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अमेरिका की घरेलू राजनीति में खड़ा हुआ नया विवाद, एक अधिकारी द्वारा लिखे लेख से आया भूचाल!

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वॉशिंगटन। अमेरिका की घरेलू राजनीति में अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। प्रतिष्ठित अखबार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में गुरुवार को ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी द्वारा लिखे गए लेख से यह भूचाल पैदा हो गया। अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर लिखे आर्टिकल में दावा किया था कि सरकार में ‘काफी विरोध’ की स्थिति है और अमेरिका को प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप से बचाने का अधिकारियों की ओर से प्रयास किया जा रहा है। इस लेख में अमेरिकी राष्ट्रपति को अनैतिक शख्स करार दिया गया है और उन्हें लोकतंत्र के स्वास्थ्य को खराब करने वाला बताया गया है।
A new controversy arising in the domestic politics of America, came from the article written by an official.
‘ट्रंप प्रशासन के भीतर विरोध का मैं हिस्सा हूं’ शीर्षक से लिए गए इस आर्टिकल के बाद बिफरे प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने अखबार पर ही निशाना साधते हुए कहा है कि उसे ‘गुमनाम’ शख्स की पहचान उजागर करन चाहिए, जिसने यह आर्टिकल लिखा है। ट्रंप ने इसे देशद्रोह करार देते हुए ट्वीट किया, ‘देशद्रोह?’ यही नहीं एक अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘क्या कथित सीनियर प्रशासनिक अधिकारी सच में अस्तित्व में है या फिर यह फेल हो रहे न्यूयॉर्क टाइम्स का एक और फोनी सोर्स है? यदि यह कायर गुमनाम व्यक्ति सच में कहीं है तो टाइम्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य उसे एक बार सरकार को सौंपना चाहिए।’

यही नहीं शुक्रवार को ट्रंप ने एक बार फिर से ट्वीट किया, ‘क्या न्यूयॉर्क टाइम्स के खोजी पत्रकार अपने बारे में भी खोज करने जा रहे हैं- गुमनाम पत्र लेखक आखिर कौन है?’ इस लेख के सामने आते ही वॉशिंगटन के गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी कि आखिर इसे लिखा किसने है।

कयासों का दौर यहां तक है कि लोग वाइस प्रेजिडेंट माइक पेंस, डिफेंस सेक्रटरी जेम्स मैटिस और ट्रंप के सहायक केलियाने कॉन्वे को लेकर यह आशंका जता रहे हैं कि शायद उन्होंने ही यह लेख लिखा हो। यहां तक कि ट्रंप के फैमिली मेंबर्स पत्नी मेलानिया और बेटी इवांका तक को लेकर इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

मोदी के हाई वोल्टेज चुनाव प्रचार से घबराकर केसीआर ने समय से पहले चुनाव का रास्ता चुना!

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हैदराबाद। ऐसे समय पर जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने पर बात करना फैशन बन चुका है, टीआरएस के मुखिया और अब तेलंगाना के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने विधानसभा भंग कर पहले चुनाव का रास्ता बना दिया है। इससे पहले तेलंगाना में चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होने वाले थे। टीआरएस सूत्रों की मानें तो केसीआर नहीं चाहते कि प्रदेश का जनादेश पीएम नरेंद्र मोदी की छाया तले दब जाए जो अपने हाई-वोल्टेज चुनाव प्रचार के लिए जाने जाते हैं।
Due to Modi’s high voltage election campaign, KCR chose the path of election ahead of time!
टीआरएस के केशव राव कहते हैं, अगर विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो मोदी जी बड़े स्तर पर चुनाव प्रचार करेंगे। हमारी सरकार ने यहां बेहतरीन काम किया है और हम इसे दिखाना चाहते हैं। हम जमीनी स्तर पर लोकप्रिय हैं। हमें फिर से वोट मिलेंगे और हमारा फैसला सर्वे पर आधारित है।

विरोधियों को चकमा देने के लिए पहले चुनाव?
हालांकि बीजेपी को पीएम मोदी के प्रचार से टीआरएस का डरना हास्यास्पद लग रहा है। पार्टी के वरिष्ठ जनरल सेक्रेटरी पी मुरलीधर राव ने कहा, ‘मोदी जी सिर्फ लोकसभा चुनावों में प्रचार नहीं करते बल्कि विधानसभा के लिए भी करते हैं। हाल ही में कर्नाटक में हमने उनका प्रचार देखा था।’ क्या केसीआर अपने विरोधियों को चकमा देने के लिए पहले चुनाव चाहते हैं?

समय पूर्व चुनाव से पार्टी की वापसी नहीं?
केशव राव इससे इनकार करते हैं। वह कहते हैं, ‘अगर हम राज्य में होने वाले चुनाव की तैयारी कर रहे हैं तो महज कुछ महीने पहले चुनाव कराना कैसे मायने रखता है? हम चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’ तेलंगाना में कांग्रेस इनचार्ज आरसी खुंटिया कहते हैं कि हालांकि राजनीतिक आकलन करे तो समय पूर्व चुनाव में कोई पार्टी वापस सत्ता में नहीं आती है।

कांग्रेस अध्यक्ष की मानसरोवर यात्रा पर भाजपा ने उठाए सवाल तो राहुल ने ट्विटर के जरिए दिया यात्रा का ब्यौरा

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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलास यात्रा इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी है। जहां राहुल खुद कई बार यात्रा की तस्वीरें ट्वीट कर चुके हैं, वहीं यात्रा पर जाने के बाद उनकी तस्वीर भी पहली बार सामने आई है। इस दौरान राहुल गांधी अन्य तीर्थ यात्रियों के साथ तस्वीरें खिंचवाते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा न्यूज एजेंसी एएनआई ने राहुल गांधी की यात्रा का एक विडियो भी सामने आया है। बता दें कि इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष की यात्रा को लेकर बीजेपी कई तरह के आरोप लगा रही है।
The question raised by the BJP on the Congress president’s Mansarovar journey, Rahul gives details of the trip given by Twitter
वहीं बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा राहुल गांधी की यात्रा पर सवाल उठाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से राहुल गांधी की तस्वीर के साथ उनकी यात्रा का ब्योरा भी शेयर किया।  इससे पहले राहुल गांधी ने खुद एक विडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ‘शिव ब्रह्मांड हैं’। इससे पहले राहुल ने अपनी यात्रा के आध्यात्मिक अनुभवों को भी साझा किया था। राहुल ने कहा था कि कोई व्यक्ति तभी कैलास जाता है, जब वह उसे बुलाता है। वह यह सौभाग्य पाकर खुश हैं। मानसरोवर झील की दिव्यता को बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने इशारों में सरकार को भी नसीहत दी।

राहुल ने लिखा था, ‘मानसरोवर झील का पानी बेहद शांत, स्थिर और कोमल है। यह झील सबकुछ देती है और कुछ नहीं लेती। इसे कोई भी ग्रहण कर सकता है। यहां कोई घृणा नहीं है। इसलिए भारत में इस जल को पूजा जाता है।’ राहुल की कैलास यात्रा पर बीजेपी और कांग्रेस में घमासान मचा है। बीजेपी इसे पाखंड करार दे रही है, तो कांग्रेस उसे एक शिवभक्त और उसकी भक्ति के बीच में विघ्न बता रही है।

घाटी में डीजीपी के ट्रांसफर पर उमर ने उठाए सवाल, अब दिलबाग सिंह होंगे नए पुलिस कप्तान

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श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर में एसपी वैद को हटाकर दिलबाग सिंह को राज्य का नया डीजीपी बनाया गया है। इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य के पुलिस चीफ के ट्रांसफर में जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं। उमर ने ट्वीट कर कहा कि वैद के ट्रांसफर में इतनी जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए थी। स्थायी इंतजाम होने पर ही यह तबादला किया जाना चाहिए था। एसपी वैद को ऐसे समय हटाया गया है जब कुछ दिन पहले ही घाटी में आतंकियों ने 3 पुलिसकर्मियों और अन्य पुलिसकर्मियों के 8 परिजनों को अगवा किया था और जिनकी रिहाई के बदले आतंकियों के गिरफ्तार परिजनों को छोड़ा गया।
Omar questions on transfer of DGP in Valley, now Dilbagh Singh will be new police captain
जम्मू-कश्मीर के नए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कार्यभार संभालने के कुछ ही दिनों बाद एसपी वैद की अहम प्रशासनिक शक्तियों में कटौती कर दी थी, जिसमें आॅपरेशनल फंड को मंजूरी देने का अधिकार भी शामिल था। इतना ही नहीं, वैद से कुछ अहम शक्तियां वापस लेकर उनके जूनियर मुनीर खान को सौंप दी गईं।

कौन हैं नए डीजीपी दिलबाग सिंह
दिलबाग सिंह को यह जिम्मेदारी ऐसे समय में दी गई है, जब आतंकियों द्वारा पुलिस के जवानों और उनके रिश्तेदारों को अगवा करने के मामलों में काफी तेजी देखी जा रही है। पिछले हफ्ते ही दक्षिण कश्मीर में आतंकियों ने एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मियों और उनके रिश्तेदारों को अगवा कर लिया था। हालांकि दिलबाग सिंह को अभी डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार मिला है।

दिलबाग सिंह का नाम इस साल उस वक्त भी चर्चा में आया था, जब श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह हॉस्पिटल के अंदर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने हमला कर एक पाकिस्तानी आतंकवादी अबु हंजूला उर्फ नावीद जट को छुड़ा लिया था। इस हमले में दो पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। फरवरी 2018 में हुई इस घटना के बाद 1987 बैच के आईपीएस अफसर दिलबाग सिंह को अगले ही महीने जेल विभाग का डीजी नियुक्त किया गया था।

बतौर डीजी जेल बनाई अलग पहचान
बतौर डीजी जेल अपने कार्यकाल के दौरान कई मोर्चों पर अपनी कार्यकुशलता से उन्होंने अलग पहचान बनाई है। इसमें राज्य की जेलों के अंदर कैद आतंकियों को लेकर उन्होंने नई रणनीति पर काम किया। इसमें घाटी के कई खूंखार आतंकियों की जेल बदलने जैसे कदम भी शामिल हैं। हालांकि यूपीएससी से मुहर लगने के बाद ही उनकी डीजीपी पद पर नियमित नियुक्ति होगी।

रक्षा दिवस के कार्यक्रम में बोले पाक पीएम: कहा-सरकार की विदेश नीति देश के सर्वोच्च हित में होगी

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इस्लामाबाद। आतंकवाद के खिलाफ जंग को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि हम भविष्य में किसी और देश की जंग नहीं लड़ेंगे। इमरान ने कहा कि वह शुरू से ही जंग के खिलाफ रहे हैं और उनकी सरकार की विदेश नीति देश के सर्वोच्च हित में होगी। रक्षा दिवस के कार्यक्रम में बोलते हुए इमरान खान ने यह बात कही। इस मौके पर पाकिस्तान के कई सांसद, डिप्लोमैट्स, खिलाड़ी और तमाम कलाकार मौजूद थे। इमरान के बयान का अर्थ इस बात से लगाया जा रहा है कि अपनी धरती पर पल रहे आतंकवादियों के खिलाफ ऐक्शन में अब पाकिस्तान पीछे हट सकता है।
Pak PM says in Defense Day program: Government’s foreign policy will be in the highest interest of the country
बता दें कि अमेरिका और भारत की ओर से लगातार पाकिस्तान पर यह दबाव बनाया जाता रहा है कि वह अपनी धरती पर सक्रिय आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करे। आतंकवाद से जंग में गई जानों को लेकर इमरान खान ने कहा, ‘मैं बहुत पहले से इस जंग के खिलाफ रहा हूं। भविष्य में हम किसी भी दूसरे देश की जंग का हिस्सा नहीं बनेंगे। हमारी विदेश नीति देश के सर्वोच्च हित में होगी।’

‘मदीना के मुस्लिम राज्य की तर्ज पर करेंगे विकास’
इमरान खान ने कहा कि हम ह्यूमन कैपिटल पर निवेश करने का काम करेंगे। नए बने पीएम ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजने, अस्पताल तैयार करने और मेरिट सिस्टम बनाकर हम सभी के साथ एक समान व्यवहार सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मदीना के पहले मुस्लिम राज्य की तर्ज पर किया जाएगा। सेना और सरकार के बीच मतभेदों के सवालों पर इमरान ने कहा कि देश के हितों को लेकर हम एक ही राह पर हैं।

बाजवा बोले, 1965 और 1971 की जंग से बहुत कुछ सीखा
सेना के कामकाज की सराहना करते हुए इमरान ने कहा कि यह एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसमें कोई राजनीतिक दखल नहीं है और सब कुछ मेरिट के आधार पर होता है। इसी कार्यक्रम में पाक सेना चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि हमने 1965 और 1971 की जंग से बहुत कुछ सीखा है और अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियारों को विकसित किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ जंग की बहुत बड़ी कीमत चुकाई है।

रुपए की गिरती कीमतों पर कांग्रेस ने मोदी पर बोला हमला: कहा – जो पहले खूब भाषण देते थे अब मौन क्यों हैं

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नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमतों पर मोदी सरकार आलोचनाओं का सामना कर रही है. कांग्रेस ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर जाने को लेकर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि 2014 से पहले रुपये में गिरावट को लेकर भाषण देने वाले अब मौन बैठे हैं.
Congress slams Modi on falling prices of rupees: said – who were the first to give a lot of speeches, why are now silent
कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, लुढ़कता रुपया, पहुंचा रुपया 72 पार, वित्तीय घाटा बढ़ेगा, महंगाई ने मचाया हाहाकार. उन्होंने कहा, जो 2014 में रुपये पर भाषण देते थे, वो मौन होकर बैठे हैं. वित्त मंत्री से सवाल पूछो, तो अंतरराष्ट्रीय कारणों की दुहाई देतें है.

सुरजेवाला आरोप लगाया, सच्चाई यह है कि भाजपा की नीतियों ने अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है. दरअसल, रुपया गुरुवार को कारोबार में 37 पैसे की तेज गिरावट के साथ पहली बार प्रति डालर 72 के नीचे चला गया. दोपहर बाद रुपए की विनिमय दर 72.12 रुपए प्रति डालर पर चल रही थी. यह बुधवार के बंद की तुलना में 37 पैसे की गिरावट दशार्ता है.

बॉब वुडवर्ड की किताब में दावा, ‘ट्रंप ने दिया था सीरिया के राष्ट्रपति को मारने का आदेश’

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वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर लिखी पत्रकार बॉब वुडवर्ड की नई किताब में राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में कई खुलासे हैं। कभी अमेरिका के सनसनीखेज वॉटरगेट कांड का खुलासा करनेवाले पत्रकार ने अपनी किताब फीयर : ट्रंप इन द वॉइट हाउस’ में सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि ट्रंप सीरिया के राष्ट्रपकि बशर अल-असद की हत्या करवाना चाहते थे।
In the book of Wood Woodward, the claim, ‘Trump gave the order to kill the Syrian President’
अमेरिकी मीडिया में किताब प्रकाशित होने से पहले ही सुर्खियां बटोर रही है। किताब में ट्रंप के काम करने के तौर-तरीकों और विदेश नीति को लेकर भी वॉइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से काफी आलोचना की गई है।  किताब के अनुसार ट्रंप ने डिफेंस सेक्रेटरी को आदेश दिया था कि सीरिया के प्रेजिडेंट बशर अल-असद को जान से मार दो।

किताब के अनुसार अमेरिकी प्रेजिडेंट ने इस आदेश के साथ असद के लिए एक अपमानजनक शब्द का भी प्रयोग किया था। किताब के अनुसार फोन पर ट्रंप से हुई इस बातचीत के बाद डिफेंस सेक्रेटरी जेम्स मैटिस ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं करने जा रहे… हमें और अधिक सोच-विचारकर कदम उठाना होगा।’ बता दें कि वॉइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘यह किताब मनगढ़ंत कहानियों से भरी हुई है और राष्ट्रपति की छवि खराब करने की कोशिश है।’

बुधवार को खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी बॉब वुडवर्ड को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया। अक्सर ही मीडिया, पत्रकारों और लेखकों को खरी-खोटी सुनानेवाले ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘क्या यह शर्म की बात नहीं है कि कोई एक लेख या किताब लिखता है और उसमें एक व्यक्ति की ऐसी छवि बनाने की कोशिश करता है जो हकीकत में उससे बिल्कुल उलट है। ऐसा करने के बाद भी वह (लिखनेवाला) आसानी से बचकर निकल जाता है। मुझे नहीं पता कि वॉशिंगटन के राजनेताओं ने जवाबदेही तय करनेवाले कानून क्यों नहीं बदले?’

अमेरिका के दिग्गज पत्रकार हैं वुडवर्ड
बॉब वुडवर्ड वॉशिंगटन पोस्ट अखबार के असोसिएट एडिटर हैं। उन्होंने अपने एक साथी के साथ पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के वॉटरगेट स्कैंडल का खुलासा किया था। वुडवर्ड ने अब तक 8 राष्ट्रपतियों पर किताब लिखी है, जिनमें जॉर्ज बुश और बराक ओबामा जैसे प्रेजिडेंट भी शामिल हैं। राजनीति और खोजी पत्रकारिता की जगत में उन्हें दुनियाभर में सम्मान की नजर से देखा जाता है।

धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: कहा- दो बालिगों के बीच सहमति से बनाया गया संबंध नहीं है अपराध

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नई दिल्ली। देश में दो बालिगों के बीच समलैंगिक संबंध अब अपराध नहीं हैं। चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने एक मत से सुनाए गए फैसले में दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 के प्रावधान को खत्म कर दिया है।
The Supreme Court’s verdict on Section 377: “There is no connection made between the consent of two adults”
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए व्यक्तिगत चॉइस को सम्मान देने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह दिसंबर 2013 को सुनाए गए अपने ही फैसले को पलट दिया है। सीजेआई दीपक मिश्रा, के साथ जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ ने 10 जुलाई को मामले की सुनवाई शुरू की थी और 17 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फैसला सुनाते हुए अपने फैसले में चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया ने कहा कि जजों ने कहा कि संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है। जीवन का अधिकार मानवीय अधिकार है। इस अधिकार के बिना बाकी अधिकार औचित्यहीन हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में सेक्शुअल ओरिएंटेशन बायलॉजिकल बताया है। कोर्ट का कहना है कि इस पर किसी भी तरह की रोक संवैधानिक अधिकार का हनन है। किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों को भी उतने ही अधिकार हैं। एक-दूसरे के अधिकारों को सम्मान करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 में दो बालिगों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि धारा 377 के तहत अब बिना सहमति के समलैंगिक संबंध बनाना अपराध होगा, लेकिन सहमति से संबंध अपराध नहीं। कोर्ट ने कहा कि बच्चों और जानवरों से अप्राकृतिक संबंध अब भी अपराध रहेगा।

क्या है धारा 377
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के मुताबिक कोई किसी पुरुष, स्त्री या पशुओं से प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध संबंध बनाता है तो यह अपराध होगा। इस अपराध के लिए उसे उम्रकैद या 10 साल तक की कैद के साथ आर्थिक दंड का भागी होना पड़ेगा। सीधे शब्दों में कहें तो धारा-377 के मुताबिक अगर दो अडल्ट आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंध बनाते हैं तो वह अपराध होगा।

सुनवाई के दौरान क्या रहा था सुप्रीम कोर्ट का रुख

  • – सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि अगर कोई कानून मौलिक अधिकारों के खिलाफ है तो हम इस बात का इंतजार नहीं कर सकते कि बहुमत की सरकार इसे रद्द करे।
  • – चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच ने कहा कि वह साफ करना चाहते हैं कि वह धारा-377 को पूरी तरह से खारिज नहीं करने जा रहे हैं बल्कि वह धारा-377 के उस प्रावधान को देख रहे हैं जिसके तहत प्रावधान है कि दो बालिग अगर समलैंगिक संबंध बनाते हैं तो वह अपराध है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले रामदास अठावले: कहा- दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं है अपमानजनक

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नई दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने दलित शब्द के इस्तेमाल पर बैन लगाया तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी मीडिया को इस शब्द से बचने का निर्देश जारी किया. कहा गया है कि दलित की जगह अनुसूचित जाति लिखा जाए. इस पर नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने एतराज जाहिर किया है. उन्होंने कहा है कि दलित शब्द का इस्तेमाल बिल्कुल अपमानजनक नहीं है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
Ramdas Athawale said on the verdict of the Supreme Court: “The use of the word dalit is not abusive
रामदास अठावले ने एएनआई से कहा-उनकी पार्टी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उन दिशा-निदेर्शों को कोर्ट में चुनौती देगी, जिनमें दलित शब्द के इस्तेमाल से मीडिया को रोका गया है. अठावले के मुताबिक दलित शब्द के इस्तेमाल में कोई गड़बड़ी नहीं है.  बता दें कि पंकज मेश्राम की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पालन कराने का आदेश दिया था.

याची ने मांग की थी कि चूंकि संविधान में यह शब्द नहीं है, इस नाते सरकारी दस्तावेजों और पत्रों से दलित शब्द को हटाने का आदेश जारी किया जाए. इससे पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट भी दलित शब्द को लेकर कुछ ऐसी ही हिदायत दे चुका है.

मोहल्ला क्लीनिक परियोजना को लेकर केजरीवाल सख्त, अधिकारियों को दी हिदायत

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नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर मोहल्ला क्लीनिक परियोजना के तहत समुचित सेवा मुहैया नहीं करायी गयी तो वह उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. आम आदमी पार्टी सरकार की इस योजना का लक्ष्य दिल्ली की आम जनता को मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना है. बता दें कि शहर में 188 मोहल्ला क्लीनिक हैं.
Kejriwal’s strict orders regarding the Mohalla Clinic project, the instructions given to the officials
बुधवार को एक अधिकारी ने बताया कि केजरीवाल ने मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों के साथ बैठक कर उनसे कहा कि सरकार इसमें कोई लारवाही बर्दास्त नहीं करेगी. आम आदमी पार्टी के मुखिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनसे कहा, जरूरत पड़ने पर हम कार्रवाई करने को तैयार हैं. हमें कड़ी कार्रवाई करने के लिए मजबूर ना करें. यदि दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो मैं संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूं.

उन्होंने अधिकारियों को फाइलों में होने वाली देरी को लेकर भी चेताया. गौरतलब है कि मोहल्ला क्लीनिकों में कई तरह की शिकायतें आ रही हैं. कभी दवाओं के न होने की शिकायत तो कभी बंद रहने की शिकायत. यही वजह है कि इस बार अरविंद केजरीवाल ने सख्ती दिखाई है.