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भाजपा में कसावट की भनक , कांग्रेस में जीत का जुनून…

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राघवेंद्र सिंह

मध्य प्रदेश की सियासत में कल क्या होगा …? इसका उत्तर 13 मई कर्नाटक चुनाव नतीजे के बाद आएगा। कांग्रेस और भाजपा में कौन पद पर बना रहेगा बचेगा, कौन जाएगा, किसका कद बढ़ेगा किसका घटेगा यह सब मई के दूसरे सप्ताह से तय होना शुरू हो जाएगा। प्रदेश के दो बड़े दल कांग्रेस-भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कर्नाटक चुनाव में व्यस्त है इसलिए राज्य की राजनीति और नेताओं के बारे में सब कुछ पता होने के बाद भी फैसलों की घोषणा होने में 15 दिन का वक्त तो लगेगा ।
सूबे में भाजपा को लेकर अगर सोचे तो 15 अप्रैल को 14 वरिष्ठ नेताओं ने जमीनी कार्यकर्ताओं से संवाद कर अपनी अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को वरिष्ठ नेता शिव प्रकाश के मार्बत सौंप दी है। इसका आशय यह निकाला जा सकता है कि प्रदेश में संगठनों सरकार का मर्ज शीर्ष नेतृत्व को पता चल चुका है अब उसके जहां तक इलाज की बात है वह भी तय हो चुका होगा उस पर अमल कर्नाटक चुनाव के बाद होता हुआ सबको दिखेगा। प्रदेश भाजपा में छोटे-मोटे बदलाव हो रहे हैं मसलन संवाद प्रमुख लोकेंद्र पाराशर को नई जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश भाजपा का मंत्री बना दिया गया है उनके स्थान पर ग्वालियर से संबंध रखने वाले आशीष अग्रवाल संवाद प्रमुख बनाए गए । इसके पूर्व प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण संभाग इंदौर के प्रभारी राघवेंद्र गौतम को बनाया गया है। यह दायित्व प्रदेश भाजपा के महामंत्री भगवानदास सुनाने के पास था। ऐसे में लगता है संगठन में बदलाव शुरू हो गया है । जहां तक शिवराज सरकार का सवाल है केंद्रीय नेतृत्व मंत्रिमंडल विस्तार के प्रस्ताव को डाल दिया था उम्मीद की जा रही है 15 मई के बाद इस मुद्दे पर भी स्थिति साफ हो जाएगी। विस्तार में विलंब को लेकर भी सियासी अटकल बाजी आज चल रही हैं। चुनावी साल में केंद्रीय नेतृत्व कितने घोड़े और सेनापति बदलेगा इसका अंदाजा भी किसी को नहीं है। लेकिन संगठन इस बात से जरूर चिंतित है कि उसके बहुत से पदाधिकारी संगठन का दायित्व उठा रहे हैं और चुनाव लड़ने की इच्छा भी जता रहे। इससे संगठन को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है चुनाव लड़ने के इच्छुक पदाधिकारी ना तो संगठन में ठीक से समय दे पा रहे हैं और ना अपने क्षेत्र में जहां से वह चुनाव लड़ना चाहते हैं। दूसरा यह कि जो कार्यकर्ता क्षेत्र में चुनाव की तैयारी कर रहे हैं वह चुनाव लड़ने के इच्छुक उन पदाधिकारियों को लेकर अजीब सी दुविधा में है आखिर वह उनके साथ सहयोग करे या फिर विरोध । क्योंकि जो पदाधिकारी हैं वही उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी भी हैं।ऐसे में संगठन के भीतर अंतर कलह का दौर शुरू हो गया है जिसे संभालना संगठन के लिए टेढ़ी खीर लगता है। भाजपा कमजोर नेताओं के कारण कांग्रेस की तुलना में डैमेज कंट्रोल में पिछड़ गई है। नगर निगम चुनाव इसके जीते जागते उदाहरण हैं।
सबको पता है कि प्रभारी नेता शिवप्रकाश जी के प्रदेश के नेताओं की पूरी कुंडली आ चुकी है। रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष गुण दोष और निर्णय से होने वाले नफा नुकसान को ध्यान में रख निर्णय कर लिया जाएगा। इसमे कर्नाटक चुनाव के नतीजे महत्वपूर्ण रहेंगे।

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कांग्रेस के विश्वास में इजाफा
चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस में विश्वास 2018 की तुलना में खासा बढ़ा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सक्रियता और कमलनाथ का भी एक्टिव मोड पर आना कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मैदान में सक्रिय कर रहा है इसके पीछे सबसे खास बात यह है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की सुस्ती और जनता में एंटी इनकंबेंसी कांग्रेस को उत्साहित कर रही है। भाजपा के असंतुष्ट पर कांग्रेस नेताओं की ना केवल नजारे बल्कि भी उनसे संपर्क भी बनाए हुए इसलिए टिकट वितरण के दौरान भाजपा की बनावत को कॉन्ग्रेस हवा देने की तैयारी कर रही है इसमें भाजपा के बागियों को टिकट देना भी रणनीति का महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है।

भाजपा और कांग्रेस-जो दल बगावत रोकेगा वही जीतेगा…

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राघवेंद्र सिंह

मध्यप्रदेश समेत चार राज्यों में विधानसभा चुनाव इस साल के आखिर दिसंबर तक होना है। सियासी हलको से लेकर जनता के बीच यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर अगली सरकार किसकी बनेगी..? 2018 की भांति मप्र में मुकाबला कांटे का दिख रहा है। इस बार आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ऊवेसी की पार्टी ऑल इंडिया मजसिल ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन की एंट्री चुनाव को और भी दिलचस्प बनाएगी। ये दोनों दल भाजपा और कांग्रेस के बागियों के लिए लॉन्चिग पेड की तरह काम करेंगे। इससे दोनों ही दलों की मुश्किलें बागियों को रोकने में पहले से ज्यादा बढ़ जाएंगी। जिस दल में बगावत रोकने की टीम जितनी मजबूत होगी उसके चुनाव जीतने की संभावना उतना ही बेहतर होती जाएगी। पिछले चुनाव में भाजपा को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ा था और सरकार बनाने के बाद कांग्रेस को। सबको पता है सिंधिया समर्थकों विद्रोह के बाद शिवराज के नेतृत्व में भाजपा सत्तारूढ़ हो गई थी। सबसे खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव से यह भी तय होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को बहुमत मिलने वाला है।


इसका सबसे सटीक उत्तर है प्रत्याशी चयन ठीक से हो जाए, नाराज कार्यकर्ता काम लगाने के बजाए ईमानदारी से काम पर लग जाए। कांग्रेस में कार्यकर्ताओं को जोड़ने और प्रत्याशी चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम दिग्विजय सिंह को घोषित और अघोषित रूप से सौंप दिया है। पिछले चुनाव में भी कार्यकर्ताओं को मनाने और सक्रिय करने के साथ उम्मीदवार चुनने में दिग्विजय सिंह की भूमिका निर्णायक रही थी। इसके लिए पंगत में संगत का उनका अभियान खूब कामयाब रहा था। इस बार भी श्री सिंह फिर मैदान में है। कांग्रेस के लिहाज से अच्छी बात यह भी है कि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी स्वभाव में विपरीत खूब दौरे कर रहे हैं। इसके पीछे एक खास वजह यह भी है कि 15 महीने मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में सत्ता का जो चस्का कमलनाथ को लगा था उसे वे किसी भी हालत में फिर से हासिल करना चाहते हैं। सीएम के पद हटने और सरकार गिरने की घटना को वे अपमान के रूप में जहर बुझे तीर की तरह चुभी महसूस कर रहे हैं। नाथ की दशा सियासत के उस घायल खिलाड़ी की भांति है जो पांच सीएम बने रहने का सपना लेकर शपथ लेते हैं और 15 महीने में संवादहीनता भरे व्यवहार के कारण विदा हो जाते हैं। जाहिर है यह उन्हें अपने राजनीतिक जीवन में सबसे अधिक दुःखद लगता होगा। कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की सक्रियता प्रत्याशी चयन नेताओं की खोज करना साथ ही बगावत को लेकर डैमेज कंट्रोल करने का काम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के ही खाते में रहेगा। कांग्रेस के दोनों वयोवृद्ध नेता संभवत सक्रिय राजनीति के अंतिम पड़ाव पर हैं। इसलिए अंत भला तो सब भला की तर्ज पर अपना सब कुछ दांव पर लगाना चाहते हैं।


भाजपा में डेमेज कंट्रोल कमजोर…
भाजपा की सबसे बड़ी ताकत उसके कार्यकर्ताओं की सक्रियता और बगावत के मुद्दे पर सबसे ज्यादा मजबूत डैमेज कंट्रोल करने की टीम रही है लेकिन पिछले 5 सालों में भाजपा का यह सबसे मजबूत पक्ष सबसे ज्यादा कमजोर नजर आ रहा है नगर निगम चुनाव में प्रत्याशी चयन और पार्टी की पराजय सबको चिंतित कर दिया है। इस मामले में पार्टी की चिंता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। दरअसल अभी तक पार्टी ने इस मुद्दे पर जितने भी उपाय किए हैं देना काफी नजर आ रहे हैं जय बात खुफिया तंत्र से लेकर पार्टी के सर्वे और मीडिया रिपोर्ट में भी बहुत प्रमुखता के साथ निकल कर आई है। बार-बार कहां जा रहा है कि इस बार एंटी इनकंबेंसी को लेकर 230 प्रत्याशियों में से लगभग 60 से 80 वर्तमान विधायकों के टिकट काटे जाएंगे पार्टी की चिंता यह भी है कि टिकट कटने के बाद जो बगावत होगी उससे कौन और कैसे रुकेगा क्योंकि पिछले चुनाव में बागियों को मनाने में पार्टी का मैनेजमेंट बुरी तरह असफल हुआ था। उसी के चलते हैं भाजपा सत्ता के बाहर हो गई थी।

प्रदेश की 16 नगर निगम के चुनाव में सात पराजय के जो प्रमुख कारण थे – उनमें प्रत्याशी चयन में गड़बड़ी और बगावत को काबू में नहीं कर पाना सबसे प्रमुख था। जैसे कांग्रेस में अकेले दिग्विजयसिंह इस काम को करते हैं वैसा भाजपा के अब तक राज्य और दिल्ली से भेजे गए नेताओं में कोई भी नही दिख रहा है। जैसे जैसे चुनाव की बेला निकट आएगी भाजपा के समक्ष डैमेज कंट्रोल की चिंता और विकट होती जाएगी। अभी तक तो किए गए उपाय और नेतागण अक्षम और बेअसर ही हो रहे हैं। इसमें जितनी देरी होगी भाजपा को हर घण्टे नुकसान होता जाएगा। अभी तो नेतृत्व कर्नाटक चुनाव में उलझा है उम्मीद की जा रही है कि कर्नाटक चुनाव के बाद केंद्रीय नेतृत्व ऑपरेशन एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शुरू करेगा।

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी

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ARVIND TIWARI

मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता बहुत बढ़ गई है। संघ प्रमुख मोहन भागवत तो लगातार प्रदेश का दौरा कर ही रहे हैं, संघ से जुड़े तीन और दिग्गज शिवप्रकाश जायसवाल, अजय जामवाल और मुरलीधर राव भी रात-दिन एक किए हुए हैं। इस बढ़ी हुई सक्रियता का कारण यह है कि पिछले दिनों संघ ने जो सर्वे करवाया, उसमें मध्यप्रदेश में सत्ता हाथ से जाने के संकेत मिले हैं। इसका कारण भारी भ्रष्टाचार, नौकरशाही का हावी होना, मंत्री, विधायक और पार्टी के जिम्मेदार लोगों का नौकरशाहों के साथ गठबंधन तथा कार्यकर्ताओं में निराश्य भाव बताया जा रहा है। देखते हैं मददगार की भूमिका में आने के बाद संघ का संघर्ष भाजपा को सत्ता का मुकाम दिलवा पाता है या नहीं।

ऊपर नीचे होने लगी है दिग्गजों की सांसें

विधानसभा चुनाव में फिर किस्मत आजमाने की बाट जोह रहे भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों की सांसें ऊपर नीचे होने लगी है। ये वे दिग्गज हैं जो दोनों दलों में अहम भूमिका में हैं और ये मानकर चल रहे हैं कि उनकी ही पार्टी को सत्ता में आने का मौका मिलेगा। परेशानी दूसरी है, मंत्री रहते हुए या विपक्ष में बड़ी भूमिका निभाते हुए ये नेता जमीन से कटने लगे थे, और अपने विधानसभा क्षेत्र में इनका आधार दरक गया है। अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, विधानसभा क्षेत्रों में इन नेताओं की सक्रियता बढ़ती जा रही है। मुक्तहस्त से खर्च करने के साथ ही सुख-दु:ख में सहभागी बनने लगे हैं और उन लोगों के यहां दस्तक दे रहे हैं, जो इनकी हार-जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

शिवराज की रणनीति और भाजपा का वार रूम

विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की टीम ने तो मंत्री भूपेन्द्र सिंह के निवास पर मैदान संभाल लिया है। यह टीम इलेक्शन स्ट्रेटजी पर काम शुरू कर चुकी है और इसमें मुख्य भूमिका इंदौर के निशित शरण निभा रहे हैं। शरण पहले भी भाजपा के मुख्य रणनीतिकार रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर भाजपा का वार रूम कब शुरू होगा? ठीक वैसा ही वार रूम जो 2003 के चुनाव के डेढ़ साल पहले अनिल दवे की अगुवाई में शुरू हुआ था और तब से लेकर अभी तक के हर विधानसभा चुनाव के सालभर पहले काम करना शुरू कर देता है। वैसे वार रूम के विशेषज्ञ माने जाने वाले दोनों दिग्गज अनिल दवे और विजेश लुणावत अब इस दुनिया में नहीं हैं।

कहें कुछ भी पर नेता तो कमलनाथ को मान ही लिया है

दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह भले ही अलग-अलग जगह, अलग-अलग बात कहें, पर सबने यह तो मान ही लिया है कि मध्यप्रदेश में उनके नेता कमलनाथ ही हैं। यही कारण है कि जो कमलनाथ कहते हैं, उसे अन्त में सब मान ही लेते हैं। पिछले दिनों क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपने के उनके फैसले को इसी के चलते सबने चुपचाप स्वीकार कर लिया। दरअसल मैदानी सक्रियता के अलावा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा वित्तीय प्रबंध और मैनेजमेंट का है और इस मामले में सबकी निर्भरता कमलनाथ पर ही है। यह काम आसान नहीं है और इसी मोर्चे पर मजबूती ने कमलनाथ को मजबूत कर रखा है।

पटरी से उतरी नेताजी की हवाई ट्रेन

तेज रफ्तार वंदेभारत ट्रेन इंदौर और रीवा के बीच चलाने की कोई अधिकृत घोषणा नहीं की पर इंदौर से लेकर रीवा तक नेताओं ने हवा-हवा में यह ट्रेन दौड़ा दी। इन नेताओं में इंदौर के बेहद उत्साही सांसद शंकर लालवानी भी शामिल हैं। अब इस मुद्दे पर लालवानी और रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा की खूब किरकिरी हो रही और रेलवे के अधिकारी जवाब देते-देते थक गए कि अभी यह ट्रेन चलाने की कोई तारीख नहीं आई है। बता दें कि वंदेभारत ट्रेन पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। अब इस मामले में की गई हवा-हवाई पर ऊपर की नाराजगी का शिकार किसे कितना होना पड़ता हैं यह तो समय ही बताएगा।

बुंदेलखंड के 1 जिले में कलेक्टर विधायक की जुगलबंदी

किसी जिले में नेता और अफसर की जुगलबंदी हो जाए तो दोनों की ही बल्ले-बल्ले। बुंदेलखंड के एक जिले में इसका उदाहरण भी देखने को मिल रहा है। यहां एक विधायक और कलेक्टर की जमकर पट रही है और इतनी पट रही है कि दोनों मिलकर एक संयुक्त उपक्रम की स्थापना करने जा रहे हैं। यह उपक्रम एक होटल की शक्ल में होगा और जल्दी ही आकार ले लेगा। जुगलबंदी वाले विधायक और कलेक्टर यहीं नहीं रुकने वाले हैं, ये आगे भी मिलकर ही काम करेंगे। अब इनकी जुगलबंदी के कारण किसी को परेशान होना पड़े तो उसका हम क्या कर सकते हैं।

पहले ही दौरे में हो गया राघवेन्द्र गौतम के दबदबे का अहसास

काम के बोझ में दबे होने के कारण भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी इंदौर संभाग का प्रभारी होने की भूमिका के साथ न्याय नहीं कर पा रहे थे। इसका असर इंदौर संभाग के जिलों के कामकाज में देखने को मिल रहा था और कुछ जिलाध्यक्ष स्वछंद हो गए थे। अब यह भूमिका राघवेन्द्र गौतम को दे दी गई है, जो संघ के प्रियपात्र होने के साथ ही वीडी शर्मा और हितानंद के भी खासमखास हैं। उनके दबदबे का अहसास इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वे पहली बार इंदौर आए तो इंदौर भाजपा के सारे दिग्गज उनकी अगवानी में पलक पावड़े बिछाकर खड़े थे। वैसे गौतम स्वछंदता को पसंद नहीं करते हैं और नकेल कसने में भी पीछे नहीं रहते हैं।

चलते-चलते

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की भाव-भंगिमा ने इन दिनों कई चर्चाओं को जन्म दे रखा है। मुख्यमंत्री से मिलने वाले यह कहते सुने जा रहे हैं कि शिवराज तो ऐसे नहीं थे। हमेशा लोगों से गर्मजोशी से मिलने और आत्मिक संवाद करने वाले मुख्यमंत्री इन दिनों गुमशुम से रहते हैं। उनसे मिलने वाले मंत्री, सांसद और विधायक भी समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

पुछल्ला

मध्यप्रदेश दुग्ध संघ के एक अफसर अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भी उसी अंदाज में काम कर रहे हैं, आखिर ऐसा क्यों? दरअसल विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा इस अफसर पर बहुत मेहरबान हैं। यही कारण है कि दस्तावेजों पर सबकुछ सामने आने के बाद भी बामरा उक्त अफसर को बचा रहे हैं और यह उन्हीं का प्रताप है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी दागी अफसर की हैसियत बरकरार है।

अब बात मीडिया की

ख्यात टीवी पत्रकार रजत शर्मा ने इंदौर में भास्कर उत्सव के कार्यक्रम में शिरकत करते हुए जिस अंदाज में डॉ. भरत अग्रवाल का उल्लेख किया, वह भास्कर समूह में डॉ. अग्रवाल के दबदबे और देश के बड़े पत्रकारों से उनके संबंधों का अहसास करवाता है।

आखिरकार नवीन यादव नहीं माने और नईदुनिया को अलविदा कह ही दिया। स्टेट एडीटर सद्गुरुशरण ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की थी। नवीन ने नईदुनिया से मुक्ति पाने के पहले बड़ा धमाका कर दिया। उन्होंने संस्थान के वाट्सएप ग्रुप पर जो विदाई पत्र लिखा, वह कइयों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। यह पत्र इन दिनों जागरण नईदुनिया समूह में हलचल मचाए हुए है।

दैनिक भास्कर में आशुतोष मिश्रा गिरीश अग्रवाल की कोर टीम का हिस्सा हो गए हैं। वे गिरीश जी से जुड़ी अखबारी जिम्मेदारियों के निर्वहन में देशभर में सक्रिय रहेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र जैन का डिजिटल प्लेटफॉर्म सबकी खबर दिन-ब-दिन लोकप्रिय होता जा रहा है। बहुत कम समय में इसे एक नया मुकाम हासिल हुआ है।

युवा पत्रकार स्वतंत्र शुक्ला अब भास्कर डिजिटल टीम का हिस्सा हो गए हैं। वे पहले डिजियाना न्यूज में प्रशिक्षु पत्रकार थे और बाद में ईटीवी में सेवाएं दे रहे थे।

एलजीबीटी लोगों के परिजनों ने CJI को लिखा पत्र, समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग

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TIO NEW DELHI

एलजीबीटीक्यूआईए+समुदाय के लोगों के परिजनों ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में मुख्य न्यायाधीश से अपील की गई है कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी दी जाए। बता दें कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। केंद्र सरकार इसका विरोध कर रही है। सरकार का तर्क है कि शादी को कानूनी मान्यता देना विधायिका का काम है।

बार काउंसिल ने किया विरोध
रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी विभिन्न राज्यों की बार काउंसिल के साथ संयुक्त बैठक की। इस बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई कि सुप्रीम कोर्ट को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का मामला विधायिका के लिए छोड़ देना चाहिए।

कमलनाथ का शिवराज सरकार के खिलाफ ‘आरोप पत्र

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TIO BHOPAL

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, शिवराज सरकार के खिलाफ आरोप पत्र लाएगी। PCC चीफ कमलनाथ ने 3 कैटेगरी में इसे तैयार कराया है। इसे प्रिंट कराकर कांग्रेस जल्द जिला स्तर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। बुक, पैंपलेट और पोस्टर्स के जरिए इसे जनता तक पहुंचाने की प्लानिंग है।

आरोप पत्र समिति के अध्यक्ष और पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने बताया कि कांग्रेस ने आरोप पत्र को 3 भागों बांटा है। पहला भाग फाइनेंशियल करप्शन यानी आर्थिक रूप से किए गए घोटालों का है। दूसरे पार्ट में कुशासन को लेकर पॉइंट्स शामिल किए गए हैं। तीसरा पार्ट कुप्रबंधन का है। तीनों कैटेगरी में 388 पॉइंट्स शामिल किए गए हैं। आरोप पत्र में पंचायत से लेकर मंत्रालय तक में हुई गड़बड़ियों और घोटालों को शामिल किया गया है।

इन तीनों कैटेगरी के अनुसार आरोप पत्र में मुद्दे शामिल किए गए हैं। करीब 6 महीने की एक्सरसाइज के बाद पिछले हफ्ते कमलनाथ के बंगले पर हुई बैठक में इसे फाइनल किया गया है। भाजपा सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में की गई गड़बड़ियों, घोटालों, अनियमितताओं के मामलों को लेकर कांग्रेस जनता के बीच आरोप पत्र की बुक बनाकर पेश करेगी। एक महीने में ये किताब पब्लिश होगी। कांग्रेस के कार्यकर्ता इसे जनता तक पहुचाएंगे।

कांग्रेस का दावा, भाजपा सरकार में घोटालों की लंबी लिस्ट

कांग्रेस ने प्रदेशभर से बड़े घोटालों और गड़बड़ियों की जानकारी मंगाई थी। इनकी स्क्रूटनी करने के बाद जिन मामलों में पुख्ता सबूत मिले हैं, उन मामलों को आरोप पत्र में शामिल किया गया है। कांग्रेस, बड़े नेता दौरे के वक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस और मंच से जनता के बीच इन्हें पढ़कर सुनाएगी। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 18 साल की भाजपा सरकार में घोटालों की लंबी लिस्ट है। हम ऐसी प्लानिंग कर रहे हैं कि सोशल मीडिया पर VIDEO, रील्स जैसे कंटेंट के जरिए भी शिवराज सरकार की हकीकत जनता को बताई जा सके। कांग्रेस युवा वर्ग को इन घोटालों और गड़बड़ियों के कारण हुए नुकसान से परिचित कराने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेगी।

गड़बड़ियों पर अफसरों ने पर्दे डाले, इन्हें सामने लाएंगे

पारस सकलेचा का कहना है कि भाजपा सरकार में जो घोटाले और गड़बड़ियां हुईं, उनमें कार्रवाई करने के बजाए अफसरों ने भी पर्दे डालकर उसे दबाने का प्रयास किया है। इसे लेकर कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ हर जिले में प्रेस वार्ता कर जनता तक आरोप पत्र के मुद्दे पहुंचाएंगे। पूरे राज्य में कांग्रेस इसको लेकर अभियान भी चलाएगी।

आरोप के 388 पॉइंट्स, 3 कैटेगरी

1.) आर्थिक घोटाला: इसमें 168 पॉइंट्स शामिल किए गए हैं। पोषण आहार, मध्याह्न भोजन, टोल रोड, अवैध खनन, सीवरेज, स्मार्ट सिटी, छात्रवृत्ति, LED लाइट, व्यापमं, नर्सिंग कॉलेज, डिमेट, निजी मेडिकल कॉलेज में फीस वृद्धि, आवास योजना-शहरी और ग्रामीण, मनरेगा, कन्यादान, आबकारी, कर अपवंचन, कोरोना में निजी चिकित्सालय को भुगतान, राशन, सर्व शिक्षा अभियान, ई टेंडर, आयुष्मान, माध्यम, आरजीपीवी, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय आदि इसमें शामिल हैं।

2). कुशासन: इसमें 124 पॉइंट्स शामिल हैं। महिला बलात्कार, किशोर – बालिका बलात्कार, शिशु मृत्युदर, गर्भवती महिला मृत्युदर, इंजीनियरिंग शिक्षा का गिरता स्तर, प्राथमिक शिक्षा में प्रतिवर्ष 4 से 5 लाख नामांकन कम होना, बेरोजगारी, महंगाई, अनुसूचित जाति जनजाति पर बढ़ते अपराध, सड़क हादसों में वृद्धि, खेतिहर मजदूर को देश में न्यूनतम मजदूरी, दिहाड़ी मजदूरों में आत्महत्या, महिला अपहरण, प्रति व्यक्ति आय, कुपोषण, न्यायालयीन सक्सेस रेट आदि पॉइंट्स इसमें रखे गए हैं।

3). कुप्रबंधन: इसमें 96 पॉइंट्स हैं। बढ़ता कर्ज, बजट प्रावधान और वास्तविक व्यय में जमीन आसमान का अंतर, अनुसूचित जाति तथा जनजाति उपयोजना की राशि का सही उपयोग ना होना, थानों में समय पर FIR ना करना, जेलों में संख्या से दोगुना कैदी, निजी विद्यालयों में भारी फीस, PSC की नियुक्ति 2019 से न होना, व्यापमं की भारी फीस, निजी चिकित्सालय में भारी शुल्क, गरीबी रेखा के कूपन न बनाना, वनाधिकार के पट्टे न देना, सालों से निर्वासित गरीबों को पट्टे न देना, नदियों का पानी प्रदूषित होना, प्रदेश में कई शहरों में जहरीला कचरा, भूमिगत जल का स्तर खतरनाक घटना, 57% जनता को शुद्ध पेयजल न मिलना, शासकीय विद्यालयों का निम्नतम स्तर आदि।

इन दिनों यूपी में दो लेडी डॉन की खूब चर्चा हो रही

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TIO NEW DELHI

इन दिनों यूपी में दो लेडी डॉन की खूब चर्चा हो रही है। इसमें एक अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन है तो दूसरी माफिया मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी है। इन दोनों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम रखा गया है। लेकिन आपको जानकर हैरान होगी कि इनसे भी बड़ी एक लेडी डॉन है, जिसकी तलाश पिछले चार सालों से उत्तर प्रदेश की पुलिस कर रही है। इस लेडी डॉन पर पांच लाख रुपये का इनाम है। इसका नाम है दीप्ति बहल। दीप्ति मूल रूप से गाजियाबाद की रहने वाली है। आइए जानते हैं तीनों लेडी डॉन की कहानी। इनके ऊपर क्या-क्या आरोप लगा है?

शुरूआत दीप्ति बहल से ही करते हैं
यूपी की सबसे ज्यादा इनामी लेडी डॉन दीप्ति बहल है। दीप्ति गाजियाबाद के लोनी की रहने वाली है। इसका ससुराल मेरठ के कंकरखेड़ा स्थित बद्रीपुरम में है। दीप्ति पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने पांच लाख रुपए का इनाम रखा है। पिछले चार साल से दीप्ति फरार चल रही है।

दीप्ति के खिलाफ साल 2020 में सबसे पहले ईओडब्ल्यू ने 50 हजार का इनाम रखा था। यह वर्ष 2022 में बढ़कर पांच लाख रुपए तक पहुंच गया। दीप्ति 4200 करोड़ रुपए के बाइक बोट घोटाले के मास्टरमाइंड संजय भाटी की पत्नी है। उसके खिलाफ पूरे देश में 100 से अधिक नामजद प्राथमिकी दर्ज हैं।

यही कारण है कि दीप्ति बहल की तलाश सिर्फ यूपी ही नहीं है, बल्कि कई राज्यों की पुलिस कर रही है। मोस्ट वांटेड लेडी माफिया दीप्ति बहल के पति संजय भाटी की कंपनी गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड ने अगस्त 2017 में बाइक बोट स्कीम लॉन्च की थी। इस स्कीम के तहत बाइक टैक्सी की शुरुआत की गई थी। इसमें एक व्यक्ति को एकमुश्त 62,100 रुपये का निवेश करना था। वादा किया गया था कि निवेशकों को एक साल तक 9,765 रुपये हर महीने दिए जाएंगे। पैसों के लालच में बहुत लोगों ने स्कीम में निवेश किया। बाद में 2019 की शुरुआत में भाटी की कंपनी गायब हो गई। निवेशकों का आरोप है कि उन्हें कोई पैसा नहीं दिया गया। स्कीम संचालक के फरार होने पर लोगों ने मुकदमे दर्ज कराने शुरू कर दिए।

ईडी, सीबीआई, यूपी एसटीएफ समेत कई एजेंसिययों को बाइक बोट घोटाले में दीप्ति की तलाश है। जानकारी के मुताबिक, बाइक बोट कंपनी में दीप्ति बहल की 38 फीसदी हिस्सेदारी है। मामले में नामजद दीप्ति बहल का लोनी का घर ईओडब्ल्यू मेरठ ने 17 मार्च 2021 को कुर्क कर दिया।

मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी पर 75 हजार का इनाम
मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी पर तीन दिनों में दूसरी बार इनाम राशि में 25 हजार रुपए का इनाम बढ़ाया गया है। पहले से उस पर 25 हजार का इनाम था। बाद में इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपए किया गया। अब इनाम राशि बढ़ाकर 75 हजार रुपए कर दी गई है।

अफशां अंसारी काफी समय से फरार चल रही है। अफशां पर गाजीपुर कोतवाल, मुहम्मदाबाद कोतवाली, नंदगंज, मऊ लखनऊ में भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अफशां पर गजल होटल लैंड डील के अलावा नंदगंज में सरकारी जमीन को कब्जा करने का आरोप है। 2022 में अफशां पर गैंगेस्टर भी लग चुका है।

अतीक अहमद की पत्नी पर 50 हजार का इनाम
माफिया डॉन अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित है। शाइस्ता चर्चित उमेश पाल हत्याकांड की आरोपी है। शाइस्ता पर उमेश पाल की हत्या के लिए साजिश रचने और हत्यारों को संरक्षण देने का आरोप लगा है। अतीक के जेल में रहने के दौरान उसके आतंक को कारोबार को संभालने का भी आरोप शाइस्ता पर है। उमेश पाल मर्डर केस में पहले शाइस्ता पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया। शाइस्ता के पति अतीक अहमद, देवर अशरफ की पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या हो चुकी है। इसके अलावा बेटा असद एनकाउंटर में मारा जा चुका है।

अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा और बहन पूरी भी फरार
माफिश अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा भी फरार है। यूपी पुलिस ने जैनब पर 50 हजार रुपये का इनाम रखा है। जैनब पर भी उमेश पाल हत्याकांड के आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप है। इसके अलावा अतीक की बहन आयशा नूरी पर भी 50 हजार रुपये का इनाम है। आयशा भी फरार चल रही है।

शरद पवार का बड़ा बयान, ‘महाविकास अघाड़ी आज है, लेकिन कल का कुछ कह नहीं सकते’

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क्या महाराष्ट्र की राजनीति में नया भूचाल आने वाला है? क्या वाकई अजित पवार एनसीपी को तोड़कर भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं? क्या यहां किसी भी वक्त मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं? शरद पवार, उद्धव ठाकरे और संजय राउत के ताजा बयानों के बाद यह चर्चा गर्म है। यहां पढ़िए महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़ी हर अपडेट

शरद पवार ने महाविकास अघाड़ी दलों के साथ चुनाव लड़ने पर बड़ा बयान दिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव या 2024 में लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने पर उन्होंने कहा, आज हम महा विकास अघाड़ी का हिस्सा हैं और साथ मिलकर काम करने की इच्छा रखते हैं, लेकिन केवल इच्छा ही हमेशा पर्याप्त नहीं होती। सीटों के बंटवारे पर समस्या है या नहीं, इस पर अभी चर्चा नहीं हुई है।

शरद पवार ने साफ कहा कि आज महाविकास अघाड़ी है, लेकिन कल क्या होगा, कुछ कह नहीं सके।

जो एनसीपी तोड़ेगा, उस पर होगी सख्त कार्रवाई: पवार

एनसीपी से अलग होकर अजित पवार और उनके समर्थक विधायकों के भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं के बीच शरद पवार ने पहली बार खुलकर प्रतिक्रिया दी है। पवार ने कहा है, ‘अगर कोई अलग होने की कोशिश कर रहा है, तो यह उनकी रणनीति है और वे ऐसा कर रहे होंगे। अगर हमें कोई स्टैंड लेना है, तो हम कड़ा रुख अपनाएंगे।’

क्या खतरे में है महाराष्ट्र की शिंदे सरकार

एकनाथ शिंदे समर्थक बागी विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार हो रहा है। जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिदे गुट के 16 विधायकों की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हफ्ते भर में आने की उम्मीद है। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।

पिछले साल शिवसेना की अगुवाई वाली महाविकास आघाड़ी की सरकार जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों की सदस्यता की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। यदि संविधान पीठ के फैसले में इन 16 विधायकों की सदस्यता को अवैध ठहराया जाता है तो अभी चल रही एकनाथ शिदे सरकार खतरे में पड़ सकती है।

उद्वव ठाकरे बोले- हम चुनाव के लिए तैयार

इस बीच, उद्धव ठाकरे और उनके करीबी संजय राउत ने महाराष्ट्र में चुनावों की बात कही है। राउत ने दावा किया कि वर्तमान मुख्यमंत्री और उनके 40 विधायकों की सरकार 15 से 20 दिन में गिर जाएगी। अब यह तय होना है कि कौन इस पर हस्ताक्षर करेगा। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि महाराष्ट्र में किसी भी समय चुनाव हो सकते हैं और हम इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं।

जंतर-मंतर पर पहलवानों का प्रदर्शन, फुटपाथ पर सोए

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भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और BJP सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना दूसरे दिन सोमवार को भी जारी है। सभी ने रविवार की पूरी रात सड़क पर गुजारी। वहीं सो गए। देर रात विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने एक वीडियो भी जारी कर लोगों से समर्थन के लिए जंतर-मंतर पहुंचने की अपील की।

इसके बाद पहलवानों के परिजन भी उनके समर्थन में आ गए हैं। चरखीदादरी स्थित गांव बलाली से विनेश फोगाट के परिजन दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। इस बीच बजरंग पूनिया ने कहा कि इस मंच पर सभी राजनीतिक दलों का स्वागत है। उधर,दिल्ली पुलिस ने सांसद बृजभूषण पर लगे आरोपों की जांच शुरू कर दी है।

इस खबर से जुड़े अहम अपडेट्स

  • दिल्ली पुलिस ने इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन और केंद्रीय खेल मंत्रालय की बनाई दोनों जांच कमेटियों की रिपोर्ट मांगी है।
  • बजरंग पुनिया ने कहा, ‘इस बार सभी दलों का हमारे धरने में शामिल होने के लिए स्वागत है, चाहे वह भाजपा, कांग्रेस, आप या कोई अन्य पार्टी हो। हम किसी भी पार्टी से जुड़े नहीं हैं।’ पिछली बार जनवरी में पहलवानों ने किसी भी पार्टी के नेताओं को मंच पर नहीं आने दिया था।
  • पूर्व गर्वनर सत्यपाल मलिक ने पूछा कि सरकार किस मुंह से बेटी बचाओ का नारा देती है। देश की बेटियां तो पिछले 3 महीने से न्याय के लिए भटक रही हैं। देश के भविष्य से खिलवाड़ सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि जिस पर आरोप लग रहे हैं वह भाजपा सांसद हैं।

सांसद बृजभूषण के खिलाफ रेसलर के आरोप
विनेश फोगाट ने सोमवार सुबह कहा, ‘आप सभी को नमस्कार, जैसे कि आप सब जानते हैं। 3 महीने पहले हमने रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आवाज उठाई थी। हमारे साथ में कुछ राजनीति हुई है। सरकार ने एक कमेटी बनाई थी। 4 हफ्ते का समय मांगा था। 3 महीने हो गए हमें इंतजार करते हुए, हमारे साथ आज भी न्याय नहीं हुआ है।’

उन्होंने कहा ‘दो दिन पहले हम पुलिस स्टेशन गए थे। जहां 7 लड़कियों ने बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की शिकायत दी है। शिकायत में मांग की कि बृजभूषण ने जो शारीरिक शोषण किया है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। पुलिस हमारी FIR भी दर्ज नहीं कर रही है, जिसके बाद इंतजार कर जंतर-मंतर पर आए हैं।’

रीवा पहुंचे पीएम मोदी, थोड़ी देर में पंचायती राज सम्मेलन को करेंगे संबोधित

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पीएम रीवा में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर आयोजित पंचायती राज सम्मेलन को संबोधित करेंगे। एसएएफ ग्राउंड पर आयोजित कार्यक्र में पीएम मोदी 17,000 करोड़ की लागत वाली परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। 7853 करोड़ के कार्यों का शुभारंभ भी करेंगे। पीएम मोदी पंचायती राज सम्मेलन के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रीवा पहुंच गए हैं। वे थोड़ी देर में कार्यक्रम को संबोधित करेंगे और प्रदेशवासियों को सौगातें देंगे।

थोड़ी देर में खजुराहो पहुंचेंगे पीएम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को खजुराहो को अल्प प्रवास पर है। वह नई दिल्ली से वायुयान द्वारा थोड़ी देर में खजुराहो एयरपोर्ट आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी रीवा में आयोजित राष्ट्रीय पंचायत दिवस और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए यहां से हेलीकॉप्टर से रीवा रवाना होंगे। कार्यक्रम के बाद दोपहर 2:15 बजे वापस खजुराहो विमानतल पहुंचेंगे और गंतव्य के लिए रवाना होंगे।

सीएम शिवराज ने कहा..
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीएम के रीवा दौरे पर कहा कि ‘प्रिय प्रदेशवासियों आज फिर मध्यप्रदेश के सौभाग्य के सूर्य का उदय हुआ है। हमारे प्रिय प्रधानमंत्री आज फिर मध्यप्रदेश की धरा रीवा पर पधार रहे हैं। प्रधानमंत्री जी अनेकों सौगातें लेकर आ रहे हैं। एक तरफ वो हमारे गरीब बहनों और भाइयों को और ऐसे चार लाख 11 हजार हितग्रहियों को गृह प्रवेश का कार्यक्रम संपन्न करेंगे। चार लाख 11 हजार गरीब बहनों भाइयों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकानों में गृह प्रवेश का कार्यक्रम होगा।’

‘दूसरी तरफ स्वामित्व के अधिकार पत्र प्रदाय करेंगे। क्षेत्रों में बहनों भाइयों के पास जमीन भी है और उस पर मकान भी बना हुआ है लेकिन कोई अधिकार पत्र नहीं था। अब सवा करोड़ अधिकार पत्र प्रधानमंत्री जी रीवा में हितग्राहियों को सौंपेंगे।’ सीएम ने कहा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत लगभग सात हजार 853 करोड़ रुपये की पांच परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। इससे रीवा, सतना और सीधी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों को पीने का पानी घर में भी मिलेगा। जल जीवन मिशन के अंतर्गत पाइप लाइन बिछाकर टोटी वाला नल लगाकर पानी दिया जाएगा।

मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि अब तक 57 लाख घरों में पीने का पीने का पानी जल जीवन मिशन के अंतर्गत पहुंचा चुके हैं। अब पुनः प्रधानमंत्री जी इन योजनाओं का शिलान्यास करेंगे। रेलवे की सौगातें भी आज प्रधानमंत्री जी मध्यप्रदेश को दे रहे हैं। 2300 करोड़ की विभिन्न रेल परियोजनाओं का शिलान्यास राष्ट्र को समर्पित करने का काम करेंगे। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि मध्य प्रदेश में रेल नेटवर्क शत्-प्रतिशत विद्युतीकरण के साथ दोहरीकरण का काम, आमान परिवर्तन का काम पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री जी ग्वालियर रेलवे स्टेशन पुनर्विकास का शिलान्यास करेंगे और रीवा को सीधे ट्रेनों के माध्यम से नागपुर से जोड़ने का काम करेंगे। तीन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ करेंगे। प्रधानमंत्री जी का मध्यप्रदेश की धरती पर बहुत-बहुत स्वागत।

Not tiny; Goa is like a bindiya on Bharat Mata’s forehead: Shah

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Home Minister Amit Shah Sunday came down heavily on senior Congress leader Mallikarjun Kharge for insulting states like Goa, Uttarakhand and others in the Northeast with his “tiny” remark, essentially to convey that these states have very little or no importance on a vast India. 

Denouncing Kharge, Shah said these states are important parts of the country and Goa is like a “bindiya” on Bharat Mata’s forehead which enhances its beauty. Kharge had made the “tiny” comment to belittle BJP’s massive wins in these states in recent times. 

“When we won in Goa, Uttarakhand and other states in the Northeast, the reaction of Kharge was that these are very small states. Kharge Saheb, these are small states, but they are a very important part of India. Do not forget this. Do not insult these small states…Goa is like a ‘bindiya’ on Bharat Mata’s forehead. The smaller the state, the bigger the responsibility of the Centre to work for their development. That has been the policy of the Modi-led government,” Shah said. 

Much to the cheers of the thousands in attendance at Shah’s public meeting in South Goa, BJP’s principal poll strategist said the Centre’s responsibility goes up multi-fold for a small state. He said several steps the Centre has taken for the betterment of the state and improvement of its infrastructure for the last nine years the BJP government in office in Delhi. The annual allocation for the state has improved more than seven times. 

Shah was in the coastal state to set the ball rolling for the BJP’s 2024 general election campaign in Goa. The modern-day Chanakya slammed the Congress, which currently holds the South Goa seat, for its misrule and for promoting dynastic politics and corruption among many others that moved the country backwards.

He took potshots at the Congress for its miserable defeats in recent assembly elections in Tripura, Nagaland and Meghalaya, despite a high-decibel campaign by Congress leader Rahul Gandhi after his Bharat Jodo Yatra. 

“Rahul Baba went there… campaigned in full swing and Congress was completely wiped out. Under the leadership of PM Modi, in Tripura, we formed a government with the full majority; in Nagaland, 13 of our MLAs were elected again and; in Meghalaya, also, the government was formed with our support,” he said.

Shah also slammed Congress for doing nothing to abrogate Article 370. The Home Minister said when Congress was in power in Goa, only Rs 432 crore was given to Goa annually, but under Modi Ji, over Rs 3,000 crore is being given to Goa annually.Shah also detailed steps the Centre have taken towards Goa’s betterment and improvement of its infrastructure for the last nine years. 

While his assurances for a better Goa in the days to come under the double-engine government did assure the audience, Shah also urged them “with folded hands” to give the South Goa seat back to BJP and ensure a third term for Prime Minister Modi. Those present were simply awestruck!