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मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा: अगर हमारी जरूरत पूरी होती है तो हम एक साथ चुनाव कराने के लिए तैयार

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इंदौर। निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसे लोकसभा, विधानसभाओं और अन्य निकायों के चुनाव एक साथ कराने में कोई दिक्कत नहीं है, बशर्ते इस नई व्यवस्था के लागू होने से पहले संविधान और कानून में जरूरी संशोधन हो जायें और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) तथा अन्य संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो जाए.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने इंदौर प्रेस क्लब के स्थापना दिवस समारोह में कहा, ‘सरकार ने लोकसभा, विधानसभाओं और अन्य निकायों के चुनाव एक साथ कराये जाने के विषय में वर्ष 2015 में निर्वाचन आयोग की राय जाननी चाही थी। हमने सरकार को तब ही विस्तृत जवाब दे दिया था कि एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के संबंधित अनुच्छेदों के साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की संबंधित धाराओं में संशोधन करने होंगे।’

उन्होंने कहा, ‘इन संशोधनों के बाद जब देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए कानूनी ढांचा तैयार हो जाएगा, तो हमें पर्याप्त संख्या में ईवीएम और अन्य संसाधनों की जरूरत भी पड़ेगी। अगर ये सभी जरूरतें पूरी हो जाती हैं, तो एक साथ चुनाव कराने में निर्वाचन आयोग को कोई दिक्कत नहीं है।’  रावत ने बताया कि फिलहाल देश में 10 लाख मतदान केंद्रों के हिसाब से ईवीएम की जरूरत पड़ती है।

अगर लोकसभा, विधानसभा और अन्य संस्थाओं के चुनाव एक साथ कराये जायेंगे, तो जाहिर तौर पर मशीनों की जरूरत बढ़ जायेगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, ‘जहां तक अलग-अलग चुनाव एक साथ कराने की नई व्यवस्था लागू करने के गुण-दोषों का सवाल है, इस विषय में राजनीतिक दलों, विधायक-सांसदों और नागरि?क समाज को मिलकर विचार मंथन करना होगा।’

उन्होंने कहा कि दुनिया के कई मुल्कों में अलग-अलग चुनाव एक साथ कराये जाते हैं और राजनीतिक दल चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद तमाम कड़वाहट भुलाकर अपने देश के विकास में जुट जाते हैं। रावत ने ईवीएम से जुड़े संदेहों को खारिज करते हुए कहा कि ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाये जाने का सिलसिला शुरू किए जाने से चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ी है।

चैनाराम हलवाई पर कांग्रेसियों की ऐसी कृपा की हो गया वर्ल्ड फेमस

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नई दिल्ली। सोमवार सुबह के अलमस्त मौसम में जब चैनाराम हलवाई की दुकान खुली तो इसके मालिक हरि गिडवानी ने सोचा भी नहीं होगा कि शाम तक उनका प्रतिष्ठान न सिर्फ पूरी दिल्ली और पूरे देश, बल्कि दुनिया भर की जुबान पर होगा। दरअसल, पुरानी दिल्ली में फतेहपुरी मस्जिद के पास स्थित यह वही रेस्तरां हैं जहां कांग्रेसियों ने एक साथ बैठकर ऐसी पार्टी की कि उनकी पार्टी का दम फूल गया।

हालांकि गिडवानी व यहां के कारिंदों ने छोले-भटूरे प्रकरण पर कोई बात नहीं की। देसी घी में छनकर निकले यहां के व्यंजनों की खुशबू 117 साल पुरानी है। विदेशी भी यहां के मुरीद हैं। साल 1901 में सिंधी व्यापारी नीचा राम ने अपने भाइयों के साथ इस दुकान की शुरूआत की थी। आज उनकी पांचवी पीढ़ी मिठास और स्वाद की यह विरासत संभाल रही है।

लोग दूर-दूर से आते हैं यहां के व्यंजन का स्वाद लेने
शुद्ध घी में बना गाजर हलवा, मूंग हलवा, सोहन हलवा, पिस्ता हलवा के साथ कराची हलवा खाने दूर-दराज के लोग आते हैं। जब चैनाराम के व्यंजनों की खुश्बू किसी तक पहुंचती है तो उसमें राहगीर का रास्ता रोक लेने की ताकत होती है। हालांकि कोई कांग्रेसी शायद ही इस राह से अब गुजरे, क्योंकि दूध का जला तो छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।

आरक्षण विरोधियों ने आज फिर किया भारत बंद, कई शहरों में धारा 144 लागू

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नई दिल्ली। दो अप्रैल को दलितों के भारत बंद के खिलाफ आज आरक्षण विरोधियों की तरफ से भारत बंद का आह्वान  किया गया है। नौकरियों और शिक्षा में जाति आधारित आरक्षण के विरोध में में बिहार के आरा में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं। आरा में 2141 डाउन लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस व 509 अप पैसेंजर ट्रेन को रोका दिया गया है।

इससे बिहिया में शटल व रघुनाथपुर में पटना-कुर्ला एक्सप्रेस ट्रैक पर ही खड़ी है। वहीं जहानाबाद में भी सुबह बंद समर्थकों ने पटना गया नेशनल हाइवे 83 को बंद करा दिया है। उधर, सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर टोल प्लाजा के पास ट्रक एनएच 77 पर लगाकर भारत बंद के दौरान रोड को जाम किया गया. ठऌ पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप है।

बता दें कि इससे पहले दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। दलितों के इस प्रदर्शन ने हिंसा का रूप ले लिया था। इस प्रदर्शन में 10 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। पिछली बार की तरह इस बार कोई बड़ी घटना ना हो इसलिए केंद्र सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने और हिंसा रोकने के लिए सभी राज्यों के लिए परामर्श जारी किया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि अपने इलाकों में होने वाली किसी भी हिंसा के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।

गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया पर जाति के आधार पर आरक्षण के खिलाफ ओबीसी और जनरल वर्ग के कई संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया है। सोशल मीडिया पर इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वाट्सएप पर इस मैसेज को खूब शेयर किया जा रहा है और लोगों से भारत बंद का समर्थन करने की अपील की जा रही है।

इसे देखते हुए सभी राज्य सरकारों को सुरक्षा चाक चौबंद करने और हिंसा रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। इसके तहत संवेदनशील स्थानों पर गस्त बढ़ाना और बंद के दौरान उत्पात की आशंका वाले जगहों पर पुलिस बल की तैनाती शामिल है। गृहमंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस दौरान किसी तरह की जान-माल का नुकसान नहीं होना चाहिए। यदि किसी क्षेत्र में ऐसा होता है, तो उसके लिए सीधे तौर पर उस इलाके के एसएसपी और डीएम को जिम्मेदार माना जाएगा।

भोपाल में धारा 144
भोपाल के कमिश्नर ने भारत बंद को देखते हुए कल(मंगलवार) शहर में धारा 144 लगा दी गई है। हालांकि इस दौरान स्कूल खुले रहे और 6000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। पुलिस विभाग सोशल मीडिया पर नजर रखेगा और अफवाहों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

राजस्थान में स्कूल बंद
राजस्थान के जयपुर में भी धारा 144 लागू है और आधी रात से इंटरनेट सेवा बंद पर रोक लगा दी गई है। बंद की वजह से ज्यादातर स्कूल नहीं खुलेंगे। वहीं झालावाड़ में बंद को प्रशासन ने भ्रामक बताया है।

यूपी में हाई अलर्ट
यूपी के मेरठ जोन के 6 जिलों में हाई अलर्ट है। गाजियाबाद, इलाहाबाद में धारा 144 लागू है तो वहीं सहारनपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। फिरोजाबाद में पहली से 9वीं कक्षा तक के स्कूल को बंद किया गया है।

हापुड़ में इंटरनेट सेवा पर रोक
उत्तर प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय की एडवाइजरी पर कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि यूपी के हापुड़ में सोमवार शाम 6 बजे से मंगलवार शाम 6 बजे तक के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई है। 10 अप्रैल को भारत बंद बुलाए जाने को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने यह आदेश जारी किया है।

दिग्विजय के मौन को पत्नी अमृता ने अभिव्यक्त किया

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पंकज शुक्ला,
192 दिन चली नर्मदा यात्रा को गैर राजनीतिक बनाए रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिस ‘मौन’ को धारण कर रखा था उसे यात्रा के समापन अवसर पर उनकी पत्नी अमृता राय ने अभिव्यक्त किया। नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट पर यात्रा के समापन कार्यक्रम में संतों और कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में अमृता राय ने भावुक स्वर में कहा कि इस यात्रा के दौरान वे अपने पति के कर्मक्षेत्र को और मप्र को लेकर दिग्विजय सिंह की चिंताओं को जान पाईं।

नर्मदा यात्रा के अपने पुण्य को समाज को समर्पित करते हुए अमृता ने कहा कि हमने यात्रा में नर्मदा के कई रूपों को देखा मगर उसका जगह-जगह गड्ढों में तब्दील हो जाना, उसकी धारा का टूट जाना, भीतर तक कष्ट पहुंचा गया। यदि मैंने सच्ची भक्ति की होगी तो मां नर्मदा मुझे शक्ति दें कि मैं उसे सदा नीरा बनाए रखने के लिए भविष्य में कुछ कर सकूं।

वर्ष 1993 से वर्ष 2003 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह ने 70 वर्ष की उम्र में अपनी पत्नी अमृता राय के साथ पिछले साल 30 सितंबर को नर्मदा पूजन के बाद यह नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा शुरू की थी। तब उन्होंने साफ किया था कि यह यात्रा पूरी तरह गैर राजनीतिक रहेगी। उन्होंने इस संकल्प का पालन भी किया। पूरी यात्रा के दौरान वे राजनीतिक बयानों और क्रियाकलापों से दूर रहे।

समापन के अवसर पर भी कार्यक्रम में मौजूद नेताओं ने उनके संकल्प की प्रशंसा की। यात्रा के अनुभव सुनाने तथा अपना आभार व्यक्त करने के दौरान अमृता राय भावुक हो उठीं। उन्होंने कहा कि वे मां से बिछड़ने का अनुभव कर रही हैं। यह सौभाग्य है कि अपने पति के संकल्प को पूरा करने में सहभागी बन सकी। इस यात्रा के दौरान पति के कर्मक्षेत्र को जाना तथा यहां के प्रति उनकी चिंताओं को समझा है।

यूं तो यह यात्रा धार्मिक थी लेकिन इस दौरान हुए सामाजिक अनुभव जीवन भर याद रहेंगे। नर्मदा को कल-कल बहते देखना और उसके धीर गंभीर रूप को निहारना जितना सुखद था उतना ही कष्टकारी अनुभव उसे जलविहीन देखना भी था। इस टीस को स्पष्ट करते हुए अमृता ने कहा कि इस यात्रा का सुफल तब होगा जब वे नर्मदा की धारा को अविरल बनाए रखने में कुछ योगदान दे सकेंगी। उन्होंने मार्ग में लोगों से मिले स्नेह को भी भावुकता से याद किया।

इससे पूर्व दिग्विजय, अमृता और पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, नारायण सिंह अमलावे सहित उनके कई समर्थक नर्मदा नदी के दोनों किनारे करीब 3,300 किलोमीटर की इस पदयात्रा के बाद सोमवार सुबह बरमान घाट पर पहुंचे। घाट पर पहुंचने के बाद दिग्विजय और उनकी पत्नी ने यात्रा पूरी होने से जुड़े कई धार्मिक कर्मकांड किए। समापन कार्यक्रम में आशीर्वाद देने जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी और आध्यात्मिक संत देवप्रभाकर शास्त्री ‘दद्दाजी’ पहुंचे।

मुझे यकीन नहीं था कि यात्रा कर पाएंगे : कमलनाथ
इस दौरान इस धार्मिक यात्रा को पूरी करने के लिए दिग्विजय को शुभकामनाएं देने के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, सांसद विवेक तन्खा, प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव सहित कई अन्य पार्टी नेता पहुंचे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने कहा कि उनके दिग्विजय सिंह से बरसों पुराने संबंध हैं। लेकिन इस बार सिंह को जानने में उन्होंने चूक कर दी। जब सिंह ने नर्मदा यात्रा का संकल्प जताया था तब लगा था कि वे यात्रा नहीं कर पाएंगे, लेकिन सिंह ने युवाओं को भी अंचभे में डालते हुए 70 वर्ष की आयु में 3 हजार किमी की यात्रा की। यह प्रदेश में हुए गिनेचुने आश्चर्यों में से एक है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने एक कठिन संकल्प को पूरा किया है। यात्रा के आरंभ के समय ही सभी इस चिंता में थे कि यह संकल्प पूर्ण कैसे होगा लेकिन सिंह ने तप से यह कर दिखाया। पूर्व मंत्री सांसद कांतिलाल भूरिया, सांसद तन्खा, प्रदेश अध्यक्ष यादव, राष्ट्रीय महासचिव बावरिया, परिक्रमा में साथ रहे कांग्रेस नेता रामेश्वर नीखरा सहित सभी नेताओं और अभिनेता आशुतोष राणा ने सिंह की यात्रा की तुलना योगियों के तप से की।

अपनी बात बाद में करूंगा : दिग्विजय सिंह
यात्रा में सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि गुरु के आशीर्वाद से 20 साल पुराना संकल्प पूरा हुआ है। उन सभी के प्रति आभार जिन्होंने परिक्रमा में साथ दिया। सभी का नाम लेना संभव नहीं है, मैं फेसबुक पर सभी के नाम लूंगा। समय का अभाव है इसलिए अपनी बात हम बाद में करेंगे। अपने गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि गुरु के चरणों में बैठ कर मैं यहां तक पहुंचा हूं। हमारे पुण्य और आयु गुरु को मिले और आप सैंकडों वर्षों तक सनातन धर्म को सही दिशा दे सकें क्योंकि आज आप एकमात्र ऐसे शंकराचार्य और धर्मगुरु है जिन्होंने देश में धर्म को सही रूप में परिभाषित किया है।

 

 मानस चिंतन गनपति इन्क्लेव में मनी पहली साल गिरह

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भोपाल। मानस चिंतन गनपति इन्क्लेव, कोलार रोड, भोपाल की पहली साल गिरह के उपलक्ष्य में श्री राम कृपा प्राप्त विद्वान एवं भक्तजन जमुना शंकर ठाकुर के सानिध्य में केवट संवाद एवं राम से प्रेम और अक्षर ब्रह्म के विषय पर उद्बोधन हुआ।

कार्यक्रम में स्वागत एवं अभिनंदन आईडी खत्री, रतनलाल प्रजापति, घनश्याम तिवारी, पं. अनिल तिवारी एवं आनंद तिवारी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में काफी संख्या में लोग उपस्थित हुए एवं भगवान के मानस चिंतन का उद्बोधन एवं ज्ञान प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में भोजन की भी व्यवस्था की गई थी।

मध्यप्रदेश – दिग्विजय रिटर्न…

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 राघवेन्द्र सिंह
मध्यप्रदेश कांग्रेस की सियासत में चौदह वर्ष का सूखा लगता है अब समाप्ति की ओर है। वजह है कभी भाजपा द्वारा मिस्टर बंटाढार के नाम से कुख्यात किए गए तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बेड़ापार की भूमिका में नजर आना । कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हिसाब से अब वे मुस्कुरा सकते हैं क्योंकि दिग्विजय सिंह लौट आए हैं। 9 अप्रैल को दिग्विजय सिंह 33 सौ किलोमीटर लंबी नर्मदा परिक्रमा बरमान घाट पर पूरी कर रहे हैं। इसके बाद वे प्रदेश की राजनीतिक यात्रा पर भी निकलने वाले हैं। पूर्ण धार्मिक रीतिरिवाज से पूरी हो रही नर्मदा परकम्मा के दौरान उनका सिर भी नहीं दुखा और सबकुछ निर्विध्न संपन्न होने जा रहा है।

इसे मां नर्मदा पट्टी के लोग उन पर माई की कृपा के रूप में देख रहे हैं। पूरे मामले का निष्कर्ष यह है कि कल तक जिन दिग्विजय सिंह को उनके विरोधी खासतौर से भाजपाई मुल्ला दिग्विजय सिंह कहा करते थे अब वे भी धर्म के मामले में उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। कह सकते हैं पांसा पलट रहा है और 1993-94 में कांग्रेस की सरकार बनाने वाला यह नेता फिर मैदान में है। वालीबुड की भाषा में कहें तो ये दिग्विजय रिटर्न है। कांग्रेसी मुस्कुराएंगे और भाजपाई इस हीरो को रोकने की नई रणनीति बनाएंगे।

नर्मदा परिक्रमा क्षेत्र में करीब एक सौ 14 विधानसभा सीटें आती हैं और सरकार बनाने बिगाड़ने में यहां के मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। दिग्विजय सिंह की यात्रा ने भाजपा के साथ कांग्रेस के भी अंदरूनी बदल दिए हैं। नर्मदा पुत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी धर्म आधारित राजनीति करने वाली भाजपा भी इस नेता की यात्रा से भंवर में है। नया इंडिया के प्रधान संपादक हरिशंकर व्यास, मध्यप्रदेश संपादक जगदीप सिंह बैस और मुझ समेत अनेक राष्ट्रीय पत्रकारों की जिज्ञासा ने दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा को नजदीक से देखा।

आम तौर से सबका निचोड़ यही निकला कि यात्रा समाप्ति के बाद कांग्रेस का यह नेता बदले हुए मानकों पर आधारित राजनीति करेगा। 70 पार के दिग्विजय सिंह को लेकर राज्य का मानस बदला बदला सा है। कल तक जो बंटाढार के नाम से उन्हें कोसते थे अब वे उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। बस यहीं से उनको लेकर भाजपा में होती है चिंता की शुरुआत। कांग्रेस में प्रदेश नेतृत्व कमजोर और कार्यकर्ता बिखरे बिखरे हैं। कमोवेश यही हालत सत्ता में होने के बावजूद भाजपा की है। दोनों पार्टियों में नेतृत्व बदलने की बात हो रही है। अनिश्चितता के चलते चुनावी वर्ष होने पर भी दोनों दल जमीनी स्तर पर कम सक्रिय हैं। भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी की प्रतीक्षा में एक तरह से सुस्ती छाई हुई है।

दूसरी तरफ कांग्रेस में भी हाल कुछ अच्छे नहीं हैं। लेकिन दिग्विजय सिंह की सफल यात्रा को लेकर कांग्रेसी जरूर उत्साहित हैं। नर्मदा परिक्रमा के समापन पर बरमान घाट में होने वाले आयोजन को प्रभावित करने के लिए अफसरों ने बांध से इतना पानी छोड़ा कि पार्किंग स्थल भी इसकी चपेट में आ गए। किसी भी सरकार में ये नौकरशाही का निर्णय हो सकता है। मुख्यमंत्री या सत्ताधारी दल को खुश करने के लिए। लेकिन जनता में इससे कांग्रेस और दिग्विजय सिंह के प्रति सहानुभूति और भी गहरी हो सकती है। ऐसे ही छोटे बड़े निर्णय सत्ता को गड्ढे में ले जाते हैं। कभी दिग्विजय सिंह की सरकार में भी दलित एजेंडे जैसे मुद्दों ने सड़क बिजली पानी विहीन राज्य में कांग्रेस के ग्राफ को नीचे किया था।

लोगों को याद होगा अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद हुए दंगों के कारण मध्यप्रदेश समेत उत्तर प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारें बर्खास्त कर दी गई थीं। 1991 में हुए इस घटनाक्रम के बाद भाजपा सरकार से हटाए जाने पर शहीदी मुद्रा में थी और चुनाव में उसकी जीत पक्की मानी जा रही थी। तब मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने राज्य की यात्रा की थी और चुनाव में जीत को पक्का मान रही भाजपा को पराजित किया था। लगभग 25 साल बाद दिग्विजय सिंह फिर उसी भूमिका में हैं। फर्क इतना है कि वे आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं लेकिन उनकी यात्रा ने कांग्रेस के सारे सूत्र उन्हीं के इर्दगिर्द समेट दिए हैं। अब दिग्विजय सिंह के बिना प्रदेश की राजनीति संभव नजर नहीं आती।

ये सब बातें दिग्विजय सिंह की प्रशंसा में होती हुईं लग सकती हैं लेकिन जमीनी सच्चाई इसी के आस पास है। नया इंडिया ने पहले भी लिखा है कि भाजपा मध्यप्रदेश में कांग्रेस के किसी नेता को चुनौती मानती है तो वह दिग्विजय सिंह हैं। इसी तरह कांग्रेस भी भाजपा में किसी से भय खाती है तो वह शिवराज सिंह हैं। लेकिन अब समय बदल रहा है हालात उलट पुलट हो रहे हैं। संयोग से दिग्गी राजा का ग्राफ बढ़ रहा है और शिवराज का ग्राफ खिसकता दिख रहा है। लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले नेताओं पर मशहूर शायर हबीब जालिब का ये शेर बड़ा मुफीद है…
तुझसे पहले वो जो इक शख्स यहां तख्त नशीं था,
उस को भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था।

कह सकते हैं 2003 में यह शेर दिग्विजय सिंह पर लागू होता था और अब शिवराज सिंह पर। सुविधा के तौर पर लोग इसे भाजपा और कांग्रेस के नजरिए से भी देख सकते हैं। इस सबसे अलग दिग्विजय सिंह अब पूरे फार्म में हैं और अप्रैल के अंत तक वे 230 विधानसभा सीटों में से मध्यप्रदेश की 166 भाजपा द्वारा जीती गई सीटों की यात्रा करेंगे। अगर ऐसा होता है तो माना जाएगा कि उन्होंने भाजपा के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू कर दी है। इसमें प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व उनके साथ काम करता हुआ दिखाई देगा। इसका मतलब वे अघोषित ही सही प्रदेश कांग्रेस के लीडर के रूप में फिर से स्थापित हो गए हैं और कांग्रेस का बेड़ा उनके बिना पार नहीं होगा।

सरकार ने छुआ और संत पत्थर हो गए…
कहा जाता है कि सरकार जिस चीज को छू ले उसका खुदा हाफिज। जब हम छोटे थे तब एसीसी सीमेंट और कैरोसीन का संकट था । सरकार ने उसका नियंत्रण किया तो फिर वे लाईन लगाकर खरीदी जाती थी। भाजपा सरकार ने पहले कहा कि हम खेती को लाभ का धंधा बनाएंगे । इसके बाद उत्पादन को रिकार्ड हुआ मगर किसान आत्महत्या करने लगा। नर्मदाजी को बचाने के लिए सेवा यात्रा शुरू हुई तो पता चला कि नर्मदाजी सूखने लगीं।

अब पिछले दिनों नर्मदा घोटाला उजागर करने के लिए यात्रा शुरु करने वाले पांच संतों को सरकार ने छूकर राज्यमंत्री का दर्जा क्या दिया संत समाज औऱ आमजनता के साथ सियासी जगत में उनकी आलोचना शुरू हो गई। भाजपा में ही इसे लेकर भारी विरोध है। ऐसा लगता है सरकार का दांव उलटा पड़ गया। लेकिन संतों के हिसाब से भी ये दांव उनके लिए भी सीधा नहीं है। राज्यमंत्री का दर्जा तो संतों को मिला मगर संतों की गरिमा घट गई। कुल मिलाकर सरकार ने एक तीर से दो शिकार कर लिए। दर्जा प्राप्त संत घोटाला उजागर करने के बजाए सरकार के पक्ष में घूमेंगे और विरोध के चलते राज्यमंत्री का दर्जा लौटाया तो दोऊ दीन से गए पांड़े, हलुआ मिला न माड़े। निष्कर्ष यह है कि समाज को बदलने वाले पारस रूपी संत सरकार के छूते ही अब पत्थर के हो गए हैं।

(लेखक IND 24 के समूह प्रबंध सम्पादक हैं।)

दिग्विजय सिंह ने तोड़ी चुप्पी: मैं अपनी तरफ से मुख्यमंत्री बनने का दावा नहीं करूंगा पेश

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नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा का 9 अप्रैल को समापन है। इसके साथ ही वे एक बार फिर से सियासी मैदान में उतरने को तैयार हैं। जैसे-जैसे दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा समाप्त होने की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे ये सवाल उठता जा रहा है कि अब उनका अगला कदम क्या होगा। क्या एक बार फिर वे सूबे की सियासत को प्रभावित करेंगे।

इन सभी सवालों पर खुद दिग्विजय सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है। दोबारा प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की बात से लगातार इनकार कर रहे दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर साफ किया है कि वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते और कांग्रेस में युवा नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहते हैं। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस के चुनाव जीतने पर वे किसी भी सूरत में सीएम नहीं बनेंगे तो उन्होंने कहा कि कम से कम मैं अपनी तरफ से तो मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश नहीं करूंगा।

दिग्विजय सिंह अपनी तरफ से सीएम बनने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन पार्टी की ओर से इस तरह का प्रस्ताव मिलने पर उन्होंने विकल्प खुला रखा है। वहीं पार्टी में फिलहाल अपनी जिम्मेदारी पर उन्होंने कहा कि मैं अभी भी पार्टी का महामंत्री हूं और संगठन के लिए काम कर रहा हूं और आगे भी पार्टी को एकजुट बनाए रखने के लिए काम करना चाहता हूं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आगे वे क्या करेंगे इसका फैसला राहुल गांधी के अपनी नई टीम बनाने के बाद होगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो जिम्मेदारी देंगे वे उसे निभाने के लिए तैयार हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गी की नर्मदा परिक्रमा का समापन आज, यह रहेंगे मौजूद

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भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा का आज को समापन होगा। इस मौके पर नरसिंहपुर में नर्मदा नदी के तट बरमान घाट पर कई संत और कांग्रेस के नेता मौजूद रहेंगे। कांग्रेस महासचिव ने इसी घाट से पिछले साल 30 सितंबर को विजया दशमी के दिन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती से आशीर्वाद लेकर पदयात्रा शुरू की थी।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पत्नी अमृता राय के साथ 190 दिन में 3300 किलोमीटर की पदयात्रा की। रोजाना 25 किलोमीटर चलकर वे मध्यप्रदेश के 120 विधानसभा क्षेत्रों में गए। नर्मदा परिक्रमा के क्रम में वे गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ भी गए। नर्मदा परिक्रमा पूरी होने पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने उन्हें पत्र भेजकर बधाई दी है। दिग्विजय सिंह अब लगभग 70 साल के हो रहे है और सत्तर की उम्र में लगभग 4000 किलो मीटर की पैदल नर्मदा परिक्रमा करना कोई सरल काम नहीं है और दिग्गी इस यात्रा के लिए बधाई के पात्र हैं।

नर्मदा नदी के पूजन के बाद होगा भंडारा
कांग्रेस नेता योगेंद्र सिंह परिहार और पूर्व विधायक सुनील जायसवाल ने बताया कि, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय और उनकी पत्नी की नर्मदा परिक्रमा यात्रा के समापन मौके पर धार्मिक अनुष्ठान होगा। नर्मदा नदी के पूजन के बाद भंडारा भी होगा। राजनीति के जानकार दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा यात्रा के समापन कार्यक्रम को उनके शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देख रहे हैं, क्योंकि करेली रेलवे स्टेशन के अलावा जबलपुर स्टेशन पर आने वाले लोगों को बरमान तक पहुंचने के लिए विशेष स्टॉल लगाए गए हैं।

उमा भारती ने दी बधाई
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय पेयजल व स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने भी दिग्विजय सिंह को नर्मदा नदी की पैदल परिक्रमा निर्विघ्न पूर्ण करने पर पत्र लिखकर शुभकामनाएं दी है। उन्होंने अपने पत्र में समापन कार्यक्रम में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की है, लेकिन 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम के कारण शामिल न हो पाने पर खेद व्यक्त किया है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा: 2019 के चुनाव में हार जाएंगे राहुल और सोनिया

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला है। भाजपा के अनुसार कांग्रेस पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को हारने वाली है। भाजपा के प्रवक्ता अनिल बलुनी ने यह दावा किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को अलगे चुनाव में कोई नहीं हरा सकता है।

गौरतलब है कि वह राहुल गांधी के उस दावे के जवाब में बोल रहे थे जिसमें राहुल ने पीएम मोदी के वाराणसी से हारने की बात कही थी। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी अगले लोकसभा चुनाव में अपनी सीट भी नहीं बचा पाएंगे। इसकी एक वजह उनके प्रति लोगों की बढ़ती नाराजगी है। 

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को मोदी की चिंता की जगह 2019 में अपने और सोनिया गांधी के चुनावी भविष्य की चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की परिस्थितियों को देखते हुए राहुल और उनकी मां सोनिया गांधी अपनी अपनी सीटें भी नहीं बचा पाएंगे।

सेना की ढाल बनने वाले फारुख को गांव वाले बता रहे भारत का एजेंट, किया बहिस्कार

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नई दिल्ली। साल भर पहले भारतीय सेना ने पत्थरबाजों से बचने के लिए जिस फारुख अहमद डार नाम के युवक को अपनी जीप के आगे बांधा था, आज वह अपने गांव वालों की वजह से बिल्कुल टूट चुका है। डार के अनुसार उस घटना के एक साल बीत जाने के बाद भी उसके गांव वाले उसके साथ अच्छे से बर्ताव नहीं कर रहे।

उसका कहना है कि उस घटना के बाद अब गांव वाले उसे भारत सरकार का एजेंट मानने लगे हैं। यही वजह है कि डार के गांव वालों ने उसका बहिष्कार कर दिया है। कोई भी उसे गांव में रहने या उससे बात करने को तैयार नहीं है। अपने साथ हो रहे इस तरह के बर्ताव से डार का काफी दुखी है । डार बताते हैं कि जिस दिन उनके साथ यह घटना हुई उस दिन श्रीनगर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में चुनाव का दिन था।

इस दिन अलगाववादी संगठनों के चुनाव के बहिष्कार के आह्वान को न मानते हुए जार वोट डालने जा रहे थे। इलाके में माहौल पहले की तुलना में खराब थे। और उस दिन की गोलीबारी में कुल आठ लोग मारे गए। इस वजह से आम लोगों में सेना के प्रति गुस्सा था। केन्द्रीय एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने जांच में उस दिन की घटना के संबंध में डार की बात को सच माना था और उन्होंने उनके पत्थरबाज होने के सेना के दावों से इंकार किया था।

जांच में पाया गया कि वह मतदान के बाद वह अपनी बहन के यहां जा रहा था और सेना ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद उसकी बेरहमी से पिटाई की गई और बाद में जीप के बोनेट पर बांध दिया गया। घटना के बाद अपने जीवन के बारे में डार ने कहा कि बडगाम जिले में उनके गांव में उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा।