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अहमद पटेल ने की सरकार से अपील: सांप्रदायिक हिंसा की तरफ आंखें न मूंदें

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने केंद्र सरकार से अपील की कि देश में सांप्रदायिक हिंसा की तरफ आंखें नहीं मूंदें। उन्होंने आरोप लगाए कि 2019 के आम चुनावों से पहले माहौल के ध्रुवीकरण की बड़ी रणनीति के तहत ये सब हो रहा है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में सांविधानिक और राज्य मशीनरी द्वारा जानबूझकर, बाध्य होकर या दबाव में अपना काम करने को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने पत्र में लिखा, मैं आपसे विनती करता हूं कि संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दें कि सांप्रदायिक संघर्ष के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए चाहे वे किसी भी दल के क्यों न हों।

उन्होंने कहा, गृह मंत्रालय इस तरह के समुचित उपाय करने पर गौर कर सकता है कि इस तरह की घटनाएं फिर नहीं हों। पटेल ने कहा कि यह गंभीर चिंता की बात है कि इनमें से अधिकतर शरारती तत्व रानजीतिक स्वार्थों के लिए ऐसा करते हैं। उन्होंने कहा, हिंसा की ये घटनाएं 2019 के आम चुनावों से पहले ध्रुवीकरण करने की बड़ी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती हैं। आपके माध्यम से मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि इन घटनाओं की तरफ से आंखें नहीं मूंदें।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार में हिंसा भड़काने का आरोपी एक व्यक्ति पुलिस हिरासत से भाग गया जबकि पश्चिम बंगाल में इन घटनाओं का विरोध करने वालों के लिए एक केंद्रीय मंत्री की तरफ से धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया गया। पटेल ने बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गुजरात और तेलंगाना तथा देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का जिक्र किया।

भारत बंद: बेटे का समर्पण नहीं आया काम, नहीं मिली एंबुलेंस, अस्पताल पहुंचने से पहले ही पिता की मौत

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बिजनौर। भारत बंद में ऐसी कई तस्वीरें देखने को मिली, जिसने लोगों को हैरान कर दिया। भारत बंद के दौरान अलग-अलग जगहों पर कई लोगों की मौत की खबरें आईं। सोमवार को भारत बंद के दौरान उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 68 वर्षीय बुजुर्ग की मौत समय पर अस्पताल न पहुंचने की वजह से हो गई। उसके बेटे ने बुजुर्ग पिता को बचाने की पूरी कोशिश की, मगर उसका समर्पण भी काम न आया।

दरअसल, बिजनौर में एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद के दौरान प्रदर्शन की वजह से सही समय पर अस्पताल न पहुंचने की स्थिति में बुजुर्ग की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि एंबुलेंस समय पर बुजुर्ग को प्रदर्शन की वजह से अस्पताल नहीं पहुंचा पाया।

इस स्थिति में उसके बेटे ने बुजुर्ग पिता को कंधे पर उठा कर करीब एक किलीमीटर तक पैदर चलता रहा, और जब अस्पताल पहुंचा, तब वहां पहुंचने पर पता चला कि उसके बुजुर्ग पिता की मौत हो गई थी। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पंजाब सहित अन्य स्थानों पर आगजनी, गोलीबारी और तोड़फोड़ की खबरों के बीच कई राज्यों ने बंद के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया था और संचार एवं रेल समेत परिवहन सेवाएं अस्थायी तौर पर रोक दी थीं।

अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य जख्मी हो गए। वहीं बिहार में भी मौत की खबरें आईं और उत्तर प्रदेश में भी मौत की घटना देखने को मिली।

हिंसा को लेकर दिग्गी का बड़ा बयान: केन्द्र सरकार है दोषी, फैसले लेने में की देरी

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भोपाल। एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किए गए बदलाव के विरोध में आज भारत बंद के दौरान मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में तनाव का महौल रहा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस हिंसा और आगजनी के लिए केंद्र सरकार को यह कहते हुए दोषी करार दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने फैसला लेने में देर की।

नर्मदा परिक्रमा पर निकले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस सिंहा और तनाव के लिए केंद्र सरकार को दोषी करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सूप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने फैसला लेने में देर की। हिंसा की पूरी जबाबदारी मौजूदा शासन के असंवेदनशील रवैए की है। उन्होंने कहा है कि ये संवैधानिक अधिकार है और हर हाल में कायम रहना चाहिए।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देश भर में अनुसूचित जाति और जनजाति पर हो रहे अत्याचार के मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय था, उसके बारे में विलंब से निर्णय लेने के कारण पूरे देश में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों में अशांति जो फैली है, उसकी पूरी जबाबदारी मौजूदा शासन के असंवेदनशील रवैया की है।

उन्होंने कहा कि ‘मैं सभी से अपील करता हूं कि शांति बनाए रखे, इसका हल ढूंढा जाएगा। निश्चित तौर पर हर हालत में अनुसूचित जाति और जनजाति के ऊपर हो रहे अत्याचार को लेकर उनके सुरक्षा के प्रबंध करने की जबाबदारी हम सब राजनेताओं की है। ये संवैधानिक अधिकार है, ये कायम रहना चाहिए’

प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ बेरोजगारों में पनपने लगा आक्रोश

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भोपाल। प्रदेश में बीते डेढ़ दशक से प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा के रणनीतिकारों के फैसले अब उसके लिए ही मुसीबत बनती जा रही है। इसकी वजह है सरकार के वे अफसर जो सरकार की आंख-नाक और कान के रूप में जाने जाते हैं। ऐसे करीब आधा दर्जन अफसर हैं, जो सरकार को चलाते हुए दिखते हैं।

इन अफसरों की सलाह अब सरकार के लिए चुनावी वर्ष में मुसीबत बनती जा रही है। सरकार द्वारा हाल ही में सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से 62 वर्ष किए जाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इससे बेरोजगारों में जमकर असंतोष फैल गया है। अब यह बेरोजगार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं।

खास बात यह है कि लाखों बेरोजगार सरकार के इस फैसले से अब परीक्षा के लिए तय आयु की वजह से नौकरी के लिए अयोग्य घोषित हो जाएंगे। सरकार के फैसले से बढ़ते असंतोष को देखते हुए अब सफाई देते हुए कहा है कि इस साल 89 हजार युवाओं को नौकरी दी जाएगी। सरकारी दावे के मुताबिक राजस्व विभाग में 9500 पटवारियों, 400 नायब तहसीलदार और 100 अन्य पद सहित कुछ 10 हजार पदों पर भर्ती होगी। स्वास्थ्य विभाग में 3500 पदों पर भर्ती होना है। इनमें 1300 चिकित्सक, 700 पैरामेडिकल स्टॉफ, 1053 स्टॉफ नर्स और 500 एएनएम शामिल हैं।

पुलिस में 8 हजार पदों पर भर्ती के अलावा होमगार्ड में 4 हजार पदों पर भर्ती का दावा भी सरकार ने किया है। खास बात यह है कि बीते डेढ़ दशक में सरकार ने रोजगार की तरफ ध्यान ही नहीं दिया, जिसके चलते बेरोजगारी में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रदेश में इस समय बेरोजगारी का आलम इसकदर बढ़ गया है कि एक-एक पद के लिए हजारों की संख्या में फॉर्म भरे जाते हैं, जिसमें ग्रेजयुएट, पोस्ट ग्रेजयुएट, एमबीए, पीएचडीधारी भी शामिल रहते हैं

भारत बंद- प्रदेश में बेकाबू हुए प्रदर्शनकारी, हिंसा में चार की मौत, डबरा में एएसपी को पीटा

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ग्वालियर। अनुसूचित जाति-जनजाति संयुक्त मोर्चा के बंद के दौरान प्रदेश में हालात बेकाबू हो चुके हैं। ग्वालियर, भिंड और मुरैना में हिंसा के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया है। हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हुई है जबकि 50 लोगों से अधिक के घायल होने की खबर है। इस दौरान बंद समर्थकों ने पूरे प्रदेश में रैलियां निकालकर लोगों की दुकाने बंद करवाईं।

जबकि ग्वालियर-चंबल संभाग में फैली हिंसा इतनी बेकाबू हो गई कि मुरैना में प्रदर्शनकारियों की गोलीबारी में एक छात्र की जान भी चली गई। मुरैना में प्रदर्शनकारियों ने करीब पचास गाड़ियों में तोड़फोड़ की और स्टेशन पर आग लगा दी। डबरा के एएसपी राजेश त्रिपाठी को लाठियों से पीटा गया हैं वहीं मुरैना में एसडीओपी आरकेएस राठौर पर पत्थरों से हमला किया गया, जिससे वह चोटिल हो गए हैं।

ग्वालियर में धरी रह गई प्रशासन की तैयारी
वहीं ग्वालियर में बंद से निपटने के लिए पुलिस-प्रशासन ने पहले से तैयारी की थी। लेकिन, उग्र प्रदर्शन के आगे सारी तैयारियां धरी रह गईं। यहां प्रदर्शनकारियों ने शहर में चल रहे सार्वजनिक वाहनों से सवारियों को जबरन उतार दिया और सड़क चलती गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की। ग्वालियर में फैली हिंसा के दौरान एक युवक की मौत भी हो गई। भिंड में भी प्रदर्शनकारियों का भारी उपद्रव दिखाई दिया। यहां बंद समर्थकों ने दुकानों मे लूटपाट और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया। इसके साथ ही जिन दुकानदारों ने दुकानें खोली थीं उनसे प्रदर्शनकारियों ने मरापीट भी की। इस दौरान कुछ दुकानदारों के घायल होने की भी खबर आ रही है।

ग्वालियर-चंबल संभाग में भारी हिंसा को देखते हुए प्रशासन ने ग्वालियर, भिंड और मुरैना में कर्फ्यू लगाने के साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी हैं। मुरैना में बिगड़े हालात को देखते हुए आईजी चंबल भी मुरैना पहुंच चुके हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग के अलावा सीएम के गृहनगर सीहोर, टीकमगढ़, इंदौर, सिवनी, सागर आदि शहरों में भी बंद का भारी असर देखा गया। प्रदेश भर में फैली हिंसा के बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर प्रदेश में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग भी की है।

पत्रकार की मौत पर शिव’राज’ के मंत्री का विवादित बयान: बोले- सुरक्षा देने से नहीं बचती जान

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भिंड। पत्रकार संदीप शर्मा की ट्रक से कुचलकर मौत जिसे हत्या माना जा रहा है, उस पर शिवराज सरकार के मंत्री कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा सामान्य प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य के बयान से लग जाता है। मंत्री महोदय के मुताबिक पत्रकारों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। चंबल क्षेत्र से ही ताल्लुक रखने वाले सामान्य प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य, दिवंगत पत्रकार संदीप शर्मा के परिजनों से मिलने भिंड आये थे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों के कई सवालों के जवाब दिये।

सुरक्षा से जान नहीं बचती
जब उनसे संदीप की मौत का जिक्र करते हुए पत्रकारों की सुरक्षा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बड़े ही हल्के अंदाज में हंसते हुए कहा कि सुरक्षा का प्रश्न है तो किसी को सुरक्षा देने से जान नहीं बचती। कुछ लोग बड़े से बड़े हादसे से जिंदा लौट आते हैं जबकि कुछ लोग ठोकर खाकर गिरने भर से जिंदगी छोड़ देते हैं।

हालांकि बाद में अपने बयान को संभालते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा पर कदम उठाए जाएंगे। वहीं पत्रकार संदीप शर्मा के जिस स्टिंग की वजह से उनकी हत्या का संदेह जताया जा रहा है उस पर अभी तक कोई कार्रवाई न होने के सवाल का भी आर्य ने बड़ी ही बेतकल्लुफी से जवाब दिया।

स्टिंग की सत्यता पर उठाए सवाल
स्टिंग पर कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने इस स्टिंग की हकीकत पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि इन सभी चीजों की जानकारी जांच के बाद ही हो पाती है। उन्होंने अपना खुद का जिक्र करते हुए कहा कि मुझ पर भी कई आरोप लगे थे, लेकिन सच्चाई का पता जांच से ही लगा। उन्होंने आगे कहा कि कई बार चीजें दिखती कुछ और हैं जबकि जांच में उनकी सच्चाई पता चल पाती है।
शिवराज सरकार के एक ताकतवर मंत्री के बयान सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करने के लिए पर्याप्त हैं। पत्रकारों को सुरक्षा के गंभीर प्रश्न को तो मंत्री जी ने हंसी में टाल ही दिया। साथ ही जिस स्टिंग की वजह से पत्रकार संदीप शर्मा की जान चली जाने की आशंका जताई जा रही है, उसकी सच्चाई पर भी सामान्य प्रशासन मंत्री ने सवाल खड़े कर दिये।

भारत बंद: मप्र में फैली हिंसा,भिंड-मुरैना-ग्वालियर के कई हिस्सों में कर्फ्यू

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भोपाल/ग्वालियर। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद ने पूरे मध्यप्रदेश में हिंसक रूप ले लिया है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सबसे ज्यादा हिंसा हुई है। कई शहरों, नगरों में तोड़फोड़, आगजनी की घटनाएं हो रही हैं। जानकारी के मुताबिक इस हिंसा में 3 लोगों के मारे जाने की सूचना है। जबकि दर्जनों घायल हुए हैं। ग्वालियर के कई इलाकों में तोड़फोड़, पथराव, गोलीबारी और आगजनी की खबरें आ रही हैं वहीं भिंड में भीम सेना ने ट्रेन रोकने के लिए पटरी पर ही डेरा जमा लिया। बड़े पैमाने पर हो रही हिंसा के चलते ग्वालियर के मुरार, थाटीपुर, लहार, गोहद, मेहगांव सहित कई स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक ग्वालियर चंबल क्षेत्र में हिंसा की सबसे ज्यादा घटनाएं हो रही हैं। ये पूरा इलाका सुलग रहा है। जगह-जगह आगजनी और तोड़फोड़ की जा रही है। ग्वालियर के मुरार इलाके, हजीरा, सदर बाजार, ठाठीपुर सहित कई इलाकों में भयंकर तोड़फोड़ के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है। इतना ही नहीं टोल प्लाजा पर प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में तोड़फोड़ कर उनकी हवा निकाला दी जिससे गाड़ियां टोल नाके पर ही खड़ी हैं और लम्बा जाम लग गया है।

हालांकि बंद को देखते हुए रअऋ की अतिरिक्त कम्पनियां और बड़ी संख्या में पुलिस बल शहर के कई इलाकों में तैनात है, लेकिन हिंसक घटनाएं हो रही हैं। बाद में इरऋ को भी तैनात कर दिया गया है। गौरतलब है कि बड़ी संख्या में दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जाहिर करते हुए एक्ट में बदलाव किए। कोर्ट के इस फैसले पर दलित संगठन कानून को कमजोर करने की दलील दे रहे हैं और लगातार इसका विरोध कर रहे हैं।

आज का ई-पेपर

भिंड में ट्रेन रोकी
भिंड। ट्रेन को रोकने के लिए भीम सेना के लोगों ने पटरी पर डाला डेरा। प्रदर्शनकारियों ने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस रोकी। काफी समय तक ट्रेन यातायात बाधित रहा, बाद में इसे क्लियर किया गया। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी ट्रेक पर जमा हो गए हैं। वहीं मेहगांव में पथराव, गोहद में फायरिंग की घटनाएं हुई हैं। गोहद में 3 लोगों घायल होने की सूचना है।

मुरैना में भी पथराव
मुरैना। दलित संगठनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर हिंसा हो रही है। प्रदर्शनकारी आते-जाते लोगों पर पथराव भी कर रहे हैं। वहीं विरोध रैली के दौरान दुकानदार, आटो चालकों के साथ मारपीट, गाड़ियों में तोड़फोड़ और महिला सवारियों के साथ अभद्रता की शिकायतें मिल रही हैं। लाठियां लेकर प्रदर्शनकारी आते-जाते वाहनों में तोड़फोड़ कर रहे हैं।

इंदौर में भी प्रदर्शन
शहर में बंद समर्थकों ने बाइक पर मल्हारगंज, टोरी कार्नर, गोराकुंड, खजुरी बाजार और राजवाड़ा इलाके में लंबा जाम लग गया। यहां लोग कलेक्टर के दफ्तर पर पहुंचकर प्रदर्शन कर रहे हैं। आदिवासी सदस्यों ने सोमवार सुबह से पैदल व दोपहिया वाहनों से शहर का भ्रमण शुरू किया। इस दौरान दुकान एवं प्रतिष्ठान खोलने से पहले ही बंद करने की अपील की गई। बाद में कुछ दुकानें खुली तो उन्हें बंद करवाया गया।

इस दौरान जमकर नारेबाजी भी की गई। सदस्यों ने जनप्रतिनिधियों के घर पहुंचकर उन्हें नींद से जगाया और आंदोलन में शामिल होने की अपील की। शहर में विभिन्न स्थानों पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारी तैनात नजर आए स्थानीय सब्जी मंडी में वाद विवाद की स्थिति बनी एक घंटा मंडी चलाकर बंद करने पर मामला शांत हुआ।

सौदान के सवाल: शाह के निर्देशों पर अमल क्या चुनाव बाद…?

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राघवेंद्र सिंह
बारात दरवाजे पर खड़ी है। घरातियों में लड़की के पिता,भाई,मामा,चाचा,ताऊ और तमाम रिश्तेदारों सहित भाई बहनों के मित्र तक ईवेन्ट में जुटे हुए हैं पर कुछ काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। न तो पंडाल लगा है न पंगत की तैयारी है और न ही बारातियों की अगवानी के लिए सिर पर कलश सजाए मंगल गीत गातीं कन्याएं और महिलाएं भी नजर नहीं आ रहीं। बड़े घर की औरतों की तरह लोग लुगाईयें सजने धजने में लगी हैं। सभी समझ रहे हैं सब काम ईवेन्ट कंपनी को ठेके पर दे रखा है। सो सब वे ही कर लेंगे। मगर रिश्ते में मानदान का बड़ा महत्व होता है। जब तक समधी और समधिनें द्वारचार पर स्वागत न करें तो फिर काहे की बारात कैसी शादी और कैसे फेरे…

लोकतंत्र में जब साल चुनावी हो तो सियासी दलों के लिए बेटी के ब्याह से कम महत्वपूर्ण नहीं होता है। इसमें सत्ता पर काबिज दल और उसके नेता बारातियों से लेकर अतिथियों तक का स्वागत सत्कार नंबे डिग्री झुककर करते हैं और जरूरत पड़ने पर दूल्हा यानि मतदाता के खुर्राट जीजा और नखरैल फूफाओं का तो चरणों में सिर के साथ पगड़ी रखकर भी स्वागत करते हैं। मगर सत्ता में शामिल नेतागण ईवेन्ट मैनेजरों और उनकी टीम पर इतने निर्भर हो गए हैं कि भाजपा जैसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह छह महीने पहले जो निर्देशों की फेहरिस्त पढ़ गए थे उसका अभी तक अता पता नहीं है।

इसकी कलई तब खुली जब राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह तीन दिन के दौरे पर मध्यप्रदेश आए। उन्होंने जो सवाल किए उसपर प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान संगठन महामंत्री सुहास भगत औऱ उनकी टीम सनाके में थी। कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर सौदान सिंह ने कहा क्या अध्यक्ष के निर्देशों पर अमल चुनाव बाद होगा। उनके प्रति प्रश्न से संगठन के दिग्गज बगले झांकते नजर आए। यहीं से शुरू होती है प्रदेश भाजपा और उसके नेताओं के ढीठपन की कहानी। इससे पार्टी हाईकमान को सहज ही अंदाजा लग जाएगा कि दिसंबर 18 में होने वाले चुनाव में जिन मतदाताओं की बारात पार्टी के दरवाजे लगने वाली है उनके लिए रेड कार्पेट तो दूर पानी का पूछने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है।

बारातियों के नाराज होने पर क्या दुर्गति होगी यह हाल ही में संपन्न हुए कोलारस और मुंगावली विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार से साबित हो गया है। थोड़ा पीछे जाएं तो अटेर से लेकर चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव में भी भाजपा को बारातियों ने खारिज किया था। ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते अमित शाह ने चुनाव जीतने के जो नुस्खे सुझाए थे उन पर सत्ता में आने से पहले भाजपा 2003 तक अमल करती रही है। उन्ही का नतीजा है कि एंटी इंकमबेंसी के बाद भी 2013 का चुनाव भी उसने जीता और भारी बहुमत से सरकार बनाई। असल में पार्टी की हालत खराब है ये खबरें लंबे समय से आलाकमान तक पहुंच रही हैं। भाजपा शासित तीन हिन्दी भाषी राज्य- मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता संगठऩ सबके हाल बेहाल हैं।

अमित शाह ने इसी फीडबैक के आधार पर छह महीने पहले कार्यकर्ता और जनता का दिल जीतने के बहुत मामूली मगर असरदार नुस्खे बताए थे। जिनमें कार्यकर्ता सम्मेलन,जिला और मंडल स्तर पर समस्या निदान शिविर और भाजपा के सदस्यों का सम्मेलन प्रमुख थे। शाह ने यह सब इसलिए कहा था कि गुजरात में नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते इस तरह का जमीनी अभ्यास किया था। यही वजह थी कि गुजरात में मोदी के नेतृत्व में भाजपा को कोई हरा नहीं पाया। सौदान सिंह ने प्रदेश नेताओं से चर्चा के दौरान कहा था कि कार्यकर्ता सम्मेलन और समस्या निदान शिविर से जनता की समस्याएं सुलझेंगी और कार्यकर्ताओं को यह आभास होगा कि अपनी सरकार है जिसमें उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों को शिविर में लाकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिला

इसके पीछे का गणित यह है कि एक तो कार्यकर्ता में सरकार को लेकर अपनापन आएगा उसकी नाराजगी दूर होगी और वह जिन लोगों से पार्टी के लिए वोट मांगता है उनकी समस्याएं सुलझाकर वह यह साबित करेगा कि हमारी सरकार है तो वह हमारी सुनती भी है। असल में पिछले पांच सालों में भाजपा को मतदान केन्द्रों पर मजबूत करने के साथ जिताने वाला कार्यकर्ता नाराजगी से आगे बढ़कर बागी होने की स्थिति में आ गया है। उसके बगावती तेवरों को कोई मुख्यमंत्री और पार्टी नेतागण बदल पाने में पिछले चार उपचुनावों में तो असफल ही साबित हुए हैं।

इस नजाकत को समझते हुए पार्टी हाईकमान चिंतित है मगर उसकी चिंता में प्रदेश इकाई शामिल और सहमत होती हुई नजर नहीं आती। यही वजह है कि सौदान सिंह की तीन दिन यात्रा वैसे तो रूटीन दौरे में शामिल की जा रही है लेकिन चुनावू साल में इसका जबरदस्त महत्व है। उनके फीडबैक के बाद पार्टी हाईकमान यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि अमित शाह के निर्देशों की एक राज्य में धज्जियां उड़ा दी जाएं। पार्टी के शुभचिंतक अपेक्षा कर रहे हैं कि अब कोई बड़ा बदलाव होगा। लेकिन संगठन में शामिल लोग इसे बुरी आशंका मान रहे हैं। अभी तक शाह एंड कंपनी भी मध्यप्रदेश समेत राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार और संगठन के स्तर पर कोई धमाकेदार निर्णय नहीं कर पाई है।

इसे शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कमजोरी के रूप में देखा जा रहा है। एक बात साफ है कि अमित शाह कोई भी निर्णय मोदी से हरी झंडी मिलने के बाद ही लेते हैं या उनकी सहमति के बिना पत्ता भी नहीं हिलाते हैं। अच्छी बुरी खबरों के बीच मध्यप्रदेश को लेकर अनिर्णय के हालात हैं। पार्टी में अनिश्चितता और कार्यकर्ताओं में बेचैनी का माहौल और भी गहरा कर दिया है। सबको पता है प्रदेश प्रभारी के रूप में नए नेता की तलाश लंबे समय से हो रही है। पार्टी को न तो नए प्रभारी मिले हैं और पुराने प्रभारी सक्रिय हैं। राजस्थान के बाद सबसे खराब हालत छत्तीसगढ़ भाजपा की भी है।

जो सुधार मध्यप्रदेश के लिए जरूरी है उनकी जरूरत छत्तीसगढ़ में उतनी गंभीरता से महसूस की जा रही है। सौदान सिंह छग के प्रभारी हैं इसलिए जो बातें मप्र के नेताओं के लिए की है उसे छग में भी लागू किया जाना महत्वपूर्ण है।नहीं तो परउपदेश की तरह उनकी बातों को माना जाएगा।  भाजपा की तरह कांग्रेस में भी नेतृत्व के मामले में अनिश्चितता का माहौल है। चुनाव के लिए कोई दूल्हा तय नहीं हो रहा है। नेतृत्व के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर कमलनाथ,अजय सिंह राहुल शेरवानी सिलवाए घूम रहे हैं। इधर राहुल गांधी की ताजपोशी होने के बाद भी मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कौन चुनावी चेहरा होगा, कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए चिंता में डाले हुए है। इन तीनों राज्यों में पार्टी के नेताओं ने जनता के हित में पिछले पन्द्रह वर्षों में खून बहाना तो दूर पसीना तक बहाने से परहेज किया है। ऐसी सुस्ती और सियासत के मामले में वितरागी हुए नेता अब फिर लड़की के पिता और भाई बनने की बजाए दूल्हा बने फिर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस की हालत पर मशहूर शायर दुष्यंत कुमार का ये शेर खासा मौजू है-
तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं

नर्मदा के नाम पर टूटे नेताओं के तटबन्ध
मां नर्मदा को भले ही सत्ता और उसके बेटे मार रहे हों मगर उनमें आस्था रखने वाले नेताओं को वे आपस में मिला रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा 9 अप्रैल को संपन्न हो रही है। इसमें धर्म के साथ खासबात ये रही कि महाकोशल क्षेत्र में भाजपा के वरिष्ठ सांसद पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटैल द्वारा दिग्विजय सिंह से भेंट करना सियासत में सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि इससे पहले मालवा के धार इलाके में जब दिग्विजय सिंह परिक्रमा करते हुए पहुंचे तो प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विक्रम वर्मा ने भी उनका गले लगकर स्वागत किया था। इससे पहले मुख्यमंत्री के गृह ग्राम जैत में भी सीएम के अनुज नरेन्द्र सिंह ने स्वागत किया था।

सौदान के बाद तोमर ले रहे फीडबैक
मध्यप्रदेश को लेकर भाजपा नेतृत्व चिंतित है।पिछले दिनों भोपाल,उज्जैन और मंदसौर की यात्रा पर आए केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पार्टी नेताओं से संगठऩ,सरकार के मसले पर बातचीत की। इसे आलाकमान की तरफ से बदलाव के पूर्व फीडबैक का हिस्सा माना जा रहा है। अनुमान है कि मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान भाजपा में भी बड़ा बदलाव दस अप्रैल के पूर्व कर दिया जाएगा। श्री तोमर दो बार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं और दो चुनाव में उन्होंने यह दायित्व निभाकर पार्टी की सरकार बनाने में अहम रोल अदा किया था। निर्विवाद नेता नहीं मिलने की स्थिति में तोमर को ही कोई महत्वपूर्ण दायित्व दिए जाने के भी आसार हैं।


लेखक IND 24 के समूह प्रबंध सम्पादक हैं।)

सब्जी तरकारी-दिन

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भोपाल। ‘इंडियन फूड अबर्जन्स डे’ रूसीना ए. घिलड़ियाल द्वारा शुरू किए गए हैं। इस प्रयास का मकसद है कि भारतीय व्यंजनों की इतनी वैरायटीज को एक्सप्लोर करना, नानी, दादी द्वारा सिखाई गई इन डिशेस को दुनिया के सामने लाना है जो लुप्त होती जा रही है। एवं इन दिशेस से न्यू एवं इन्नोवेटिव डिशेस को कैसे तैयार किया जाता है यह भी सिखाया जा सकता है।

इससे पूर्व में लड्डू डे, पापड़ वड़ी डे, अचार डे, चाय पकोड़ा दिवस और पुलाव बिरयानी डे इसके साथ ही अन्य कई डे भी मना चुके हैं। फूड में हमेशा नई क्रिएटिविटी करने वाली फूड ब्लॉगर मुद्रा केशवानी ने सब्जी तरकारी डे पर स्पेशल गैदरिंग का आयोजन किया। घिलड़ियाल के साथ कॉलेबोरेट किया। ये गैदरिंग में फूड आब्सर्वेन्स-डे को सेलीब्रेट करने के लिए आयोजित की गई।

इस गेट टू गेदर में उन्होने कुछ सिंधी डिशेस को इन्नोवेट करते हुए लौकी की कोकी और सिंधी कढ़ी बनाई। लौकी की कोकी को घिस कर मसालों के साथ तैयार किया जाता है। कोकी एक तरह का सिंधी पराठा होता है। वहीं सिंधी कढ़ी इमली और बेसन को मिलाकर तैयार की जाती है।

जिसमें खूब सारी सब्जियां काट कर डाली जाती है। इसमें खासकर गोभी, टमाटर, आलू, टिंडे, ग्वारफली और भिंडी डाली जाती है। सिंधी कढ़ी के साथ चावल और लाप्सी या बूंदी के साथ सर्व किया जाता है। इस प्रोग्राम में जो भी सब्जी इस्तेमाल की गई थी वह सभी सब्जियां सुपर मार्केट के बजाय मंडी से खरीदी गई थी।

हर सब्जी का वेस्टेज न करते हुए रूट टू टिप इस्तेमाल किया गया
भारतीय खने में भी अनगिनत वेरायटी है। यहां हर घर में खाने के टेस्ट के साथ रेसीपिज में भी ढेर सारी वेरिएशंस देखने को मिल जाती है। मैंने ये फूड गेट-टू-गेदर इसीलिए रखी की ताकी हमें भी दादी-नानी के सीक्रेट नुस्खे जानने को मिलें। मेरा प्रयास था कि मैं लोकल सब्जियों से ऐसी रेसिपी तैयार करूं जो अक्सर लोगों को पसंद नहीं आती है। इसीलिए सब्जी को ऐसा ट्विस्ट दें कि वह टेस्टी बन जाए। इसमें फूड के साथ बहुत सारे एक्सपेरिमेंट्स किए जा सकते हैं। इसके साथ ही साथ हम चाहते हैं कि फूड का वेस्टेज ना हो। सब्जियों को रूट से टिप तक इस्तेमाल किया जाए।
मुद्रा केसवानी, फूड ब्लॉगर
द सुपर चटोरी

 

सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 12 आतंकवादी ढेर, 3 सैनिक शहीद

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में रविवार को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में 12 आतंकवादी मारे गए, और तीन सैनिक भी शहीद हो गए। इसके अलावा दो नागरिकों की भी मौत हो गई है। पिछले साल मई में लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या करने वाला आतंकवादी भी मृतकों में शामिल है। 12 आतंकवादियों में से 10 शोपियां जिले में हुई दो मुठभेड़ों में मारे गए, जबकि एक आतंकवादी अनंतनाग जिले में मारा गया। इस मुठभेड़ को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच सबसे भीषण मुठभेड़ माना जा रहा है।

आतंकवादियों के मारे जाने की खबर फैलने के बाद इलाके में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। स्थानीय लोगों के घरों से निकल कर सड़क पर उतर आने से सुरक्षाबलों की परेशानी और बढ़ गई। सेना, पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने कहा कि दिन के अंत तक 12 आतंकवादियों, तीन सैनिकों और दो नागरिकों की मौत हो चुकी थी।

एक आतंकी गिरफ्तार
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अनंतनाग के दियालगाम में एक आतंकवादी मारा गया, जबकि एक अन्य आतंकवादी गिरफ्तार किया गया। वहीं शोपियां के द्रागढ़ गांव में सात आतंकवादी और कचदूरा गांव में तीन आतंकवादी मारे गए। द्रागढ़ और कचदूरा में एक-एक नागरिक भी मारे गए।

सेना ने किया विशेष काम
सेना की श्रीनगर में 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट ने पुलवामा के अवंतीपुरा में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारे सभी सुरक्षा बलों के लिए आज का दिन बहुत विशेष है।’
उन्होंने कहा, ‘हमने दो अभियानों में आठ आतंकवादियों को मार गिराया और तीसरे स्थान पर आतंकवादियों के खिलाफ मुठभेड़ जारी है।’ बाद में इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी और मार दिए गए।