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होटल सायाजी में चल रहा सीजलर फेस्टीवल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना

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शशी कुमार केसवानी
सीजलर की शुरुआत हिंदुस्तान में 1963 में हुई थी। फिरोज इरानी द्वारा मुंबई में इसको एक नए स्वरूप में तैयार किया। यह सबसे पहले मुंबई में आया था। जो अमेरिकी खाने से प्रेरित था। तब से इस देश में कई सीजलर होटल अलग से बन गए। जिनकी देश में एक अलग पहचान है। सीजलर खाने के लोग बहुत शोकीन होते है। सीजलर अब बारिश में खाने का एक अलग ही आनंद होता है। भोपाल के होटल सायाजी में चल रहा सीजलर फेस्टीवल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वैसे भी भोपाल में सायाजी अलग पहचान रखता है। पूलसाईड डिनर का मजा अलग ही है। साथ में बारिश का मौसम, ऊपर से गरमागरम सीजलर मिल जाए बस मजा ही आ जाता है।

30 जुलाई तक चलने वाला यह फेस्टीवल भोपाल वालों के लिए एक सुनहरा अवसर है जहां भोपाल में सीजलर का चलन बहुत कम है हालांकि लोगों को सीजलर खाना बहुत पसंद है और साथ में बारह तरह के सीजलर वेज नॉनवेज मिल जाए तो मजा ही आ जाता है। साथ में बुफे डिनर जिसमें बहुत तरह का खाना परोसा गया है। गजल सुनते हुए खाने का मजा और भी बढ़ जाता है। ऊपर से अनेकों तरह के मीठे मिल जाए तो यह लगता है कि जीवन में जैसे कुछ मिठास सी घुल गई है। ऐसे सुहाने मौसम में सीजलर का मजा उठाना बनता है। इस सबको तैयार करने के लिए होटल के जीएम एंड डॉयरेक्टर विनोद त्रिपाठी के अथक प्रयास है। साथ ही साथ शेफ की एक लंबी टीम भी काम कर रही है।

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी

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TIO BHOPAL

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भले ही जे.पी. नड्डा हों, लेकिन पार्टी के नेताओं में खौफ तो गृहमंत्री अमित शाह का ही है। यह शाह के आंखे तरेरने का ही असर है कि मध्यप्रदेश भाजपा ने एकदम गति पकड़ ली है। पिछले दिनों अपने भोपाल प्रवास के दौरान शाह ने एक नहीं अनेक मुद्दों पर मध्यप्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं के सामने तीखे तेवर दिखाए थे। शाह के पास जो फीडबैक था, उसके आधार पर उन्होंने एक के बाद एक कई सवाल दागे और जब संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो फटकारने में भी पीछे नहीं रहे। शाह की बात पर गौर करें तो मध्यप्रदेश में भाजपा चुनावी तैयारियों के मामले में अभी अप-टू-द मार्क नहीं है। देखते हैं आगे क्या होता है।

आखिर छलक ही गया ताई का दर्द

इंदौर से आठ बार सांसद रही सुमित्रा महाजन सार्वजनिक तौर पर कम ही टीका-टिप्पणी करती हैं, लेकिन जब भी बोलती हैं, चर्चा में आ जाती हैं। पिछले दिनों वे रेलवे के एक कार्यक्रम में शामिले होने सांसद शंकर लालवानी के साथ पहुंची थी। कार्यक्रम के बाद जब वे मीडिया से मुखातिब हुईं तो राजनीति में परिवारवाद का विषय भी चर्चा में आ गया। ताई पहले तो सुनती रही, लेकिन जब बेटे मिलिंद महाजन के टिकट का मुद्दा उठा तो तपाक से बोली मैं तो सालों पहले भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव थी, चाहती तो तब ही बेटे को टिकट दिलवा देती। गौरतलब है कि इसी भूमिका में रहते हुए कैलाश विजयवर्गीय 2018 के चुनाव में बेटे आकाश का टिकट लाने में सफल रहे थे। वक्त-वक्त की बात है।

मायने रखता है नकुलनाथ का कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री कहना

यदि यह पूछा जाए कि प्रियंका गांधी की ग्वालियर यात्रा में खास क्या रहा, तो दो ही बात कह सकते हैं। एक तो अपने संबोधन में प्रियंका का यह कहना कि कमलनाथ जी जब आप मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनो तो यह काम जरूर कर देना ….। दूसरा यह कि सांसद नकुलनाथ को लंबा भाषण देने का मौका मिला, जिसकी शुरुआत में उन्होंने प्रियंका गांधी के बाद अपने पिता का जिक्र करते हुए उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही भावी मुख्यमंत्री भी कहा। दोनों बातों को वर्तमान संदर्भ में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वैसे कमलनाथ की भावी भूमिका को देखते हुए जो कहा गया है, उसमें कुछ भी गलत नहीं है। बाकी तो दिग्विजय सिंह ही बता सकते हैं।

बड़ी खबर आ सकती है 27 सफदरजंग से

27 सफदरजंग यानि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का निवास। इस निवास पर 2019-20 के दौर को छोड़ दिया जाए तो सिंधिया परिवार का ही मुकाम रहा है। पहले माधवराव सिंधिया और बाद में सांसद बनते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां काबिज हुए। 2019 का चुनाव हारने के बाद जब सिंधिया को यह मकान खाली करना पड़ा तो उनका दर्द छलक पड़ा था। भीतरखाने से यह बात छनकर आ रही है कि आने वाले दिनों में यहां से कोई बड़ी खबर सुनने को मिल सकती है। खबर क्या रहेगी, इसकी बिलकुल भनक नहीं लग पा रही है। ठीक है थोड़ इंतजार और करते हैं।

हकीकत जानने का यह एक अलग अंदाज है

चुनाव के पहले अपनी मैदानी हकीकत जानने के लिए भाजपा और कांग्रेस के नेता अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन पूर्व मंत्री और कटनी से विधायक संजय पाठक ने एक अलग ही राह पकड़ ली है। संजय ने तय किया है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव की तर्ज पर मतदान करवाते हुए लोगों की राय लेंगे। इस रायशुमारी में यदि उन्हें 51 प्रतिशत से कम मत प्राप्त हुए तो वे खुद को टिकट की दौड़ से ही बाहर कर लेंगे। है ना यह एक अलग अंदाज। अब देखना यह है कि रायशुमारी का नतीजा क्या आता है।

देखते हैं इस बार भी किसी को मौका मिलता है या नही

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पद पर लंबे समय से वकील कोटे से नियुक्ति नहीं हुई है। ‌ मध्य प्रदेश से जो नाम आगे बढ़ाए गए थे वह आपसी खींचतान में ही उलझ कर रह गए और इसी बीच जज कोटे से दो बार नियुक्तियां हो गई। ‌ अब एक बार फिर वकील कोटे से नियुक्तियों को लेकर सुगबुहाट है। इंदौर से भी 2 वकीलों की इन पदों के लिए दावेदारी है देखते हैं किसे मौका मिल पाता है। ‌

चलते-चलते

ढाई साल पहले जब शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री पद पर फिर से काबिज हुए थे, तब से मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का एकतरफा दबदबा रहा। उनकी इच्छा के बिना नौकरशाही में पत्ता भी नहीं खड़कता है। मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री के सामने सिर पटक-पटक कर रह गए, लेकिन मुख्य सचिव ने जो चाहा वही किया। लेकिन रिटायरमेंट के पहले जब बैंस का सामना एक मामले में एक संवैधानिक प्रमुख से पड़ गया और जो तेवर माननीय ने दिखाए उसने मुख्य सचिव को भी बैकफुट पर ला दिया।

पुछल्ला

इंदौर नगर निगम चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय के गृह बूथ पर भाजपा उम्मीदवार मुन्नालाल यादव बहुत कम वोट से जीत पाए थे। पार्टी ने इसे बहुत गंभीरता से लिया और इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों कैलाश जी के पुत्र विधायक आकाश विजयवर्गीय एक सप्ताह तक सब काम छोड़कर इस बूथ के घर-घर घूमे, कहीं चाय पी, कहीं नाश्ता किया, तो कहीं भोजन और यह जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। बात ज्यादा बड़ी नहीं है, पर इससे समझ में आता है कि दिल्ली में बैठे भाजपा के दिग्गजों की नजर कितनी पैनी है।

बात मीडिया की

कभी बेहतर वर्क कल्चर और संस्कारों के लिए पहचाने जाने वाले प्रमुख हिंदी दैनिक नईदुनिया में काम के बदतर हालातों की चर्चा तो थी, लेकिन अब असंतोष और हालात जाहिर होने लगे हैं। एक के बाद तमाम पुराने पत्रकार नईदुनिया छोड़ रहे हैं। आरोपों के घेरे में स्टेट एडिटर सद्गुरुशरण अवस्थी हैं। बीते सप्ताह में दो वरिष्ठ पत्रकारों ने संस्थान छोड़ दिया। पहले सिटी चीफ जितेंद्र यादव ने संस्थान छोडऩे की घोषणा करते हुए ईमेल कर दिया। उसके अगले दिन नगर निगम और कोर्ट बीट देखने वाले सीनियर रिपोर्टर कुलदीप भावसार ने काम खत्म कर घर जाते हुए इस्तीफा ईमेल कर दिया। दरअसल समूह संपादक अवस्थी ने बैठक में जाते हुए कुलदीप से पहले उनके बच्चों की उम्र पूछी और फिर कह दिया कि छुपकर मोबाइल क्यों देखते हो। इसके साथ ही कुछ ऐसी टिप्पणियां की जिससे आहत होकर भावसार ने इस्तीफा दे दिया। इससे पहले अवस्थी के व्यवहार, बदजुबानी, निजी मामलों में टीका टिप्पणी और काम में दखलंदाजी के चलते बीते दिनों सिटी चीफ अभिषेक चेंडके, नवीन यादव, गजेंद्र विश्वकर्मा, अमित जलधारी, देवेंद्र मीणा, विपीन अवस्थी और एकमात्र महिला रिपोर्ट सुमेधा पुराणिक भी नईदुनिया छोड़ चुकी हैं। डेस्क से मनीष जोशी, ऋषि यादव और आनंद भट्ट ने स्टेट एडिटर के रवैये से नाराज होकर संस्थान को अलविदा कह दिया। फ्रंट पेज देख रहे सीनियर सब एडिटर अमित भटनागर भी अवस्थी के बर्ताव से नाराज होकर छुट्टी पर चले गए हैं।

दैनिक भास्कर भोपाल के संपादक के दायित्व से मुक्त हो चुकी उपमिता वाजपेयी की नई भूमिका क्या होगी, इसे लेकर मीडिया जगत में बड़ी चर्चा है। एक खबर यह आ रही है कि वे अमर उजाला के वाराणसी संस्करण की संपादक हो सकती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि लोकसभा चुनाव तक वे पीएमओ से संबंधित किसी महत्वपूर्ण असाईनमेंट पर काम करेंगी। उपमिता के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय होने की संभावना बताई जा रही है।

वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त शर्मा ने एसीएन न्यूज को अलविदा कह दिया है। वे अब पीपुल्स समाचार के इंदौर संस्करण में संपादक और यूनिट हेड की भूमिका निभाएंगे। हेमन्त पहले भी पीपुल्स समाचार में सेवाएं दे चुके हैं।

अभी तक पीपुल्स समाचार में संपादक और यूनिट हेड की भूमिका निभा रही नेहा जैन अब इसी अखबार में एडिटर इनपुट की भूमिका में आ गई हैं। नेहा हेल्थ बीट की अच्छी रिपोर्टर मानी जाती है।

लंबे समय से संसद टीवी में सेवाएं दे रहे इंदौर के दो युवा पत्रकार पराक्रम सिंह शेखावत और संध्या शर्मा अब डीडी न्यूज की टीम का हिस्सा हो गए हैं। ये दोनों इंदौर में अलग-अलग मीडिया संस्थानों में सेवाएं दे चुके हैं।

कुछ साल पहले ट्रेनी रिपोर्टर के रूप में इंदौर में एबीपी न्यूज में सेवाएं देने वाले अजय दुबे ने अब अमर उजाला डिजिटल ज्वाइन कर लिया है। वे इंदौर के बाद महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा उत्तर प्रदेश में एबीपी न्यूज में रिपोर्टर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।

जहानुमां पैलेस में स्ट्रीट फूड फेस्टीवल का सुहाने मौसम में मजा ही अलग है

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शशी कुमार केसवानी


रेस्टोरेंट में बैठकर खाने का मजा आता ही है। पर स्ट्रीट फूड का नाम सुनते ही मन ललचा जाता है। अगर अच्छे रेस्टोरेंट में स्ट्रीट फूड मिल जाए और साफ-सुथरे वातावरण में तो इसे कहते है सोने पर सुहागा। जी हां भोपाल के होटल जहानुमां पैलेस के कैफेचीनों में इन दिनों स्ट्रीट फूड फेस्टीवल चल रहा है।


जहां आप सड़क पर खड़े होकर नहीं खा सकते वो व्यंजन आपको अगर एक सुहाने वातावरण में मिल जाए तो मजा ही आ जाएगा। 27 जुलाई तक चलने वाले इस फेस्टीवल में कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन है। इनमें फर्सन ढोकला, पाव भाजी, बाम्बे बड़ा पाव, बनमस्का बिथ इरानी चाय, भेलपुरी, बाम्बे मसाला ढोसा, मेसूर मसाला ढोसा, रंगड़ा पेटिस, आंध्रा फिश फ्राई, कांदा भाजी बिथ मसाला चाय, चिकन 65, बेदा रोटी, मालवानी सूखा प्रॉन विथ बटर पाव, घी मटन रोस्ट बिथ मलबारी पराठा जैसे कई व्यंजनों का आप स्वाद इन दिनों एक शानदार वातावरण में ले सकते है।

प्रियंका तो बहाना था महाराज को ललकारना था…

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राघवेंद्र सिंह

मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति इन दिनों ग्वालियर -चंबल और विंध्य क्षेत्र के बीच केंद्रित हो रही है। ग्वालियर राजघराने और राघोगढ़ के बीच सम्बन्ध सामान्य कम तनावपूर्ण ज्यादा रहे। लेकिन दोनों घरानों के मुखिया जब तक कांग्रेस में रहे उनके तनावों ने मर्यादा की सीमा को छुआ जरूर मगर उसे पार नही किया। अब ऐसा नही है। हालात बदल गए है। कमलनाथ सरकार में कथित रूप से उपेक्षित और सार्वजनिक रूप से ‘सड़क पर उतर जाएं’ जैसे वाक्यो से आहत महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ नाथ की सरकार गिरा दी थी। इसके बाद राघोगढ़ के राजा रहे दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर-चंबल से लेकर उज्जैन तक सिंधिया घराने को चुनौती देने का ताना-बाना बुनना शुरु कर दिया। सब जानते हैं कि दिग्विजय सिंह जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की जमावट करने में माहिर हैं। कांग्रेस हाईकमान से सिंधिया के खिलाफ फ्री हैंड मिलने पर ग्वालियर में प्रियंका गांधी की सभा को प्रभावी बनाकर साबित कर दिया ग्वालियर के गढ़ में भी महाराज को एक राजा ललकार सकता है। इस दौरान जयवर्धन सिंह ने ग्वालियर संभाग में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ताओं से तालमेल के साथ काम कर प्रियंका गांधी की सभा की सफलता के लिए काम किया। इसे संगठन के मामले में उन्हें अपने पिता दिग्विजय सिंह से मिली ट्रेनिग के नतीजे के रूप में देखा जा रहा है। पिछले दिनों प्रियंका गांधी की जबलपुर की सभा से भी ग्वालियर की तुलना की जा रही है। विश्लेषक कहते हैं जबलपुर की सभा के फीकेपन से उदास कांग्रेस को ग्वालियर ने उत्साहित कर दिया है। दूसरी तरफ भाजपा ने ग्वालियर चंबल क्षेत्र में अपनी रणनीति बदलने पर विचार करने को मजबूर किया। ऐसा लगता है आने वाले दिनों में सिंधिया के साथ नरेंद्र सिंह तोमर की जोड़ी ग्वालियर क्षेत्र में मैदानी स्तर पर काम करेगी और सिंधिया समर्थक नेता कार्यकर्ताओं को भाजपा में मिश्री की तरह घुल जाने की हिदायतें भी मिलेंगी। दिग्विजयसिंह की संगठन शक्ति ने भाजपा के दिग्गजों को चिंता में डाल दिया है।
एक जमाने में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता रहे अर्जुन सिंह की संगठन क्षमता के पीछे दिग्विजय सिंह बुनियाद के रूप में काम करते थे और उनके सहयोगी होते थे पूर्व मंत्री हरवंश सिंह। उम्र के जिस पड़ाव पर उस लिहाज से लगता है दिग्विजयसिंह ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है। इससे कांग्रेस का सत्ता में वापसी का रास्ता साफ होगा और उनके पुत्र जयवर्धन सिंह की कांग्रेसजनों के बीच प्रदेश व्यापी नेता के रूप में स्वीकार्यता होगी। इस मामले में कमलनाथ अपने पुत्र नकुलनाथ को स्थापित करने को लेकर थोड़ा जल्दबाजी में दिखते हैं। वे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा और महाकौशल में मजबूत करने के बजाए सीधे प्रदेश स्तर पर स्थापित करने में लगे दिखते हैं। ग्वालियर में प्रियंका गांधी की सभा को नकुलनाथ से सम्बोधित कराना भी इसी जल्दबाजी भरी रणनीति का हिस्सा लगता है। पुत्रों की राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए इस समय दिग्विजय सिंह की रणनीति बेहतर समझी जा रही है।

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विक्रम और वेताल…
वैसे तो राजा विक्रमादित्य के किस्से और कहानियां सबने खूब पढ़ी, सुनी और टीवी सीरियल्स में देखी होंगी। इनमे मशहूर किस्सों में याद आते हैं विक्रम और वेताल। राजनीति में दल और दलों की दल दल में अनेक वेताल दृश्य और अदृश्य हैं। लेकिन वे अपने नेताओं से लेकर समर्थकों की पीठ पर रसमलाई खाने के सवालों और पहेलियों को सुनाते हुए वैसे ही सवार हैं जैसे कभी विक्रम की पीठ पर वेताल लद जाया करता था। चुनाव है तो कई वेताल अपने अपने विक्रम की पीठ पर लदने के लिए हवा में तैरते दिख रहे हैं। इसमे वेतालों को टिकट दिलाने से लेकर जिताने के सवाल भी हवा में हैं। कांग्रेस में पीसीसी चीफ कमलनाथ और फील्ड मार्शल वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के ऊपर कई वेताल सवारी कर रहे हैं। इसमे सीएम शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुदनी से लेकर विंध्य और चंबल इलाके में विधान सभा से टिकट चाहने वाले ‘वेताल’ शामिल हैं। दरअसल बुदनी में ऐसे वेताल कांग्रेस से प्रत्याशी बनना चाहते हैं जो संघर्ष के नाम पर पिछले बीस बरस में बीस तो क्या सरकार के खिलाफ दो आंदोलन भी नही कर पाए। अब चुनाव है तो कांग्रेस के सबसे सक्रिय नेता दिग्विजय सिंह को विक्रम बना उनकी पीठ पर सवार हो टिकट की गारंटी चाहते हैं। ऐसे नेतागण न तो जनहित मे सड़क पर उतरे और न कार्यकर्ताओं के लिए उनके साथ नजर आए। कांग्रेस में ऐसे नेताओं को वेताल की संज्ञा दी जा रही है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेताओं के बंगले पर वेतालों की संख्या खूब दिखाई पड़ती है।


विभाग भी तय होने लगे…
मप्र में सरकार का गठन दिसंबर में होना है । कांग्रेस में नेताओं ने मान लिया है कि राज्य में सरकार बन रही है। इसे कहते हैं सकारात्मक सोच। इससे भी आगे नेताओं का यह मानना कि उन्हें टिकट मिल रहा है और आसमान छूती उम्मीदें यह हैं कि वे चुनाव जीत रहे हैं। यहां तक भी ठीक लेकिन इसके भी आगे की बात यह है कि उन्हें मन्त्रिमण्डल में जगह मिल रही है और विभाग उनके हिसाब से तय होंगे। अब ऐसे में तो टिकट देने वालों से लेकर वोटर माई बाप और मुख्यमंत्री बनने वाले नेताजी की भी भूमिका नगण्य सी लगती है। इसे कहते हैं पंख लगाकर उड़ती उम्मीदें और नेताओं के हौंसले…
हमारी सबको शुभकामनाएं…

महाराष्ट्र विज कंत्राटी कामगार संघ की की मांग

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लंबित अनुसूची उद्योगों में संशोधित न्यूनतम मजदूरी दरें तुरंत घोषित करें, बिजली उद्योग में अनुबंध श्रमिकों के लिए अलग अनुसूची के अनुसार संशोधित मजदूरी दरें लागू की जाएं।
TIO PUNA

महाराष्ट्र राज्य में, श्रमिकों के लिए 65 से अधिक विभिन्न अनुसूचियों के अनुसार न्यूनतम मजदूरी दरें तय की जाती हैं, जिसमें मुद्रास्फीति, कीमतों के आधार पर हर पांच साल में न्यूनतम मजदूरी दरों को संशोधित करने के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू करना अनिवार्य है। आवश्यक वस्तुओं आदि की लेकिन महाराष्ट्र के 15 उद्योगों में न्यूनतम मजदूरी दरें समाप्त होने के बाद भी 7/8 वर्षों के लिए संशोधित मजदूरी दरें आज तक लागू नहीं की गई हैं। इसलिए, विभिन्न अनुसूची उद्योगों में हजारों श्रमिक संशोधित मजदूरी दरों से वंचित हैं। चूँकि सरकार ने समय पर न्यूनतम वेतन में संशोधन नहीं किया, इसलिए श्रमिकों को काफी आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा। वर्तमान आय में न्यूनतम आवश्यकताएं भी पूरी करना कठिन हो गया है। अत: अंतर सहित लंबित संशोधित मजदूरी दर की मांग महाराष्ट्र विज संविदा कामगार संघ (संबद्ध भारतीय मजदूर संघ) द्वारा श्रम कार्यालय में माननीय श्रम आयुक्त महाराष्ट्र राज्य माननीय श्री सतीश देशमुख को सौंपी गई है। आयुक्त बांद्रा मुंबई।श्रमिकों की विभिन्न शिकायतें प्रस्तुत की गई हैं।

इसी तरह, बिजली उद्योग की कंपनियों में 40,000 से अधिक कर्मचारी स्थायी कर्मचारी के रूप में अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हैं. कारखाना अधिनियम, 1947 के तहत कारखानों के तहत महानिर्मिति में ठेका श्रमिक और महापरेपन कंपनी और महावितरण में ठेका श्रमिक
दुकान अधिनियम के अनुसार न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है। विद्युत क्षेत्र में श्रमिकों द्वारा किये जाने वाले कार्य, खतरे की संभावना, कार्य करते समय आवश्यक विशेष ज्ञान, कौशल, कौशल, दुर्घटना दर, उच्च विद्युत भार, खतरनाक उद्योग, इन श्रमिकों को अनुबंध श्रमिकों के लिए एक शेड्यूल बनाना होगा विद्युत उद्योग के लिए एक अलग अनुसूची के अनुसार श्रमिकों को संशोधित मजदूरी दर, मुद्रास्फीति भत्ता, मकान किराया भत्ता, खतरनाक उद्योगों में भत्ता निर्धारित किया जाना चाहिए और न्यूनतम मजदूरी दरें तय करके श्रमिकों को लाभ प्रदान किया जाना चाहिए। और मांग की गई है कि वर्तमान न्यूनतम वेतन अधिसूचना दरों की घोषणा अवधि समाप्त होने से पहले की जानी चाहिए और इस मुद्दे पर महाराष्ट्र विद्युत कंत्राटी कामगार संघ के पदाधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए। ज्ञापन के माध्यम से यह जानकारी दी गई है इस अवसर पर महाराष्ट्र विज कंत्राटी कामगार संघ के अध्यक्ष निलेश खरात, महासचिव सचिन मेंगाळे, कार्यकारी अध्यक्ष अमर लोहार, उपमहामंत्री राहुल बोडके और कोषाध्यक्ष सागर पवार उपस्थित थे।

रेंजर सहित वन अमले पर हमला करने वाले चार आरोपी गिरफ्तार

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TIO HUNY DUBY

सागर-जंगल में निरीक्षण के दौरान रेंजर सहित वन अमले पर हमला किया था चार आरोपी गिरफ्तार
सागर जिले के रहली के नौरादेही सिंगपुर रेंज अंतर्गत खपराखेरा के जंगल में रेंजर सहित वन अमले पर हमला करने वाले चार आरोपियों को वन अमले ने गिरफ्तार कर लिया है।
मामले के दो आरोपी फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। बताया जा रहा है कि करीब 7 माह पहले जब रेंजर सौरभ जैन दो टीमों के साथ जंगल का निरीक्षण कर रहे थे। तब जंगल में दो लोग कुल्हाड़ी और लाठी लिए घूमते दिखे। शिकार की आशंका के चलते वन अमले ने इन्हें रोकने की कोशिश की, तो वे भागने लगे। जब अमले ने इनको पकड़ना चाहा, उन्होंने उन पर कुल्हाड़ी से हमला बोल दिया। इस दौरान दो और आरोपी आ गए और इन चारों ने मिलकर वन अमले के साथ मारपीट शुरू कर दी। जिससे रेंजर सौरभ जैन, दो बीट गार्ड और वाहन चालक घायल हो गए। घटना के बाद वन अमले ने पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया। बताया जा रहा है कि जब लंबे समय बाद यह चारों आरोपी वन अमले को बस स्टैंड के पास दिखे तो अमले ने इन चारों आरोपियों को दबोच कर गिरफतार कर लिया।

रीति-रिवाजों, परंपराओं और भारतीय ग्रामीण जीवन शैली से प्रभावित होकर बनाई गई है पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स:

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TIO MUMBAI

फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ का फिल्मांकन और उसकी कहानी कई मायनों में एक सिनेमाई क्रांति लाएगी । यह पांच अलग-अलग दिलचस्प और बेहतरीन कहानियों पर आधारित है, जो आपस में संबंधित है। इसे चंदेरी जैसे छोटे से शहर की पृष्ठभूमि में स्थापित किया गया है। यह फिल्म एक मिश्रित कहानियों को कहने का एक अनोखा और साहसिक मार्ग है। इस कथा का मूल बुन्देलखंड में चंदेरी नाम का एक छोटा सा शहर है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में फैला एक पहाड़ी इलाका है। बुन्देलखण्ड अपनी भौगोलिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति के लिए लोकप्रिय है। फिल्म की पांच कहानियां वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं। इस फिल्म की कहानी विचारोत्तेजक है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी। सिनेमैटोग्राफी शानदार है आगामी फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ के प्रचार प्रसार करने का अनूठा तरीका देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। और सबसे विशेष बात यह है कि फिल्म देखने पर मालूम चलेगा कि इसमें दर्शकों के लिए एक सरप्राइज है। दर्शकों की भारी भीड़ के लिए आकर्षक पुरस्कार है जिसका फैसला लकी ड्रा से किया जाएगा। जो किसी भाग्यशाली दर्शक को प्राप्त होगा। दर्शक रचनात्मक और सुस्वादु सामग्री का आनंद प्राप्त कर सकेंगे, जो भारत की समृद्ध ग्रामीण सांस्कृतिक विरासत और गौरव का सच्चा प्रदर्शन करेगी। निस्संदेह, प्रत्येक स्क्रीनिंग में तीन लकी ड्रा और बम्पर पुरस्कार जीतने का अवसर दर्शकों को प्राप्त होगा जिससे दर्शक अवश्य रोमांचित होंगे। विजेता को ना केवल एक उपयोगी पुरस्कार प्राप्त होगा बल्कि कुछ पुरस्कार उनकी पहुंच और सोच से ज्यादा आकर्षक होंगे। निर्माताओं ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक नया कीर्तिमान बनाने के लिए वितरकों, थिएटर मालिकों, उत्पाद निर्माताओं और दर्शकों के साथ मिलकर नया काम किया है। निर्माताओं को आशा है कि इस प्रयास से पूरे विश्व के सिनेमाओं में नया बदलाव आएगा।इस फिल्म से पूरे परिवार के साथ मनोरंजन का आंनद और सिनेमा की जादुई दुनियां को देखने का बढ़ावा मिलेगा। छोटे बजट के असाधारण कंटेंट निर्माताओं और अद्भुत क्षेत्रीय प्रतिभाओं को एक नया और योग्य स्थान मिलेगा। यह अभियान उन वितरकों और स्क्रीन मालिकों के बीच विश्वास हासिल करने और आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास करता है जो अच्छी फिल्मों का प्रदर्शन करने में स्वाभाविक रूप से झिझकते हैं । बृजेन्द्र काला फिल्म के मुख्य पात्रों में एक हैं। वह एक प्रशंसित अभिनेता हैं। काला कहते हैं कि ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ में कई लोकप्रिय और बड़े कलाकार शामिल है। पांच अलग-अलग कहानियों को अनावश्यक तत्वों के बिना, रचनात्मक रूप से एक सकारात्मक पारिवारिक-मनोरंजन फिल्म में एक साथ पिरोया गया है ।यह फिल्म मानसून सीज़न में भारत भर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। निर्माता, निर्देशक और प्रमोटर देशभर में व्यापक स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इस अनूठी फिल्म का निर्देशन संजाॅय भार्गव ने किया है। संजाॅय कहते हैं कि हम फिल्म के माध्यम से अपनी भारतीय परंपरा और संस्कृति पर एक विशेष संदेश देना चाहते हैं जो सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन विरासत को प्रतिबिंबित करती है। फिल्म की सभी पांच कहानियां हमें सोचने पर विवश कर देगी कि हम अपने भारतीय पारंपरिक दैनिक जीवन में कहाँ और कैसे रहते हैं? और क्या करते हैं? यह मानवीय है और किसी भी अंधविश्वास पर आधारित नहीं है। फिल्म में अनुभवी कलाकारों को लिया गया है, कहानी का फिल्मांकन करते समय फिल्म को प्रभावी और सशक्त बनाने के लिए और अभिनय को वास्तविक रूप प्रदान करने के लिए बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पडा है। फिल्म की निर्माता हरिप्रिया भार्गव का कहना है कि उन्होंने हमारी समृद्ध विरासत, रीति-रिवाजों, परंपराओं और भारतीय ग्रामीण जीवन शैली से प्रभावित होकर यह कहानी बनाई है। वह आगे कहती हैं कि यह फिल्म भारत के दूर दराज क्षेत्रों में रहने वाले उभरते प्रतिभाशाली कलाकारों को काम करने का मौका और नई पहचान दिलाती है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी शामिल होती हैं जो दिल से इस कन्टेन्ट का समर्थन करती हैं। साथ ही फिल्म प्रचार की रणनीति थिएटर मालिक और वितरकों को भी मौका देती है। हरिप्रिया बेहद खुश हुई कि इस फिल्म की कुछ कहानी महिलाओं पर केंद्रित है। फिल्म ‘पंचकृति फाइव एलिमेंट्स’ प्रेम से अभिभूत और हृदय को छू लेने वाले आध्यात्मिक गीतों का समावेश है। संगीत राजेश सोनी द्वारा रचित है।

नरेंद्र सिंह तोमर BJP चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक बने

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को BJP ने मध्यप्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया है। BJP अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने उन्हें ये जिम्मेदारी दी है।

दिल्ली में यमुना का पानी घटा, बारिश का यलो अलर्ट: शहर के 30 से ज्यादा इलाके जलमग्न, सेना ने 20 घंटे में ठीक किया ITO बैराज का जाम गेट

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दिल्ली में शनिवार को यमुना का वाटर लेवल कम हुआ। सुबह 9 बजे यमुना नदी का जलस्तर घटकर 207.53 मीटर पर आ गया। इसके अभी और कम होने की उम्मीद है। उधर मौसम विभाग ने शनिवार को दिल्ली के बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। IMD के मुताबिक, 15 जुलाई को दिल्ली में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

राजधानी के इंद्रप्रस्थ इलाके में यमुना नदी में बने ड्रेनेज का रेगुलेटर टूट गया था। इसे शुक्रवार रात सेना की मदद से ठीक कर दिया गया। ITO बैराज का एक गेट भी खोल दिया गया।

हालांकि अभी भी बाढ़ का पानी यमुना बाजार, लाल किला, ITO, बेला रोड और आसपास के इलाकों में भरा हुआ है। राहत और बचाव के लिए NDRF की 16 टीमें अभी भी तैनात हैं।

दिल्ली में बाढ़ से जुड़े अपडेट्स…

  • ITO, पुरानी दिल्ली, कश्मीरी गेट और यमुना बाजार समेत दिल्ली के 30 इलाके बाढ़ से प्रभावित हैं।
  • ओखला वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को चालू कर दिया गया। गुरुवार को नदी का वॉटर लेवल 208.66 मीटर होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था।
  • अरविंद केजरीवाल ने बताया कि नदी का जलस्तर 207.7 होने पर वजीराबाद और चंद्रावल के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को भी चालू कर दिया जाएगा।
  • राजधानी में 25 हजार से ज्यादा लोग बचाए गए हैं। 22 हजार से ज्यादा लोग टैंट और दूसरे शैल्टर में रह रहे हैं। NDRF की 16 टीमें तैनात हैं।

इन राज्यों में तेज बारिश होगी: हिमाचल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र, गोवा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, ओडिशा, कर्नाटक।

इन राज्यों में हल्की बारिश होगी: दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में बिजली चमकने के साथ हल्की बारिश हो सकती है।

अलग-अलग राज्यों के मौसम से जुड़े अपडेट्स..

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से हुई तबाही के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से 2 हजार करोड़ रुपए की अंतरिम सहायता की मांग की है।
राज्य में 108 लोगों की मौत हो चुकी है और 3,738 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हो चुका है।
हरिद्वार में बाढ़ के पानी में 7 साल के बच्चे समेत 3 लोग बह गए।

दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से 3 मीटर ऊपर

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हरियाणा के हथनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात हैं। गुरुवार सुबह 10 बजे यमुना का जलस्तर 208.53 मीटर पर पहुंच गया। यह खतरे के निशान 205 मीटर से 3 मीटर ज्यादा है।

यमुना वजीराबाद से ओखला तक 22 किमी में है। केंद्रीय जल आयोग को आशंका है कि गुरुवार दोपहर तक जलस्तर 209 मीटर पहुंचने पर ज्यादातर इलाके जलमग्न हो जाएंगे। यहां NDRF की 12 टीमें तैनात की गई हैं। 2,700 राहत शिविर लगाए गए हैं।

कई इलाके पानी से डूब गए हैं। 5 से 6 फीट तक पानी भर गया है। यमुना नदी के किनारे बसे निचले इलाकों से 16 हजार से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

बजीराबाद, ओखला और चंद्रावल के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद कर दिए गए है। इससे राजधानी के कई इलाकों में पीने के पानी की किल्लत हो सकती है। उधर, सीएम आवास के एक किमी करीब तक जलभराव हो गया है। यमुना बाजार, मजनू का टीला, निगम बोध घाट, मोनेस्ट्री मार्केट, वजीराबाद,, गीता कॉलोनी और शाहदरा एरिया इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

उधर, हरियाणा में भी 13 जिलों में यमुना का पानी घुस चुका है। 240 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। धीरे धीरे यमुना का पानी अब आगे की और बढ़ रहा है, इससे आज पांच जिले- जींद, फतेहाबाद, फरीदाबाद, पलवल और सिरसा में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। राज्य में अब तक 10 मौतें हो चुकी हैं।