Home Blog Page 18

नर्मदापुरम में बाघ ने महिला को खाया:घसीटकर गुफा में ले गया, सिर्फ पैर बचे; परिजन ने कपड़े और पायल से की पहचान

0

TIO NEW DELHI

नर्मदापुरम में बाघ ने एक महिला पर हमला कर दिया। उसे घसीटकर गुफा में ले गया। बाघ उसका पूरा धड़ खा गया। केवल पैर का हिस्सा बचा है। परिजन ने बाल, कपड़े और पायल से महिला की पहचान की है। परिजन ने बताया कि महिला मानसिक रूप से कमजोर थी। पुलिस और वन विभाग की टीम ने शव का बचा हुआ हिस्सा बरामद कर अस्पताल पहुंचाया है।

स्टेशन रोड थाना के सब इंस्पेक्टर सुरेश सिंह चौहान ने बताया कि महिला गुरुवार से लापता थी। देवक सिंह ठाकुर निवासी ग्राम धार गांव ने उसकी मां रसी बाई (55) की गुमशुदगी लिखाई थी। शुक्रवार शाम करीब पांच बजे फॉरेस्ट रेंजर बीआर पदाम ने पिपरिया क्षेत्र के धार गांव मोहरीकला के जंगल में पहाड़ी गुफा में एक महिला का शव मिलने की सूचना दी थी। मौके पर फॉरेस्ट और पुलिस ने पहुंचकर जांच की तो यह गुमशुदा महिला निकली। घटनास्थल के आसपास बाघ के पगमार्क मिले हैं।

एसडीओ फॉरेस्ट का कहना है तत्काल परिजन को 10 हजार रुपए बतौर मुआवजा दिए हैं। शासन की योजना के तहत आठ लाख की सहायता राशि स्वीकृत होगी। इससे पहले नर्मदापुरम में ही मटकुली मोगांव की रहने वाली महिला पर बाघ ने हमला किया था। आदमखोर बाघ इस महिला को भी खा गया था, तब आदिवासी समुदाय ने काफी बवाल मचाया था। वन चौकी में आगजनी की वारदात को अंजाम दिया था। बड़ी मुश्किल से स्थिति नियंत्रित हो पाई थी।

ओडिशा में तीन ट्रेन टकराईं, 238 की मौत

0

TIO NEW DELHI
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम ट्रेन हादसे में 238 लोगों की मौत हो गई। एक्सीडेंट में 900 से ज्यादा यात्री घायल हुए। हादसा बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास शाम करीब 7 बजे हुआ। रेलवे के मुताबिक 650 लोगों को अस्पताल में एडमिट किया गया है। हादसे के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटनास्थल पहुंचे। वहीं PM मोदी ने हालात की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई है।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पहले शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस डिरेल हुई थी। इसके कुछ डिब्बे दूसरी पटरी पर पलट गए। दूसरी तरफ से आ रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस इनसे टकरा गई। इसके बाद दोनों ट्रेन की कुछ बोगियां पटरी से उतर गईं। ये बोगियां दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से जा भिड़ी। कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन और कुछ बोगियां मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गईं।

  • पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी स्थिति का जायजा लेने और घायलों से मिलने के लिए आज ओडिशा के बालासोर का दौरा करेंगी।
  • अब तक 48 ट्रेनें रद्द, 39 को डायवर्ट और 10 को शॉर्ट टर्मिनेट किया गया। सूचना प्रकाशन रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक अमिताभ शर्मा ने यह जानकारी दी।
  • शनिवार सुबह केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटनास्थल पर पहुंचे। रेल मंत्रालय ने घटना की जांच के आदेश भी दिए हैं।
  • ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने हादसे पर दुख जताया। शनिवार सुबह वह घटनास्थल पर भी पहुंचे। राज्य सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
  • तमिलनाडु सरकार के मंत्री उधयनिधि स्टालिन, शिव शंकर और ए महेश ओडिशा जा रहे हैं। स्टालिन ने कहा, हम मौजूदा स्थिति की जानकारी लेने के लिए वहां जा रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने ओडिशा के मुख्यमंत्री से बात की है।
  • रेस्कयू ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना को भी लगाया गया। एंबुलेंस और सहायता सेवाओं के साथ सेना की चिकित्सा और इंजीनियरिंग टीमों को पूर्वी कमान से तैनात किया गया है।
  • NDRF की तीन टीमें और 20 से ज्यादा फायर सर्विस एंड रेस्क्यू टीमों को राहत और बचाव कार्य में लगाया गया है। 1200 बचाव कर्मी मौजूद हैं।
  • भुवनेश्वर में अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल पर 115 एम्बुलेंस, 50 बसें और 45 मोबाइल हेल्थ यूनिट्स तैनात हैं।
  • NDRF, राज्य सरकारों की टीम और एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर्स रेस्क्यू के लिए पहुंच गए हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भुवनेश्वर और कोलकाता से रेस्क्यू टीमें भेजी गई हैं।
  • यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी श्रीनिवास ने हादसे को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. दरअसल, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इस वीडियो में कवच सुरक्षा तकनीक के बारे में बताते नजर आ रहे हैं. इसी को लेकर कांग्रेस नेता ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एक पुराना वीडियो शेयर करते हुए लिखा है- जब एक Train Derail होकर दूसरे Railway Track पर आ गयी थी, तब ‘Kavach’ कहां था? 300 के आसपास मौतें, करीब 1000 लोग घायल. इन दर्दनाक मौतों के लिए कोई तो जिम्मेदार होगा? ‘कवच’ सुरक्षा प्रणाली ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने और टक्कर रोकने के लिए है. अगर किसी कारणवश लोको पायलट ट्रेन को कंट्रोल करने में विफल रहता है, तो यह ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को ऑटोमैटिक रूप से एक्टिव कर देता है. इसके अलावा, कवच दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने में भी सक्षम है. मतलब एक ही पटरी पर दो ट्रेनें आमने सामने आ जाएं तो एक्सीडेंट नहीं होगा. हालांकि, बालासोर में हुए हादसे को देखकर प्रतीत होता है कि अब तक इस रूट की ट्रेनों में ‘कवच’ प्रणाली का इस्तेमाल नहीं किया गया होगा.

सेना के कंधे पर बंदूक रखकर सरकार ने चलाई गोली

0

TIO खोज खबर
ओआरओपी का पालन दुनिया का कोई भी देश नहीं करता है। सरकार ने चुनाव लाभ के लिए इसको अपनाया। ओआरओपी का वार्षिक बिल सेना के आधुनिकीकरण के लिए आवंटित धन से अधिक है। पिछले साल, ओआरओपी के कारण सरकार पर अतिरिक्त 25,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा। इसके बाद सरकार को सेना के जवानों की संख्या कम करने पर विचार करना पड़ा। दिलचस्प है कि सरकार के इस विचार को कोविड का साथ मिल गया।
पूरे ढाई साल, जून 2022 तक कोई भर्ती नहीं हुई। भर्ती रैलियां उतनी ही संभव थीं जितनी कि चुनाव या कुंभ मेले जैसी धार्मिक सभाएं आयोजित करना। इस बीच, सरकार बहुप्रचारित अग्निवीर योजना पर काम कर रही थी, जिसका उद्देश्य एक तीर से दो शिकार करना था। पहला- मैनपावर कम करना, दूसरा-पेंशन बिल कम करना। जब पिछले साल अग्निवीर की घोषणा की गई, तो राजनेताओं ने पर्दे के पीछे से सेना के कंधे पर बंदूक रख गोली चलाई। पूरे ढाई साल, जून 2022 तक कोई भर्ती नहीं हुई। भर्ती रैलियां उतनी ही संभव थीं जितनी कि चुनाव या कुंभ मेले जैसी धार्मिक सभाएं आयोजित करना। इस बीच, सरकार बहुप्रचारित अग्निवीर योजना पर काम कर रही थी, जिसका उद्देश्य एक तीर से दो शिकार करना था। पहला- मैनपावर कम करना, दूसरा-पेंशन बिल कम करना। जब पिछले साल अग्निवीर की घोषणा की गई, तो राजनेताओं ने पर्दे के पीछे से सेना के कंधे पर बंदूक रख गोली चलाई।

3, सेना में बदलाव का साल है। वर्तमान में 1,80,000 सैनिकों की कमी है। आने वाले समय में 1,00,000 और जवानों को कम किया जाएगा। पिछले महीने, इंटीग्रल डिफेंस स्टाफ के हेडक्वार्टर ने फोर्स में अतिरिक्त 10 प्रतिशत कटौती का आदेश दिया है। सेना में जवानों की संख्या कम करने का एक कारण जम्मू और कश्मीर, विशेष रूप से बनिहाल के दक्षिण में उग्रवाद की स्थिति में काफी सुधार होना भी है। दिसंबर 2022 में, डीजी जम्मू-कश्मीर पुलिस दिलबाग सिंह ने दावा किया कि एक जिले को छोड़कर जहां तीन से चार आतंकवादी हैं, जम्मू के सभी जिलों को आतंकवाद से मुक्त कर दिया गया है।

भारत को गोरखा रेजीमेंट पर हमेशा गर्व रहा है पर अब उसे भी धीरे-धीरे मिटाया जा रहा है। जिसने कई युद्धों में अपनी वीरगाथाएं लिखी है। नागरिक मानते हैं कि कोई युद्ध नहीं होगा। मैनपावर की कमी ने गोरखा रेजीमेंट को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है क्योंकि इस साल भी उनकी कोई भर्ती नहीं हुई है। दरअसल, नेपाल की सरकार अग्निवीर योजना पर निर्णय लेने में असमर्थ है। वहां की सरकार पुरानी व्यवस्था को तरजीह देती है, जिसके तहत 15 साल की नौकरी और पेंशन मिलता था। इस मामले पर अंतिम निर्णय को नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की 31 मई को भारत यात्रा तक के लिए टाल दिया गया है। दहल द्वारा पीएम मोदी से नेपाल को अग्निवीर से छूट देने का आग्रह करने की संभावना है। नेपाल से गोरखा भर्ती के निलंबन या समाप्ति के गंभीर रणनीतिक परिणाम होंगे।

talented mothers ने participate किया

0

TIO

4 जून को NH 12 Creative Women’s Club एवं ओरिएंट स्कूल द्वारा आयोजित साँस्कृतिक कार्यक्रम SUPER MOMS OF BHOPAL का ग्रूमिंग session 28 मई को आयोजित किया गया l
Bhopal की ही नहीं, भोपाल के बाहर से भी आई talented mothers ने इसमे participate किया l

150 से उपर प्रतिभागियों ने अपने बच्चों के साथ प्रैक्टिस की l
GROOMING SESSION mrs universe अमृता त्रिपाठी ने दिया l
तीन प्रतियोगिताओं में शिरकत कर रही MOMS ने अपने अपने हुनर का जलवा दिखाया…
4 जून को finals के लिए सभी माँयें बहुत उत्साहित हैं l

सेंट जोसफ कॉन्वेंट के 98 बैच की रीयूनियन पार्टी में यादें हुईं ताज़ा

0

TIO BHOPAL

सेंट जोसेफ कॉन्वेंट गर्ल्स स्कूल, ईदगाह हिल्स की 1998 बैच की छात्राओं ने 27 मई को रेडिसन, भोपाल में रीयूनियन पार्टी के साथ अपने 25 साल पूरे होने का जमकर जश्न मनाया।

इस यादगार कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए न्यूजीलैंड, बैंगलोर, दिल्ली, हैदराबाद, बॉम्बे से लगभग 35 छात्राएं आईं। सभीने अपने बारे में ताजा जानकारी साझा करते हुए स्कूल के टाइम के तमाम किस्सों को याद किया और बहुत मस्ती की। नए पुराने गाने गाए और डांस करके शाम को यादगार बना दिया। इस खास मौके पर उस समय की उनकी टीचर्स श्रीमती मंजू मेहता, श्रीमती बागची, श्रीमती अग्निहोत्री और श्रीमती बावा भी उपस्थित थीं।
कार्यक्रम का संचालन रंजीता, ऋचा और रुचिका ने सफलतापूर्वक करते हुए पीपीटी के द्वारा पुरानी फोटोज़ भी जब दिखाए तो सभी अतीत की खूबसूरत यादों में खो गए अपने साथ ढेर यादें ले कर गए।

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी

0

अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं…मंत्री सिंधिया के और सिरदर्द शिवराज का कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस अंदाज में अपनी लाईन आगे बढ़ा रहे थे, वह अब मध्यप्रदेश सरकार में शामिल उनके खेमे के मंत्रियों के कारण धुंधलाने लगी है। भाजपा के ही नेता सिंधिया से जुड़े मंत्रियों के भ्रष्टाचार के किस्से उदाहरण के साथ बताने लगे हैं। चूंकि सरकार वापस बनवाने में सिंधिया की अहम भूमिका रही है, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी इन मंत्रियों के भ्रष्टाचार को अनदेखा कर रहे हैं। बात यहीं खत्म नहीं हो रही है, चूंकि इन मंत्रियों पर मुख्यमंत्री अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं, इसलिए अब दूसरे मंत्री भी बेलगाम होते जा रहे हैं। मंत्रियों का यह भ्रष्टाचार सरकार के लिए परेशानी का कारण बनता जा रहा है।

18 साल का ‘विकास’ और बात 84 के दंगों की

मध्यप्रदेश में 18 साल से भाजपा की सरकार है और सत्ता व संगठन दोनों का दावा है कि इस दौर में मध्यप्रदेश का कायाकल्प हो गया। स्वाभाविक है भाजपा नेताओं के भाषणों में बरसने वाला यही विकास चुनाव का मुख्य मुद्दा भी होना चाहिए। प्रदेश में जैसा भाजपा नेता कह रहे हैं, यदि वैसा ही सबकुछ हुआ है तो फिर किसी दूसरे मुद्दे की जरूरत ही नहीं। लेकिन अचानक 84 की दंगों की बात सामने आने लगी है और कमलनाथ को निशाने पर लिया जा रहा है। कमलनाथ पर इस आक्रमण की कमान संगठन प्रमुख वीडी शर्मा ने संभाली है। देखना यह है कि चुनाव आते-आते विकास से और कौन-कौनसे मुद्दे आगे निकलते दिखते हैं।

विजयवर्गीय की बेबाकी, निशाने पर मंत्री और कार्यकर्ता बाग-बाग

मध्यप्रदेश में सरकार और संगठन भले ही कैलाश विजयवर्गीय की कद्र न करे, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए तो वे आज भी हीरो हैं। पिछले दिनों भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में विजयवर्गीय ने जिस तरह मंत्रियों को घेरे में लिया और प्रभार के जिलों में पाला छूने के अंदाज में जाने की बात कही। कार्यकर्ताओं को ऐसा लगा मानो किसी ने उनके दिल की बात कह दी हो। वैसे यह हकीकत है कि प्रदेश के ज्यादातर मंत्री इन दिनों जिस तरह अपने प्रभार के जिलों में नेताओं और कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर चल रहे हैं, वह उनमें एक बड़े असंतोष का कारण बन रहा है। हालांकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को बुढ़ऊ कहने के बाद सोशल मीडिया पर विजयवर्गीय ट्रोल भी हुए हैं।

बेटे की बगावत और मुख्यमंत्री के निशाने पर पशुपालन मंत्री

पिछले दिनों भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मौजूदगी में हुए एक कार्यक्रम में पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बन गई। कार्यक्रम पशुपालन विभाग का ही था, लेकिन इसमें मंत्री की गैर मौजूदगी के चलते गोपालन बोर्ड के चेयरमैन को ज्यादा तबज्जो मिली। कहा यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री इन दिनों पशुपालन मंत्री इससे बहुत खफा हैं। कारण यह है कि पिछले दिनों हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बड़वानी जिले में मंत्री जी ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ अपने बेटे को मैदान में उतार दिया था। बेटा जीत तो गया, लेकिन मंत्री जी सीएम के निशाने पर आ गए। यह बगावत उनका विधानसभा टिकट भी खतरे में डाल सकती है।

अफसर पर भारी पड़ गया टेंट-तम्बू लगाने वाला ठेकेदार

सरकार के आयोजनों में टेंट-तम्बू लगाने वाला भोपाल का एक ठेकेदार कितना पावरफुल है, इसका अंदाज इसी से लगाया जाता जा सकता है कि अपने मन-मुताबिक काम न होने के कारण उसने साफसुथरी छवि वाले एक आईएएस अफसर का तबादला ही करवा दिया। सरकार के प्रचार-प्रसार से वास्ता रखने वाले विभाग में पदस्थ रहे उक्त अफसर ने जब ठेकेदार को होने वाले भुगतान को लेकर कुछ मुद्दे ‘बड़े साहब’ के सामने रखे थे। वे चाहते थे कि एक समिति बनाकर पूरी पारदर्शिता के साथ इस विषय को निराकृत किया जाए। ठेकेदार को यह पसंद नहीं था। इसके बाद जो हालात बने उसी का नतीजा है कि अफसर पर ठेकेदार भारी पड़ गया।

इस बार घी थाली के बाहर गिरने की स्थिति में

2018 के विधानसभा चुनाव के पहले जब भी महेश जोशी के सामने अश्विन जोशी और पिंटू जोशी के बीच तीन नंबर के टिकट को लेकर खींचतान का मामला उठता था, वे एक ही बात कहते थे कि कुछ भी हो घी थाली में ही गिरेगा। लेकिन इस बार ऐसे हालात दिख नहीं रहे हैं। छोटे जोशी यानि पिंटू मानने को तैयार नहीं हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेता उनकी पीठ पर हाथ रख चुके हैं। अश्विन जोशी के अपने अलग तेवर हैं। वे इंदौर तीन से एक बार फिर किस्मत आजमाना चाहते हैं। दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और भाइयों की खींचतान से तीन नंबर के समीकरण भी गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं। तय है कि इस बार घी थाली में नहीं गिरेगा।

चलते-चलते

इंदौर के वे कौन अपर कलेक्टर हैं, जो इन दिनों अपनी एक महिला मित्र के कारण बड़े परेशान हैं। यह महिला मित्र उनका पीछा नहीं छोड़ रही है और मामला इतना बिगड़ गया है कि अब अपर कलेक्टर सहमें-सहमें से रहते हैं। वैसे शुरुआती दिनों में दोनों के बीच बहुत प्रगाढ़ता रही, पर पता नहीं बाद में बात क्यों बिगड़ गई। वैसे इनका पुराना रिकार्ड बहुत साफ-सुथरा है।

पुछल्ला

दिग्विजय सिंह के सामने जिस अंदाज में अश्विन जोशी और पिंटू जोशी में विवाद हुआ और छोटे जोशी बड़े भाई के खिलाफ भड़के उसने राजा को भी चौंका दिया। राजा का चौंकना इसलिए भी स्वाभाविक था कि पिछली बार यानि 2018 के चुनाव में ऐन वक्त पर उनकी मदद के कारण ही अश्विन का टिकट पक्का हो पाया था। अब वे राजा की बात मानने को भी तैयार नहीं हैं।

अब बात मीडिया की

मध्यप्रदेश में अपने को मजबूत करने में लगे पत्रिका ने अब अपना सारा फोकस 14 से 40 वर्ष की उम्र के पाठकों पर केंद्रित कर लिया है। इसके लिए हर संस्करण में विशेष तैयारी चल रही है। पत्रिका द्वारा करवाए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि अभी भी अखबार 14 से 40 वर्ष के पाठकों की जरूरतों की पूर्ति नहीं कर पा रहा है।

नईदुनिया इंदौर में इन दिनों तीन जासूसों की बड़ी चर्चा है। ये तीन जासूस अखबार के तीन अलग-अलग विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। कहां क्या हो रहा है, इस पर इनकी पूरी नजर रहती है। आखिर ऐसी स्थिति में क्यों बनी, यह कोई समझ नहीं पा रहा है। वैसे इस सबका फायदा दो संपादकीय प्रभारी की व्यवस्था लागू होने के बाद राज्य संपादक को जरूर मिल रहा होगा।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बाद द सूत्र अब राजस्थान में भी एंट्री कर रहा है। द सूत्र 1 जुलाई से राजस्थान में काम शुरू कर देगा। आनंद पांडे, हरीश दिवेकर, सुनील शुक्ला और विजय मांडगे की चौकड़ी जिस दबंग शैली में काम कर रही है, वह मीडिया जगत के साथ ही नेताओं व नौकरशाहों के बीच चर्चा का विषय है।

नईदुनिया के सिटी चीफ जितेन्द्र यादव इन दिनों दफ्तर नहीं आ रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि मार्निंग मीटिंग में हुई गहमागहमी के बाद यादव ने यह कदम उठाया। हालांकि घोषित तौर पर इसके पीछे अस्वस्थता को कारण बताया जा रहा है। नईदुनिया की रिपोर्टिंग टीम के बीच गुटबाजी अब खुलकर सामने आ गई है।

दैनिक भास्कर में लंबे समय तक सेवाएं देने के बाद नईदुनिया इंदौर में अच्छी पारी खेल रहे रिपोर्टर गजेन्द्र विश्वकर्मा फिर से भास्कर पहुंच गए हैं। गजेन्द्र एजुकेशन बीट खासकर प्रोफेशनल्स कोर्सेस से जुड़ी खबरों पर महारत हासिल रखते हैं।

अभी तक बंसल न्यूज में सेवाएं दे रहे दीपक मिश्रा और शुभांगी सिंह ने अब संस्थान को अलविदा कह दिया है। दीपक ने जल्दी ही लांच होने वाले बीएस टीवी को ज्वाइन किया है तो शुभांगी अब न्यूज 18 का हिस्सा होंगी।

पायलट को कांग्रेस में रोकने की आखिरी कोशिश करेगा पार्टी हाईकमान, जिद्द पर अड़े रहे तो निकाले जाएंगे

0

TIO SHASHI KUMAR KESWANI

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान और विवाद को निपटाने के लिए कांग्रेस पार्टी अब तैयारी के साथ जुट गई है। 26 मई को दोपहर बाद अहम बैठक एआईसीसी मुख्यालय पर बुलाई गई है। सीएम अशोक गहलोत दोपहर 1:45 बजे नई दिल्ली पहुंचेंगे। दोपहर बाद बैठक में शामिल होंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और तीनों सह प्रभारी भी मौजूद रहेंगे। सचिन पायलट को भी बैठक में बुलाया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह भी एआईसीसी से इस पूरे मामले पर कॉर्डिनेट कर रहे हैं। कुछ मंत्रियों की परफॉर्मेंस भी कांग्रेस हाईकमान ने मांगी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में होने वाली बैठक आने वाले दिनों में बड़े घटनाक्रम के संकेत दे रही है। बैठक में रघु शर्मा, हरीश चौधरी, कुलदीप इंदौरा, भंवर जितेंद्र सिंह और रघुवीर मीणा जैसे नेताओं को भी बुलाया गया है। पहले प्रभारी रंधावा की अध्यक्षता में बैठक होगी। उसके बाद हाईकमान के साथ कुछ नेताओं की वन टू वन मीटिंग हो सकती है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी की हर संभव कोशिश है कि पहले सचिन पायलट को संतुष्ट कर शांत किया जाए, ताकि पार्टी को चुनाव से पहले नुकसान न हो। यदि पायलट नहीं मानते हैं और अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। पायलट को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।

बैठक से पहले कई रिपोर्ट पहुंची दिल्ली…
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की मीटिंग से पहले पार्टी संगठन, सरकार, मंत्री, विधायकों के बयान और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कई तरह की रिपोर्ट कांग्रेस हाईकमान के पास पहुंची हैं। इनमें कई नेताओं, मंत्रियों की ओर से अपनी सरकार के खिलाफ दिए गए बयानों और आरोपों के वीडियो और लिखित वर्जन भी शामिल हैं। हाईकमान ने पूछा है कि इन बयानों की वजह क्या रही होंगी, इस पर भी मीटिंग में बात होनी चाहिए।

सचिन पायलट का अल्टीमेटम 31 मई को होने जा रहा पूरा…
पिछले दिनों अजमेर आरपीएससी से लेकर जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा निकालने के बाद जयपुर के भांकरोटा में हुई बड़ी जनसभा में सचिन पायलट ने सीएम गहलोत से तीन मांगें रखते हुए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था, जिसकी मियाद इस महीने के अंत में पूरी होने जा रही है। 31 मई तक गहलोत सरकार पर पायलट की मांगों पर एक्शन लेने का दबाव है। साथ ही सभा में ही पायलट और उनके खेमे के कांग्रेस विधायकों ने एलान कर दिया था कि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो हम प्रदेश भर में गांव-ढाणी तक जाकर आंदोलन करेंगे। पायलट के विधायकों ने स्पष्ट कर दिया था कि अब याचना नहीं रण होगा।

ये हैं सचिन पायलट की तीन मांगें…
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) को भंग कर इसका पुनर्गठन किया जाए। नई एजेंसी में राजनीतिक नियुक्तियों की जगह शिक्षाविद, प्रोफेसर, वैज्ञानिक जैसे योग्य और प्रतिष्ठित पदाधिकारियों को शामिल किया जाए।
सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक मामलों से प्रभावित कैंडिडेट्स को आर्थिक मुआवजा दिया जाए। उनका जो खर्चा हुआ है, वह पैसा वापस लौटाया जाए।
भाजपा की पिछली वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच हो।
पायलट की मांगों को कांग्रेस नेताओं ने बताया नाजायज, चांद खिलौना कैसे लाकर देगी गहलोत सरकार?
डिप्टी सीएम सचिन पायलट की मांगों को कांग्रेस सरकार और संगठन के नेताओं ने ही नाजायज और राजनीतिक ठहरा दिया है। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि पायलट की मांगें ठीक उसी तरह हैं, जैसे बच्चा ज़िद्द करते हुए कहता है मुझे चांद खिलौना चाहिए। अब उसे कैसे चांद खिलौना आसमान से तोड़कर लाकर दें। प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी कहा कि पिछली वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार मामले में सचिन पायलट ने न तो कोई सबूत दिए हैं और न ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी की बैठक में अब तक इस मामले को उठाया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर लगे संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के मामले की मांग भी सचिन पायलट ने नहीं उठाई है, उस पर भी बोलना चाहिए था।

मेरी आस्था कांग्रेस में ही है
द इफॉमेर्टिव आर्ब्जवर को सीधी बात में सचिन पायलट ने बताया कि मैं तो सिर्फ प्रदेश के हित में कार्य कर रहा हूं। यहां की जनता जिन चीजों से पीड़ित है। उनके लिए लड़ाई लड़ रहा हूं। अगर किसी को लग रहा है कि मैं उसके खिलाफ लड़ रहा हूं। तो उसकी यह व्यक्तिगत सोच हो सकती है। मेरी पूरा आस्था कांग्रेस में थी और है। मैं कांग्रेस में ही हूं। पूरी आस्था के साथ कांग्रेस का ही कार्य कर रहा हूं। हाईकमान अगर कोई बात करेगा तो मैं सारे सवालों के जवाब देने को भी तैयार हूं। बस मेरा मकसद पार्टी को मजबूत करना और राजस्थान के हित में कार्य करना है। कौन मेरे लिए कहा जाने की बात कर रहा है मेरे को इस बात की परवाह नहीं रही। लंबे समय से मेरे को किसी दूसरी पार्टी में जाने के लिए धकेला जा रहा है। पर ऐसा कुछ होना नहीं है।

दिल्ली रवाना हुए अशोक गहलोत
द इफॉर्मेटिव आर्ब्जवर ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से फोन पर बात करने के लिए संपर्क किया तो वह दिल्ली में होने वाली बैठक के लिए रवाना हो चुके थे।

नए संसद भवन को लेकर सरकार और विपक्ष में तकरार

0

TIO NEW DELHI

देश के नए संसद भवन का इसी महीने 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन होना है। लेकिन उससे पहले ही सियासी घमासान शुरू हो गया है। बुधवार को 19 विपक्षी दलों ने इसका बहिष्कार करने के लिए एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही छीन लिया गया है, तो हमें एक नई इमारत की कोई कीमत नजर नहीं आती है।

विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान में कहा, नए संसद भवन का उद्घाटन एक यादगार अवसर है। हमारे इस भरोसे के बावजूद कि यह सरकार लोकतंत्र के लिए खतरा है और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उसके प्रति हमारी अस्वीकृति के बावजूद हम मतभेदों को दूर करने के लिए इस अवसर पर शामिल होने के लिए खुले थे। लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन खुद ही करने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसला न केवल उनका अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

इसमें आगे कहा गया है, भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन शामिल होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा के रूप में जाना जाएगा। राष्ट्रपति न केवल भारत में राष्ट्र प्रमुख है, बल्कि संसद के एक अभिन्न अंग भी है। बयान में आगे कहा गया, संसद उनके (राष्ट्रपति) बिना काम नहीं कर सकती। यह अमर्यादित कृत्य संसद के उच्च पद का अपमान करता है, और संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है। यह समावेश की भावना को कमजोर करता है।

साझा बयान में आगे कहा गया है कि अलोकतांत्रिक कृत्य प्रधानमंत्री के लिए नए नहीं हैं, जिन्होंने संसद को लगातार खोखला किया है। भारत के लोगों के मुद्दों को उठाने पर संसद के विपक्षी सदस्यों को अयोग्य घोषित, निलंबित और मौन कर दिया गया है। सांसदों की बेंच ने संसद को बाधित कर दिया। तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद कानूनों को लगभग बिना किसी बहस के पारित किया गया, और संसद की समितियों को आंशिक रूप से निष्क्रिय कर दिया गया। नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए यह स्पष्ट रूप से बनाया जा रहा है।

किरेन रिजिजू से वापस लिया गया कानून मंत्रालय

0

TIO NEW DELHI

सरकार ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू का विभाग बदल दिया है। रिजिजू को अब अर्थ साइंस मंत्रालय दिया गया है। रिजिजू की जगह अब अर्जुन राम मेघवाल लॉ मिनिस्टर होंगे। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि मेघवाल को स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। मेघवाल के पास संसदीय मामलों के राज्य मंत्री का जिम्मा भी है।

रिजिजू को रविशंकर प्रसाद की जगह जुलाई 2021 में कानून मंत्री नियुक्त किया गया था। 2019 में उन्हें खेल मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था।

रिजिजू जजों पर टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने कॉलेजियम को लेकर भी कहा था कि देश में कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है। रिटायर्ड जजों पर भी बयान दिया था- कुछ रिटायर्ड जज एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं।

मंत्रालय बदलने के साथ किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- PM नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में कानून मंत्री के रूप में सेवा करने का सम्मान मिला। मैं CJI डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों और हाईकोर्ट के सभी जजों, लोअर ज्यूडीशियरी और सभी कानूनी अधिकारियों को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने जनता के लिए न्याय को सरल बनाया। अब मैं बीजेपी के एक विनम्र कार्यकर्ता के रूप में अर्थ साइंस मिनिस्ट्री में भी उसी जोश के साथ काम करके पीएम मोदी के विजन को पूरा करने उत्सुक हूं।

कर्नाटक में सिद्धारमैया CM, शिवकुमार डिप्टी होंगे

0

TIO NEW DELHI

पांच दिन की मान-मनौव्वल और सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद कर्नाटक सीएम के लिए अड़े डीके शिवकुमार आखिरकार मान गए। सिद्धारमैया कर्नाटक के CM और वे डिप्टी CM होंगे। देर रात 2 बजे सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डीके से बातचीत की थी। इसके बाद ही वे डिप्टी CM पद के लिए तैयार हुए। 10 घंटे के बाद गुरुवार दोपहर 12 बजे केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका औपचारिक ऐलान किया।

इससे पहले सुबह शिवकुमार ने कहा, ‘मैं पार्टी के फॉर्मूले पर राजी हूं। आगे लोकसभा चुनाव हैं और मैं जिम्मेदारियों के लिए तैयार हूं। पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए मैंने सहमति दी है।’ डीके के भाई और सांसद डीके सुरेश ने कहा कि मैं पूरी तरह से खुश नहीं हूं।

दरअसल, डीके सीएम बनना चाहते थे, लेकिन आलाकमान पहले ही सिद्धारमैया का नाम तय कर चुका था। इस फैसले पर डीके को मानने के लिए राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके बीच कई दौर की मीटिंग्स हुईं। हालांकि, इनमें कोई नतीजा नहीं निकला था।

वेणुगोपाल ने कहा- 20 मई को 12:30 बजे शपथ ग्रहण
केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘पिछले 3-4 दिन से हम कोशिश कर रहे थे कि सबमें सहमति हो जाए। डीके शिवकुमार ने राज्य के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर दी है। इसमें कोई शक नहीं है। शिवकुमार अध्यक्ष थे और सिद्धारमैया साथ थे। दोनों कर्नाटक में पार्टी के लिए बहुत बड़ा कद रखते हैं।’

‘हां, सबकी अपनी इच्छाएं होती हैं। दोनों बहुत काबिल हैं। हमने हाईकमान से बात की, इन सभी लोगों से बातचीत की। सोनिया, राहुल और प्रियंका के अलावा बाकी वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैसला लिया। उन्होंने मुझसे कहा कि आप यह आदेश मीडिया के जरिए कर्नाटक की जनता को बताइए। उन्होंने फैसला किया है कि सिद्धारमैया मुख्यमंत्री होंगे। डीके शिवकुमार अकेले डिप्टी सीएम होंगे। वह लोकसभा चुनाव तक पीसीसी अध्यक्ष भी बने रहेंगे।’

20 मई को 12:30 बजे शपथ ग्रहण होगा। मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के अलावा कुछ मंत्री भी शपथ लेंगे। कांग्रेस ने आज शाम 7 बजे बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें पार्टी के सेंट्रल ऑब्जर्वर भी पहुंचेंगे। कांग्रेस ने 13 मई को 224 सीटों में से 135 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था।

लोकसभा चुनाव के बाद डीके CM बनेंगे
शिवकुमार 50-50 फॉर्मूले पर राजी हुए हैं। पहले ढाई साल सिद्धारमैया CM रहेंगे और बाद के ढाई साल डीके। यानी डीके लोकसभा चुनाव के बाद 2025 में मुख्यमंत्री बनेंगे। हालांकि, अब कर्नाटक का कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसका नाम तय नहीं है।