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एक सुनहरी शाम

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मुद्रा केसवानी

भोपाल के फेमस रेस्ट्रो लाऊंज 32 डिग्रीस नार्थ ईस्ट की फस्ट एनीवरसरी सेलीब्रेट की गई, इस अवसर पर सूफीयां बैन्ड ने परफार्म किया। इस अवसर पर कई प्रकार का खाना परोसा गया, खाना जितना स्वादिष्ट था साथ में उसका प्रजेंटेशन भी उतना ही शानदार था।

भोपाल में कुछ जगह ऐसी हैं जहां पर खाने का स्वाद कुछ अलग तरीके का ही होता है जिसे खाकर दिल बार-बार यही कहता है कि वहीं जाकर खाना खाया जाए। साथ में प्राकृतिक वातावरण हो तो उसका मजा कुछ और ही है। इस शाम का लोगों ने भरपूर आनंद लिया।

चेतीचांद उत्सव मनाया

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भोपाल। ईदगाह हिल्स सिंधी पंचायत द्वारा चेतीचांद उत्सव मनाया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों ने सिंधी गानों ‘लाल मेरी पत रखियो बड़ा झूलेलालण’, दमादम मस्त कलंदर पर अपना परफार्मेंस दिया। युवाओं ने इंडियन आर्मी को सराहा। कार्यक्रम में आए सभी दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में वॉव क्लब के सदस्यों द्वारा भी परफार्मेंस दिया गया।

इस अवसर पर भगवान दास इसरानी, भगवान दास सबनानी, चेलाराम आनंदानी, विशंभर राजदेव, जयकिशन लालचंदानी, जगदीश सहायता, नरेश तल्लेजा और बंटी सार्इं सहित कई लोग विशेष रूप से उपस्थित थे। मंच का संचालन भावना चंदानी ने किया। आभार जयकिशन लालंचदानी ने किया।

अब जासूस बनकर पाक जाएंगी आलिया

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मुंबई। बॉलीवुड की टॉप एक्टर्स की लिस्ट में शामिल आलिया भट्ट की नई फिल्म आ रही है। ट्रेलर आया है। फिल्म का नाम है राजी, जंगली पिक्चर्स और धर्मा प्रोड्कशन के बैनर तले बनी इस फिल्म की डायरेक्टर मेघना गुलजार हैं। प्रोड्यूसर्स विनीत जैन, करण जौहर, हीरू यश जौहर और अपूर्वा मेहता हैं। फिल्म 11 मई 2018 को रिलीज हो रही है।

इस फिल्म में आलिया के किरदार का नाम सहमत है। वो भारत की ओर से जासूस बनकर पाकिस्तान जाती हैं। कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसके अलावा आलिया के तीन पोस्टर्स भी आएं हैं। हर में अलग अंदाज है, अलग पहलू है। पहला पोस्टर हम आपको ऊपर दिखा चुके हैं। इस फिल्म में आलिया के साथ विक्की कौशल भी नजर आने वाले हैं। जयदीप अहलावत और रजित कपूर भी हैं।

देखते हैं कि क्यूट आलिया का ये दमदार अंदाज दर्शकों को कितना पसंद आता है। इस साल आलिया की फिल्म गली बॉय भी आ रही है, रणवीर सिंह है इसमें उनके साथ। जोया अख्तर इस फिल्म की डायरेक्टर हैं।

जैन यूथ क्लब द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन

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भोपाल। जैन यूथ क्लब द्वारा रविवार को गुजराती समाज भवन में रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। शिविर में काफी संख्या में लोग उपस्थित हुए और कार्यक्रम को सफल बनाया। कार्यक्रम के अध्यक्ष नितेश ने बताया की रक्तदान शिविर में 200 से अधिक लोगों ने भाग लिया। यह कार्यक्रम विगत छह वर्षों से आयोजित किया जा रहा है।

जैन यूथ क्लब द्वारा रक्तदान शिविर में 401 यूनिट ब्लड का संचय किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष नितेश ने रक्तदान दाताओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भोपाल सांसद आलोक संजर, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष वृजेश लुणावत ने कार्यक्रम को सफल बनाने वाले सभी कार्यकर्ताओं को बधाई दी। इस अवसर पर विशेष रूप से रितेश भंडारी, नीतेश डागा, प्रमोद मीना भंडारी एवं विकास भी उपस्थित थे।

गर्मी आते ही पानी के लिए मचा हाहाकार, जान जोखिम में डाल निकाल रहे पानी

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धार। गर्मी का सितम बढ़ने के साथ ही ट्यूबवेल भी साथ छोड़ने लगे हैं। इसका असर अब ग्रामीण क्षेत्रों में नजर भी आने लगा है। ग्राम बड़वेली में पेयजल के मुख्य स्रोत दो ट्यूबवेल दम तोड़ने लगे हैं। इससे गांव के लोगों की पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है। एकमात्र सहारा 2 किमी दूर एक 25 फीट का कुआं है। इसमें भी पानी पीने योग्य नहीं है। बालिकाएं कुएं में 19 फीट नीचे उतरकर पानी निकालने को मजबूर हैं। उपयोग के लिए ग्रामीण पैदल चलकर पानी ला रहे हैं वहीं पेयजल के लिए खेत स्थित निजी ट्यूबवेलों से पानी भरकर लाना पड़ रहा है।

सरदारपुर तहसील मुख्यालय से मात्र 3 किमी दूर 3 हजार की आबादी वाला ग्राम बड़वेली में जल संकट गहराने से ग्रामीणों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। 350 घर के लोग पेयजल के मुख्य स्रोत दो ट्यूबवेल में जलस्तर गिरने से पानी के लिए भटक रहे हैं। दो किमी दूर एकमात्र कुआं है, जिस पर गांव के कई लोग आश्रित हैं। कोई सिर पर घड़े उठाकर पैदल, तो कोई साइकल व अन्य संसाधनों से पानी लेकर आ रहा है। यह पानी भी पीने योग्य नहीं है। ग्रामीण वापरने में इसका उपयोग करते हैं।

पैर फिसला कि गिरे कुएं में-
2 किमी दूर स्थित इस कुएं से भी पानी भरना आसान नहीं है। कई ग्रामीण बालिकाओं को यहां पानी लेने भेज रहे हैं। कुछ बालिकाएं तो रस्सी-बाल्टी के सहारे कुएं से पानी खींचकर निकाल रही हैं, लेकिन कुछ बालिकाएं पानी के लिए अपनी जान खतरे में डाल रही हैं। टेढ़-मेढ़े पत्थरों पर पैर रखकर तीन बालिकाएं कुएं में उतरती हैं। इनमें एक बालिका सबसे नीचे उतर जाती हैं, तो एक बीच में खड़ी रहती है जबकि एक बालिका कुएं से कुछ नीचे उतरकर खड़ी हो जाती है।

फिर अपने घड़े व अन्य साधनों में कुएं का पानी भरकर एक-दूसरे के हाथों से ऊपर पहुंचाती हैं। यह दृश्य देखने भर से डर लग रहा है, लेकिन बालिकाएं पानी के लिए इस खतरे को रोजाना उठाती हैं। इनमें सबसे नीचे खड़ी बालिका का गिरने का डर ज्यादा रहता है, क्योंकि नीचे के तल पर कंजी जमी हुई है, जिस पर पैर फिसलता है। यदि पैर फिसला तो बालिका के कुएं में डूबने का डर बना रहता है।

फ्लोराइड योजना का भी नहीं मिल रहा फायदा-
ग्राम के कालू, बलराम और रमेश ने बताया कि ग्राम में दोनों ट्यूबवेल के माध्यम से पीने का पानी उपलब्ध होता है। इस साल गर्मी शुरू होती ही ट्यूबवेल ने साथ छोड़ दिया। ऐसे में महिलाओं को 2 किमी पैदल चलकर एकमात्र कुएं से पानी लाना पड़ रहा है।

ग्राम में फ्लोराइड योजनांतर्गत टंकी के माध्यम से पाइप लाइन भी डली हुई है, लेकिन पाइप लाइन सही नहीं होने से 25 से 30 परिवारों को ही पानी मिल पाता है। वह भी चार दिन में एक बार कुछ समय के लिए मिलता है। पाइप लाइन को दुरुस्त करवाकर एक दिन छोड़कर पानी दिया जाता है, तो जल समस्या हल हो सकती है।

सरपंच की पत्नी भी अछूती नहीं-
सरपंच नरसिंह वसुनिया की पत्नी व पूर्व सरपंच लीलाबाई भी इसी कुएं से पानी भरकर ला रही हैं। सिर पर घड़ा रख वह भी 2 किमी दूर पैदल आना-जाना करती हैं। ग्राम में पीने के पानी के लिए अन्य कोई स्रोत नहीं है। ग्राम में चौकीदार बा का एक कुआं जरूर है, जहां पानी पीने योग्य नहीं है। महिलाएं उस कुएं से पानी भरकर तो लाती हैं। पानी को स्नान आदि कार्यों के उपयोग में ले रहे हैं। भर गर्मी में दूर का सफर तय कर निजी ट्यूबवेलों से पीने के पानी ग्रामीणों को लाना पड़ रहा है।

बच्चों को आनंददायक शिक्षा देने का बीड़ा उठाया दृष्टिहीन शिक्षक यशपाल ने

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धार। प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में इन दिनों जॉयफुल लर्निंग कार्यक्रम के तहत शैक्षणिक गतिविधियां चल रही हैं। पर ग्राम सिलकुआं का स्कूल कुछ मायने में प्रदेश के अन्य स्कूलों से अलग नजर आता है। बच्चों को आनंददायक शिक्षा देने का बीड़ा यहां पदस्थ दृष्टिहीन शिक्षक ने उठाया हुआ है।

यहां पदस्थ दृष्टिहीन शिक्षक यशपाल कभी खेल-खेल में, तो कभी खुद नाच-गाकर और गीत, कहानी, कविता आदि द्वारा शैक्षणिक गतिविधियों को पूर्ण कराते हुए बच्चों में शिक्षा के प्रति आनंद का माहौल पैदा कर रहे हैं। इनकी स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चे गरीब घर के हैं। बच्चों ने बताया कि सर पिछले सालों से हमें पढ़ाते आ रहे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई से हमें कोई परेशानी नहीं हुई है, बल्कि उनके पढ़ाने का और समझाने का तरीका तो अन्य शिक्षकों से भी कहीं ज्यादा बेहतर है।

इंदौर के हैं, 17 साल से गांव के बच्चों को बना ली अपनी जिंदगी
इंदौर में जन्मे यशपाल पिता मंशाराम पाल दृष्टिहीन हैं, लेकिन उनके हौसलों के आगे जिंदगी भी रोशन होने को विवश हो गई। वे 17 साल से डही के आदिवासी इलाके में रच बस गए हैं और गांव के बच्चों को ही अपनी जिंदगी बना ली है। यशपाल ग्राम सिलकुआं के प्रावि में सहायक अध्यापक हैं और ब्रेल लिपि के सहारे सामान्य बच्चों को बखूबी पढ़ा रहे हैं। उनकी आंखों की रोशनी बचपन में ही तब चली गई थी, जब वे दूसरी कक्षा के विद्यार्थी थे।

मस्तिष्क और नेत्रों के बीच रक्त प्रवाह रुकने से देखने की क्षमता खो दी थी।
बावजूद यशपाल ने हार नहीं मानी और ब्रेल लिपि के सहारे हायर सेकंडरी पास की। 2001 में संविदा शिक्षक वर्ग तीन की नौकरी हासिल की और 2005 में सहायक अध्यापक बने। उनकी कक्षा के विद्यार्थी राकेश व शर्मिला ने बताया सर जो भी पढ़ाते हैं, आसानी से समझ लेते हैं। सिलकुआं सरपंच शांताबाई पटेल कहती हैं बच्चों के लिए यशपाल इतने अच्छे से पढ़ाते हैं कि सब खुश हैं।

आसरा दिया, शादी करा दी
यशपाल ने शिक्षक की नौकरी की शुरूआत डही क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय रणगांव से की थी। यहां के ग्रामीण यशपाल से इतने प्रभावित हुए थे कि इंदौर से आए यशपाल को गांव वालों ने रहने को घर दिया और यहां तक कि गांव की लड़की झूमबाई पिता केरिया से यशपाल की शादी भी करवा दी। यशपाल ने झूमबाई का नाम बदलकर ज्योति रख दिया है और इसके पीछे कारण बताते हैं कि पत्नी की आंखों में मैं जिंदगी को देखता हूं।

‘स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा आपातकाल और जेपी का लोकतांत्रिक समर्पण’

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भोपाल। मुख्यमंत्री निवास पर लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि, स्कूली पाठयक्रम में आपातकाल के सबक और स्वर्गीय जयप्रकाश नारायण के लोकतांत्रिक समर्पण के संबंध में पाठ शामिल किये जायेंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, लोकतंत्र सेनानियों के जीवनसाथी को भी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की व्यवस्था की जायेगी। मुख्यमंत्री ने समारोह में लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया और उन्हें ताम्रपत्र भेंट किये। उन्होंने कहा कि, लोकतंत्र सेनानियों ने लोकतंत्र की महान सेवा की है।

‘लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान की परम्परा सराहनीय’
प्रदेश के मुखिया ने कहा कि, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिये आने वाली पीढ़ी को इनके समर्पण कार्य सदैव प्रेरणा देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि ये ताम्रपत्र लोकतंत्र को बचाने के लिये की गई तपस्या का सम्मान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल में जो यातना झेली, उसका अहसास आज की पीढ़ी नहीं कर सकती। मध्यप्रदेश से शुरू हुई लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान की परम्परा सराहनीय है।

सीएम ने किया संघ की स्मारिका का विमोचन
लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद कैलाश सोनी ने समारोह में अतिथियों का स्वागत किया। सीएम ने इस अवसर पर संघ की स्मारिका का विमोचन किया। राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक ने कार्यक्रम का संचालन किया। लोकतंत्र सेनानी संघ के महामंत्री सुरेन्द्र द्विवेदी ने आभार प्रदर्शित किया। समारोह में पूर्व सीएम बाबूलाल गौर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री विक्रम वर्मा सहित बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी और उनके परिजन उपस्थित रहे।

रक्षा मंत्री के हस्तक्षेप के बाद 2009 से गायब जवान की पेंशन स्वीकृत

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले नौ साल से गायब जवान रिंकू राम की पेंशन को अपनी स्वीकृति दे दी है। आपको बता दे कि रिंकू राम अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त करते समय नदी के तेज बहाव में डूब गए थे और उसके बाद उनका शव नहीं मिल पाया था। गौरतलब है कि शहीद सैनिक की मां कमला देवी अपने बेटे की पेंशन प्राप्त करने के लिए सशस्त्र सेना न्यायाधिकरण के पास भी गईं, लेकिन वहां उन्हें बताया गया कि शव मिलने के बाद ही पेंशन जारी की जाएगी।

आखिरकार भारतीय साक्ष्य कानून के प्रावधानों के अंतर्गत सात साल से अधिक समय तक लापता किसी व्यक्ति को मृत माना जाता है। राइफलमैन रिंकू राम के मामले में अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 4 अप्रैल, 2018 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया। मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने पर रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (पेंशन), इलाहाबाद ने 5 अप्रैल, 2018 को श्रीमती कमला देवी के पक्ष में पेंशन भुगतान आदेश जारी किया।

पीपीओ के अनुसार 19 नवम्बर, 2009 से 31 दिसम्बर, 2015 तक प्रति माह 7000 रुपये और उसके बाद 17,990 रुपये प्रति माह की दर से विशेष फैमिली पेंशन स्वीकार की गई। इसके अलावा 86,106 रुपये (ईसीएचएस के 15,000 रुपये घटाकर) मृत्यु और सेवा निवृत्ति ग्रेच्युटी, 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मंजूर की गई।

बाजार में जल्द दिखने वाला है 100 रुपए का नया नोट!

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कानपुर। आपके बटुए में जल्द ही एक और नोट नए कलेवर में दिखाई देगा। जी हां, सौ रुपये के नोट का रंग रूप आकार बदलकर उसे बाजार में उतारने की तैयारी तकरीबन पूरी हो गई है। इससे जहां बाजार में मध्यम मूल्य वर्ग के नोट बढ़ेंगे, वहीं क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बाजार से गंदे और कटे-फटे नोट बाहर होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही इस नोट को जारी कर सकता है। नोट की डिजाइन तकरीबन तैयार हो चुकी है। माना जा रहा है कि अगले तीन माह में यह नोट लोगों की जेब में होगा।

पुराने नोट से छोटा होगा 100 रुपये का नया नोट
नोटबंदी के बाद से अभी तक आरबीआइ 2000 रुपये, पांच सौ रुपये, 200 रुपये, 50 रुपये और 10 रुपये के नए नोट जारी कर चुका है। इसी कड़ी में अब सौ रुपये का नया नोट जारी करने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक सौ रुपये के नोट के रंग में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं किया गया है।

नोट के रंग का आधार नीला ही रहेगा लेकिन, हल्केपन के साथ। नोट के पीछे के हिस्से पर विश्वदाय स्मारक होगा। नोट की लंबाई और चौड़ाई पुराने नोट से कम होगी। वजन भी करीब 20 फीसद कम होगा। इस नोट को जून में जारी किया जा सकता है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जिस अनुसार तैयारी चल रही है, उसके हिसाब से बाजार में यह नोट मई में ही आ जाना चाहिए

भारतीय कागज से तैयार होगा नोट
सौ रुपये का यह नया नोट भारतीय कागज से तैयार होगा। नोटबंदी के बाद करेंसी छपाई के लिए भारत सरकार भारतीय कागज का इस्तेमाल बढ़ा रही है। इसके पहले उसकी निर्भरता विदेश पर थी और उसे करेंसी पेपर आयात करना पड़ता था।

विश्वदाय स्मारक होंगे शामिल
नोटबंदी के बाद आए नए नोटों में भारत सरकार ने जिस तरह से स्मारकों को जगह दी है, ऐसे में माना जा रहा है कि सौ रुपये के नए नोट में भी विश्वदाय स्मारक होगा। इस स्मारक को यूनेस्को ने वैश्विक धरोहर में शामिल किया है।

हाई होंगे सिक्योरिटी फीचर
सौ रुपये के नए नोट में आमजन की जानकारी से इतर कई हाई सिक्योरिटी फीचर होंगे। आरबीआइ से जुड़े एक शख्स का कहना है कि हर मूल्य वर्ग के नए नोट के अनुसार तकरीबन दो दर्जन विशेष सुरक्षा फीचर हैं। इन्हें आमजन नहीं जानते। सौ रुपये के नए नोट में करीब बीस अतिरिक्त सिक्योरिटी फीचर हैं। इन्हें यूवी लाइट में देखा सकता है।

भारत बंद के दौरान प्रदेश सरकार के पुख्ता इंतजाम: कई शहरों में लगा कर्फ्यू

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भोपाल। सोशल मीडिया के जरिए किए गए मंगलवार को भारत बंद के आह्वान के चलते मध्य प्रदेश में सरकार ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। भिंड-मुरैना के कई क्षेत्रों में सोमवार रात से ही कर्फ्यू लगा दिया गया है, वहीं प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित अन्य कई जिलों में निषेधाज्ञा धारा 144 लागू किए जाने के साथ कुछ स्थानों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

किसी भी तरह की घटना से निपटने के लिए शहर भर में तकरीबन छह हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए हैं। पुलिस मुख्यालय से लगातार हालात पर नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही पुरे शहर में लागू धारा 144 का भी असर देखने को मिल रहा है। शहर की सड़कें और बाजार शांत हैं। इसके साथ ही राजधानी के संवेदनशील इलाकों में पुलिस पिकेट्स भी लगाए गए हैं। हालांकि भोपाल में स्कूल, बैंक और अस्पताल खोले गए हैं जिनमें सामान्य दिनों की तरह ही काम हो रहा है।

राज्य में संभावित भारत बंद के असर को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। भारी पुलिस बल, रेपिड एक्शन फोर्स, होमगार्ड, रेलवे पुलिस की जगह-जगह तैनाती की गई है। राजधानी भोपाल में जिलाधिकारी ने मंगलवार सुबह छह बजे से निषेधाज्ञा लगाई गई है, जो 24 घंटे प्रभावशाली रहेगी।

पांच से ज्यादा व्यक्ति एकजुट होकर धरना, प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे। धरना, प्रदर्शन, रैली पर पूरी तरह रोक है, कोई भी व्यक्ति लाठी, डंडा लेकर नहीं निकल सकेगा। विवाह समारोह, बारात, शव यात्रा, सरकारी दफ्तरों, अस्पताल, स्कूल, होटल, निजी संस्थान इससे दूर रहेंगे। ज्ञात हो कि, दो अप्रैल को हुई हिंसा के विरोध में 10 अप्रैल को सोशल मीडिया के जरिए कथित तौर पर भारत बंद का आह्वान किया गया है।

चंबल क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) संतोष सिंह ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया कि भिंड और उसके कस्बे मालनपुर, मेहगांव, गोहद के अलावा मुरैना शहर में सोमवार की रात से कर्फ्यू लगाया गया है, जो शाम तक जारी रहेगा, समीक्षा के बाद कोई फैसला होगा। इसी तरह ग्वालियर के थाटीपुर, गोला का मंदिर, मुरार, डबरा शहर और ग्रामीण में भी रात को कर्फ्यू लगा रहा। दिन में निषेधाज्ञा लगाई गई है। इसके अलावा ग्वालियर-चंबल के अधिकांश हिस्सों में इंटरनेट सेवा को बंद किया गया है।