11 सीटों पर ‘नोटा’ ने बदले नतीजे, भाजपा का बिगड़ा खेल

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भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए भले ही भाजपा-कांग्रेस दोनों एक-एक सीट के लिए संघर्ष कर रहे हों, लेकिन ‘नोटा” के चलते प्रदेश की 11 सीटों के नतीजे ही बदल गए। इन सभी सीटों पर जितने वोट ‘नोटा” पर गए, उससे कम अंतर से तो जीत-हार का फैसला हो गया। यह संयोग ही है कि इन सभी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी फायदे में रहे और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी ही थे।
Nota ‘resulted in 11 seats, BJP’s impaired game
चुनावी नतीजों के विश्लेषण में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। इन 11 सीटों पर यह मान लिया जाए कि मतदाताओं की नाराजी अथवा प्रत्याशियों के प्रति निराशा न होती तो प्रदेश की सियासी तस्वीर कुछ और ही होती। इनमें से यदि आधी सीटों पर ही ‘नोटा” का असर न पड़ता अथवा वह वोट भाजपा के खाते में चला जाता तो प्रदेश में कांग्रेस के बजाय चौथी बार फिर भाजपा की सरकार ही बन जाती।

‘नोटा’ के चलते यहां बदल गई तस्वीर
ब्यावरा में कांग्रेस प्रत्याशी 826 वोट से जीता, जबकि नोटा में 1481 मत गिरे। दमोह में वित्तमंत्री जयंत मलैया 798 मतों से हारे और नोटा में 1299 वोट निकले। गुन्नोर में जीत हार का अंतर 1984 मतों का रहा, जबकि नोटा में 3734 वोट चले गए। ग्वालियर दक्षिण का फैसला 121 वोटों से हुआ, लेकिन 1550 मतदाताओं ने नोटा दबा दिया। जबलपुर उत्तर में राज्यमंत्री शरद जैन 578 मतों से हारे और 1209 नोटा को अपना मत दे दिया।

जोबट में 2056 मतों से फैसला हुआ, लेकिन नोटा में सबसे ज्यादा 5139 वोट चले गए। मंधाता में भले ही जीत-हार का फैसला 1236 वोट से हुआ हो पर 1575 मतदाताओं ने नोटा को चुना। नेपानगर में भाजपा प्रत्याशी को जीतने के लिए 732 वोट चाहिए थे पर 2551 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प अपनाया।

सुर्खियों में रही सीट राजनगर में राजपरिवार के विक्रम सिंह नातीराजा 732 वोट से जीते और 2485 वोट नोटा में चले गए उधर राजपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को जीत के लिए 932 वोट चाहिए थे, लेकिन 3358 मतदाताओं ने उनके बजाय नोटा का बटन दबा दिया। सुवासरा में भी भाजपा प्रत्याशी को जीतने के लिए मात्र 350 वोट चाहिए थे, लेकिन 2976 मतदाताओं ने उन्हें अथवा किसी अन्य प्रत्याशी को चुनने के बजाय नोटा का विकल्प चुन लिया।