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देशभर में विरोध के बीच मप्र में उतरा रफाल, सिब्बल ने कहा 60 हजार करोड़ में की 18 हजार करोड़ की डील

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भोपाल। फ्रांस निर्मित लड़ाकू विमान राफेलके देशभर में विरोध के बीच तीन विमान रविवार को ग्वालियर में वायुसेना के महाराजपुरा एयर स्टेशन पर पहुंच गए। इन्हें फ्रांस के पायलट लेकर आए हैं। भारतीय वायुसेना के पायलट तीन दिन तक राफेल उड़ाने की प्रैक्टिस करेंगे।
Rafale landed in mid-way between opposition across the country, Sibal said Rs 18 thousand crore deal worth 60 thousand crore
जब राफेल ग्वालियर में उतर रहा था, पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इंदौर में कहा कि राफेल विमान सौदे में बड़ा घोटाला सामने आया है। यूपीए सरकार के समय 2012 में जो डील की गई थी, उसको निरस्त कर अब तीन गुना ज्यादा दामों पर खरीदने का निर्णय मोदी सरकार ने लिया।

राफेल के फ्रांस पायलट को भारतीय वायुसेना के पायलट मिराज लड़ाकू विमान उड़ाने की ट्रेनिंग देंगे। महाराजपुरा एयरबेस भारतीय वायुसेना का सबसे महत्वपूर्ण विमानतल है। एयरबेस के सूत्रों ने बताया कि आॅस्ट्रेलिया में आयोजित विभिन्न देशों के युद्धा यास कार्यक्रम से लौटते समय फ्रांस के लड़ाकू विमान राफेलकी एक खेप भारतीय वायुसेना के अनुरोध पर ग्वालियर रुक गई है।

हालांकि बताया यह भी गया है कि मौसम खराब होने के कारण इन विमानों को यहां रोका गया है। सूत्रों ने बताया कि उच्च स्तर पर सहमति बनने के कारण भारतीय वायुसेना के पायलटों को राफेलकी कार्यप्रणाली से परिचित कराने के लिए इसी दौरान उन्हें प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। रविवार को बेसिक ट्रेनिंग की शुुरुआत कर दी गई है।

सिब्बल ने आरोप लगाए कि 2012 में हमने 560 करोड़ रुपए प्रति राफेल विमान के हिसाब से खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया था। अब उसी को 1600 करोड़ रुपए प्रति राफेल विमान के हिसाब से खरीदने का ऐलान प्रधानमंत्री ने कर दिया। 2012 के एग्रीमेंट के मुताबिक जो डील 18-19 हजार करोड़ रुपए की थी, वो अब करीब साठ हजार करोड़ तक पहुंच गई। अंतर करीब 41 हजार करोड़ रुपए है। हम संसद में राफेल के दाम पूछ रहे हैं तो सरकार कह रही है सीक्रेट है। इस मौके पर सिब्बल के साथ सांसद विवेक तन्खा भी थे।

आस्ट्रेलिया से लौटे विमान
फ्रांस ने अभी राफेलकी सप्लाई नहीं की है। जिन राफेलविमानों को ग्वालियर में रोका गया है, वे आस्ट्रेलिया से प्रतिस्पर्धा में शामिल होकर लौटे। इनकी एक खेप ग्वालियर में रोकी गई है। भारतीय वायुसेना में राफेल36 विमान शामिल किए जाएंगे। इन विमानों की दो स्क्वाड्रन बनाई जाएंगी। इन्हें हरियाणा व पश्चिम बंगाल में तैनात किए जाने पर वायुसेना के उच्चाधिकारियों व रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों के बीच बातचीत चल रही है। बताया यह भी गया है कि भारतीय वायुसेना के चयनित फाइटर पायलटों को बाद में ट्रेनिंग के लिए फ्रांस भी भेजा जाएगा।

सीएम के काफिले पर पथराव, भाजपा भी चिंतित

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भोपाल। एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद मध्यप्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में बवाल मचा हुआ है। रविवार देर रात सीधी जिले की चुरहट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रथ पर पथराव के बाद सीएम की सुरक्षा को लेकर सरकार चिंतित हो गई है। सोमवार को इस मुद्दे पर अधिकारियों की बड़ी बैठक होने की संभावना है।
Government worried about safety of Shivraj after stone pelting on CM’s convoy
इस आंदोलन से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में घबड़ाहट दिखाई दे रही है। राज्य सरकार पूरे प्रदेश में पहली बार एक साथ धारा 144 लगाने पर विचार कर रही है। ग्वालियर-चंबल संभाग के कुछ जिलों में 3-4 सित बर एवं 7-8 सित बर को इंटरनेट सेवाएं बंद करने पर भी विचार चल रहा है।

पिछले 4-5 दिन में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ आंदोलन में गति पकड़ ली है। मप्र के 25से ज्यादा जिलों में आंदोलन फेल चुका है। खास बात यह है कि राज्य मंत्रालय में बैठकर सपाक्स और अपाक्स जैसे संगठन चलाने वाले आईएएस अधिकारी भी इस आंदोलन को अपने-अपने स्तर पर हवा दे रहे हैं। रविवार को सपाक्स के संयोजक रिटायर आईएएस हीरालाल त्रिवेदी नीमच पहुंचे जहां बड़ी सं या में लोगों ने रैली निकालकर आरक्षण और एक्ट का विरोध किया। सोमवार को मंदसौर में बड़ी सं या में लोग रैली निकालने वाले हैं।

देवकीनंदन भी उतरे
मथुरा कथाकार देवकीनंदन महाराज कल 4 सितंबर को ग्वालियर में आयोजित सभा में इस एक्ट का विरोध करेंगे। एक्ट के खिलाफ ग्वालियर में जगह-जगह बैठकों के दौर चल रहे हैं। 4तारीख को ही युवाओं ने कटोरा ताल से मोती महल तक बड़ी वाहन रैली निकालने की घोषणा की है। भाजपा के कई बड़े नेता भी आंदोलन से जुड़ रहे हैं। ग्वालियर में केडी सोलंकिया और हरी मोहन पुरोहित आंदोलन से जुड़ गए हैं। श्योपुर में जिला भाजपा के कोषाध्यक्ष नरेश जिंदल भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर आंदोलन में कूंद गए हैं।

यह समाज हुए एक
मध्यप्रदेश में क्षत्रीय महासभा, यादव महासभा, गुर्जर महासभा, वैश्य महासभा, कायस्थ महासभा, कुशवाह महासभा सहित अनेक सामाजिक संगठन इस आंदोलन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। यह सामूहिक बैठकें करके 8 सित बर को भारत बंद को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं।

शहर, गांव, मोहल्लों में बैनर
मध्यप्रदेश के लगभग आधे शहरों, गांवों और मोहल्लों में लोगों ने अपने घरों के बाहर ैबनर लगाना शुरू कर दिया है कि हम सामान्य, पिछड़ा वर्ग के हैं नेता हमारे यहां वोट मांगने न आएं।

सुरक्षा को लेकर पार्टी करेगी विचार
सीएम के काफिले के ऊपर हुए हमले को लेकर प्रशासन और सरकार तो चिंतित है ही, साथ ही साथ भाजपा भी चिंता आ गई है। उसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि चुनावी वर्ष में सीएम के काफिले पर इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। जिसे भाजपा बहुत गंभीरता से विचार कर रही है। एक अनौपचारिक बातचीत में भाजपा के बड़े नेता ने बताया कि इस पर पार्टी जरूर विचार करेगी।

पुलवामा में आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर हरकत में आए सुरक्षाबल के जवान, शुरू किया सर्च आॅपरेशन

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के कई गांवों में आतंकियों के छिपे होने की खबर पर सुरक्षाबलों ने सोमवार सुबह तलाशी अभियान शुरू किया है। यहां सीआरपीएफ, सेना और राज्य पुलिस मिलकर ये अभियान चला रहे हैं। खबर के मुताबिक, पुलवामा के 20 गांवों में आतंकियों के छिपने की खबर मिली है।
In the Pulwama, information about the hideous of the terrorists came to the notice of the security forces, started the search operation
इससे पहले रविवार को शोपियां जिले में सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान चलाया था। दक्षिण कश्मीर के शोपियां इलाके में कई आतंकवादी सक्रिय हैं। वहीं एक सितंबर को बांदीपोरा में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 3 आतंकियों को मार गिराया था। साथ ही हथियारों का भारी जखीरा भी उनसे बरामद किया था। इस मुठभेड़ में सेना का भी एक जवान शहीद हो गया था। शहीद जवान की पहचान राइफलमैन शिव कुमार के रूप में हुई।

4 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे
यहां हाजिन इलाके में गुरुवार को भी सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों ढेर कर दिया था। इस मुठभेड़ के एक दिन पहले ही आतंकियों ने शोपियां में जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम पर हमला किया था, जिसमें चार पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

पुलिसकर्मियों की राइफल भी लूट ली थी
बुधवार शाम शोपियां के अरहामा गांव में इस हमले के बाद आतंकियों ने शहीद पुलिसकर्मियों की सर्विस राइफल भी लूट ली थी, जिसके बाद से ही सेना ने शोपियां समेत दक्षिण और उत्तरी कश्मीर के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर गहन तलाशी अभियान चलाया था।

सवाल: राहुल गए कैलास मानसरोवर यात्रा पर, उनकी गैरमौजूदगी में कौन लेगा अहम फैसले

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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों कैलास मानसरोवर की तीर्थयात्रा पर निकले हैं। राहुल के कार्यक्रम की जानकारी रखने वाले उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह 12 सितंबर को दिल्ली वापस लौटेंगे। इस दौरान एक अहम सवाल यह है कि आखिर राहुल की गैरमौजूदगी में पार्टी के अहम फैसलों को कौन लेगा।
Question: Rahul went on Kailas Mansarovar Yatra, who will take important decisions in his absence
2011 में करीब एक महीने की यात्रा पर सोनिया गांधी जब अमेरिका गई थीं, तब उन्होंने पार्टी के मामलों को मैनेज करने के लिए 4 सदस्यों की एक कमिटी का गठन किया था। इसे उन्होंने अपनी गैर-हाजिरी में पार्टी के मामलों पर फैसले के लिए अधिकृत किया था।  हालांकि करीब 15 दिनों के लिए दिल्ली से दूर रहने के बावजूद राहुल गांधी ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई है।

यदि किसी बड़े मसले पर इस बीच फैसले की जरूरत पड़ती है तो कांग्रेस के महासचिव आपस में समन्वय कर निर्णय लेंगे। इसके अलावा पार्टी के सीनियर सदस्य जैसे कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, संगठन महासचिव अशोक गहलोत और एके एंटनी जैसे लोगों से मदद ली जा सकती है।

तीर्थयात्रा पर निकलने से पहले राहुल गांधी ने चुनाव से संबंधित पैनल की 30 अगस्त को अध्यक्षता की थी। इसके अलावा उन्होंने मेनिफेस्टो और पब्लिसिटी कमिटी भी बनाई हैं। सूत्रों के मुताबिक इनकी मीटिंग क्रमश: सोमवार और गुरुवार को होंगी। राहुल गांधी की गैर-मौजूदगी में कांग्रेस के कामकाज को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में एक सीनियर लीडर ने कहा, ‘राहुल जी की वापसी तक काम देखने के लिए किसी औपचारिक व्यवस्था की जरूरत नहीं है। कांग्रेस के महासचिव अहम मसलों पर को-आॅर्डिनेट कर फैसला ले सकते हैं, इसके अलावा सीनियर लीडर्स की सलाह ली जा सकती है।’

सीनियर ने कहा, ‘तकनीक के सहारे भी नेता किसी भी वक्त राहुल जी से बात कर सकते हैं। यदि कोई बेहद महत्वपूर्ण फैसला होता है तो पार्टी लीडर फोन और ईमेल के जरिए राहुल गांधी जी से तीर्थयात्रा के दौरान भी बात कर सकते हैं।’ इसके अलावा कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी भी किसी फैसले के लिए दिल्ली में मौजूद हैं।

हलाला के नाम पर ससुर ने महिला से जबरन किया रेप, हुई गर्भवती, मामला दर्ज

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में तीन तलाक के बाद हलाला के नाम पर महिला की जबरन ससुर से शादी कराई गई। ससुर ने महिला का रेप किया और वह गर्भवती हो गई। बाद में उसे फिर घर से निकाल दिया गया। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर उसके ससुर, पति और दो मौलवियों के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
In the name of Halala, the father-in-law forcibly raped the woman, got pregnant, filed the case
यह घटना नखासा थाने की है। बरेली के अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश ने बताया कि महिला ने डीएम को लिखित शिकायत की थी। इस शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने तीन तलाक दे दिया था। तीन तलाक के बाद उसे वापस अपने पास रखने के लिए हलाला करने को कहा गया।

‘…इसलिए अब हलाला करना पड़ेगा’
पीड़िता का निकाह 7 दिसम्बर 2014 को नखासा थाना क्षेत्र के तुतीर्पुरा इलाह इलाके में हुआ था। महिला का आरोप है कि 25 दिसंबर, 2015 की रात को उसके ससुराल के लोगों ने उसे घर से बाहर निकाल दिया था। इस मामले में उसने 3 जनवरी, 2016 को अपने ससुराल के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

बाद में 24 दिसम्बर 2016 को दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और वह अपने ससुराल चली गई। उसके बाद उसके शौहर, ससुर और उसके पति के मामू ने कहा कि चूंकि तलाक हो चुका है, इसलिए अब हलाला भी करना पड़ेगा।

ससुर के साथ कमरे में बंद कर दिया
महिला का आरोप है कि काफी मना करने के बावजूद दो कथित मौलवियों को लेकर आया गया। दोनों मौलवियों ने कहा कि वह उसके ससुर से उसका निकाह करा देंगे और ह्यहलालाह्य के बाद वह सुबह उसे तलाक दे देगा। उसके बाद उसका निकाह फिर से शौहर से करा दिया जाएगा। करीब दो घंटे बाद उसका ससुर से निकाह करा दिया गया।

उसे ससुर के साथ कमरे में बंद कर दिया जहां उसने उससे बलात्कार किया। सुबह ससुर ने उसे तलाक दे दिया और उसे इद्दत के नाम पर एक कमरे में बैठा दिया गया। इस दौरान उसके पति ने भी उसके साथ बलात्कार किया और वह गर्भवती हो गई। बाद में वह अपने मायके चली आई जहां उसने एक बेटे को जन्म दिया।

शिकायत पर जान से मारने की धमकी
महिला ने शिकायत में यह भी आरोप लगाया है कि उसने अपने साथ हुए इस जुल्म के खिलाफ उसने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया, तब से आरोपी और कुछ मौलाना उसे तथा उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। अपर पुलिस महानिदेशक ने बताया कि उनके आदेश पर इस मामले में महिला के पति, ससुर, पति के मामू और दो अज्ञात मौलवियों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार के आरोप में रविवार को मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

राफेल विवाद के बीच केन्द्र सरकार दे सकती है 114 नए फाइटर जेट्स के अधिग्रहण को मंजूरी

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नई दिल्ली। राफेल जेट डील को लेकर भले ही सरकार विपक्षी नेताओं के निशाने पर हो, लेकिन इस बीच केंद्र ने 114 नए फाइटर जेट्स के अधिग्रहण को मंजूरी देने की तैयारी कर ली है। 20 अरब डॉलर यानी करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये के इस सौदे को ‘महाडील’ कहा जा रहा है। बता दें कि 59,000 करोड़ रुपये में 36 फ्रेंच राफेल जेट्स के सौदे को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलवार है। कांग्रेस का कहना है कि उसने महंगे रेट पर यह डील की है।
Center can give approval for the acquisition of 114 new fighter jets between Rafael dispute
डिफेंस मिनिस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि निर्मला सीतारमन के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद इस महीने के अंत तक या अगले महीने के शुरूआती दिनों में इस डील के लिए ‘एक्सेपटेंस आॅफ नेसेसिटी’ को मंजूरी दे सकती है। इस डील के तहत कॉन्ट्रैक्ट होने के तीन या 5 साल के भीतर 18 जेट उड़ने की स्थिति में भारत आएंगे।

इसके अलावा बाकी फाइटर जेट्स को स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के तहत भारत में ही तैयार किया जाएगा। कुछ विदेशी विमानन कंपनियों और भारतीय साझीदारों की ओर से इन्हें जॉइंट वेंचर के तहत तैयार किया जाएगा।  दिलचस्प बात यह है कि इस डील की रेस में रूसी सुखोई-35 भी शामिल हो गया है।

उसने अप्रैल में भारतीय एयरफोर्स की ओर से जारी रिक्वेस्ट फॉर इन्फर्मेशन और शुरूआती टेंडर के आधार पर अपनी बोली जमा की थी। सुखोई के अलावा इस प्रॉजेक्ट के लिए एफ/ए-18 और एफ-16 (अमेरिका), ग्रिपेन-ए (स्वीडन), मिग-35 (रूस), यूरोफाइटर टाइफून और राफेल ने भी इसके लिए अपनी बोलियां जमा कराई हैं।

चीन और पाकिस्तान की चुनौती से निपटने के लिए वायुसेना इस प्रॉजेक्ट पर तेजी से आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन प्रक्रिया जटिल होने के चलते इसमें समय लगना तय है। इस पूरे कॉन्ट्रैक्ट पर काम शुरू होने में 4 से 5 साल का वक्त लग सकता है। इनमें से एक फाइटर जेट पर 100 मिलियन डॉलर की लागत आएगी, जबकि इतनी ही राशि उस पर ऐड-आॅन होगी।

अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हार्दिक पटेल ने वसीयत जारी कर संपत्ति बंटवारे की जताई इच्छा

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अहमदाबाद। गुजरात में पाटीदार समाज के नेता हार्दिक पटेल ने अपने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के नौवें दिन अपनी वसीयत जारी की। रविवार को जारी की गई वसीयत में हार्दिक ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी संपत्ति का बंटवारा माता-पिता (भरत पटेल और ऊषा पटेल) और एक गोशाला के बीच हो। पाटीदार समुदाय को आरक्षण, किसानों की कर्जमाफी और अपने सहयोगी अल्पेश कठीरिया की रिहाई की मांग को लेकर हार्दिक भूख हड़ताल पर चल रहे हैं।
Hardik Patel, sitting on indefinite strike, issued the will and expressed desire to share property.
आंखें दान करने की जताई इच्छा
हार्दिक ने अपनी वसीयत में कहा, ‘इस निर्दयी बीजेपी सरकार के खिलाफ 25 अगस्त से मैं अनशन कर रहा हूं। मेरा शरीर कमजोर हो चुका है और मैं दर्द, बीमारी और संक्रमण का शिकार हो गया हूं। लगातार बिगड़ रहे इस शरीर पर मैं भरोसा नहीं कर सकता। मेरे शरीर से मेरी आत्मा कभी भी बाहर निकल सकती है। इसलिए मैंने अपनी अंतिम इच्छा की घोषणा करने का फैसला लिया।’ हार्दिक ने इस वसीयत में मौत होने की सूरत में अपनी आंखें दान करने की इच्छा भी जाहिर की है।

हार्दिक की वसीयत में क्या है?
पाटीदार समाज के एक अन्य नेता मनोज पनारा ने हार्दिक की वसीयत का ऐलान किया। पनारा ने कहा कि अगर हार्दिक को कुछ होता है, तो उनके बैंक अकाउंट में जमा कुल 50 हजार रुपयों में से 20 हजार माता-पिता को जबकि बाकी 30 हजार रुपये अहमदाबाद के विरमगाम तालुका के उनके पुश्तैनी गांव चंदननगर के पास स्थित एक गोशाला को दिया जाएगा।

हार्दिक ने ब्लड सैंपल देने से किया इनकार
हार्दिक चाहते हैं कि उनकी किताब हू टुक माई जॉब की 30 फीसदी रॉयल्टी उनके माता-पिता और बहन में बराबर-बराबर बांट दी जाए। इसके अलावा बाकी 70 फीसदी रॉयल्टी 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान मारे गए 14 युवाओं के परिजनों में बांट दी जाए। यह किताब अभी प्रकाशित नहीं हुई है। हार्दिक ने कहा है कि उन्होंने 2014 में एक इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी, इसके अलावा वह एक कार के भी मालिक हैं। इस वसीयत में उनकी कीमत का जिक्र नहीं किया गया है।

हार्दिक समर्थकों पर लाठीचार्ज
इस बीच एसपी रिंग रोड के पास वैष्णो देवी सर्कल पर स्थित हार्दिक के घर के बाहर पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के इकट्ठा समर्थकों पर रविवार शाम को पुलिस ने लाठीचार्ज किया। हार्दिक से मिलने के लिए पहुंचे करीब 150 लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ा। पुलिस ने इस दौरान बारी-बारी से सभी के परिचय पत्र चेक किए और उनके फोन नंबर भी दर्ज किए गए। जब कुछ समर्थकों ने इस पर विरोध जताया तो हंगामा मच गया। इसके बाद समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

बिहार में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में माथापच्ची, सटीक फार्मूले पर हो रहा मंथन

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नई दिल्ली। 2019 के आम चुनाव से पहले बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग के फॉम्युर्ले पर माथापच्ची जारी है। 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे के लिए चार दलों- भाजपा, जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी में सटीक फॉर्म्यूले पर मंथन हो रहा है। ऐसे में बिहार संघर्ष थोड़ा पेचीदा भी हो गया है।
Manthanak in the NDA, on the exact formula for seat sharing in Bihar
दरअसल, जुलाई 2017 में एनडीए में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई वाले जेडीयू की वापसी ने तीनों दलों को मजबूर कर दिया है कि वे खऊव को समायोजित करने के लिए कुछ सीटें छोड़ दें। यह स्थिति बीजेपी के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी ) के सामने भी है।

पहले फॉर्म्यूले पर काम
खबर है कि बीजेपी इसका समाधान करने के लिए अलग-अलग फॉर्म्यूले पर काम कर रही है। बीजेपी दो सीटों का त्याग कर सकती है और एलजेपी को 6, आरएलएसपी को 2 सीटें मिल सकती हैं। ऐसी परिस्थिति में जेडीयू को 12 सीटें मिलेंगी। हालांकि यह फॉर्म्यूला जेडीयू को शायद ही स्वीकार हो क्योंकि ऐसा लग रहा है कि वह बिहार में एनडीए का प्रमुख दल बनना चाहती है और ऐसे में वह ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही है।

पहला फेल तो दूसरा क्या?
अब भाजपा के सामने समस्या यह है कि वह किसी भी हाल में जेडीयू को नाराज नहीं करना चाहती है। अगर फॉम्युर्ला नंबर 1 फेल होता है तो बीजेपी को 4 सीटें छोड़नी पड़ सकती हैं। हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इससे बीजेपी के भीतर ही समीकरण गड़बड़ा सकते हैं और कुछ लोग नाराज भी हो सकते हैं। पहला फॉम्युर्ला अस्वीकार करने पर जेडीयू को दूसरे फॉम्युर्ले का आॅफर दिया जा सकता है।

आरएलएसपी बाहर तो क्या होगा?
अगर आरएलएसपी एनडीए से बाहर होती है तो बीजेपी को केवल एक सीट का त्याग करना होगा। हालांकि संभावना इस बात की भी जताई जा रही है कि अगर अलायंस में पार्टियां कम हुईं तो जेडीयू और भी ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है। इस फॉम्युर्ले के तहत बीजेपी को अपने सहयोगियों जेडीयू और एलजेपी के बीच संयुक्त रूप से 20 सीटें देनी होंगी।

आगे इन दोनों पार्टियों पर होगा कि वे इसे किस तरह से बांटती हैं। ऐसा करना संभव भी दिखता है क्योंकि नीतीश कुमार के राम विलास पासवान से अच्छे संबंध हैं। हालांकि आरएलएसपी से डील करना बीजेपी के लिए आसान काम नहीं होगा, जो लोकसभा में ज्यादा सीटें चाहती हैं। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में एनडीए के तहत आरएलएसपी को केवल तीन सीटें मिली थीं।

गलत तरीके से छूने के लिए बिशप ने मांगी आरियाना ग्रैंदे से माफी

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वॉशिंगटन। अरिथा फ्रैंकलिन के अंतिम संस्कार के मौके पर गायिका आरियाना ग्रैंदे को गलत तरीके से छूने पर बिशप ने माफी मांगी है। बता दें कि अंतिम संस्कार के मौके पर बिशन ने न सिर्फ आरियाना के सीने को गलत तरीके से छुआ था बल्कि उनके ऊपर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी। बिशप ने अपने व्यवहार के लिए माफी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा किसी को भी ठेस पहुंचाने का नहीं है।
Bishop asks for forgiveness from Ariana Grande for touching wrongly
बिशप चार्ल्स एच इलियस ककक ने फ्रेंकलिन के अंतिम संस्कार के मौके पर जब आरियाना ने अपना परफॉर्मेंस खत्म किया तो बिशप ने उन्हें छुआ था। बिशप की आरियाना के सीने को छूनेवाली तस्वीरें सोशल मीडिया  पर वायरल हो गई, जिसकी आलोचना भी हुई थी। एपी को दिए इंटरव्यू में बिशप ने अपनी सफाई पेश की।

बिशप ने कहा, ‘मेरा इरादा कभी भी किसी भी महिला के सीने को छूने का नहीं रहा है। मुझे नहीं पता यह कैसे हुआ मुझे लगा मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है मैंने अपनी सीमाओं का उल्लंघन किया हो या फिर यह भी हो सकता है कि मैंने उनके साथ बहुत अधिक दोस्ताना हो, जो भी हो लेकिन मैं माफी चाहता हूं।

इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन  भी मौजूद थे। कार्यक्रम में आरियाना का नाम देखकर उनका मजाक बनाने के लिए भी बिशप ने माफी मांगी। बिशप ने कहा, ‘मैं व्यक्गितगत तौर पर आरियाना, उनके फैंस और इस घटना से जिसे भी चोट पहुंची है सबसे माफी चाहता हूं।’

गोल्ड मेडल जीतने वाले अमित के आर्थिक हालात नहीं थे ठीक, ग्लव्स खरीदने के नहीं होते थे पैसे

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चंडीगढ़। ‘थ्रोइंग इन दी टाव्ल’ एक ऐसा वाक्य है जिससे लगभग सारे बॉक्सर्स परिचित हैं। इस वाक्य का मतलब होता है हार को स्वीकार कर लेना लेकिन अमित पंघल के लिए इन शब्दों के कोई मायने नहीं है। हार न मानने वाले अमित ने शनिवार को एशियाई खेलों में गोल्ड जीतकर यह साबित भी कर दिया। गोल्ड जीतने के बाद अमित के भाई अजय पंघल उनके संघर्ष को याद करते हुए बताते हैं कि जब इस किसान परिवार के आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे, तब अमित बिना बॉक्सिंग ग्लव्स के ही अपनी ट्रेनिंग किया करते थे।
Amit did not have the financial condition of winning gold medal
हरियाणा के रोहतक जिले के मैना गांव में रहने वाले अमित के पिता, विजेंदर सिंह एक साधारण किसान हैं, जो अपनी एक एकड़ की जमीन पर गेहूं और बाजरे की खेती करते हैं। परिवार की आर्थिक हालत कभी बहुत अच्छी नहीं रही। इसके चलते अमित के बड़े भाई अजय पंघल ने बॉक्सिंग छोड़ दी थी। अमित के बड़े भाई अजय आज सेना में है।

अजय अपना पुराना वक्त याद करते हुए बताते हैं, ‘बॉक्सिंग के लिए अमित का जूनून ऐसा था कि उन्होंने बिना बॉक्सिंग ग्लव्स के 6 महीने तक ट्रेनिंग की थी। उनके बॉक्सिंग ग्लव्स जगह-जगह से तार-तार हो गए थे और नए ग्लव्स खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। एक समय ऐसा भी था जब अमित के पास बॉक्सिंग ग्लव्स खरीदने के लिए पैसे नहीं थे और उन्होंने 6 महीने से भी ज्यादा समय तक बिना ग्लव्स के ट्रेनिंग की। लेकिन उसने हार नहीं मानी। एक बॉक्सर के लिए सही डाइट बहुत जरूरी होती है अजय को यह भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हुई।’

इन सभी चुनौतियों के बावजूद अमित ने अपनी जी-तोड़ मेहनत और बुलंद हौंसले के दम पर बड़े-बड़े बॉक्सर को मात देकर गोल्ड हासिल किया। कई बार तो अमित ने खाली पेट भी ट्रेनिंग की है और जीत हासिल की है।  अमित भारतीय सेना में जेसीओ हैं और नायब सूबेदार के पद पर तैनात हैं। उन्होंने 2006 में बॉक्सिंग करना शुरू किया था। अमित के पिता विजेन्दर सिंह ने कहा, ‘हमारे परिवार ने ओलिंपिक मेडल के लिए काफी त्याग किया है। आज जो मेडल उसने पाया है उससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा लेकिन हम सभी का सपना है कि वह ओलिंपिक में गोल्ड हासिल कर देश का नाम ऊंचा करे।’