तनाव की बीच भारत ने मालदीव को झटका, ब्रिज के उद्घाटन का किया बहिष्कार
नई दिल्ली। मालदीव से बीते दिनों संबंधों में आए तनाव के बीच अब भारत ने वहां होने वाले एक ब्रिज के उद्घाटन का बहिष्कार किया है। दरअसल, यह ब्रिज चीन का फ्लैगशिप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है। मालदीव की राजधानी माले को एयरपोर्ट आईलैंड से जोड़ने वाले इस पुल के चलते एक बार फिर भारत और पड़ोसी देश के बीच तनाव की स्थिति सामने आ रही है। यही वजह है कि भारत ने आधिकारिक रूप से सिनामाले ब्रिज नाम वाले इस पुल के उद्घाटन से गुरुवार को दूर रहने का फैसला किया।
India strikes Maldives amidst tension, boycott of bridge inauguration
मालदीव में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा गुरुवार को इस पुल के उद्घाटन में नहीं पहुंचे। मालदीव सरकार की ओर से आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘उन्हें सरकार की ओर से बुलाया गया था, लेकिन वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।’ वहीं भारत की ओर से इसपर कोई टिप्पणी नहीं की गई। मिश्रा ने उस समारोह से अलग रहने का फैसला किया जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मौजूदगी में चीनी फायरवर्क्स के बीच पुल का उद्घाटन किया गया।
श्रीलंका-बांग्लादेश के राजदूतों से हुई बदसलूकी
आयोजन में मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा कथित रूप से अन्य देशों के दूतावासों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार भी किया गया। मालदीव में विपक्ष ने आरोप लगाया है कि आयोजन स्थल पर केवल चीनी राजदूत की कार आने की अनुमति दी गई थी। विपक्ष के प्रवक्ता अहमद महलूफ ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘श्रीलंका और बांग्लादेश के राजदूतों ने इस कार्यक्रम का बॉयकॉट किया क्योंकि उनकी कारों को यमीन के सुरक्षाकर्मियों ने रोक लिया था और उनसे पैदल जाने को कहा गया।’
चीनी राजदूत की दी गई कार से आने की अनुमति
महलूफ ने लिखा ‘केवल चीनी राजदूत की कार को आयोजन स्थल तक आने दिया गया।’ यमन ने 200 मिलियन डॉलर की लागत से बने इस पुल को उनके राजनयिक इतिहास की सबसे बड़ी कामयाबी बताया है। बता दें कि मालदीव, मॉरिशस और सेशल्ज जैसे देशों को हेलिकॉप्टर, पट्रोल बोट और सैटलाइट सहयोग देना हिंद महासागर में भारत की नौसेना रणनीति का हिस्सा रहा है।
पिछले दिनों बनी तनाव की स्थिति
हाल के वर्षों में चीन ने इस क्षेत्र के देशों में बंदरगाह से लेकर सड़क बनाने में मदद कर इसके खिलाफ चुनौती पेश की है। मालदीव की चीन समर्थक अब्दुल्ला यामीन सरकार ने भारत को अपने सैनिकों और हेलिकॉप्टर को देश से वापस बुलाने को कहा था। इस नए घटनाक्रम से मालदीव को लेकर भारत व चीन की तनातनी में और इजाफा होने की आशंका पहले ही जताई गई थी।
इमरान की नई सरकार को अमेरिका ने दिया पहला तगड़ा झटका, रोक दी 2130 करोड़ की मदद
वॉशिंगटन। पाकिस्तान में बनी इमरान खान की नई सरकार को पहला तगड़ा झटका लगा है। अमेरिकी मिलिटरी ने पाकिस्तान को दी जानेवाली 30 करोड़ डॉलर (2130 करोड़ रुपये से ज्यादा) की मदद रद्द कर दी है। आपको बता दें कि आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में नाकाम रहने के कारण इस्लामाबाद को अब तक यह मदद रोकी गई थी। अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंध पहले से ही तनावपूर्ण चल रहे हैं, अब इस फैसले के बाद द्विपक्षीय रिश्ते और कमजोर हो सकते हैं।
First major blow to Imran’s new government by the US, stalled the help of 2130 million
कोलिशन सपॉर्ट फंड्स के नाम से दी जाने वाली मदद उस बड़ी धनराशि का हिस्सा थी जिस पर इस साल की शुरूआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रोक लगा दी थी। उस समय उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह मदद के बदले झूठ और धोखा देता आ रहा है।
ट्रंप प्रशासन का साफ तौर पर कहना है कि इस्लामाबाद आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करा रहा है। दरअसल, अमेरिका पाकिस्तान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में 17 वर्षों से लड़ाई लड़ रहा है। पाकिस्तान में आतंकियों के छिपने से उसे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। हालांकि पाकिस्तान अमेरिका के इस आरोप से इनकार करता रहा है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि पाकिस्तान अपना रवैया बदल दे तो वह हमारा भरोसा जीत सकता है। अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस को यह फैसला लेना था कि उन्हें लगता है कि आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान ने ठोस कदम उठाए हैं तो उसे 300 मिलियन डॉलर का फंड देने के आदेश दिए जा सकते हैं। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि मैटिस पाकिस्तान की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए।
पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल कोन फॉकनर ने कहा, ‘दक्षिण एशिया स्ट्रैटिजी के पक्ष में पाकिस्तान द्वारा ठोस कार्रवाई न करने के कारण बची हुई 30 करोड़ डॉलर का मदद को रीप्रोग्राम किया गया है।’ फॉकनर ने कहा कि अगर कांग्रेस की मंजूरी मिलती है पेंटागन इस धनराशि को दूसरे जरूरी मदों में खर्च करेगा।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को मिलने वाली कुल 80 करोड़ डॉलर की मदद रोकी गई थी।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और दूसरे टॉप सैन्य अफसरों को अगले कुछ दिनों में इस्लामाबाद आना है। आपको बता दें कि भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद का जनक है और वहां आतंकियों को पूरा संरक्षण मिलता है।
अन्य देशों की अपेक्षा भारत में ह्रदय संबंधी इलाज कराना सबसे महंगा
नइ दिल्ली। अगर आपको लगता है कि ह्रदय संबंधी बीमारियों का इलाज व आॅपरेशन अन्य देशों के मुकाबले भारत में सस्ता होता है तो आप गलत हैं क्योंकि हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में दिल का आॅपरेशन और इससे संबंधित अन्य बीमारियों का इलाज बाकी देशों के मुकाबले काफी महंगा है।
In India, cardiac treatment is the most expensive than other countries.
हाल ही में सात एशियन देशों की कार्डिएक प्रक्रिया में आने वाली लागत की आपस में तुलना की गई, जिसमें सामने आया कि दक्षिण कोरिया के मुकाबले भारत में कई प्रक्रियाएं काफी महंगी थीं। खास बात यह है कि दक्षिण कोरिया एक ऐसा देश है जिसमें प्रति व्यक्ति आय भारत की प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले साढ़े पांच गुना ज्यादा है।
बता दें कि यह कॉस्ट डेटा पर्चेजिÞंग पावर पैरिटी डॉलर (क्रय शक्ति समानता) में है, जो एक-दूसरे की करंसीज (मुद्राओं) का आधिकारिक विनिमय दर के बजाय उस आधार पर मूल्यांकन करता है, जिसके आधार पर देश अपने बाजारों में कुछ सामान खरीद सकते हैं। इस स्टडी में भारत के 50 अस्पताल शामिल किए गए, जिनमें ज्यादातर प्राइवेट अस्पताल थे। हालांकि इनमें से कुछ प्राइवेट अस्पताल ऐसे थे, जिन्हें सरकारी माध्यम से चलाया जा रहा था।
स्टडी के वक्त, यानी 2011 से 2014 के बीच भारत में एंजियोप्लास्टी की कीमत सिंगापुर में होने वाली एंजियोप्लास्टी के मुकाबले ज्यादा थी, लेकिन यह कीमत 2017 से पहले थी। इसके बाद फामार्सूटिकल मूल्य निर्धारण नियामक ने 2017 में कार्डिएक स्टेंट्स की कीमतों पर कैपिंग लगा दी। भारत में होने वाली ज्यादातर कार्डिएक प्रक्रियाओं की कीमत चीन और थाइलैंड के मुकाबले सस्ती थी, लेकिन दक्षिण कोरिया और वियतनाम के मुकाबले काफी महंगी थी। बता दें कि चीन और थाइलेंड की प्रति व्यक्ति आय भारत की प्रति व्यक्ति आय से करीब ढाई गुना ज्यादा है। साउथ कोरिया की प्रति व्यक्ति आय भारत के मुकाबले 5.4 गुना ज्यादा है। वहीं वियतनाम और भारत की प्रति व्यक्ति आय बराबर है।
इसलिए अगर वियतनाम को लिस्ट से हटा दिया जाए और जिन देशों की तुलना की गई, वे भी भारत या उससे ज्यादा विकसित और अमीर हैं। बावजूद इसके, भारत में होने वाली ज्यादातर कार्डिएक प्रक्रियाएं महंगी हैं। चीन में ये प्रकियाएं भारत के मुकाबले सिर्फ 13-25 प्रतिशत ही महंगी हैं। वियतनाम में सिर्फ 6 प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाएं निजी स्वामित्व वाली हैं और बाईपास सर्जरी को छोड़कर उनकी दरें भी काफी सस्ती थीं। जबकि बाईपास सर्जरी भारत में अन्य देशों के मुकाबले काफी सस्ती थी।
बीएमसी कार्डियोवैस्कुलर डिसआॅर्डर्स जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में ईसीजी, कार्डिएक मेकर्स, इकोकार्डियोग्राफी, एंजियोग्राफी, एक ड्रग स्टेंट वाली एंजियोप्लास्टी, हार्ट बाईपास सर्जरी व अन्य प्रक्रियाओं की कीमतों की तुलना की गई थी। इसमें सामने आया कि सिंगल ड्रग स्टेंट वाली एंजियोप्लास्टी की कीमत चीन के मुकाबले भारत में दोगुना थी, जबकि यही कीमत दक्षिण कोरिया के मुकाबले चौगुना थी। वहीं भारत में कोरोनरी बाईपास सर्जरी की कीमत अन्य देशों के मुकाबले काफी कम थी।
रंजन गोगोई होंगे नए चीफ जस्टिस, दीपक मिश्रा ने की सरकार से सिफारिश, 3 अक्टूबर को ले सकते हैं शपथ
नई दिल्ली। जस्टिस रंजन गोगोई भारत के अगले मुख्य न्यायधीश होंगे। इस पोस्ट के लिए उनके नाम की सिफारिश वर्तमान मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने सरकार से की है। सूत्रों का कहना है कि जस्टिस गोगोई 3 अक्टूबर को शपथ ले सकते हैं। इसके बाद उनका कार्यकाल 17 नवंबर 2019 तक रहेगा। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
Ranjan Gogoi’s new chief justice, Deepak Mishra’s recommendation from the government, can take oath on October 3
इससे पहले कानून मंत्रालय ने चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया को अधिकारिक तौर पर पत्र लिखकर अपना उत्तराधिकारी तलाशने के लिए कहा था। परंपरा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया बनाया जाता है। ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस गोगोई का नाम सबसे आगे है। जस्टिस रंजन गोगोई को 28 फरवरी 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट का जज बनाया गया था। इसके बाद 12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायधीश बनाया गया। इसके बाद अप्रैल 2012 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में लाया गया।
जस्टिस गोगोई असम के रहने वाले हैं। वह इस समय एनसीआर (नैशनल रजिस्टर आॅफ सिटिजन) अपडेट करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की प्रणाली पर सवाल उठाने वाले जजों में जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाया था।
वर्तमान सीजेआई को लेने हैं अहम फैसले
सीजेआई मिश्रा को ऐसे कई अहम मामलों में आदेश जारी करना है, जिनका पब्लिक पर गहरा असर होगा। उनमें से एक आधार का मामला भी है। इसमें कोर्ट को फैसला देना है कि क्या सरकारी आधार स्कीम संवैधानिक रूप से वैध है। सामाजिक कार्यकतार्ओं का कहना है कि यह स्कीम नागरिक के उस निजता के अधिकार पर बेजा पाबंदियां लगाने वाली है, जिसे सुप्रीम कोर्ट मूल अधिकार दे चुका है।
सरकार और आधार समर्थकों का कहना है कि यह स्कीम गरीबों को मिलने वाली सब्सिडी में घपला रोकने के लिए जरूरी है। केंद्र सरकार इसका इस्तेमाल असम में पड़ोसी देश के घुसपैठियों की पहचान के लिए वहां चल रहे एनआरसी अपडेशन प्रोग्राम में भी करना चाहती है। इन मामलों में बहुत कुछ चीफ जस्टिस के फैसले पर निर्भर करता है।
चीफ जस्टिस केरल के सबरीमाला मंदिर में खास उम्र से ज्यादा की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी मामले की भी सुनवाई करेंगे। उन्हें अडल्टरी कानूनों की वैधानिकता से जुड़े मामले में भी फैसला देना है और देश में माइनॉरिटी एलजीबीटी समुदाय की किस्मत का फैसला करना है। चीफ जस्टिस मिश्रा ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। अदालत से बालिगों के बीच स्वेच्छा से बनने वाले सभी तरह के यौन संबंधों को न सिर्फ वैधता देने का अनुरोध किया गया है बल्कि यह भी कहा गया है कि उन्हें इज्जत के साथ जीने का अधिकार मिलना चाहिए।
एयरलाइंस को डीजीसीए ने दिया निर्देश, प्लेन में गंदगी करने वालों से वसूलें 50 हजार का जुर्माना
नई दिल्ली। प्लेन से अगर कचरा या मल नीचे जमीन पर गिरा तो एयरलाइंस को 50 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। यह बात नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सभी एयरलाइंस और एयरक्राफ्ट आॅपरेटर्स को लिखित निर्देश देकर बताई है। डीजीसीए को यह निर्देश नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के एक आॅर्डर के बाद देना पड़ा।
DGCA awarded airlines to airlines, fines from dirt
हालांकि, एविएशन रेग्युलेटर खुद मानता है कि एनजीटी का आॅर्डर थोड़ा सख्त है। इसलिए उन्होंने एनजीटी से उसका आॅर्डर रिव्यू करने को कहा है। जबतक आॅर्डर रिव्यू नहीं होता तबतक सभी एयरलाइंस को इस निर्देश का पालन करना होगा। डीजीसीए डायरेक्टर (एयरक्राफ्ट इंजिनियर) अमित गुप्ता द्वारा जारी निर्देश के मुताबिक, फाइनल आॅर्डर न आने तक कोई भी एयरलाइंस टेक आॅफ या लैंडिंग के वक्त या एयरपोर्ट के आसपास मल-मूत्र नहीं फेंक सकती। इस निर्देश का पालन न होने पर 50 हजार रुपये का जुमार्ना लगेगा। जारी आॅर्डर सभी घरेलू एयरलाइंस, भारत से और भारत के लिए उड़ान भरनेवाले विदेशी प्लेन्स, राज्य सरकारों, प्राइवेट आॅपरेटर्स पर लागू होगा।
हुई थी शिकायत
दिल्ली के वसंत कुंज में रहनेवाले एक शख्स ने एनजीटी में शिकायत दर्ज करवाई थी कि लैंडिंग से पहले एक प्लेन ने उनके घर के ऊपर मल फेंक दिया था। इसके बाद दिसंबर 2016 में डीजीसीए ने जांच के लिए 3 सदस्यों की एक कमिटी बनाई थी। फिर कमिटी की जांच पूरी होने से पहले ही एनजीएटी ने डीजीसीए को कुछ निर्देश दिए थे, जिसमें यह फाइन वाली बात भी थी।
आरक्षण की आग में झुलसने लगे नेता, प्रदेश में पक्ष-विपक्ष दोनों को झेलनी पड़ रही नाराजगी
भोपाल। संसद में एससी-एसटी एक्ट पारित होने के विरोध में सवर्ण संगठनों का विरोध तेज हो गया है। प्रदेश में विरोध की लपटें ग्वालियर-चंबल संभाग में तेजी से उठ रही हैं। इस बार लोगों के विरोध का शिकार नेताओं को होना पड़ा रहा है। अभी तक केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत, एमजे अकबर, प्रभात झा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रुस्तम सिंह, भागीरथ प्रसाद विरोध झेल चुके हैं।
Leaders who began to sweat in the fire of reservation, both the opposition and the opposition in the state are facing the resentment
सवर्णों की चेतावनी के बाद कई नेताओं के दौरे निरस्त कर दिए हैं। मंत्री लाल सिंह आर्य ने आज ग्वालियर का दौरा निरस्त कर है। मंत्री माया सिंह की ग्वालियर के रानी महल में घेराबंदी की गई। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के ग्वालियर स्थित बंगले के बाहर भी प्रदर्शन किया जाएगा।
आरक्षण कानून के विरोध में ग्वालियर में 4 सितंबर को सवर्णों का स मेलन हो रहा है, जिसमें देशभर से लोग पहुंच रहे हैं। इसका सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार-प्रसार हो रहा है। विरोध करने वालों की ओर से सोशल मीडिया पर संदेश भेजे जा रहे हैं कि कौन नेता कहां पहुंच रहा है। सूचना मिलती ही आरक्षण का विरोध करने वालों की टोली नेता का घेराबं करने पहुंच जाती है।
शनिवार को गुना में केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत को विरोध का सामना करना पड़ी, इसी तरह विदिशा जिले में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर को भी काले झंडे दिखाए गए। पुलिस ने इन्हें पिछले दरबाजे से बाहर निकाला। शुक्रवार को मुरैना में सांसद प्रभात झा को काले झंडे दिखाने एवं चूड़ियां भेंट करने के बाद क्षेत्रीय सांसद अनूप मिश्रा ने मुरैना से दूरी बना ली है। सवर्णों के तेज होते आंदोलन को देखते हुए नेताओं ने ग्वालियर-चंबल के दौरे स्थगित कर दिए हैं।
मंत्रालय से भरी जा रही हवा
आरक्षण का विरोध करने वालों के तार मंत्रालय से भी जुड़े हैं। आरक्षण का समर्थन और विरोध करने वालों को मंत्रालय से निर्देश मिल रहे हैं। 2 अप्रैल के उपद्रव के दौरान भी उपद्रृवियों के तार मंत्रालय से जुड़े थे।
जयस को कौन दे रहा हवा, 80 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान
भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले बीते कुछ महीनों के भीतर ही जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) ने सत्ता और विपक्ष का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। दोनों ही दल जयस को साधने में जुटे हैं, लेकिन अभी जयस ने किसी दल के साथ जाने का ऐलान नहीं किया है। जयस ने आगामी विधानसभा चुनाव मे 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
Who is giving air to Jay, the announcement to contest the assembly elections in 80 seats
जिस तरह से जयस अधिसूचित जिलों में तेजी से पैर पसार रहा है और प्रदेश कई जिलों मं रैलियां आदि निकाल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी जयस को हवा किसके द्वारा दी जा रही है दरअसल, जयस आदिवासी युवाओं का संगठन है। जयस के राष्ट्रीय संयोजक डॉ हीरालाल अलावा ने ऐलान किया है कि इस बार प्रदेश की 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। जयस अपना कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारेगा, लेकिन सभी सीटो पर प्रत्याशियों को सशर्त समर्थन देगा।
कौन उठा रहा है खर्च
जयस की रैलियों में हजारों की सं या में भीड़ रहती है। इस दौरान रैली में टेंट, कुर्सी समेत अन्य सामग्री पर हजारों रुपए खर्च होते हैं। जयस के पास रैली के पैसा कहां से आ रहा है। इसके पीछे की यह बात सामने आ रही है कि जयस से एक राजनीतिक दल विशेष को नुकसान हो सकता है। जिसका फायदा दूसरे राजनीतिक दल को मिल सकता है। खास बात यह है कि जयस के संविलियन को लेकर कोई भी दल विरोध नहीं कर रहा है। क्योंकि प्रदेश में आरक्षण की आग धधक सकती है।
यात्रा में उमड़ रही भीड़
जयस की ओर से इन दिनों आदिवासी अधिकार यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी सं या में भीड़ उमड़ रही है। कई बात तो ऐसी स्थिति बनी है, जब राजनीतिक दलों के नेताओं की सभा से ज्यादा भीड़ जयस की रैली में पहुंचती है। आदिवासियों के जयस के साथ बड़्ी सं या में शामिल होने से राजनीतिक दलों की नींद उड़ी है। यही वजह है कि कोई भी दल जयस संगठन की बुराई नहीं कर रहा है।
अबकी जीतेगी बीजेपी, अबकी जीतेगी कांग्रेस…..
ब्रजेश राजपूत की ग्राउंड रिपोर्ट
और ये शर्मा जी थे जिन्होंने मिलते ही वो सवाल दाग दिया जिसका जबाव हमें इन दिनों बार बार देना पडता है। तो भाई क्या खबर है कौन जीतेगा इस बार। और इसके लिये हमने भी जबाव तैयार कर रखा है। तो वही शर्मा जी को भी दे मारा कि भैया इस बार बीजेपी तो जीत ही रही है मगर कांगे्रस भी जीत सकती है। चैंकते हुये शर्मा जी बोले क्या मतलब दोनों कैसे जीत सकते हैं। अहमक मत बनाओ सच बताओ। हमने कहा यही तो मजा है इस बार के चुनाव में कि दोनों पाटियां जीत रही हैं।
BJP will win Abke, Congress will win Abke …
अब ये अलग बात है कि बीजेपी सिर्फ सीएम शिवराज की मेहनत के भरोसे है तो कांग्रेस के कमलनाथ संगठन को मजबूत करने के लिये रोज होने वाली बैठकों में भारी मेहनत कर रहे हैं। खैर शर्मा जी तो जल्दी में थे सुनकर मुंह बनाकर चले गये मगर जब सोचा कि दोनों पार्टियां कैसे और क्यों जीत रहीं हैं तो ये कुछ बातें सामने आयीं।
जानकारों की मानें तो बीजेपी पांच कारणों से सत्ता में वापसी कर रही है। पहला कारण तो स्वयं शिवराज हैं जो बाहुबली बनकर सत्ता के शिवलिंग को कंधे पर उठाकर बरसते पानी मे रथ पर चलते हुये नये बने वल्लभ भवन की पांचवीं मंजिल तक ले जा रहे हैं। पीछे पीछे उनके पार्टी के मंत्री विधायक डरे डरे चल रहे हैं कि शिवलिंग शिवराज के कंधे से गिर ना जाये वरना उनके बुरे दिन आ जायेगे।
और फिर तेरह साल से शिवलिंग को कंधे पर साधे शिवराज के खिलाफ जनता की नाराजगी वैसी नहीं दिख रही जो उनसे शिवलिंग छीन कर भल्लालदेव को दे दे। दूसरा कारण विपक्षी पार्टी कांग्रेस है, पंद्रह साल से सत्ता के सिंहासन से उतरी कांग्रेस जनता की नजरो से भी उतरी हुयी है। विरोधी दल में सत्तारूढ दल के खिलाफ जो आग और सत्ता पाने की जो भूख होनी चाहिये वो दिख नहीं रही।
इन पंद्रह सालों में कांग्रेस का संगठन जीर्ण षीर्ण हो गया है। कांग्रेस नेता सडकों पर उतर कर आंदोलन तो करना चाहते हैं मुददे और मसले भी बहुंत हैं मगर पैसा और संसाधन की कमी के कारण वो बजाये सडकों पर उतरने के घरों में बैठना और अपने नेता की परिक्रमा में ही व्यस्त हैं।
तीसरा शिवराज सरकार की बेतहाशा योजनाओं का फायदा अखबार की जैकेटों में विज्ञापन की शक्ल में छपने वाले आंकडों को छोड भी दे तो कुछ लोगों तक तो पहुंचा ही है। बेटी बचाओ बेटी पढाओ लाडली लक्ष्मी कन्यादान बिजली बिल माफी पढाई माफी का फायदा जिन लोगों तक पहुंच रहा है वो और बेहतर सुविधाएं पाने की बातें समझाने पर बीजेपी के वोटर तो बन ही जायेंगे।
चोथा कारण एमपी बीजेपी का वो प्राणों से प्रिय संगठन है जिसके गुण गा गाकर दिल्ली के नेता नहीं अघाते। ये संगठन अपने कार्यकर्ता को बैठने नहीं देता। लगातार नये नये कार्यक्रम सम्मेलन और दौरों के दम पर कार्यकर्ता चार्ज रहता है जो चुनाव में पार्टी का बडा फोर्स होता है। पांचवा और आखिरी कारण शिवराज सरकार को मिलने वाला मोदी सरकार का सपोर्ट।
यदि केंद्र में बीजेपी के अलावा दूसरी पार्टी की सरकार होती तो पेट्रोल की रोज बढने वाली कीमतों पर शिवराज सिंह साइकिल चलाते और बकाया राषि नहीं मिलने पर भेल मैदान पर तने तंबू में विरोध प्रदर्षन करते दिखते। वरिप्ट पत्रकार गिरिजाशंकर कहते हैं कि बीजेपी जीतने जा रही है मगर कांग्रेस भी हारती नहीं दिख रही।
अब कांगे्रस की बात करें कि वो क्यों जीतने जा रही है तो उनके खाते में सबसे बडी बात लीडरषिप है जो कमलनाथ के आने से मजबूत हुयी है। सीनियर नेता कमलनाथ की सब मानते हैं और आलाकमान भी उनकी सुनता है। दूसरा कारण कांग्रेस के संगठन का उठ खडा होना है पहले दिग्गी राजा की नर्मदा यात्रा फिर पंगत में संगत अजय सिंह की न्याय यात्रा जीतू पटवारी की जन जागरण यात्रा और सिंधिया कमलनाथ की सभाओं में आ रही भीड बता रही है कि पंद्रह साल में कांग्रेस मुरझा जरूर गयी थी मगर जडों में पानी पडते ही फिर लहलहाने लगी है।
तीसरा पिछले चार विधानसभा, एक लोकसभा और कुछ नगरीय निकायों के उपचुनावों में कांग्रेस ने जिस तरह से सरकार के खिलाफ किला लडाकर जीत हासिल की है उससे कार्यकतार्ओं का हौसला बढा है। चैथा कारण ये है कि पंद्रह साल पुरानी सरकार के खिलाफ एंटी इंकबन्सी और बदलाव की हवा है मगर उसे कैसे तूफान में बदले ये कांग्रेस के नेताओं के लिये चुनौती है उधर बीजेपी पूरे प्रदेश में सिर्फ शिवराज सिंह के भरोसे है तो कांग्रेस के पास नेताओं की जमात हैं। जिनका अपने अपने इलाकों में पकड़ हे..
आखिरी बात ये कि कांग्रेस को बीजेपी के भितरघात और देष में सुलग रहे मोदी विरोधी माहौल का फायदा होने की उम्मीद है फिर मोदी और शाह की जोडी गुजरात जैसा प्रदर्शन मध्यप्रदेश में दिखा पायेंगे इसकी उम्मीद कम है। वरिप्ट पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि मोदी की लहर का पिछली बार शिवराज सरकार को बडा फायदा मिला था मगर इस बार तस्वीर बदली हुयी है। तो अब तो आप भी समझ गये होंगे कि इस बार हमारे अजब गजब एम पी में बीजेपी ओर कांग्रेस दोनों जीतती दिख रहीं है। अब यदि शर्माीजी मिलेंगें तो उनको नए तरीके से समझायेंगे..
एबीपी न्यूज, भोपाल
अदभुत कान्हा नाम तुम्हारे
कान्हा अद्धभुत तुम्हारा रूप है अद्धभुत तुम्हारे नाम।
देवताओं के स्वामी हो तुम तभी तो आदिदेव कहलाते।।
जीवन और मृत्यु के जीता तूने,इसलिए अजया कहलाते।
सब मे सर्वप्रथम तुम ही प्रभु,तभी तो अनादिह कहलाते।।
तुम करुणा के सागर,सब पर दया दिखलाते।
इसी कारण दयानिधि तुम दयालु कहलाते।।
ज्ञान का भंडार तुम्ही हो तभी तो ज्ञानेश्वर कहलाते।
तुम्हारे नयनो से तुलना पाकर तो कमल खुद पर इतराते।।
प्रेम का प्रतीक तुम्ही तभी तो मदन गोपाल कहलाते।
मनमोहिनी सूरत तुम्हारी तभी तो मनमोहन कहलाते।।
पार्थसारथी बन कर तुमने लोगो को गीता का ज्ञान दिया।
मन विचलित अर्जुन को चतुर्भुज रूप का दर्शन दिया।।
तुम्हारे नाम लेने भर से लोगो के कष्ट दूर हो जाते।
ब्रह्मांड के स्वामी तुम हो,स्यामसुंदर तुम्ही कहलाते।।
नीरज त्यागी