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पक्ष और विपक्ष की तकरार के बाद राफेल विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अगले हफ्ते होगी सुनवाई

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नई दिल्ली: मोदी सरकार और विपक्ष के बीच में तकरार की वजह बनी राफेल का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. संसद की बहस से उठकर अब राफेल का मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने को भी तैयार हो गया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस पर अगले हफ्ते सुनवाई होगी.
Supreme Court to hear Rafael dispute after dispute of party and opposition, hearing next week
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा की इस बारे में दलीलों पर गौर किया कि उनकी अर्जी तत्काल सुनवायी के लिए सूचीबद्ध की जाए. शर्मा ने अपनी अर्जी में फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान सौदे में विसंगतियों का आरोप लगाया है और उस पर रोक की मांग की है.

सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की गई है, उसमें डील को रद्द करने और केस दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि दो देशों के बीच हुई इस डील से भ्रष्टाचार हुआ है और ये रकम इन्हीं लोगों से वसूली जाए क्योंकि ये अनुच्छेद 253 के तहत संसद के माध्यम से नहीं की गई है. बता दें कि ग्वालियर में राफेल प्लेन आ भी चुके हैं. वकील एम एल शर्मा ने यह याचिका दाखिल की है.

गौरतलब है कि बीते काफी समय से मोदी सरकार और विपक्ष में इस मुद्दे को लेकर गहमागहमी है. कांग्रेस लगातार राफेल के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करती आ रही है. राहुल गांधी ने भी संसद में इस पर मोदी सरकार पर हमला बोला था. वहीं, कांग्रेस देश के कई हिस्सों में राफेल के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए प्लान बनाया है.

राफेल सौदे को लेकर विवाद बढ़ने के बीच फ्रांस से 58000 करोड़ रुपये की लागत से भारत के 36 लड़ाकू विमानों को खरीदने के समूचे मामले को समझते हैं: राफेल क्या है राफेल अनेक भूमिकाएं निभाने वाला एवं दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है. राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है.

यूपीए का क्या सौदा था
भारत ने 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी, जब तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने भारतीय वायु सेना से प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी. इस बड़े सौदे के दावेदारों में लॉकहीड मार्टिन के एफ-16, यूरोफाइटर टाइफून, रूस के मिग-35, स्वीडन के ग्रिपेन, बोइंग का एफ/ए-18 एस और डसॉल्ट एविएशन का राफेल शामिल था. लंबी प्रक्रिया के बाद दिसंबर 2012 में बोली लगाई गई.

डसॉल्ट एविएशन सबसे कम बोली लगाने वाला निकला. मूल प्रस्ताव में 18 विमान फ्रांस में बनाए जाने थे जबकि 108 विमान भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर तैयार किये जाने थे. रिपोर्ट्स की मानें तो 2012 से लेकर 2014 के बीच बातचीत किसी नतीजे पर न पहुंचने की सबसे बड़ी वजह थी विमानों की गुणवत्ता का मामला. कहा गया कि डसाल्ट एविएशन भारत में बनने वाले विमानों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं थी. साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर भी एकमत वाली स्थिति नहीं थी.

राफेल से सबक: रूस से सरकार ने कहा, राइफल प्रॉजेक्ट से अडानी ग्रुप को रखें बाहर

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने रूस को सलाह दी है कि यदि उसकी हथियार निर्माता कंपनी क्लाशनिकोव कंसर्न भारत में एके-103 असॉल्ट राइफल्स की मैन्युफैक्चरिंग करना चाहती है तो उसे सरकारी कंपनी से गठजोड़ करना चाहिए। सरकार ने सलाह दी है कि क्लाशनिकोव को भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए सरकार द्वारा संचालित आॅर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड से संपर्क करना चाहिए। रूसी कंपनी के इस प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय फिलहाल विचार कर रहा है।
Lessons from Rafael: Government from Russia said, keep the Adani group out of the rifle project
रक्षा मंत्रालय द्वारा क्लाशनिकोव के अडानी ग्रुप के साथ जॉइंट वेंचर में काम करने के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद सरकार ने रूस को यह सलाह दी है। क्लाशनिकोव ने अडानी ग्रुप के साथ एके-103 राइफलों की मैन्युफैक्चरिंग का प्रस्ताव दिया था। यह एके-47 राइफल का ही एक प्रतिरूप है। अडानी ग्रुप ने हाल ही में डिफेंस सेक्टर में एंट्री की है। सूत्र ने कहा, ‘यदि रूस गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील चाहता है तो फिर प्राइवेट कंपनियों के साथ जॉइंट वेंचर की बात नहीं की जा सकती।’

राफेल डील पर विवाद से परेशान सरकार असल में प्रस्तावित राइफल मैन्युफैक्चरिंग में किसी तरह के विवाद की आंच नहीं आने देना चाहती। राफेल डील में रिलायंस डिफेंस की हिस्सेदारी को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ के आरोप लगाए थे। इस डील में डिफेंस पीएसयू हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को किनारे कर दिया गया था।

बता दें कि पिछले सप्ताह टाइम्स आॅफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि सेना ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 12,000 करोड़ रुपये की लागत से 6.5 लाख राइफलों की मैन्युफैक्चरिंग कराने की तैयारी में है।

अमेरिका के विरोध के बाद भी भारत रूस से करेगा डिफेंस डील, कहा अमेरिका को संबंधों के बारे में सोचना चाहिए

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नई दिल्ली। अमेरिका से 2+2 डायलॉग से पहले मंगलवार को भारत ने रूस के साथ डिफेंस डील पर पीछे न हटने के संकेत दिए। यही नहीं भारत ने कहा कि अमेरिका को इस संबंध में कोई भी फैसला लेने से पहले आपसी संबंधों की महत्ता के बारे में सोचना चाहिए। भारत ने कहा कि रूस से एस-400 ऐंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद को लेकर प्रतिबंध जैसा फैसला लेने से पहले अमेरिका को भारत के साथ अपने रणनीतिक संबंधों के स्तर को भी समझना होगा।
India will defy defense deal even after US protests, said US should think about relations
यही नहीं ईरान से तेल आयात को लेकर भी भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है। बता दें कि 2+2 डायलॉग के तहत अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री जिम मैटिस भारत आ रहे हैं। दोनों नेता गुरुवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और डिफेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमन से मुलाकात करेंगे। इससे पहले अहम ऊर्जा साझीदार ईरान को लेकर भी सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि अमेरिका के दबाव में उससे तेल आयात के फैसले पर कोई कदम उठाने का सवाल ही नहीं उठता।

इस वार्ता को हाल के सालों में भारत के लिए बेहद कूटनीतिक महत्व का बताते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि अमेरिका यह नहीं भूलेगा कि भारत के साथ उसके रणनीतिक संबंध किस स्तर के हैं। अमेरिका को यह समझना होगा और संबंधों के महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंधों से बचना होगा।’

माना जा रहा है कि अमेरिकी मंत्रियों के साथ बातचीत में ईरान से कच्चे तेल के आयात और रूस के साथ एस-400 डील पर प्रमुखता से बात हो सकती है। बता दें कि अमेरिका की ओर से डील को रद्द करने के दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ 6 अरब डॉलर के एस-400 ऐंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल डील पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है।

तमिलनाडु का चर्चित गुटखा घोटला: सीबीआई ने की छापेमारी के दौरान स्वास्थ्य मंत्री और डीजीपी के घर की ली तलाशी

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चेन्नै। तमिलनाडु के चर्चित गुटखा घोटाले में बुधवार को सीबीआई ने बड़े पैमाने पर छापेमारी की है। जांच एजेंसी ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और डीजीपी के घर पर भी तलाशी अभियान चलाया है। बताया जा रहा है कि कुल 40 ठिकानों पर सीबीआई की टीम सर्च आॅपरेशन कर रही है।
Tamil Nadu’s famous Gutkha Ghotala: During the raid by the CBI, the search of the health minister and DGP’s house was searched.
गुटखा घोटाले के सिलसिले में मंगलवार को चेन्नै में सीबीआई ने बड़ा सर्च आॅपरेशन शुरू किया। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भास्कर और डीजीपी टीके राजेंद्रन के आवास पर जांच एजेंसी ने छापे मारे हैं। इसके अलावा पूर्व डीजीपी एस जॉर्ज और अन्य पुलिस अधिकारियों के ठिकानों को भी सीबीआई की टीम ने खंगाला है। राजधानी चेन्नै में कुल 40 ठिकानों पर जांच एजेंसी ने छापे की कार्रवाई की है। छापेमारी के दौरान क्या बरामद हुआ है, इस बारे में जानकारी मिलने का अभी इंतजार है।

अप्रैल 2018 में मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को बड़ा झटका देते हुए गुटखा घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। घोटाले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भास्कर और डीजीपी टीके राजेंद्रन का नाम आने से तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मच गई थी।

गुटखा कंपनी पर छापे से खुलासा
यह मामला तब सामने आया था, जब 8 जुलाई 2017 को आयकर विभाग ने लगभग 250 करोड़ की टैक्स चोरी के शक में एक गुटखा निमार्ता कंपनी के गोदाम, दफ्तर और घरों में छापा मारा था। राज्य सरकार ने 2013 में गुटखा और पान मसाला समेत खाद्य तंबाकू पदार्थों के उत्पादन, स्टोरेज और बिक्री पर रोक लगा दी थी। छापे के दौरान विभाग को एक डायरी मिली थी, जिसमें उन लोगों के नाम थे, जिन्हें कथित तौर पर पैसे दिए गए थे। इनमें से एक नाम राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का भी था।

जयललिता को लिखा खत शशिकला के कमरे से मिला
यह बात सामने आते ही डीएमके ने कोर्ट में एक विशेष जांच टीम का गठन करने की मांग की। पार्टी की मांग थी कि टीम में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज और सीबीआई अधिकारी हों। कोर्ट में सुनवाई के दौरान पता चला कि आयकर विभाग की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को लिखा हुआ खत एआईएडीमके नेता वीके शशिकला के कमरे से बरामद हुआ। विभाग ने तत्कालीन डीजीपी के जरिए वह खत जयललिता को भेजा था, लेकिन वह शशिकला के कमरे से मिला।

जम्मू-कश्मीर में बच्ची के साथ से गैंगरेप के बाद प्रायवेट पार्ट में डाला एसिड, आंखें निकाली

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बारामुला/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में नौ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के मामले में क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं थीं। जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद आरोपियों ने उसकी आंखें निकाल ली थीं और प्राइवेट पार्ट में ऐसिड डाल दिया था। मानवता को शर्मसार कर देने वाली इस घटना के सिलसिले में पुलिस ने बच्ची की सौतेली मां, सौतेले भाई समेत पांच लोगों को अरेस्ट किया है।
Acid, eyes removed in private party after gangrape with child in Jammu and Kashmir
बारामूला के एसएसपी इम्तियाज हुसैन ने मीडिया से बातचीत में बताया, ‘बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। आरोपियों ने बच्ची की आंखें निकाल ली थीं और उसके प्राइवेट पार्ट में ऐसिड डाल दिया था। हमने हत्या में इस्तेमाल हथियार और ऐसिड लाने के लिए इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक केन को बरामद कर लिया है। दो नाबालिगों समेत सभी 5 आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है।’

2 सितंबर को मिला था मासूम का शव
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि परिवार का भी कोई सदस्य इसमें शामिल है। इसके बाद कुछ लोगों के साथ पुलिस स्टेशन में पूछताछ की गई। पूछताछ में मिली सूचना के आधार पर बच्ची की सौतेली मां, सौतेले भाई और इस अपराध में शामिल तीन अन्य लोगों को अरेस्ट किया गया। बता दें कि 2 सितंबर को लापता लड़की का शव उसके घर से एक किलोमीटर दूर सड़ी-गली अवस्था में बरामद हुआ था।

शव के बरामद होने से पहले बच्ची के पिता ने अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में उन्होंने बच्ची के अपहरण की आशंका भी जताई थी, जिसपर पुलिस अधिकारियों ने लापता बच्ची की तलाश के लिए टीमों का गठन किया था। मामले की जांच के दौरान, पुलिस को पता चला कि लड़की के पिता की दो पत्नियां हैं और बच्ची झारखंड की निवासी एक महिला की बेटी है।

सौतन से जलन बना वारदात का कारण
पुलिस के मुताबिक, पीड़िता की सौतेली मां फहमीदा उससे नफरत करती थी और अपने पति की दूसरी पत्नी से जलन के कारण ही उसने इस वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद जब बच्ची लापता हुई तो उसके पिता ने पुलिस के पास गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसपर उड़ी के जंगलों में तलाश के दौरान पीड़िता का शव बरामद किया गया। पुलिस के मुताबिक पीड़िता की मां उसे जंगल में लेकर गई थी, जहां उसने अपने बेटे और तीन अन्य साथियों के साथ पूरी वारदात को अंजाम दिया।

अपनी यात्रा के अनुभवों को राहुल ने किया साझा, कहा- कैलास वही जाता है जिसको बुलावा आता है

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नई दिल्ली। कैलास मानसरोवर यात्रा पर गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के आध्यात्मिक अनुभवों को साझा किया है। राहुल ने कहा कि कोई व्यक्ति तभी कैलास जाता है, जब वह उसे बुलाता है। वह यह सौभाग्य पाकर खुश हैं। मानसरोवर झील की दिव्यता को बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने इशारों में सरकार को भी नसीहत दी।
Rahul shared his travel experiences, said- Kailas goes the same way that is called.
कैलास बुलावा भेजता है…
राहुल ने अपनी कैलास यात्रा पर लिखा कि यह सौभाग्य उसी को मिलता है, जिसे कैलास बुलाते हैं। उन्होंने लिखा, ‘कोई भी व्यक्ति तब कैलास जाता है, जब वह उसे बुलाता है। यह सौभाग्य पाकर मैं बेहद खुश हूं और इस बेहद खूबसूरत यात्रा के दौरान मैंने क्या देखा, वह आपके साथ साझा करूंगा।’

बता दें कि राहुल की कैलास यात्रा पर बीजेपी और कांग्रेस में घमासान मचा है। बीजेपी इसे पाखंड करार दे रही है, तो कांग्रेस उसे एक शिवभक्त और उसकी भक्ति के बीच में विघ्न बता रही है। इसके साथ ही राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया था, जिसमें कहा गया था कि यात्रा के दौरान राहुल ने नॉनवेज भोजन किया था। हालांकि कुछ देर बाद काठमांडू के रेस्तरां ने सफाई दी कि राहुल ने ‘सिर्फ शाकाहारी भोजन’ ही किया है।

31 अगस्त के बाद यह राहुल गांधी की पहली ट्विटर पोस्ट है। 31 अगस्त को राहुल गांधी ने संस्कृत श्लोक के साथ कैलास पर्वत की तस्वीर पोस्ट की थी। कांग्रेस अध्यक्ष की यात्रा से पहले पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, ‘शिव भक्त कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए निकल चुके हैं। वह कैलास पर्वत की परिक्रमा करेंगे। इस यात्रा में 12-15 दिन का वक्त लगेगा, लेकिन सुरक्षा कारणों से उनके रूट की जानकारी नहीं दी जा सकती है।’

04-09-2018

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प्रिंसेस थीम पार्टी का आयोजन

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पार्टियां तो आए दिन होती रहती हैं, पार्टी करने का एक रिवाज ही हो गया है। पर बेहतर तरीके से पार्टी करने का मजा कुछ और ही है। पिंकी गोयल इस काम की हमेशा मास्टर रही हैं। जब भी वह पार्टी करती हैं तो वह एक सही थीम के साथ पार्टी करती हैं। इस बार भी ऐसा ही था। परफेक्ट प्रिंसेस थीम पर पार्टी थी, जिसमें आर्इं सभी महिलाओं ने प्रिंसेस के रूप में नजर आर्इं।

Organizing the Princess Theme Party
हां अंदाज सबका का अलग-अलग था, भोपाल के एक होटल में आयोजित इस पार्टी में लगभग 30 महिलाओं ने भाग लिया। जिसमें विशेष रूप से पिंकी गोयल, आंचल चंदानी, रेशा सिंह, ऋतु पास्पुल, संध्या विश्वकर्मा, महक चंदानी, शोभा पटेल, स्रेहा उपाध्याय, सुनंदा पहाड़े, खुशी सिंह, भूमिका रमानी, करिश्मा, सीमा चतुर्वेदी, कोमल वाधवानी व अन्य कई ने भाग लिया। साथ ही साथ अगली बार पार्टी करने का वादा भी किया कि एक नई थीम के साथ पार्टी करेंगे तथा शहर की समस्याओं पर भी चर्चा करेंगे।



गाय तुम केवल मुद्दा हो, तुमसे वोटों का दूध मिलता है…

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पंकज शुक्‍ला

मप्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में गाय भी एक मुद्दा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार आने पर प्रदेश की हर पंचायत में गोशाला बनायी जायेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा गोमाता को लेकर बातें तो बड़ी-बड़ी करती है, जमीन पर करती कुछ नहीं। सैकड़ों गोमाता रोज मर रही हैं, लेकिन उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है। भाजपा गोमाता के नाम पर केवल राजनीति करती है। हम गोमाता को तड़पते हुए नहीं देख सकते। भाजपा की ओर से जवाब भी आया है।
The cow is the only issue, you get the milk of votes …
प्रवक्‍ता रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि गौचर भूमि को समाप्‍त करने वाली कांग्रेस अब गौशाला खोलने का स्‍वांग रच रही है। आज गाय सड़क पर आने को मजबूर हुई तो उसका कारण चरनोई की जमीन खत्‍म करने की कांग्रेसी मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह की नीति रही है। कांग्रेस और भाजपा में ह्यगायह्ण को लेकर यह जंग पशुपालन की फिक्र का उदाहरण नहीं है बल्कि यह मुद्दों को हथियाने और अपनी लाइन दूसरे से गाढ़ी दिखाने की जुगत है।

गाय पर इस बहस को देख-सुन कर ख्‍यात व्‍यंग्‍यकार हरिशंकर परसाई याद आते हैं। उन्‍होंने लिखा कि – ह्यस्वामीजी, दूसरे देशों में लोग गाय की पूजा नहीं करते, पर उसे अच्छी तरह रखते हैं और वह खूब दूध देती है। स्‍वामी जी उत्‍तर देते हैं, – बच्चा, दूसरे देशों की बात छोड़ो। हम उनसे बहुत ऊंचे हैं। देवता इसीलिए सिर्फ हमारे यहां अवतार लेते हैं। दूसरे देशों में गाय दूध के उपयोग के लिए होती है, हमारे यहां वह दंगा करने, आंदोलन करने के लिए होती है। हमारी गाय और गायों से भिन्न है।

यह प्रसंग इसलिए याद क्‍योंकि मप्र में राजधानी भोपाल के पाश इलाके से लेकर सुदूर ग्रामीण अंचल तक कहीं भी चले जाइए आपको सड़कों पर गाय बैठी हुई मिल जाएंगी। इन गायों की संख्‍या एक-दो नहीं दर्जन भी हो सकती है। भोपाल में दो दिन पहले एक युवक की बाइक से गिर कर मौत हुई क्‍योंकि वह रात के अंधेरे में सड़क पर बैठी गाय को न देख पाया था। सोचिए, क्‍या होता यदि गाय को वाहन से चोट लग जाती? सड़कों पर इतनी गायें अचानक कहां से आ गई?

क्‍यों वाहन चलाते डर लगता है कि सड़क के बीचों बीच खड़ी या बैठी गाय अचानक चल पड़ी या सेंट्रल वर्ज पर चढ़ी गाय अचानक उतर गई और किसी वाहन से चोट लग गई या वाहन सवार को गिर गया तो…? पंचायत में गौशाला बनाने का वचन दे कर कमलनाथ ने भाजपा के हाथ से एक मुद्दा छिनने का प्रयास किया है। साथ ही इस दुखती रग पर भी हाथ रख दिया कि सड़क पर छोड़ दी गई गाय का क्‍या किया जाए? सभी जानते हैं कि काश्‍तकार से लेकर गौपालक तक गाय की सेवा तभी तक करते हैं जब तक वह दूध देती है।

उसके बाद गाय को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। कई ऐसे स्‍वार्थी लोग हैं जिन्‍होंने हमारी संवेदनाओं की आड़ में गाय को खुला छोड़ दिया है। वह सड़क पर कचरा खाती है। पॉलीथिन खाती है। हमारी लापरवाही से उसकी जान पर बन आती है। गौशालाओं में भी गाय की वांछित देखभाल नहीं हो पाती क्‍योंकि उनकी क्षमता कम है और गाय अधिक। गौशालाओं में गायों के साथ अत्‍याचार और उनके भूख से मर जाने की खबरें भी हमारे ही समाज का हिस्‍सा हैं।

हमारी सरकारों की पशुपालन नीति में गाय-भैस के पालन की बातें तो कई हुई लेकिन दूध न मिलने के बाद गाय के साथ होने वाले बर्ताव पर कोई बात नहीं करता। यह ऐसा नासूर है जिसे सब ढंक कर रखना चा‍हते। जिस तरह गाय एक सियासी मुद्दा है उसी तरह स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, सामाजिक तरक्‍की, आर्थिक उन्‍नति भी केवल सियासी मुद्दे ही बन कर रह गए हैं। प्रदेश की सत्ता पर पंद्रह साल से काबिज भाजपा और कांग्रेस भी कमलनाथ के नेतृत्व में लोगों से घोषणा पत्र के लिए सुझाव मांग रही है।

यह मौका है तब पार्टियां मप्र के भविष्‍य को रेखांकित कर अपना घोषणा पत्र बनाए। इसमें वास्‍तविकता का आधार हो, लोक लुभावनी घोषणा की चमक नहीं। उसमें मुद्दों को वोट की दुधारू क्षमता वाले मुद्दों पर ही फोकस न हो। तब तो घोषणा पत्र का कोई औचित्‍य होगा अन्‍यथा तो यह कवायद हर चुनाव के पहले होती। और गाय की तरह हमसे जुड़े सभी मुद्दे ऐसे ही ज्वलंत बने रहेंगे।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है

वोटर लिस्ट की गड़बड़ी आयोग को बताएं भाजपा नेता, 7 सितंबर से पहले प्रस्तुत करें दावे आपत्ति

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भोपाल। प्रदेश भाजपा ने सभी जिलाध्यक्षों को फरमान जारी किया है कि मतदाता सूचियों से जुड़े दावे-आपत्तियां चुनाव आयोग के सामने 7 सितंबर से पहले प्रस्तुत करें। इस संबंध में प्रदेश भाजपा कार्यालय की ओर से जिला पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों को पत्र जारी किया गया है।
BJP leader to submit report on disruption of voter list, submit claim before September 7
प्रदेश कार्यालय मंत्री सत्येंद्र भूषण सिंह की ओर से जिला अध्यक्षों, सांसद, विधायकों को भेजे गए पत्र में कहा है कि अपने अपने क्षेत्र में मतदाता सूची से संबंधित दावे आपत्तियां 7 सितंबर तक प्रस्तुत कराएं। उन्होंने कहा है कि फोटो निवार्चक नामावलियों का दूसरा विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण 2018 के अतंर्गत 31 जुलाई को पूरे प्रदेश में मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशित किया गया था।

इसकी प्रतियां संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को दी गयी थी। फोटो निर्वाचक नामावलियों में दावे आपत्तियां प्रस्तुत करने के लिए 31 जुलाई से 31 अगस्त 2018 तक निर्धारित की गयी थी एवं दावे आपत्तियों का निराकरण 20 सितंबर तक किया जायेगा। मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन 27 सितंबर को जारी किया जायेगा।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दावे आपत्तियां प्रस्तुत करने के लिए 7 सितंबर तक बढ़ाया गया है। ताकि जिन व्यक्तियों द्वारा दावे आपत्तियां अभी तक प्रस्तुत नहीं किए जा सके है वे भी प्रस्तुत कर सकें। उन्होंने कहा कि सभी सांसद, जिला अध्यक्ष एवं विधायक यह ध्यान रखें कि उनके क्षेत्रों में निर्धारित तिथि तक दावे आपत्ति प्रस्तुत हो जाएं।