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बरी होते ही सलमान को कोर्ट में छोड़ रवाना हुए सैफ, तब्बू, सोनाली और नीलम

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जोधपुर। काले हिरण शिकार मामले में जोधपुर अदालत ने सलमान को दोषी करार दिया है। जबकि सैफ, तब्बू और नीलम को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी कर दिया है। कोर्ट ने इनको जैसे ही बरी किया वैसे सलमान को कोर्ट में छोड़कर फ्लाइट से रवाना हो गए।

हालांकि, अभी यह भी कहा जा रहा है कि सलमान को भी जमानत मिल जायेगी। मालूम हो कि काला हिरण शिकार मामले में फिल्म अभिनेता सलमान खान, सैफ अली खान, अभिनेत्री नीलम, सोनाली, तब्बु व एक अन्य स्थानीय नागरिक आरोपी हैं। सलमान सहित सभी आरोपी जोधपुर में हैं। इस मामले में अंतिम बहस 28 मार्च को हुई थी। इसके बाद सीजेएम ग्रामीण देवकुमार खत्री ने इन आरोपियों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इरफान की फिल्म हिन्दी मीडियम चीन में हुई रिलीज, अब करेंगे ‘ब्लैकमेल’,

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मुंबईलंदन में इन दिनों अपने ट्यूमर की बीमारी का इलाज करवा रहे अभिनेता इरफान की फिल्म हिंदी मीडियम आज से चीन में रिलीज हो गई है जबकि उनकी नई फिल्म ब्लैकमेल इस हफ़्ते आ रही है। फिल्म को लेकर इन दिनों काफी चचार्एं हैं, जिसके इसके अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है ’

चीन में इन दिनों सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान चल रही है और आज यानि बुधवार से उनकी हिंदी मीडियम भी वहां रिलीज हो गई है। साकेत चौधरी की इस फिल्म को भारत में जबरदस्त कामयाबी मिली है। फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार सबा कमर ने भी लीड रोल निभाया है।

इरफान इस हफ़्ते एक नई फिल्म के साथ बॉक्स आफिस पर उतरेंगे। अभिनय देव के निर्देशन में बनी इस फिल्म में इरफान के साथ कीर्ति कुल्हरी, अरुणोदय सिंह, दिव्या दत्ता, ओमी वैद और आइटम डांस के साथ उर्मिला मातोंडकर भी हैं। इस फिल्म को एक ब्लैक कॉमेडी की तरह ट्रीट किया जा रहा है।

इससे पहले डेहली बेली बना चुके अभिनय के इस फिल्म की कहानी एक पति-पत्नी की है। बीवी को किसी और से प्यार हो जाता है। पति को जब इसकी जानकारी होती है तो वो पत्नी के आशिक को ब्लैकमेल करना शुरू करता है। बाद में पता चलता है कि जो रकम उसने मांगी है वो उसे अपनी ही जेब से देनी पड़ रही है।

काला हिरण शिकार मामला: सलमान को 2 साल की सजा, नहीं जाना पड़ेगा जेल

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जोधपुर। काले हिरण शिकार मामले में जोधपुर अदालत ने सलमान को दोषी करार दिया है और दो साल की सजा सुनाई है। जबकि बाकी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है! हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि सलमान को जमानत मिल जायेगी।

कोर्ट में सजा पर बहस के दौरान सलमान के वकील ने कोर्ट से कहा था कि कम से कम सजा दी जाए। वहीं सरकारी वकील ने सलमान खान के लिए 6 साल की सजा की मांग की थी।

सलमान खान को 2 साल तक की सजा सुनाई गई है। इसलिए उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा। उसी कोर्ट में बेल बॉन्ड भरकर सजा सस्पेंड करा सकेंगे। लेकिन अगले 30 दिन में अपीलेट कोर्ट यानी सेशन कोर्ट से सजा सस्पेंड करानी पड़ेगी। इससे पहेल तीन मामलों में सलमान खान को बरी किया जा चुका है। हालांकि, मामला हाईकोर्ट में भी है।

सलमान के अलावा ये हैं आरोपी
मालूम हो कि काला हिरण शिकार मामले में फिल्म अभिनेता सलमान खान, सैफ अली खान, अभिनेत्री नीलम, सोनाली, तब्बु व एक अन्य स्थानीय नागरिक आरोपी हैं। सलमान सहित सभी आरोपी जोधपुर में हैं। इस मामले में अंतिम बहस 28 मार्च को हुई थी। इसके बाद सीजेएम ग्रामीण देवकुमार खत्री ने इन आरोपियों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

लौकी का रस पिएं या फिर इसकी सब्जी खाएं

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गर्मी के मौसम में आपके शरीर को सबसे ज्यादा जरूरत होती है पानी की। लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है शरीर में पानी की मात्रा भी कम होने लगती है, जिसके चलते आप लू की चपेट में आने लगते हैं। लेकिन आपके आस-पास ऐसी कई चीजें उपलब्ध हैं जो आपके शरीर में पानी की मात्रा को कम नहीं होने देतीं और शरीर को ठंडा बनाए रखती है।

इन्हीं में से एक है लौकी। लौकी में कई तत्व मौजूद होते हैं जो न सिर्फ आपके शरीर में जरूरी तत्वों की कमी पूरी करते हैं बल्कि आपके शरीर को ठंडा रखने में भी आपकी मदद करते हैं। आप लौकी को सब्जी और जूस के तौर पर भी ले सकते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लौकी खाने से बचते हैं। अगर आप भी इन्हीं में से एक हैं तो इसके फायदे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।
ताजगी: लौकी का रस पीने से शरीर में ताजगी बनी रहती है।

लौकी खाने से पेट में भारीपन नहीं रहता, और शरीर में ताजगी बनी रहती है। खुद को तरोताजा रखने के लिए आप हर रोज सुबह लौकी के रस में नमक और जीरामन डालकर पी सकते हैं। पेट का रोग: सुबह खाली पेट लौकी का रस पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है। साथ ही ये गर्मी और जलन की समस्या में भी राहत देता है। लंबे समय तक लौकी का रस पीते रहने से पेट संबंधी सामान्य समस्याएं हमेशा के लिए दूर हो सकती हैं।

वजन कम करने में सहायक: लौकी का रस वजन नियंत्रित करने में भी सहायक होता है। लौकी का रस पीने से ज्यादा भूख नहीं लगती जिससे आपकी डाइट कंट्रोल होती है और शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती। इस तरह से आपका वजन अपने आप कंट्रोल होने लगता है।

दस्त: लौकी को छांछ या दही में मिलाकर खाने से दस्त में राहत मिलती है। इसके लिए लौकी को कद्दूकस कर पानी में उबालकर इसे दही में मिला लें और इसमें नमक, जीरा पाउडर मिलाकर खाएं। इससे दस्त की समस्या दूर होगी। दस्त के समय शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में लौकी का रायता खाने से शरीर में पानी की कमी भी दूर होगी।

टायफाइड: लौकी टायफाइड में भी राहत दिलाती है। इसे काटकर पैरों के तलव में घिसने से टायफाइड में आने वाले बुखार की जलन कम होती है और शरीर को आराम मिलता है।

गर्भावस्था में लाभ: लौकी का रस गर्भावस्था में काफी लाभ पहुंचाता है। ये गर्भावस्था के दौरान होने वाले विकारों को दूर करता है। जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात या गर्भस्त्राव की समस्या हो उन्हें भी लौकी का रस जरूर पीना चाहिए। लौकी का रस गर्भाशय को मजबूत बनाता है और गर्भस्त्राव की समस्या को दूर करता है।

सिर्फ केले में ही नहीं इन चीजों में भी होता है भरपूर पोटाशियम

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सभी लोग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन आदि पोषक तत्वों को जरूरी समझते हैं और पोटेशियम को कोई खास नहीं मानता लेकिन इसकी कमी होने पर मांसपेशियों में दर्द, उच्च रक्तचाप का खतरा, दिल की धड़कन तेज होना आदि समस्याएं होने लगती है। इसकी कमी की पूर्ति के लिए लोग केले का सेवन करते हैं लेकिन आज हम आपको ऐसे फूड्स बताने वाले हैं जिन में केले से भी ज्यादा पोटेशियम पाया जाता है।

आलू का करें सेवन: आलू को पोटेशियम का स्त्रोत माना जाता है। इसे उबालने के बाद ठंडा करके इसका सेवन करना चाहिए। इसमें पाया जाने वाला स्टार्च गठिए रोगी के लिए काफी फायदेमंद होता है। आलू के अलावा शकरगंद में भी पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

तरबूज: तरबूज खाने से भी शरीर में पोटेशियम की पूर्ति होती है। यह शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है। इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर जैसे खतरे को कम करता है।

पालक: पालक में मिनरल्स और विटामिन्स के अलावा पोटेशियम भी पाया जाता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने में काफी मदद करती है। एनिमिया की शिकायत होने पर भी यह काफी फायदेमंद है।

टोमैटो सॉस: इसमें भी पोटेशियम बहुत मात्रा में पाया जाता है लेकिन इसमें शुगर भी अधिक होती है इसके लिए आप लो-शुगर टोमैटो सॉस ले सकते हैं या फिर इसे घर पर तैयार कर सकते हैं। पोटेशियम की पूर्ति के लिए टमाटर की सब्जी, चटनी या उबले टमाटर का भी सेवन कर सकते हैं।

चुकंदर: चुकंदर भी पोटेशियम का अच्छा स्त्रोत है। इसके लिए दिन में एक कप चुकंदर लेनी चाहिए। इसमें आयरन भी काफी मात्रा में होता है। यह शरीर को एनिमिया जैसी बीमारी से दूर रखता है।

संतों को पद देने के बाद सीएम से खुश हुईं उमा, कहा- पद ठगों को नहीं बल्कि संतों को दिया

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भोपाल। चुनावी साल में एक के बाद एक गमार्ते मुद्दों से परेशान प्रदेश सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने सीएम शिवराज के इस निर्णय की तारीफ की है। उन्होंने शिवराज सरकार के इस निर्णय से प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल हो गई है।

इस मामले में भी विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार पर हमला बोल दिया है। कांग्रेस के इस विरोध की निंदा करते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि मंत्री का दर्जा विपक्ष या किसी ठग को नहीं, बल्कि संतों को दिया गया है। कुछ समय से उमा भारती भी प्रदेश में संतों को सम्मान न मिलने से प्रदेश सरकार से काफी नाराज चल रही थीं, लेकिन शिवराज के इस निर्णय के बाद काफी खुश नजर आ रही है।

मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने शिवराज सिंह के संत समाज को ध्यान में रखते हुए लिए गए इस निर्णय की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारतिय संस्कृति ने हमेशा संतों का सम्मान किया है। यह दर्जा विपक्ष और ठगों को नहीं बल्कि संतों को दिया है। मैं शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा करती हूं और इसका विरोध करने वाली कांग्रेस की निंदा करती हूं।

धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने के बाद संत समाज को खुश करने वाली सरकार कांग्रेस के विरोध का भी सामना कर रही है। साथ ही अब चर्चा हो रही है कि चुनावी साल में लिया गया यह निर्णय उन संतों को खुश करने के लिए गया है जो सरकार के खिलाफ नर्मदा आंदोलन को लेकर मोर्चा खोलने वाले थे।

इन पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। सरकार के इस फैसले खिलाफ एक जनहित याचिका हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर की गई है। इस याचिका में पूछा गया है कि संतों को राज्य मंत्री का दर्जा देने की संवैधानिक वैधता क्या है और क्या वे इस पद के योग्य हैं ?

मंत्री का दर्जा पाने के बाद बोले भय्यू महाराज, संतों के भीतर सेवा भाव होना चाहिए

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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले पांच संतों में से एक उदय सिंह देशमुख (भय्यू महाराज) ने इशारों-इशारों में पद स्वीकारने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब कोई पद अंतरमन, बुद्घि और विवेक को ही स्पर्श नहीं करता तो उस पद का विचार ही क्यों करना। ज्य सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण और पौधारोपण के लिए जनजागृति लाने वाले पांच संतों की विशेष समिति बनाई है।

इस समिति के सभी सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का ऐलान किया गया है। कुछ संत तो इससे खुश हैं, मगर भय्यू महाराज (50) ने साफ कर दिया है कि वह न तो किसी कार्यक्रम में शामिल होंगे और न ही मंच साझा करेंगे। राज्य सरकार द्वारा समिति का सदस्य और राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के बाद भय्यू महाराज ने कहा, ‘संत के लिए पद का कोई महत्व नहीं है, बस उसके भीतर सेवा का भाव होना चाहिए।

सरकार ने हमारे सामाजिक कार्यों को स्वीकारते हुए सम्मान दिया है, यह हम मानते हैं। हमने किसान, जल संरक्षण, पौधारोपण के लिए काम किया, कृषि केंद्रों का निर्माण किया। इन कार्यों को सरकार ने संज्ञान में लिया है।’

‘न किसी मंच पर जाऊंगा, न किसी कार्यक्रम में हिस्सा लूंगा’
सरकार के फैसले से सहमत या असहमत होने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हम संत हैं, हमारे अंतरमन, विवेक और बुद्घि को पद स्पर्श ही नहीं करता तो उसका विचार ही क्यों करना। उन्होंने हमें सम्मान दिया, हमें किसी के निरादर का हक भी नहीं है। संत किसी को दुखी भी नहीं करता। इतना तय है कि मैं न तो किसी मंच पर जाऊंगा और न ही किसी कार्यक्रम में हिस्सा लूंगा। कोई किसान, जल संरक्षण, पौधारोपण के लिए परामर्श मांगेगा, तो उसके लिए मैं सदैव तैयार हूं।’

‘किसी तरह केविवाद में नहीं पड़ना चाहता’
राष्ट्रीय संत के तौर पर पहचाने जाने वाले भय्यू महाराज ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उनका न किसी राजनीतिक दल और जाति से लगाव नहीं है, उनका जोर सिर्फ राष्ट्रवाद पर है। ‘धर्म व्यवस्था का उपयोग समाज के लिए करता हूं। इसके साथ ही किसी भी तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहता, खुद को हमेशा विवादों से दूर रखा है।’

ज्ञात हो कि मंगलवार को राज्य शासन ने प्रदेश के विभिन्न चिह्नित क्षेत्रों, विशेष रूप से नर्मदा के किनारे वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति निरंतर जन-जागरूकता अभियान चलाने के लिए विशेष समिति गठित की। इस समिति में बतौर सदस्य नर्मदानन्द, हरिहरानन्द, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेन्द्र महंत को शामिल किया गया है। सभी सदस्यों को राज्य मंत्री का दर्जा मिलेगा।

कपड़ा निमार्ता कंपनी के मॉडल से समाज सेवी बने भय्यू महाराज की पहचान गृहस्थ राष्ट्र संत की है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का करीबी माना जाता है।

पीसीसी चीफ अरुण यादव की संतों से अपील, राजनीति के चक्कर में न पड़ें बाबा

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भोपाल। नर्मदा घोटाले को उजागर करने वाले बाबाओं को सरकार द्वारा राज्यमंत्री बनाने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने सरकार के इस निर्णय को चिंताजनक बताया है। ता दें कि जिन बाबाओं को राज्यमंत्री बनाया गया है, वे यात्रा निकालकर घोटाला उजागर करने वाले थे। लेकिन, राज्य सरकार ने किसी भी तरह के हंगामे से पहले ही इन बाबाओं को राज्यमंत्री बना कर इन्हें खामोश कर दिया। राजसी सुविधाओं को पाकर इन बाबाओं के बोल भी अब बदलने लगे हैं।

कांग्रेस ने बाबाओं से कहा है कि वह राजनीति के चक्कर में न पड़ें। घोटाले उजागर करने में कांग्रेस उनका साथ देगी। कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने अपील की है कि बाबाओं को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि उनके साथ लोगों की सद्भावना जुड़ी है। लोग उन्हें सम्मान से देखते हैं इसलिए उन्हें सत्ता के लोभ में न पड़कर घोटाला उजागर करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 9 अप्रैल को नर्मदा यात्रा पूरी करके लौट रहे हैं, जिसके बाद एक और घोटाला उजागर किया जाएगा। कांग्रेस नर्मदा घोटाले का पूरा लेखा-जोखा जनता के सामने रखेगी। उन्होंने कहा कि एक बार फिर 6 करोड़ से अधिक पौधे लगाने का सरकार दावा कर रही है।

एंटीबायोटिक दवाओं से हर साल मरते हैं 7 लाख लोग

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नई दिल्ली। एंटीबायोटिक दवाओं के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए एटना इंटरनेशनल ने अपने श्वेत पत्र ‘एंटीबायोटिक प्रतिरोध : एक बहुमूल्य चिकित्सा संसाधन की ओर से बेहतर प्रबंध’ से इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है। टना इंटरनेशनल ने श्वेत पत्र में बताया कि एंटीमिक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) से दुनिया भर में हर साल करीब सात लाख लोगों की मौत हो रही है। भारत, विश्व में एंटीबायोटिक दवाओं के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है।

पत्र में कहा गया है कि बीमारी का बोझ, खराब सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, बढ़ती आय और सस्ते एंटीबायोटिक दवाओं की अनियमित बिक्री जैसे कारकों ने भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के संकट को बढ़ा दिया है।  एंटीमिक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) से दुनिया भर में करीब सात लाख लोगों की मौत हो रही है और 2050 तक मृत्यु का आंकड़ा एक करोड़ तक पहुंच सकता है। 

इन मौतों में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण एंटीबायोटिक दवाओं का अनियंत्रित इस्तेमाल है। श्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2015 में 12 देशों में किए सर्वेक्षण में यह दशार्या है कि भारत सहित चार देशों के कम से कम 75 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पिछले छह महीनों में एंटीबायोटिक प्रयोग किया। ब्रिक्स देशों में एंटीबायोटिक खपत में 99 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।

पत्र में क्या है
पत्र में कहा गया, ‘जितनी तेजी से दुनिया का मेडिकल सेक्टर विकसित हो है उतनी ही तेजी से एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल लोगों में बढ़ता जा रहा है।’ दुनिया भर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रति बढ़ती चिंता पर वी हेल्थ बाई एटना के चीफ मेडिकल आफिसर डॉ. प्रशांत कुमार दास ने कहा, ‘अधिकांश भारतीय सोचते हैं कि एंटीबायोटिक दवाएं सामान्य सर्दी और गैस्ट्रोएन्टेरिटिस जैसी बीमारियों का इलाज कर सकती हैं, जो गलत धारणा है।

इन संक्रमणों में से अधिकांश वायरस के कारण होते हैं और एंटीबायोटिक दवाइयों की उनके इलाज में कोई भूमिका नहीं होती है।’ हीं एटना इंडिया के प्रबंध निदेशक मानसीज मिश्रा ने कहा, ‘एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक संकट है जो विश्व स्तर पर सभी को प्रभावित करता है। एक वैश्विक, बहुमुखी रणनीतिक समाधान के साथ अब हमें इस मुद्दे को हल करने की आवश्यकता है।’ टीबायोटिक दवाओं से होने वाली मौत के आंकड़ों में यूरोप सहित संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल है। रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक इन दवाओं की बिक्री दुनिया के 76 गरीब देशों में तेजी से हो रही है।

सरकार ने कारोबारियों को दी राहत: बनाया आइटी शिकायत निवारण तंत्र

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नई दिल्ली। जीएसटीएन पोर्टल की खामियों के चलते परेशानी का सामना कर रहे कारोबारियों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। केंद्र ने ऐसे करदाताओं की दिक्कत दूर करने के लिए आइटी शिकायत निवारण तंत्र बनाया है। सरकार के इस कदम के बाद अब ऐसे करदाता भी अपना ट्रान-1 फॉर्म (ट्रांजीशनल क्रेडिट के लिए) जमा कर सकेंगे, जो जीएसटी पोर्टल में गड़बड़ी की वजह से ऐसा नहीं कर पाए हैं। ऐसे करदाताओं के लिए ट्रान-1 फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि भी बढ़ाकर 30 अप्रैल 2018 कर दी गई है।

ट्रान-1 फॉर्म उन व्यापारियों को भरना था जिन्हें एक जुलाई 2017 से पूर्व की अवधि के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना चाहते थे। हालांकि जीएसटी पोर्टल की तकनीकी गड़बड़ी के चलते ये कारोबारी ऐसा नहीं कर सके। इसीलिए अब इन्हें यह राहत दी गयी है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि सरकार के इस निर्णय से 17,573 करदाताओं को फायदा होगा और वे 2,583 करोड़ रुपये सीजीएसटी क्रेडिट और 1,112 करोड़ रुपये एसजीएसटी क्रेडिट ले सकेंगे।

वेबटेल इलेक्ट्रोसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राजेन्द्र कपूर ने कहा कि देर से उठाया लेकिन सही दिशा में कदम है। अब शिकायत सही जगह पहुंचेगी और सही जगह पर उसका समाधान मिल जाएगा। फॉर्म ट्रान-1 अपलोड करने में बहुत से लोगों को दिक्कत आई थी। आइटी हेल्प डेस्क इसका समाधान नहीं कर पा रहा था, इसलिए सरकार को आइटी शिकायत निवारण तंत्र बनाना पड़ा।

वित्त मंत्रालय के अनुसार जीएसटी पोर्टल की तकनीकी खामियों के चलते कारोबारियों को हो रही परेशानी को दूर करने के लिए सरकार ने आइटी से जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र स्थापित किया है। जीएसटी काउंसिल ने आइटी शिकायत निवारण समिति को करदाताओं की शिकायत पर विचार करने और जरूरी कदम उठाने की सिफारिश जीएसटी नेटवर्क से करने की शक्तियां दी हैं।

यह राहत मिलने के बाद करदाताओं को पूर्व में दाखिल किए गए रिटर्न में संशोधन करने और विशेष परिस्थितियों में अंतिम तिथि के बाद में भी रिटर्न दाखिल करने की अनुमति होगी। हालांकि बिजली आपूर्ति बाधित होने या इंटरनेट की उपलब्धता न होने जैसे स्थानीय मुद्दों की वजह से अगर किसी करदाता से संबंधित व्यक्तिगत समस्या का इस तंत्र के तहत समाधान नहीं होगा।

मंत्रालय के मुताबिक इस तंत्र में यह प्रावधान भी किया गया है कि करदाताओं को फील्ड अधिकारियों या नोडल अधिकारियों को कॉमन पोर्टल की गड़बड़ी के बारे में बताते हुए एक आवेदन देना होगा ताकि यह साबित किया जा सके कि गड़बड़ी के चलते करदाता रिटर्न दाखिल नहीं कर सका। इसके बाद शिकायत निवारण समिति जरूरी हल सुझाएगी।