती है। देश के कुछ राज्यों में मिलावट का अपराध करने वालों को आजीवन कारावास का प्रावधान भी है।

संघ परिवार भी खिलाफ है माफियाओं के…
इंदौर में पिछले हफ्ते आरएसएस के दिग्गजों की बैठक थी। उस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भू माफियाओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण कार्यवाही पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि संघ के वरिष्ठ लोग नहीं होते तो इंदौर में आग लग जाती। यह मामला बहुत सुर्खियों में रहा। संघ परिवार की बैठक में एक लाईन तय की गई कि भू माफिया कोई भी उस पर कार्यवाही होनी चाहिए। साफ संकेत दिए गए कि इस तरह के मामलों में भाजपा और उसके नेताओं को नहीं पड़ना चाहिए। सबको याद है 1990 में पटवा सरकार में भी भू माफियाओं के खिलाफ अभियान चला था और तब कई भाजपा समर्थकों के कब्जे हटाए गए थे। अब ये माना जा रहा है कि भाजपा इस मामले में आक्रामक रुख नहीं अपनाएगी। पहले भी सुमित्रा महाजन और शिवराज सिंह जैसे नेता माफिया के खिलाफ मुहिम का समर्थन कर चुके हैं।

लेखक IND24 के प्रबंध संपादक हैं