नई दिल्ली । विपक्षी दलों की ओर से हर चुनाव के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर निशाना साधे जाने को लेकर चुनाव आयोग ने कड़ी टिप्पणी की है। शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने राजनीतिक दलों पर बरसते हुए कहा कि ईवीएम को ‘बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है क्योंकि वह बोल नहीं सकती। चुनावों में बैलट पेपर के इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने की किसी भी संभावना को खारिज करते हुए रावत ने कहा, ‘हार को हजम न कर पाने वाले राजनीतिक दलों को ठीकरा फोड़ने की जरूरत होती है।’
Opposition parties are angry at the EVMs who do not digest the defeat.
ईवीएम में गड़बड़ी के सवालों पर रावत ने कहा कि जब भी ऐसा हुआ है तो हमने अपनी ओर से बात रखी है। पिछले साल जुलाई में हुई सर्वदलीय बैठक में यह फैसला लिया गया था कि भविष्य में सभी चुनाव ईवीएम से होंगे और सभी वीवीपैट की सुविधा होगी। इससे मतदाताओं को पता चल सकेगा कि उन्होंने जिसे वोट दिया है, उसे ही मिला है या नहीं।
चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव की व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए वोटर वेरिफिएबल पेपर आॅडिट ट्रेल की व्यवलस्था शुरू की है। रावत ने कहा कि कुछ घंटों के भीतर ही चुनाव आयोग नतीजों का ऐलान कर देता है, लेकिन इससे लोगों को पता चल सकेगा कि उनका वोट किसको गया है और इससे प्रक्रिया में भरोसा बढ़ेगा। पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव आयुक्त से चुनाव की तैयारियों को लेकर मीटिंग करने आए रावत ने जल्दी लोकसभा चुनाव कराए जाने की बाबत कहा कि इस बारे में सरकार से अब तक कोई संकेत नहीं मिला है।
रावत ने कहा, ‘नियम के मुताबिक चुनाव आयोग किसी भी सदन का कार्यकाल पूरा होने से 6 महीने पहले ही अधिसूचना जारी कर सकता है। यह चुनाव आयोग पर कानूनी बाध्यता है। हम उससे परे नहीं जा सकते।’ उन्होंने कहा कि 2015 में केंद्र सरकार ने राज्य और केंद्र के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव दिया था। रावत ने कहा, ‘आयोग ने सरकार को अपनी ओर से भी सुझाव दे दिए थे। इसके लिए संविधान में संशोधन और कानून में कुछ बदलावों की जरूरत है। इसके लिए लॉजिस्टिक सपॉर्ट की भी जरूरत होगी। हमने सरकार को इस संबंध में सुझाव दिए थे, लेकिन उसके बाद हमें कोई जानकारी नहीं है।’