TIO इंदौर
शहर को दो हिस्सों में बांटने की कोशिश को लेकर राजनीतिक गरमाने लगी है। मंत्री जयवर्धन सिंह ने दो दिन पहले ट्वीट किया था। अब इसके विरोध की सुगबुगाहट शहर में शुरू हो गई है। भाजपा इसे नगर निगम चुनाव टालने की कोशिश बता रही है। उधर, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी इस फैसले से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि इंदौर की परिस्थितियां भोपाल से अलग हैं। इंदौर में दो नगर निगमों की जरूरत नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो इंदौर महानगर नहीं बन पाएगा।
मंत्री वर्मा ने कहा कि शहर में 29 गांवों को जोड़ा गया है। कुछ इलाकों को और जोड़ना होगा, तब शहर महानगर बन सकता है। दो नगर निगम बनाने के बजाए शहर का महानगर बनना ज्यादा जरुरी है क्योंकि इससे केंद्र सरकार से परियोजनाओं को लेकर फायदे लिए जा सकते हैं। ज्यादा अनुदान मिल सकेगा। मैं समझता हूं कि अभी इंदौर में दो नगर निगमों की जरूरत नहीं है
इंदौर में दो नगर निगम बनाने की कवायद को लेकर राजनीति गरमाने लगी है। भाजपा इस फैसले के खिलाफ है और आंदोलन की रणनीति बना रही है तो कांग्रेस शहर में दो नगर निगम बनाने का स्वागत कर रही है और उनका कहना है कि इससे शहर का विकास होगा। यह मुद्दा अब शहर में चर्चा का विषय हो चुका है और जिन्हें राजनीति से लेना- देना नहीं, वे भी शहर में दो नगर निगमों के पक्ष में नहीं हैं।
सरकार भोपाल में दो नगर निगम बनाने की तैयारी कर चुकी है और इंदौर में भी इसकी संभावनाएं खोजी जा रही हैं। राजनीतिक प्रेक्षक इसे आगामी नगरीय निकाय चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। आमतौर पर शहरी क्षेत्र को भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। प्रदेश के बड़े शहरों में सीमा विस्तार के बाद ग्रामीण क्षेत्र भी जुड़ गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में हमेशा कांग्रेस मजबूत रहती है। माना जा रहा है कि दो नगर निगमों के क्षेत्रीय समीकरण से प्रदेश में कांग्रेस शासित निकायों की संख्या बढ़ाई जा सकती है