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NIA ने देशभर के 6 राज्यों में 100 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी

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TIO BHOPAL

NIA ने बुधवार को देशभर के 6 राज्यों में 100 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई आतंकवादी-गैंगस्टर और नशीले पदार्थ के स्मगलर्स के नेक्सस मामले में चल रही है। करीब 200 अफसर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में स्थानीय पुलिस के साथ संदिग्धों के परिसरों पर छापेमारी की कार्रवाई कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और चंडीगढ़ में 65 जगह पर NIA का छापा पड़ा है। वहीं उत्तर प्रदेश में भी 3 जगह, राजस्थान में 18 जगह और मध्य प्रदेश में 2 जगह पर NIA छापेमारी कर रही है। NIA का पिछले तीन दिनों में यह दूसरा बड़ा सर्च ऑपरेशन है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग को लेकर NIA ने छानबीन की थी।

पिछले साल दर्ज मामलों पर छापेमारी
NIA की तरफ से ये छापेमारी पिछले साल दर्ज किए गए तीन अलग-अलग मामलों के सिलसिले में की जा रही है। एजेंसी ने इस साल 25 जनवरी को दीपक रंगा को गिरफ्तार किया था। दीपक मई 2022 में मोहाली स्थित पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर हमले का मुख्य आरोपी था।

इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर हमले के अलावा दीपक कई अन्य आतंकवादी और आपराधिक मामलों में भी शामिल रहा है। उस पर विदेशों में बैठे आतंकियों से भी संबंध रहे हैं। वह कनाडा में गैंगस्टर से आतंकी बने लखबीर सिंह संधू उर्फ लांडा और पाकिस्तान में रह रहे आतंकी हरविंदर सिंह संधू उर्फ ​​रिंदा का भी करीबी सहयोगी रह चुका है।

बाहर से बैठे आतंकी गैंगस्टर्स की कर रहे थे मदद
जांच एजेंसी को जब इस बात का पता चला कि विदेशों में स्थित आतंकवादी संगठन देश के उत्तरी राज्यों में हत्याओं और हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए नेताओं और संगठित आपराधिक गिरोहों के सदस्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। NIA ने 20 सितंबर, 2022 को खुद ही मामला दर्ज किया था।

आतंकी-गैंगस्टर-ड्रग तस्कर नेटवर्क का नेक्सस
यह भी सामने आया था कि आतंकी-गैंगस्टर-ड्रग तस्कर नेटवर्क बंदूक चलाने वालों, अवैध हथियार और गोला-बारूद बनाने वाले के माध्यम से सीमा पार आतंकवादी हार्डवेयर, जैसे हथियार, गोला-बारूद विस्फोटक, IED आदि की तस्करी में लगा हुआ था। इसको लेकर NIA ने पहले ही 19 लोगों और विभिन्न गिरोहों के सदस्यों, दो हथियार सप्लायर और नेटवर्क से जुड़े एक बड़े फाइनेंसर को गिरफ्तार कर लिया है।

आज हुई छापेमारी की राज्यवार खबरें पढ़ें…

1. राजस्थान: लॉरेंस गैंग के करीबियों के जयपुर समेत 6 से ज्यादा ठिकानों पर छापा राजस्थान में बुधवार सुबह जयपुर, चूरू ,अलवर ,हनुमानगढ़, गंगानगर सहित अन्य शहरों में NIA टीम की दबिश जारी है। इस दौरान टीम गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई सहित अन्य गैंगस्टर के ठिकानों पर पहुंची है। इस दौरान बड़ी मात्रा में अवैध हथियार भी बरामद किए गए हैं।

पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक के करीबियों के जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के ठिकानों पर CBI का छापा

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CBI ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक के करीबियों के यहां छापा मारा। ये कार्रवाई मलिक के जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहने के दौरान इंश्योरेंस घोटाले से जुड़ी है। CBI ने जम्मू-कश्मीर और दिल्ली स्थित 9 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। इसमें मलिक के मीडिया सलाहकार रहे सुनक बाली का घर भी शामिल है। घाेटाले की शिकायत खुद मलिक ने की थी। इसके बाद CBI ने केस दर्ज किया था। जांच एजेंसी ने हाल ही में सत्यपाल मलिक के भी बयान दर्ज किए थे।

यह मामला तब सामने आया था जब सत्यपाल मलिक ने दावा किया कि उन्हें 23 अगस्त, 2018 और 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी। घाेटाले की शिकायत खुद मलिक ने की थी। इसके बाद CBI ने केस दर्ज किया था। जांच एजेंसी ने हाल ही में सत्यपाल मलिक के भी बयान दर्ज किए थे।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटिंग सुबह 7 बजे से जारी

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटिंग सुबह 7 बजे से जारी है। यहां 224 सीटों से 2614 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। कर्नाटक के सभी जिलों में पोलिंग स्टेशन पर सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग अपना वोट डालने पहुंच रहे हैं। सुबह 9 बजे तक 8.26% वोट पड़ चुके हैं।

आम लोगों के अलावा सेलिब्रिटीज और नेता भी वोट डालने पहुंच रहे हैं। अभिनेता प्रकाश राज ने शांतिनगर स्थित सेंट जोसेफ इंडियन स्कूल में पोलिंग स्टेशन में मतदान किया। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने वोट डालने से पहले शिकारीपुर के हुच्चाराया स्वामी मंदिर और राघवेंद्र स्वामी मठ में दर्शन किए। वर्तमान मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने हुबली के हनुमान मंदिर और कावेरी के गायत्री मंदिर में पूजा की।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बेंगलुरु के विजयनगर में पोलिंग बूथ में वोट डाला। वोट डालने के बाद उन्होंने कहा कि हम तो हमेशा ही बजरंगबली की पूजा करते हैं, हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, पर कांग्रेस चुनाव के वक्त हनुमान भक्त बन जाती है। कर्नाटक तो हनुमान जी की जन्मथली है। यहां आकर कांग्रेस तो अपने मेनिफेस्टो में बजरंगदल को बैन करने की बात कर रही है। बेवकूफी का उदाहरण इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सकता।

बेंगलुरु में मतदान करने के बाद अभिनेता प्रकाश राज ने कहा कि हमें साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ वोट करना है। चुनाव वह जगह है, जहां आपके पास फैसला करने का अधिकार होता है।
कर्नाटक के पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने चुनाव शुरू होने से पहले अपने परिवार के साथ शिकारीपुर के श्री हुच्चराया स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र शिकारीपुरा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आज बड़ी संख्या में मतदान का समय है। राज्य के लोगों ने फैसला किया है कि वे एक प्रगतिशील, पारदर्शी और कल्याणकारी सरकार चुनेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह कर्नाटक के लोगों से विशेषकर युवा और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से बड़ी संख्या में मतदान करने की अपील की।
मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने दावा किया है कि चित्तपुर विधानसभा के चमनूर गांव के एक पोलिंग बूथ में वोटिंग रोक दी गई है। उन्होंने कहा कि यहां के प्रिसाइडिंग ऑफिसर लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए उकसा रहे हैं।
बेंगलुरु दक्षिण से भाजपा विधायक तेजस्वी सूर्या ने कहा कि बजरंग बली की जन्मभूमि कर्नाटक 13 मई को सभी सवालों के जवाब दे देगी। डीके शिवकुमार और कांग्रेस पार्टी LPG सिलेंडर्स की पूजा कर रहे हैं, उसका हम स्वागत करते हैं। हमें खुशी है कि कांग्रेस किसी तरह की पूजा तो कर रही है।
कर्नाटक मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा कि भ्रष्टाचार में कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा है कि कई लोग तो जमानत पर बाहर हैं। पूर्व सीएम समेत कई लोगों के खिलाफ लोकायुक्त के पास 60 से ज्यादा केस दर्ज कराए गए हैं।
बजरंग दल को बैन करने के सवाल पर जगदीश शेट्‌टार ने कहा कि ये कोई सवाल ही नहीं है। अगर कोई संस्था संविधान के खिलाफ कााम करती है तो उसे बैन करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, न कि राज्य सरकार के पास।

पायलट बोले-गहलोत की नेता वसुंधरा, सोनिया नहीं:चिट्ठी लिखी, 11 से पदयात्रा करूंगा

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राजस्थान CM अशोक गहलोत और नेता सचिन पायलट के बीच की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। उन्होंने गहलोत के आरोपों पर मंगलवार को खुलकर जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘पहली बार देख रहा हूं कि कोई अपनी ही पार्टी के सांसदों और विधायकों की आलोचना कर रहे हैं। भाजपा नेताओं की तारीफ और कांग्रेस नेताओं का अपमान मेरी समझ से बाहर है। यह पूरी तरह गलत है।’

‘मुख्यमंत्री की बातों से लगता है कि उनकी नेता वसुंधरा राजे हैं, सोनिया गांधी नहीं। अपने नेताओं को खुश करने के लिए बहुत सारे लोग बहुत सारी बातें करते हैं, चुगली करते हैं। ऐसी बातें मुझसे भी की जाती हैं, लेकिन मैं मंच पर ये कहूं तो यह शोभा नहीं देता है।’

सचिन की 2 बड़ी बातें, कहा- अब मैं नाउम्मीद हूं

पायलट ने कहा, ‘हमने दिल्ली जाकर अपनी बात कही। वसुंधराजी के भ्रष्टाचार पर कई महीनों से चिट्ठियां लिखीं। अनशन पर बैठा। अब भी जांच नहीं हुई। समझ में आ रहा है क्यों एक्शन नहीं लिया। अब मैं नाउम्मीद हूं। जनता ही भगवान है।’
‘जनता के सामने सभी को नतमस्तक होना रहेगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई को अजमेर से जयपुर तक यात्रा निकालेंगे। 125 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा होगी और इसमें 5 दिन का वक्त लगेगा।’
गहलोत ने कल अमित शाह का पैसा वापस लौटाने की सलाह दी थी
गहलोत ने रविवार को धौलपुर में पायलट कैंप के विधायकों पर सियासी संकट के वक्त 10 से 20 करोड़ रुपए लेने के आरोप लगाया था। गहलोत ने विधायकों को अमित शाह का पैसा वापस लौटाने की सलाह भी दी।

अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत इन सबने मिलकर हमारी सरकार को गिराने का षड्यंत्र किया। राजस्थान में विधायकों को पैसे बांट दिए। यह लोग पैसा वापस नहीं ले रहे हैं। मुझे चिंता लगी हुई है, ये वापस पैसा क्यों नहीं ले रहे हैं? यह पैसा वापस क्यों नहीं मांग रहे हैं?

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी

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अरविंद तिवारी

बात यहां से शुरू करते हैं… इन एमपी-पीएम अप, सीएम डाउन मध्यप्रदेश में आपको जल्दी ही कुछ नया देखने को मिलेगा। दिल्ली से तय हुई एक रणनीति के तहत अब सरकार और संगठन से जुड़ी प्रचार सामग्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही ज्यादा फोकस रहेग। इसके पीछे एक अलग सोच काम कर रही है और इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भी अवगत करवा दिया गया है। अभी तक सरकारी प्रचार में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बराबरी पर रखा जा रहा था, लेकिन जल्दी ही प्रधानमंत्री को ऊपर लाकर यह अहसास करवाया जाएगा कि इधर-उधर कहीं मत देखिए, बस नरेंद्र मोदी पर नजर रखिए और मध्यप्रदेश में एक बार फिर भाजपा को मौका दीजिए। है ना, नरेंद्र मोदी और अमित शाह का अपना तरीका।

गुजरात के भरोसे संगठन का वार रूम

विधानसभा चुनाव के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वार रूम के सक्रिय होने के बाद संगठन के वार रूम को लेकर अलग-अलग चर्चा थी। संगठन के कर्ताधर्ता चुप्पी साधे हुए थे। उनकी चुप्पी का राज अब समझ आ रहा है। दरअसल यह तय हुआ है कि संगठन का वार रूम गुजरात की टीम के जिम्मे रहेगा। उसका मुकाम भी गुजराती टीम को जो स्थान समझ में आएगा वही रहेगा। इतना जरूर होगा कि भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से जुड़े दो-चार लोग इस टीम के साथ सहयोगी की भूमिका में नजर आएंगे। इतना जरूर देखना है यह भूमिका आखिर मिलती किसे है।

कई मायने हैं कैलाश विजयवर्गीय की बात के

भाजपा में इन दिनों कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका बड़ी चर्चा में है। ऐसा माना जा रहा है कि मजबूत जमीनी आधार वाले इस कद्दावर नेता का कद कम करने में दिल्ली-भोपाल में बैठे कुछ बड़े नेता कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। इसके बावजूद भी दमदार इसे मैदान संभाले हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने बहुत बेबाकी से कहा कि भाजपा को कांग्रेस नहीं भाजपा ही हराती है। उनकी इस बात पर गौर करें तो इन दिनों मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा खतरा अपने ही लोगों से है। जिलों के दोरौं पर गए पार्टी के बड़े नेता भी विजयवर्गीय की बात पर ठप्पा लगाते हैं।

बरास्ता नवीन जिंदल हुई दीपक जोशी राह आसान

दीपक जोशी के कांग्रेस में आने की इन दिनों बड़ी चर्चा है। भाजपा के दिग्गज भी यह जानने के इच्छुक हैं कि आखिर जोशी ने ऐसा कौनसा दाव खेला कि पूरी कांग्रेस उनके लिए पलक-पावड़े बिछाती नजर आई। हुआ यूं कि भाजपा से नाराज दीपक ने अपनी व्यथा जोशी परिवार से बहुत स्नेह रखने वाले कांग्रेस के बड़े नेता और उद्योगपति नवीन जिंदल के सामने रखी। नवीन ने उनके तार दिल्ली दरबार से जुड़वाए और वहीं से कमलनाथ से हुए संवाद के बाद तक पहुंचे फरमान के बाद जोशी के कांग्रेस में प्रवेश की राह आसान हो गई। देखना यह है कि कांग्रेस जोशी को कितना संभाल के रख पाती है।

सिंहस्थ की जमीन और मंत्री जी की मोह माया

संघ की पसंद पर उच्च शिक्षा मंत्री बनाए गए मोहन यादव इन दिनों जमीन के मोह में पड़ गए हैं। यादव अलग-अलग फोरम पर इस बात की जोरदार पैरवी कर रहे हैं कि उज्जैन में हर 12 साल बाद होने वाले सिंहस्थ के लिए आरक्षित क्षेत्र को आगे बढ़ा दिया जाए। उनका आशय यह है कि जो जमीन अभी सिंहस्थ के लिए आरक्षित है, उस पर आवासीय क्षेत्र विकसित करने की अनुमति दी जाए। आखिर ऐसा क्यों, सुनने में यह आ रहा है कि जिन जमीनों पर आवासीय क्षेत्र विकसित करने की पैरवी हो रही है, उन पर मंत्री जी नजर डाल चुके हैं और कुछ तो उनकी हो भी गई है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री मंत्री जी की बात मानने को तैयार नहीं।

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

केंद्र में भूतल परिवहन जैसे अहम महकमें का सचिव बनाए जाने के बाद अनुराग जैन की मध्यप्रदेश वापसी की संभावना खत्म सी दिख रही है। इतना महत्वपूर्ण महकमा और फिर नितिन गडकरी जैसे साफ-सुथरे मंत्री को कौन छोडऩा चाहेगा। ये तो हुई एक बात। दूसरी बात यह है कि मुख्य सचिव के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे मोहम्मद सुलेमान और अनुराग जैन पक्के दोस्त हैं। मध्यप्रदेश आकर जैन अपने पक्के दोस्त के मुख्य सचिव बनने की मजबूत संभावनाओं पर पानी भी नहीं फेरना चाहते। हालांकि जैन को मुख्य सचिव के पद पर देखने की चाह रखने वालों की सूची भी बहुत लंबी है।

मजरों टोलो में लगी पुलिस पंचायत तो असर भी देखने को मिला

अलीराजपुर में एसपी के रूप में सफल पारी खेलने के बाद अब धार की कमान संभाल रहे आईपीएस अफसर मनोज सिंह पुलिसिया दायित्व से इतर जिस तरह से जनता से संवाद स्थापित कर रहे हैं उसकी इन दिनों पुलिस महकमे में बड़ी चर्चा है। सामुदायिक अपराधों और राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के लिए कुख्यात अलीराजपुर में मनोज सिंह की कोशिशों के चलते ही पुलिस ने ठेठ देहात की आदिवासी जनता से संपर्क बढ़ाया, मजरे, टोलो और फालियों में चौपाल लगाई,उनकी तकलीफ को समझा और दूर किया, सुख दुख में भागीदार बनी और इसका सीधा फायदा पुलिस को अपराध नियंत्रण में मिला। ‌इस नवाचार को अब आगे बढ़ाने की तैयारी है।

चलते-चलते

दीपक जोशी के भाजपा छोडऩे का असर यह हुआ कि जिन हिम्मत कोठारी, अनूप मिश्रा और सत्यनारायण सत्तन को लगातार अनदेखा किया जा रहा था, उन तक सत्ता और संगठन के मुखिया के फोन पहुंच गए और भोपाल बुलाकर बड़े प्रेम से बात की। वैसे कोठारी और मिश्रा मौका आने पर दीपक जोशी का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं।

पुछल्ला

मध्य प्रदेश के लगभग एक दर्जन मंत्रियों की अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव से पटरी नहीं बैठ रही है। एक विभाग में तो जब प्रमुख सचिव के बार-बार आग्रह के बावजूद मंत्री ने फाइल वापस नहीं लौटायी तो मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा और वहां से अनुमोदन लिया गया।

बात मीडिया की

दैनिक भास्कर को अलविदा कहने वाले भोपाल की मार्केटिंग टीम के 1 साथी का वह मेल इन दिनों बहुत चर्चा में है जिसमें उसने साफ शब्दों में यह कहा कि यहां काम कम और चुगली ज्यादा होती है। इस मेल को प्रबंधन ने भी गंभीरता से लिया है।

नईदुनिया इंदौर में जागरण प्रबंधन ने एक नया प्रयोग किया है। संपादक के रिक्त पद पर अब यहां दो वरिष्ठ साथियों उज्जवल शुक्ला और डॉक्टर जितेंद्र व्यास को संपादकीय प्रभारी की भूमिका सौंपी गई है दोनों 15-15 दिन इस भूमिका का निर्वहन करेंगे। मतलब साफ है कि संजय गुप्ता की इच्छा के मुताबिक सद्गुरु शरण अवस्थी अब इंदौर के बजाय भोपाल में ज्यादा समय देंगे।

नईदुनिया इंदौर में इन दिनों सुपर एडिटर्स की बड़ी चर्चा है। ये सुपर एडिटर ही तय कर रहे हैं कि कौनसी खबर लगेगी और कौनसी नहीं लगेगी। सिटी और डाक की डेस्क भी इन्हें मना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है। सुबह होने वाली एडिटोरियल बैठक में के सवाल-जवाब भी ये सुपर बॉस ही तय कर रहे हैं। किसी खबर या फोटो पर इनकी नापसंदगी का जवाब भी एडिटर टीम से मांगते हैं। कुल मिलाकर इन सुपर एडिटर के आगे पूरी संपादकीय टीम ने घुटने टेक दिए हैं।

दैनिक भास्कर और पत्रिका में शानदार पारी खेल चुके धुरंधर रिपोर्टर शैलेंद्र चौहान अब न्यूज़ 18 मध्य प्रदेश की टीम का हिस्सा हो गए हैं। वे यहां राजनीतिक मामले खासकर भाजपा से जुड़ी खबरों पर फोकस करेंगे।

राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर दंडोतिया news24 मध्य प्रदेश के आरई की भूमिका में आ गए। हैं

1990 में दैनिक भास्कर भोपाल की टीम का हिस्सा रहे संपादकीय साथियों का एक अनूठा समागम रविवार को हुआ। तब के संपादक महेश श्रीवास्तव सहित ज्यादातर साथी इस आयोजन में शामिल हुए और पुरानी यादों को ताजा किया। इस आयोजन के सूत्रधार वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र जैन थे, जो 1990 में खुद इस टीम का हिस्सा थे।

इंदौर, महू और खरगोन में 12 साल नईदुनिया में रिपोर्टर की भूमिका में रहने के बाद वेतन नहीं बढ़ाए जाने और प्रमोशन नहीं होने से आहत अमित भटोरे ने अक्टूबर 22 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने खुद की खबरों का यूट्यूब चैनल शुरू किया था। अब उनका यूट्यूब चैनल तेजी से विस्तार कर रहा है। बहुत ही कम समय में इसके 10 हजार सब्सक्राइबर हो गए हैं।

मध्य प्रदेश में बस हादसा, 15 की मौत

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खरगोन

मध्य प्रदेश के खरगोन में मंगलवार सुबह 8.40 बजे एक बस 50 फीट ऊंचे पुल से गिर गई। खरगोन के एसपी धरम वीर सिंह ने बताया कि 15 लोगों की मौत हुई है और 25 लोग घायल हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी 15 यात्रियों की मौत की पुष्टि की है। 20-25 लोग घायल हैं। घायलों को आसपास के अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है। घटना के लिए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं।

बताया जा रहा है कि बस डोंगरगांव और दसंगा के बीच बोराड़ नदी के पुल की रेलिंग तोड़कर नीचे जा गिरी। नदी सूखी हुई थी। मौके पर एंबुलेंस और प्रशासन के अधिकारी मौजूद हैं। आईजी राकेश गुप्ता ने बताया कि खरगोन के बेजापुर से इंदौर की ओर जा रही थी। रफ्तार तेज होने के कारण अनियंत्रित होकर रेलिंग तोड़ते हुए पुल से नीचे जा गिरी। नदी सूखी होने के कारण अधिकतर यात्रियों को चोट लगी है, लेकिन 15 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई। रेस्क्यू जारी है। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया जा रहा है।

बस में 40 से अधिक लोग सवार थे

डोंगरगांव के रहने वाले राज पाटीदार ने बताया कि मां शारदा ट्रेवल्स की बस में 40 से अधिक लोग सवार थे। हादसे के बाद डोंगरगांव और लोनारा गांव के ग्रामीण मौके पर जुटे। बस के कांच फोड़कर घायलों को बाहर निकाला। ग्रामीणों ने बताया कि गांव से पांच मिनट पहले ही बस निकली थी। बस तेज रफ्तार में चल रही थी।

कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं…

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SHASHI KUMAR KESWANI

नमस्कार दोस्तों आज बात करते है एक ऐसे गीतकार की जो असल में देशभक्ति से लवरेज था। जिसे अपनी देशभक्ति के लिए जेल भी जाना पड़ा। जी हां दोस्तों ये तो उन्होंने खुद ने भी नहीं सोचा था कि वो एक दिन इतने बढ़े गीतकार बनेंगे। वे तो अपने दिल की भावनाओं को देश प्रेम के लिए लिखा करते थे। इनका नाम है श्यामलाल बाबू राय। बाद में वे आजाद के नाम से लिखने लगे। जेल की हवा खाने के बाद जब मुंबई पहुंचे तो शुरुआती दौर में इन्होंने आजाद के नाम से ही गीत लिखे। लेकिन अपने कुछ मित्रों की सलाह पर उन्होंने अपना नाम बदलकर इंदीवर रख लिया। दोस्तों इंदीवर एक ऐसे गीतकार बने जिन्हें शायद ही कोई फिल्म इंडस्ट्री में न जानता हो। इंदीवर भारत के प्रसिद्ध गीतकारों मे से एक थे। 1949 में फिल्म मल्हार के लिए लिखे उनके गीत बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम ने खासी शोहरत हासिल की।

चार दशक के फिल्मी करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में लगभग एक हजार गीत लिखे। ये ऐसे गीत है जिन्हें हर कोई गुनगुनाने पर विवश हो जाता है। 1976 में दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा गीत के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इंदीवर का जन्म 15 अगस्त 1924 को उत्तर प्रदेश के झांसी के बरूवा सागर नामक कस्बे में हुआ था। हालांकि इसमें विवाद है कुछ लोगों का कहना है कि इनका जन्म 1 जनवरी 1924 को हुआ। हालांकि इस बात से इंदीवर ने कभी पर्दा नहीं उठाया। उनके पिता का नाम हरलाल राय था। बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया। जिसके बाद उनकी बड़ी बहन और बहनोई उन्हें अपने साथ लेकर चले गए। लेकिन कुछ समय बाद ही वे वहां से वापस आ गए। बचपन से ही उनकी गीत लेखन में काफी रुचि थी। जिसके चलते वे एक फक्कड़ बाबा के संपर्क में आए। वो बाबा बरूवा सागर में गुलाब बाग में एक विशाल पेड़ के नीचे अपना डेरा जमाकर रहते थे। वे कहीं भिक्षा मांगने नहीं जाते थे। धूनी के पास बैठे रहते थे। बहुत अच्छे गायक थे। फक्कड़ बाबा के सम्पर्क में इन्दीवर को गीत लिखने व गाने की रुचि जागृत हुई। इंदीवर बाबाजी का चिमटा लेकर राग बनाकर स्वलिखित गीत, भजन गाया करते थे। युवावस्था में उनका विवाह उनकी मर्जी के बिना झांसी की रहने वाली पार्वती नाम की लड़की से करा दिया गया। उसी बीच बिना मर्जी के अपनी शादी से रूठकर एक दिन वह मुंबई भाग गए।

उस समय उनकी उम्र केवल बीस साल थी। वहां फिल्म निर्देशकों, कवि-साहित्यकारों की परिक्रमा करते रहे। आखिरकार 1946 में फिल्म डबल फेस में उनका पहला गीत दर्शकों तक पहुंचा। गीत चला नहीं। वह फिर बरुवा सागर लौट गए लेकिन मुम्बई आते-जाते रहे। इधर दांपत्य जीवन सहज होने लगा था। दोबारा जाकर मुंबई में संघर्ष करने लगे। दीवर ने 1949 में फिल्म मल्हार के लिए लिखे उनके गीत ने खासी शोहरत हासिल की। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और पायदान-दर-पायदान बुलंदियां छूते गए। बताते हैं कि वह लाख कोशिश के बावजूद जब अपनी धर्मपत्नी पार्वती, जिसे वह पारो कहते थे, मुंबई न ले जा सके तो उनके गीत विरह और जुदाई के स्वाद में रंगने लगे थे। इसके बाद तो उनके एक से एक गीत चंदन सा बदन, मैं तो भूल चली बाबुल का देश, होंठों से छू लो तुम, फूल तुम्हें भेजा है खत में, प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो, कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, है प्रीत जहां की रीत सदा, जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे, दुश्मन न करे दोस्त ने जो काम किया है आदि तमाम सुपरहिट गीत दिए। मनमोहन देसाई के निर्देशन में फिल्म सच्चा-झूठा के लिये उनका लिखा एक गीत मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनियां.. को आज भी शादियों के मौके पर सुना जाता है।

भाजपा को हर घण्टे नुकसान…

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राघवेंद्र सिंह

संगठन की दृष्टि से देश में सबसे मजबूत राज्य माने जाने वाले मध्य प्रदेश में भाजपा अपने बुरे और सर्वाधिक उथल-पुथल के दौर में फंसी हुई है। दीपक जोशी का कांग्रेस में जाना आने वाले दिनों में तूफान का संकेत देता है। कई दीपक हैं जिनकी लौ फड़फड़ा रही है। आशंकाओं के बीच आशा की जा रही है कि कर्नाटक में मतदान के बाद पार्टी नेतृत्व कुछ बड़ा करेगा। वरना अभी तो हर घण्टे के हिसाब से पार्टी के नुकसान का मीटर डाउन है और इसी अनुपात में कांग्रेस के लाभ का भी।

भाजपा में शिकायत है कि अनुभवी ईमानदार-वफादारों की लंबे समय से उपेक्षा की जा रही। पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर पार्टी में जातिवाद,गुटबाजी,असंतोष, चापलूसी, दलाली, पार्टी और सिद्धांत को छोड़ व्यक्तिवाद के साथ नौसिखियापन का बोलबाला हो रहा है। नए नेताओं की नीयत भले ही खराब न हो लेकिन अनुभवहीनता के कारण ‘अनाड़ी का खेलना और खेल का सत्यानाश’ वाली कहावत को चरितार्थ होती दिख रही है।

पांच प्रभारियों में से कोई भी जब मुंह खोलते हैं तो अटपटी और अहंकार की बोली सुनाई पड़ती है। अनाड़ीपन की बानगी देखिए एक प्रभारी ने तो यह तक कह दिया कि जब नए कप आते हैं तो पुराने टूटे फूटे कप बाहर हो जाते हैं। एक अन्य प्रभारी फरमाते हैं कि उनकी एक जेब में पंडित और एक मे बनिए रखे रहते हैं। आहत करने वाले बोल यहीं नही रुकते- ‘ तीन – चार बार मे जीते विधायक पार्टी फोरम पर या निजी चर्चा में शासन प्रशासन में अपनी उपेक्षा की शिकायत संगठन में करते हैं तो अयोग्य और निक्कमा कह कर अगले बार टिकट नही देने की कही जाती है।’ संगठन मंत्री व प्रभारियों द्वारा वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और नेताओं के समय मांगने पर भी उनसे संवाद ही नही करना मध्यप्रदेश भाजपा की बड़ी समस्या है।

प्रदेश भाजपा पांचाली बना दी है…
पच्चीस बरस पहले अभिवाजित मप्र में एक प्रभारी ही सब कुछ संभाल लेता था और पांच पांच प्रभारी होने पर भी हालात बेकाबू हो रहे हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता रघुनन्दन शर्मा बहुत दुखी हैं और प्रभारियों की अयोग्यता को कुछ यूं बयां करते हैं कि पांचों प्रभारी देवदुर्लभ प्रदेश भाजपा को पांचाली बना उसका रक्षा करने बजाए उलटा चीर हरण करने में लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओम प्रकाश माथुर, प्रमोद महाजन, अनन्त कुमार, वैंकया नायडू का भी प्रदेश के संगठन और सरकार में दखल रहा है। मोदी भी प्रदेश के प्रभारी रहे हैं। लेकिन ऐसे हाल कभी नही रहे। सरकार-संगठन में हालत नही सुधरे सोर डैमेज कंट्रोल नही हुआ तो चुनाव तक भाजपा से बागियों और भितरघातियों की फेहरिस्त लंबी होने वाली है। क्योंकि अभी तो रायता फैलना और उसमें रपटना शुरू हुआ है।मालवा निमाड़, महाकौशल, ग्वालियर-चंबल और विंध्य में असंतोष की खदबदाहट उफान पर आने को है।


नेता-कार्यकर्ताओं में निराशा घर कर रही है। इसे देखने समझने के बाद भी रोकने वाले नजर नही आ रहे हैं। कम लगे तो सुधी पाठक और भाजपा को जानने वाले और भी कुछ जोड़-घटा सकते हैं। इसके चलते जिस भाजपा में कभी अनुशासन का डंका पिटता था वहां भाजपा बगावत की बातें हो रही हैं। समालोचना की जाए तो ये दोष कार्यकर्ताओं का नही बल्कि नेतृत्व और भाजपा में दिल्ली से भेजे गए कच्चे कमजोर प्रभारियों है। इसमें संघ परिवार से भेजे गए बेचारे संगठन मंत्री भी बराबर के गुनहगार है। वैसे तो संगठन महामंत्री रहे कप्तान सिंह सोलंकी के बाद से प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा में गिरावट का दौर आरम्भ हो गया था।

“सांची कहौं” (ग्वालियर से राज चड्डा की FB से साभार)

माना कि पतुरिया का आकर्षण पतिव्रता से अधिक होता है पर वो तब तक ही साथ है जब तक जेब में माल है।उसकी अदाओं पर मर मिटने वालो, तुम्हारे जाने पर वो चूड़ियां नहीं फोड़ने वाली।तुम्हारे बाद उसका आशिक़ कौन हो सकता है,इसकी चिंता वो तब भी करती है जब वो तुम पर मर मिटने की कसमें खा रही होती है।दूसरी और तुम्हारी पत्नी तब भी तुम्हारे लिए मर मिटने की सोचती है जब तुमने उसे अपने दिल से निकाल दिया होता है।


कुछ यही स्थिति आज के भाजपा कार्यकर्ता की है।आंखें खुलने से लेकर आंखें बंद होने तक की नौबत आ गयी पर उसने पार्टी के सिवा कुछ न देखा न सोचा।हाथ में झंडा थामे लाठियां खाते रहे और ज़िंदाबाद करते रहे।बाल बच्चों को छोड़ पार्टी को बढ़ाने में दिन रात एक कर दिया।धंधे रोजगार चौपट हो गए पर इसी में मस्त रहे कि हमने नगर पालिका की चार सीटें जीत ली हैं।दस में जमानत बचा ली है।हारने के लिए चुनाव लड़ते रहे और मकान गिरवी रख कर घर का खर्च चलाते रहे।आपातकाल लगा तो जेलें भर डाली।यातनाएं सहीं पर उफ़्फ़ न की।एक ही सपना कि एक दिन आएगा जब हमारी सरकार बनेगी।हम अपने सपनों का भारत बनाएंगे।
सरकार भी बनीं और हमारे ही बीच के मंत्री और मुख्यमंत्री भी बने।योजनाएं भी बनीं।उन पर अमल भी हुआ।लेकिन उसमें आम कार्यकर्ता की भागीदारी नगण्य रही।वही ठेकेदार जो पहले उनके करीब थे, इनके गले का हार हो गए।धीरे धीरे सत्ता के गलियारों में वे ही दिखाई देने लगे, जिनकी मुर्दाबाद बोलते बोलते हम यहां तक पहुंचे थे।उनके कदमों के निशान हर मंत्री के दरवाज़े पर दिखाई दे रहे थे, जिनकी लाठियों के निशान हमारी पीठ पर अनेकों बार अंकित हो चुके थे।घर वाली बाहर और पतुरिया अंदर।


मेरे ही अनेक साथी और मुझसे वरिष्ठ नेता आज मेरी ही भाषा बोल रहे हैं तो इसलिए नहीं कि उन्हें पद प्रतिष्ठा नहीं मिली।उनकी सतत उपेक्षा हुई।यह पीड़ा अस्वाभाविक भी नहीं है।किंतु जिनके विरुद्ध हम सतत संघर्ष करते रहे, वे व्यक्ति और वे मूल्य ही आप के सब कुछ हो गए।ठकुर सुहाती के आगे सच्ची सलाह अपमानित होती रही।आज सत्यनारायण सत्तन , भंवर सिंह शेखावत जैसे बीसियों कार्यकर्ता मुखर हो रहे हैं तो वो केवल दो चार नहीं हैं, प्रदेश के हज़ारों कार्यकर्ताओं की दमित आवाज हैं।सत्ता को चाहिए कि उनकी सुने।पार्टी की वर्तमान स्थिति के लिए उनके दर्द को समझे।नहीं तो सरकारें तो आनी जानी हैं, जो हमारी मूल पूंजी थी, समर्पित कार्यकर्ता उसके घर बैठने पर हम कहीं के नहीं रहेंगे। हम कहीं जाने वाले भी नहीं हैं।भाजपा का झंडे में ही दुनिया से जायेंगे।
आज खुशबीर सिंह शाद का वह शेर याद आ रहा है ।


“ये तेरा ताज नहीं, हमारी पगड़ी है,
सर के साथ ही जाएगी, सर का हिस्सा है”

नाव हादसे में अब तक 22 की जान गई

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केरल के मलप्पुरम जिले के तनूर इलाके में थूवलथीरम समुद्र तट के पास रविवार शाम एक हाउसबोट पलट गई। इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। बताया जा रहा है कि नाव में 40 लोग सवार थे। हालांकि, राज्य के राजस्व मंत्री के. राजन ने नाव में सवारों के सही आंकड़े होने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भी घटनास्थल पर जल्द पहुंचेंगे। एनडीआरएफ के नेतृत्व में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। स्कूबा डायविंग टीम को भी बुलाया गया है। साथ ही नौसेना की टीम और कोस्ट गार्ड की टीम भी पहुंची हैं।

इस बीच नाव में सवार लोगों को बचाने की कोशिशें जारी हैं। क्षेत्रीय अग्निशमन अधिकारी शिजू केके ने बताया कि अब तक हमने 22 लाशें बरामद की हैं। हमें नाव पर सवार लोगों की सही संख्या का पता नहीं है, इसलिए हम यह पता लगाने के लिए खोज जारी रखे हुए हैं कि क्या और भी पीड़ित कीचड़ में फंसे हैं या नहीं।

स्वास्थ्य मंत्री ने बुलाई आपात बैठक
राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि दुर्घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने स्थिति का आकलन करने के लिए आपात बैठक बुलाई। बयान में कहा गया है कि जॉर्ज ने निर्देश दिया कि घायलों के लिए विशेषज्ञ उपचार सुनिश्चित किया जाए और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया तेज की जाए ताकि शवों को जल्द से जल्द परिजनों को सौंपा जा सके। इसमें कहा गया है कि त्रिशूर और कोझीकोड जैसे जिलों से डॉक्टरों सहित पर्याप्त कर्मचारियों को बुलाकर तिरूर, थिरुरंगडी, पेरिंथलमन्ना अस्पतालों और मनचेरी मेडिकल कॉलेज में पोस्टमॉर्टम किया जाए।

आज घटनास्थल का दौरा करेंगे सीएम विजयन, आधिकारिक शोक घोषित
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा कि सीएम विजयन सोमवार को घटनास्थल का दौरा करेंगे। बयान के अनुसार, सोमवार को आधिकारिक शोक का दिन घोषित किया गया है और पीड़ितों के सम्मान में सभी सरकारी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं।

राष्ट्रपति ने शोक व्यक्त किया
मलप्पुरम नाव हादसे पर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शोक व्यक्त किया। राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, केरल के मलप्पुरम में नाव दुर्घटना में लोगों की मौत बेहद चौंकाने वाली और दुखद है। अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। मैं जीवित बचे लोगों की सलामती के लिए प्रार्थना करती हूं।”

उपराष्ट्रपति ने जताया शोक
मलप्पुरम नाव दुर्घटना पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “नाव पलटने की घटना में लोगों की मौत से गहरा दुख हुआ, शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना; सभी के सुरक्षित बचाव और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”

पीएम मोदी ने जताया दुख
घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि केरल के मलप्पुरम में नाव दुर्घटना में लोगों की मौत से दुखी हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना। प्रत्येक मृतक के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी।

राहुल गांधी ने जताया शोक
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हादसे में लोगों की मौत पर शोक जताया। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “केरल के मलप्पुरम में एक हाउसबोट के डूबने की खबर से व्यथित हूं। उन सभी के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।” उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बचाव अभियान में अधिकारियों की मदद करने की अपील करता हूं।”

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने जताया शोक
कांग्रेस सांसद और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मलप्पुरम नाव दुर्घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “यह बहुत ही चौंकाने वाली घटना है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। सरकार को युद्धस्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए। मैंने पार्टी कार्यकर्ताओं से राहत गतिविधियों में शामिल होने का अनुरोध किया है।”

मरने वालों में ज्यादातर बच्चे
पर्यटन मंत्री पीए मोहम्मद रियास के साथ बचाव अभियान का कॉर्डिनेशन कर रहे केरल के खेल मंत्री वी अब्दुरहीमन ने बताया कि जिन अस्पतालों में नाव के अंदर फंसे लोगों को निकालकर भर्ती किया गया है उनसे मिली जानकारी के आधार पर 20 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। उन्होंने कहा कि मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं जो स्कूल की छुट्टियों के दौरान घूमने के लिए आए थे। घटना रविवार की शाम सात बजे मलप्पुरम के ओट्टूमपुरम के थूवलथीरम में हुई। अब्दुरहीमन ने कहा कि गंभीर हालत में चार लोगों को कोट्टाकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा कि 20 शवों में से 15 की पहचान कर ली गई है। उन्होंने बताया कि नाव को तट पर लाया जा रहा है। नाव के अंदर से और शव मिलने की संभावना है।’

40-50 लोग सवार थे
घटना के बाद तैरकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे एक युवक ने बताया कि हाउसबोट पर कम से कम 40-50 लोग सवार थे। खुद को शफीक बताने वाले शख्स ने बताया कि नाव डबल डेकर थी। उनके मुताबिक, दो दरवाजे थे लेकिन नाव पलटने के बाद अंदर के दरवाजे बंद हो गए।

मणिपुर में वायलेंस जोन से निकलने की होड़, 2500 से बढ़कर 25000 रुपए हुआ फ्लाइट का किराया

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हिंसा में झुलसते मणिपुर में अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है. 100 से ज्यादा लोग जख्मी हैं. कई घर मलबे के ढेर में तब्दील हो चुके हैं तो वहीं आगजनी के बाद कई घर खंडहर बन चुके हैं. यहां के लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. एक तरफ आगजनी और पथराव के बीच लोग डर के साए में रहने के लिए मजबूर हैं. उन्हें केई गुना ज्यादा कीमत पर पेट्रोल, राशन और दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं. तो वहीं दूसरी तरफ मणिपुर से बाहर निकलने के रास्ते भी मुश्किल होते दिखाई पड़ रहे हैं.

मणिपुर से जाने वाली फ्लाइट का किराया आसमान छूने लगा है. मणिपुर के इंफाल से कोलकाता जाने वाली फ्लाइट का किराया बढ़कर 12 हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक हो गया है. वहीं, इंफाल से गुवाहाटी के बीच चलने वाली फ्लाइट के टिकट का दाम बढ़कर 15 हजार रुपए हो गया है. हालांकि, मणिपुर के हालात को देखते हुए इंफाल और कोलकाता के बीच अतिरिक्त फ्लाइट चलाई गई थीं, लेकिन बेतहाशा दाम बढ़ने से लोगों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है.

269 KM के 15 हजार रुपए!
फ्लाइट बुकिंग वेबसाइट मेक माई ट्रिप के रेट चार्ट के मुताबिक आमतौर पर इंफाल से कोलकाता के बीच फ्लाइट का किराया 2500 रुपए से लेकर 5000 के बीच होता है. इतना ही किराया इंफाल से गुवाहाटी के लिए चलने वाली फ्लाइट का भी होता है. हवाई दूरी की बात करें तो इंफाल से कोलकाता की दूरी महज 615 किलोमीटर है, वहीं, इंफाल से गुवाहाटी की हवाई दूरी महज 269 किलोमीटर ही है.

आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मणिपुर हिंसा मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदी वाला की पीठ मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी. अर्जी में हिंसा ग्रस्त इलाकों में बेघर हुए मैती जनजाति के लोगों के पुनर्वास के लिए समुचित इंतजाम करने का आदेश देने की भी अपील की गई है.

इंफाल: कर्फ्यू में दी गई ढील
मणिपुर की राजधानी इंफाल की बात की जाए तो सोमवार को इंफाल के थंगल बाजार इलाके में कर्फ्यू में ढील दी गई. इस दौरान लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए अपने घरों से बाहर निकले. एजेंसी के मुताबिक 54 मृतकों में 16 शव चुराचंदपुर जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए हैं, जबकि 15 शव इम्फाल ईस्ट के जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में हैं. इसके अलावा इंफाल पश्चिम के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की पुष्टि की है. हालांकि, प्रशासन सिर्फ 37 लोगों की मौत की पुष्टि कर रहा है. मणिपुर में हिंसाग्रस्त इलाकों से अब तक 23,000 लोगों को निकालकर सैन्य छावनियों में ले जाया गया है.

डॉ. जोशी को बनाया मुख्य सचिव
हिंसा से निपटने के लिए मणिपुर सरकार एक के बाद एक फैसले ले रही है. इसी क्रम में सरकार ने डॉ. विनीत जोशी को राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है. मणिपुर कैडर के 1992 बैच के आईएएस अधिकारी जोशी ने डॉ. राजेश कुमार की जगह ली है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आए जोशी शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे. मणिपुर सरकार की अपील के बाद केंद्र ने जोशी को उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया है.