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ऑस्कर में भारत को पहली बार दो अवॉर्ड

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95वीं ऑस्कर सेरेमनी में पहली बार भारत को पहली बार दो अवॉर्ड मिले हैं। फिल्म RRR के गाने नाटू-नाटू ने बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का अवॉर्ड जीता। वहीं, द एलिफेंट व्हिस्परर्स बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म बनी। हालांकि, डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म ऑल दैट ब्रीथ्स रेस से बाहर हो गई है। ऑस्कर अवॉर्ड में इन तीन कैटेगरी में भारत को नॉमिनेशन मिला था।

नाटू-नाटू को इससे पहले गोल्डन ग्लोब्स अवॉर्ड में बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का खिताब मिला था। ऑस्कर सेरेमनी में RRR के नाटू-नाटू गाना लिखने वाले चंद्रबोस और कंपोजर एमएम कीरवानी ने ट्रॉफी ली। इस दौरान फिल्म के डायरेक्टर राजामौली पीछे बैठे रहे। RRR का तेलुगु मीनिंग रौद्रम रानम रुधिरम और हिंदी में राइज रोर रिवोल्ट है।

बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री चुनी गई द एलिफेंट व्हिस्परर्स की डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विस और प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने अवॉर्ड लिया। इस दौरान सेरेमनी में मौजूद दीपिका पादुकोण भावुक हो गईं। वे सेरेमनी के प्रेजेंटर के तौर पर पहुंची थीं। ऑस्कर सेरेमनी की शुरुआत भारतीय समय के मुताबिक सोमवार सुबह साढ़ें 5 बजे अमेरिका के लॉस एंजेलस में हुई थी।

गुनीत बोलीं- भारत के लिए 2 महिलाओं ने कर दिखाया
द एलिफेंट व्हिस्परर्स को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म का अवॉर्ड मिलने पर प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने सोशल मीडिया पर लिखा- हमने अभी-अभी किसी भी इंडियन प्रोडक्शन के लिए पहला ऑस्कर जीता है। दो महिलाओं ने ये कर दिखाया। मैं अभी तक कांप रही हूं। वहीं डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्वेस ने लिखा- यह अवॉर्ड मेरी मातृभूमि भारत के लिए।

गुनीत की दूसरी डॉक्यूमेंट्री को मिला ऑस्कर
द एलिफेंट व्हिस्परर्स गुनीत की दूसरी फिल्म है, जिसे ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। इस फिल्म की कहानी दक्षिण भारत के कपल बोमन और बेली की है, जो एक रघु नाम के अनाथ छोटे हाथी की देखभाल करते हैं। इस फिल्म के जरिए इंसान और जानवरों के बीच की बॉन्डिंग को दिखाया गया है। इससे पहले उनकी फिल्म पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस को 2019 में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शार्ट फिल्म की कैटेगरी में ​​​ऑस्कर अवॉर्ड मिला था।

दीपिका पादुकोण प्रेजेंटर के तौर पर शामिल हुईं
दीपिका पादुकोण इस साल प्रेजेंटर के तौर पर सेरेमनी का हिस्सा बनी हैं। यह सेरेमनी सोमवार सुबह 5.30 बजे से लॉस एंजिलिस में शुरू हुई। एकेडमी अवॉर्ड के ट्विटर हैंडल के जरिए होने वाली लाइव स्ट्रीमिंग इंडिया में नहीं दिखाई दे रही है। पोस्ट को ओपन करने पर एक मैसेज डिस्प्ले हो रहा है- ‘दिस वीडियो इज नॉट अवेलेबल इन योर लोकेशन’।
62 साल में पहली बार रेड की जगह शैम्पेन कलर की कार्पेट
ऑस्कर में 62 साल पहले रेड कार्पेट का चलन शुरू हुआ था। इस बार इस ट्रेंड को बदल दिया गया। इस बार ऑस्कर सेरेमनी में स्टार्स ने शैम्पेन कलर की कार्पेट पर एंट्री ली। इससे पहले RRR के गाने नाटू-नाटू पर काल-राहुल ने लाइव परफॉर्मेंस दी। दर्शकों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया। लॉस एंजलिस में हो रहे इस अवॉर्ड शो में ढेरों हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक के सितारों पहुंचे हैं।

पहले जानिए चुनिंदा कैटेगरी के विनर

कैटेगरीविनर
1बेस्ट एनिमेटेड फीचर फिल्मफिल्म पिनोच्चियो
2बेस्ट सपोर्टिंग एक्टरके हुई क्वान
3बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेसजेमी ली कर्टिस
4बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्मनवलनी
5बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्टएन आयरिश गुडबाय
6बेस्ट सिनेमैटोग्राफीऑल क्वाइट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट
7मेकअप एंड हेयरस्टाइलिंगद व्हेल
8कास्ट्यूम डिजाइनब्लैक पैंथर
9बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्मऑल क्वाइट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट
10बेस्ट एनिमेटेड शॉर्ट फिल्मद बॉय, द मोल, द फॉक्स एंड द हॉर्स
11बेस्ट ओरिजिनल स्कोरवोल्कर बर्टेलमैन
12बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्लेएवरीथिंग एवरीवन ऑल एट वन्स
13बेस्ट एक्टरब्रेंडन फ्रेजर
14बेस्ट एक्ट्रेसमिशेल योह
15बेस्ट पिक्चरएवरीथिंग एवरीवन ऑल एट वन्स

इन कैटेगरी में भी अवॉर्ड मिले
ऑस्कर के अन्य कैटेगरी में बेस्ट विजुअल इफेक्ट के लिए अवतार 2 को अवॉर्ड मिला। बेस्ट अडॉप्टेड स्क्रीनप्ले के लिए सारा पोली को और फिल्म टॉप गन: मेवरिक को बेस्ट​ साउंड और फिल्म एडिटिंग में पॉल रोजर्स को अवॉर्ड मिला।

भोपाल में आज कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन, गुलाबबाई प्रदर्शन में हुई शामिल

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भोपाल। भोपाल में आज कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन है। जवाहर चौक पर कार्यकतार्ओं का पहुंचना शुरू हो गया है। पीसीसी चीफ कमलनाथ के संबोधन के बाद कार्यकर्ता राजभवन घेरने के लिए निकलेंगे।

कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए 500 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। पुलिस ने राजभवन के पहले ही रंगमहल टाकीज चौराहा पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं। बड़ी संख्या में पुलिस बल रंगमहल चौराहे पर तैनात है। इसके आगे रोशनपुरा चौराहे पर भी कांग्रेस नेताओं को रोकने के लिए इंतजाम किए गए हैं। पुलिस कांग्रेस नेताओं को रोशनपुरा चौराहे से आगे नहीं बढ़ने देगी। कुछ रूट्स पर ट्रैफिक भी डायवर्ट किया गया है। बता दें कि मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र से विधायक जीतू पटवारी के निलंबन से कांग्रेस भड़की हुई है। सीहोर से महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष गुलाब बाई के नेतृत्व में महिलाएं प्रदर्शन में शामिल हुई।

इन मुद्दों पर आज का पैदल मार्च

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी राजीव सिंह ने कहा, केंद्र की भाजपा सरकार ने उद्योगपति गौतम अडानी के पक्ष में क्रोनी कैपिटलिज्म की नीति अपनाई है। इसके बाद से गरीब और मध्यम वर्ग के करोड़ों भारतीयों की बचत खतरे में पड़ गई है। देश में बढ़ती महंगाई, प्रदेश में व्याप्त बेरोजगारी, तनावग्रस्त किसान, अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, रेप, मर्डर, ध्वस्त कानून व्यवस्था, लूट, डकैती सहित भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण आमजन परेशान है। भाजपा और संघ विचारधारा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग और उनकी छवि धूमिल करने पर आमादा है। लिहाजा, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर उक्त घेराव-विशाल मार्च आयोजित किया जा रहा है।

प्रश्नकाल के दौरान महेश्वर से कांग्रेस विधायक विजयलक्ष्मी साधो ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में नकली जेवर बंटने का मुद्दा उठाया

होली और रंगपंचमी की छुट्टियों के बाद मप्र विधानसभा का बजट सत्र आज फिर शुरू हो गया है। प्रश्नकाल के दौरान महेश्वर से कांग्रेस विधायक विजयलक्ष्मी साधो ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में नकली जेवर बंटने का मुद्दा उठाया। संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जांच का भरोसा दिया।

आज सदन में जीतू पटवारी के निलंबन को लेकर हंगामे के आसार हैं। दरअसल, बजट सत्र के 5वें दिन कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को स्पीकर ने बजट सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया था। कांग्रेस ने हंगामा कर दिया था। इसके बाद सत्र 13 मार्च की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

विधानसभा अपडेट्स…

कन्या विवाह योजना में बंटे नकली जेवर, मंत्री ने स्वीकारा

  • प्रश्नकाल के दौरान कन्या विवाह योजना में दिए गए सामान पर विजयलक्ष्मी साधो ने सत्तापक्ष को घेरा।
  • मंत्री गोपाल भार्गव ने बीच में जवाब दिया, तो साधो बोलीं- ये उस विभाग के मंत्री नहीं हैं।
  • तरुण भनोट बोले- कैबिनेट मंत्री मीणा सिंह के क्षेत्र में नकली जेवर बंट रहे थे।
  • मंत्री मीना सिंह बोलीं- यदि सामान में गड़बड़ी थी, तो हमने वितरित नहीं होने दिया।
  • मीना सिंह ने साधो पर निशाना साधते हुए कहा- इनके क्षेत्र में इनकी सहमति से गड़बड़ सामान बंटा।
  • इस पर कांग्रेस विधायक भनोट बोले- मंत्री ने खुद स्वीकार लिया कि सामान खरीदी में गड़बड़ी हुई।
  • संसदीय कार्य मंत्री ने उच्च स्तरीय जांच का आश्वासन दिया।
  • साधो ने कहा- जांच में विधायक को शामिल करें।
  • संसदीय कार्य मंत्री बोले- जिन बिंदुओं पर आपत्ति हो लिखकर दे दें।
  • साधो बोलीं- आप बहन-बहन बोलते हो, तो बहन को जांच में शामिल करने में क्या दिक्कत है?
  • स्पीकर ने हंगामे पर कहा- संसदीय कार्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि जब जांच हो तो विधायक जी को बुला लें।

पैसे वसूलने के लिए अधिकारयों से बंटवाए जा रहे पट्‌टे

  • कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी ने भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र में का मामला उठाया।
  • सोलंकी ने कहा- विधायक-सांसदों की उपस्थिति में पट्टे न बंटवाकर अधिकारी से बंटवाए जाते हैं, ताकि पैसे वसूले जा सकें।
  • मंत्री मीणा सिंह ने कहा- जनप्रतिनिधियों के द्वारा ही प्रमाणपत्र वितरित कराए जाते हैं।

कमलनाथ बोले- मंत्री ने स्वीकार किया कि हमने 27% आरक्षण दिया

  • कल्पना वर्मा ने ओबीसी को 27% आरक्षण को लेकर सवाल पूछा।
  • रामखेलावन पटेल बोले- जिन मामलों में हाईकोर्ट ने रोक लगाई, उन 3 विभागों को छोड़कर सभी विभागों में 27% आरक्षण दिया जा रहा है।
  • तरुण भनोट बोले- मंत्री दो तरह की बात कर रहे हैं। कह रहे कि हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है, यह भी कह रहे कि 27% आरक्षण है।
  • मंत्री पटेल बोले- स्कूल शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और पटवारी भर्ती में हाईकोर्ट की रोक है।
  • कमलनाथ बोले- मैं केवल एक ही बात जानना चाहता हूं कि किन विभागों में 27% आरक्षण लागू है, किनमें नहीं? मुझे दिलचस्पी इसलिए है, क्योंकि मैंने मुख्यमंत्री रहते 27% आरक्षण दिया था।
  • भूपेंद्र सिंह बोले- कमलनाथ जी ने महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का मैं आभारी हूं। उनके कारण इस मप्र में ओबीसी को 27% नौकरियों में आरक्षण मिला। मप्र देश का पहला राज्य है जहां नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव 27% आरक्षण के साथ हुए।
  • भूपेंद्र बोले- आपकी सरकार के समय 3 विभागों में 27% आरक्षण पर रोक लगी थी। कोर्ट में कांग्रेस सरकार के वक्त एडवोकेट जनरल उपस्थित नहीं हुए। 3 विभागों को छोड़कर 27% आरक्षण दिया जा रहा है।
  • कमलनाथ बोले- मैं मंत्री को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने स्वीकार किया कि हमारी सरकार ने 27% आरक्षण दिया। 15 साल आपकी सरकार रही, आपने 27%आरक्षण नहीं दिया। मैं 27% को भी न्याय नहीं मानता। हमारे यहां ओबीसी की आबादी 50% है।
  • कमलनाथ बोले- 15 साल आपने नहीं दिया, हमने 15 महीने में 27% आरक्षण दिया।
  • नरोत्तम बोले- एक भी व्यक्ति को मिला हो तो बताएं?

विदिशा मेडिकल कॉलेज में सागर-छिंदवाड़ा से कम सीटें

  • राजश्री रुद्रप्रताप सिंह ने चौथा सवाल करते हुए पूछा- सरकारी मेडिकल कॉलेज विदिशा में रिक्त पदों पर विशेषज्ञ डॉक्टर कब तक पोस्टेड किए जाएंगे।
  • विदिशा मेडिकल कॉलेज में सागर और छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज की तुलना में कम पद और सीटें हैं।

तो अब तुम भी चल दिए पुष्पेंद्र

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अभी तो मिले थे ।हरीश पाठक आए थे। उसी शाम पलाश में ही देर तक गपशप हुई थी ।देर से आए थे तुम और देर तक ठहरे भी थे । लेकिन तुम्हारा फ़ोन उस दरम्यान भी बजता ही रहा । बहुत हो गया तो मैंने तनिक खीझ कर कहा ,भाई ! बहुत हो गया । दफ़्तर का तनाव मित्रों की महफ़िल में क्यों लेकर आते हो । सारा मज़ा किरकिरा हो जाता है । तुम अपनी सदाबहार मुस्कान के साथ बोले ,” माध्यम का कुछ अर्जेंट काम चल रहा है । देर रात तक चलेगा ” । मैने पूछा ऐसा महीने में कितने दिन होता है ? तुमने फिर हँसते हुए कहा ,”भाई साब ! कुछ ठिकाना नहीं ।महीने भर ही चलता रहता है” । मैने कहा ,”भाई ।कुछ सेहत का ध्यान रखो । कोविड के बाद से कुछ ठिकाना नहीं ।इसलिए थोड़ी सावधानी ज़रूरी है “। तुम फिर मुस्कुराए । कहा कुछ नही । हमने फिर विषय बदल दिया । पुष्पेंद्र से यही मेरी अंतिम मुलाक़ात थी ।
पहली बार मेरी भेंट शायद सागर में हुई थी । सन 1990 या एकाध साल पहले । दादा भुवन भूषण देवलिया जी के साथ । छतरपुर से भोपाल जाते समय दादा से मिलना चाहता था । उनके पास पहुंचा तो उन्होंने पुष्पेंद्र को भी बुला लिया । नौजवान पुष्पेंद्र समाजवादी सोच का झंडा उठाए ।एकदम सहज और शिष्ट । मैं उन दिनों जयपुर नव भारत टाइम्स में मुख्य उप संपादक था । जब छुट्टियों में छतरपुर आता तो कभी कभी भोपाल होते हुए लौटता था । पुष्पेंद्र मुझसे क़रीब पांच साल छोटे थे । इसलिए मेरे लिए वे पुष्पेंद्र और उनके लिए मैं भाई साब बना रहा ।पीपी कभी ज़बान पर आया ही नहीं ।


दूसरी मुलाक़ात भी याद आ रही है । मैं भोपाल आ चुका था और 1991 में नई दुनिया के समाचार संपादक पद से इस्तीफ़ा देकर स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहा था । पुष्पेंद्र सागर विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के शिक्षक थे । प्रदीप कृष्णात्रे विभाग अध्यक्ष थे और उप्पल मैडम भी वहीं थीं। अहा ! क्या टीम थी वह ! पत्रकारिता के मूल्यों और सरोकारों को समर्पित ।अपने छात्रों को भी इस टीम ने अपनी तरह ही गढ़ने की कोशिश की थी । उन्हीं दिनों पुष्पेंद्र सागर से प्रदीप कृष्णात्रे जी का एक औपचारिक पत्र लेकर आए थे ।शायद 1992 का साल था । वे चाहते थे कि मैं कम से कम एक सप्ताह के लिए सागर आऊं और पत्रकारिता के छात्रों को पढ़ाऊं । पुष्पेंद्र के अनुरोध में आग्रह कम,अधिकार अधिक था ।मुझे वह अधिकार अच्छा लगा और मैंने हां कर दी ।एक सप्ताह शानदार बीता । विश्वविद्यालय के विश्रामगृह में ठहरा था । रोज़ रोज़ वहां का एक जैसा भोजन बोर करने लगा।पुष्पेंद्र को इसका अहसास हो गया ।इसके बाद तो फिर शाम का घर जैसा भोजन अक्सर पुष्पेंद्र के साथ ही मिलता था । उस दौरान देश की राजनीति, आर्थिक चुनौतियां और विदेश नीति पर मंडराते काले बादल चर्चाओं का विषय हुआ करते थे ।इनमें मैडम उप्पल और प्रदीप कृष्णात्रे जी भी साथ हुआ करते थे। कभी कभी उनके छात्र भी शामिल हो जाते थे। इस तिकड़ी ने अनेक अच्छे पत्रकार गढ़े।अमिताभ श्रीवास्तव, मणि कांत सोनी,दीपक तिवारी और संदीप सोनवलकर के नाम तो मैं एकदम याद कर सकता हूँ। तीनों ही आज अपने शिखर पर हैं। यह अध्यापन कार्यशाला मेरे पत्रकारिता के 35 साल के अध्यापकीय अनुभव के नज़रिए से आज तक की सर्वश्रेष्ठ कार्यशाला है। उसमें मैंने पुष्पेंद्र का आदर्श शिक्षक वाला रूप देखा।


इसके बाद पुष्पेंद्र और मैडम उप्पल माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय आ गए। कमल दीक्षित भी जयपुर से आ चुके थे । यहाँ इन लोगों ने शानदार पारी खेली और अच्छे पत्रकारों की फसल तैयार की । तब तक पुष्पेंद्र छात्रों के चहेते पी पी सर बन चुके थे । क़रीब पंद्रह साल तक विश्वविद्यालय की प्रत्येक शैक्षणिक गतिविधि में मेरी भूमिका रही और इसके पीछे पुष्पेंद्र ,मैडम उप्पल और कमल दीक्षित केंद्र में थे। अफ़सोस ! हमने तीनों को खो दिया। मैं आजतक चैनल का संपादक था तो पुष्पेंद्र लगभग हर बैच के चुनिंदा छात्रों को इंटर्नशिप के लिए भेजते थे। वे खुद उन बच्चों को लेकर आते थे और मैं उनसे कहता था कि आप पुष्पेंद्र जी के छात्र हैं। इंटर्नशिप के बाद आपको भोपाल नहीं लौटना है और न ही घर जाना है। आपको इतनी मेहनत करनी है कि वहीं नौकरी मिल जाए। मुझे याद है कि एक छात्र रजनीकांत को लेकर वे आए थे। वह छात्र वाकई मेधावी था। मैंने उसे भी कहा था कि रजनीकांत ! पुष्पेंद्र सर की इज्ज़त का ख्याल रखना। मैं तुमको भेज रहा हूँ। बाद में वही रजनीकांत स्टार न्यूज़ चैनल में एक शिखर पद पर पहुँचा। यह पुष्पेंद्र का जादुई व्यक्तित्व था कि उनके सामने कोई भी छात्र हो ,पैर छूकर जाता था चाहे वह कितने ही गुस्से में आया हो। जब मैं 2005 में दिल्ली गया तो लगभग हर साल पुष्पेंद्र मुझे चुनिंदा छात्रों को इंटर्नशिप के लिए भेजते रहे। मैं जिन चैनलों का प्रमुख रहा ,वहाँ उन छात्रों ने पुष्पेंद्र के नाम पर इंटर्नशिप ही नहीं ,नौकरी भी पाई।


क़रीब एक दशक पहले की बात है। एक दिन पुष्पेंद्र का फ़ोन आया।दिल्ली आए थे।आवाज़ में तनाव था। मैंने उन्हें शाम के भोजन पर आमंत्रित किया। वे विश्वविद्यालय में वैचारिक प्रपंचों से दुखी थे और नौकरी छोड़ने के मूड में आ गए थे। मैं तब राज्य सभा टीवी का कार्यकारी निदेशक था। मैंने उन्हें तुरंत सम्मानजनक पद और वेतन का ऑफर दिया। लेकिन ,मेरी राय थी कि ऐसे मौके पर आपका त्यागपत्र पलायन कहा जाएगा। आप जब तंत्र से लड़ते हैं तो आप छात्रों के लिए मिसाल बन जाते हैं। पुष्पेंद्र सहमत थे ।वे लौट गए।लेकिन रोज़ ही एक बार फोन पर बात हो जाती । बाद में एक दिन सुबह सुबह फ़ोन आया कि जनसम्पर्क और माध्यम के लिए कोई नई ज़िम्मेदारी ले ली है। यूनिवर्सिटी में उनके लिए काफ़ी दिक़्क़तें आ रही थीं। मैंने उस दिन भी कहा कि पुष्पेंद्र यह काम भी तुम्हारी रूचि का नहीं है। पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के चलते स्वीकार कर रहे हो, लेकिन मेरा तुमको स्थायी निमंत्रण है। जब चाहो,मेरे चैनल में ज्वाइन कर सकते हो।उसके बाद पुष्पेंद्र ने स्वयं को बदली भूमिका के हिसाब से तैयार कर लिया। सच कहूँ तो अंदर से नई जिम्मेदारी पुष्पेंद्र को कभी खुश नहीं रख सकी । पत्नी के नही रहने का झटका भी था । बड़ी मुश्किल से संभले थे । अब बेटी की चिंता रहती थी ।
बीते दिनों दुष्यंत संग्रहालय में मुझे पुष्पेंद्र को सम्मानित करने का अवसर मिला था ।उस दिन वे तनिक भावुक थे । देर तक हम दोनों पुराने दिनों की पत्रकारिता और कुछ निजी सुख दुख की बातें करते रहे । बाद में बोले , बरसों बाद आपसे इस तरह बात हुई । मन हल्का है ।


लेकिन आज मेरा मन हल्का नही है ।अभी तुम अपना सर्वश्रेष्ठ नही दे पाए थे । बहुत काम छोड़ गए हो हम लोगों के लिए पुष्पेंद्र । तुमको न भूल पाएंगे । फांस चुभती रहेगी कि तुम्हें अंतिम विदाई देने नही आ सका ।
अलविदा ।एक चित्र हम लोगों का कमल दीक्षित जी की शोकसभा ,दूसरे में उनका सम्मान करते हुए और तीसरा हमारी आख़िरी मुलाक़ात हरीश पाठक तथा अन्य मित्रों के साथ

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के फैसले पर विवाद

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देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पर्सनल स्टाफ से 8 अधिकारियों को 20 संसदीय कमेटियों में नियुक्त किया है। उपराष्ट्रपति ऑफिस और राज्यसभा सभापति के ऑफिस से 4-4 अधिकारियों को इन कमेटियों में जोड़ा गया है। ये अधिकारी कमेटियों के काम में मदद करेंगे, जिसमें इनकी गोपनीय मीटिंग भी शामिल हैं।

मंगलवार को जारी हुए एक ऑर्डर में राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि अधिकारियों को कमेटियों में तत्काल प्रभाव से और अगले ऑर्डर तक के लिए जोड़ा गया है। विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति के इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस के कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि कमेटियों के काम पर नजर रखने के लिए ये नियुक्तियां की गई हैं।

उपराष्ट्रपति के OSD और पर्सनल सेक्रेटरी की नियुक्ति

उपराष्ट्रपति के स्टाफ में से ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) राजेश एन नाइक, प्राइवेट सेक्रेटरी (PS) सुजीत कुमार, एडिशनल प्राइवेट सेक्रेटरी संजय वर्मा और OSD अभ्युदय सिंह शेखावत को इन कमेटियों से जोड़ा गया है। वहीं राज्यसभा सभापति के ऑफिस से जगदीप धनखड़ के OSD अखिल चौधरी, दिनेश डी, कौस्तुभ सुधाकर भालेकर और PS अदिति चौधरी को नियुक्त किया है।

पहले कभी नहीं हुई ऐसी नियुक्ति

लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पी डी टी आर्चाय ने बताया कि संसदीय कमेटियों में सांसद और मदद के लिए लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी होते हैं। स्पीकर या सभापति अपने पर्सनल स्टाफ को कमेटियों में नियुक्त नहीं कर सकते हैं। इससे पहले ऐसी नियुक्ति कभी नहीं हुई है।

मनीष तिवारी और जयराम रमेश ने जताया विरोध

कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति हैं। वे उपसभापति की तरह सदन के सदस्य नहीं हैं। वे अपने पर्सनल स्टाफ को संसद की स्टैंडिंग कमेटियों में कैसे नियुक्त कर सकते हैं। क्या ये संस्थागत ढांचे को बर्बाद करने जैसा नहीं होगा?

डायरेक्टर-एक्टर सतीश कौशिक का अचानक निधन

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अभिनेता और डायरेक्टर सतीश कौशिक का बुधवार रात 1:30 बजे दिल्ली में निधन हो गया। वे 66 साल के थे। सतीश कौशिक के भतीजे निशांत कौशिक ने बताया कि उनका निधन हार्ट अटैक से हुआ है। वे दिल्ली में एक फैमिली फंक्शन में शामिल होने आए थे, जहां रात में उनकी तबीयत बिगड़ गई। परिवार उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचा, जहां उन्हें डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया।

उधर, इस मामले में दिल्ली पुलिस भी जांच कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस का कहना है कि सतीश के निधन की खबर अस्पताल से मिली थी। तबीयत बिगड़ने से अस्पताल तक पहुंचने के वक्त उनके साथ-साथ कौन था, उनके साथ क्या हुआ? इसकी जांच की जा रही है। इन लोगों से पूछताछ की जाएगी।

फिलहाल दिल्ली के दीनदयाल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है। इसके बाद ही मौत की असल वजह का पता चल पाएगा। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली से मुंबई ले जाया जाएगा। आज दोपहर 3:00 से 6:00 के बीच वर्सोवा के श्मशान में उनका अंतिम संस्कार होगा।

दो दिन पहले होली पार्टी में फिट नजर आए थे
7 मार्च को जावेद अख्तर की तरफ से जानकी कुटीर जुहू में आयोजित की गई होली पार्टी में सतीश कौशिक शामिल हुए थे। उन्होंने इस सेलिब्रेशन के फोटोज ट्वीट किए थे, जिसमें वे फिट नजर आए थे। उन्होंने लिखा था- ’जावेद अख्तर, शबाना आजमी, बाबा आजमी, तन्वी आजमी की तरफ से रखी गई पार्टी में रंगबिरंगी खुशनुमा होली का मजा उठाया। न्यूली वेड खूबसूरत कपल अली फजल और रिचा चड्‌ढा से मिला। सभी को होली की शुभकामनांए।’

काश में उनकी सांसें लौटाने के लिए कुछ कर पाती – अनीता
सतीश कौशिक की भतीजी अनीता शर्मा ने बातचीत में कहा – काश मैं उनकी सांसें लौटाने के लिए कुछ कर पाती। वो बहुत एनर्जेटिक और यंग थे। उनके बड़े भाई और बहन हैं। वे दोनों अब कैसे सर्वाइव कर पाएंगे। सतीश अंकल ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। भगवान अच्छे लोगों को जल्दी अपने पास बुला लेता है।

राबड़ी के घर CBI टीम, अफसर पूछताछ कर रहे

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जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में CBI की टीम लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से उनके घर पूछताछ कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 12 अफसरों की टीम 2 से 3 गाड़ियों में सोमवार सुबह पटना स्थित 10 सर्कुलर रोड आवास पर पहुंचे।

लैंड फॉर जॉब स्कैम में सीबीआई की चार्जशीट पर कोर्ट ने समन जारी किया है। सीबीआई ने चार्जशीट में लालू प्रसाद के अलावा राबड़ी देवी और 14 अन्य को आरोपी बनाया है। 15 मार्च को कोर्ट में राबड़ी, लालू और मीसा पेश होने के आदेश दिए गए हैं।

पहले पूछताछ ऑफिस में होनी थी
सुबह जब टीम राबड़ी के घर पहुंची तो उस वक्त बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव भी मौजूद थे, लेकिन बाद में वे विधानसभा के लिए निकल गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीआई ने राबड़ी देवी से पूछताछ के लिए नोटिस दिया था। पहले ये पूछताछ सीबीआई दफ्तर में होनी थी। लेकिन बाद में उन्हें राहत देते हुए उनके घर पर करने के लिए तैयार हो गई।

पिछले साल मई और अगस्त में सीबीआई ने मारे थे छापे
CBI ने मई 2022 में लालू, राबड़ी देवी, दो बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव समेत करीबियों और परिजनों के 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी।
CBI ने इस मामले में इस साल मई में लालू यादव, उनकी पत्नी और पूर्व CM राबड़ी देवी, उनकी बेटियों मीसा यादव और हेमा यादव के अलावा नौकरी पाने के बदले में कम कीमत में जमीन देने वाले कुछ अयोग्य उम्मीदवारों समेत 16 लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी। CBI ने 24 अगस्त 2022 को एक बार फिर से RJD नेताओं के यहां छापेमारी की थी।

जानिए लैंड फॉर जॉब स्कैम क्या है?
लालू के रेलमंत्री (2004 से 2009) रहते हुए लैंड फॉर जॉब स्कैम हुआ था। नौकरी के बदले जमीन लेने के घोटाले में लालू और उनके परिवार वालों पर रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले जमीन लेने का आरोप है। इस मामले में CBI ने मई 2022 में लालू और उनके परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार का नया केस दर्ज किया था।

CBI के अनुसार इस तरह से लालू यादव के परिवार ने बिहार में 1 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपए में हासिल कर ली, जबकि उस समय के सर्कल रेट के अनुसार जमीन की कीमत करीब 4.39 करोड़ रुपए थी। खास बात ये है कि लैंड ट्रांसफर के ज्यादातर केस में जमीन मालिक को कैश में भुगतान किया गया।

मध्य प्रदेश सिंधु भवन चैती चांद उत्सव व प्रतिभा सम्मान समारोह

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TIO BHOPAL

मध्य प्रदेश सिंधु भवन ट्रस्ट भोपाल द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी चेती चांद पर्व पर चैती चांद उत्सव व प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन रविवार दिनांक 26-3-2023 को सांय 6.30 बजे से भवन स्थल पर किया गया है। चेती चांद प्रतिभा सम्मान समारोह में प्रदेश स्तरीय सिंधी प्रतिभाओं विश्व विद्यालय स्तर एवं बोर्ड स्तर पर प्राविण्य सूची छात्र, कलाकार, साहित्यकार, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाड़ी एवं किसी विशेष क्षेत्र में ख्याति प्राप्त प्रतिभाओं को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया जावेगा।
आपके क्षेत्र अथवा जिले में समाज की ऐसी प्रतिभाएं हैं जिनका सम्मान ट्रस्ट द्वारा किया जा सकता है तो उनके बायोडाटा, 2 पास पोर्ट साईज फोटो, प्राप्त उपलब्धी का विवरण (प्रमाण सहित) सिंधु भवन कार्यालय को 12-3-2023 तक उपलब्ध कराने का कष्ट करें जिससे सम्मान कमेटी द्वारा उन नामों पर विचार कर , निर्णय लेकर सम्मान हेतु आमंत्रित किया जा सके। सम्मानित होने वाली प्रतिभा को द्वितीय श्रेणी का आने जाने का किराया ट्रस्ट द्वारा दिया जाएगा।
अतः आपसे अनुरोध है कि चेती चांद प्रतिभा सम्मान समारोह रविवार दिनांक 26-3-2023 में आपकी गरिमामय उपस्थिति परिवार एवं इष्ट मित्रों सहित सादर प्रार्थनीय है।
धन्यवाद।

 

देश दुनिया का शाब्दिक, अक्षर सफ़र करती है ‘चार देश चालीस कहानियां’

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मनोज कुमार ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और शोध पत्रिका समागम के संपादक हैं।)

उम्र और अनुभव का रिश्ता गहरा होता है और जब किताब लेखन की बात हो तो इन दोनों बातों को जेहन में रखा जाता है। हालांकि संजीव की किताब इस फलसफे से बाहर हो जाती है क्योंकि उम्र शायद वैसी नहीं है लेकिन अनुभव लंबा है। ‘चार देश, चालीस कहानियां’ पुस्तक पढ़ते हुए इसे आप बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। इस पुस्तक की सबसे खास बात है इसका वीवीआईपी मोह से निरापद होना। आमतौर पर जब बात देश के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ की गई यात्राओं की हो तो संस्मरण लेखन उनके ही इर्द गिर्द मोह में फंसकर रह जाता है। लेकिन इस पुस्तक के लेखक संजीव शर्मा ने न केवल इससे स्वयं को सुरक्षित रखा है अपितु अपनी यात्रा को एक आम आदमी से जोड़ने की कोशिश की है, जो पूरी तरह से कामयाब दिखती है। अफ्रीकी देश युगांडा-रवांडा का हम सबने नाम सुना है लेकिन उनकी जीवन शैली से संजीव बाबस्ता कराते हैं। ऐसे ही उनकी जापान की यात्रा से कई नए पहलुओं से पाठकों का परिचय होता है।
संजीव देश में की गई यात्राओं के वृतांत प्रस्तुत करते हुए यायावर हो जाते हैं। सड़क किनारे बने ढाबे में बनने वाले व्यंजन से लेकर सड़क पर बिकते स्वाद पर भी चर्चा करते हैं। हम भारतीयों की रुचि खाने में होती है और इस किताब पढ़ते हुए लेखक का चटोरापन भी झलकता है। लज़ीज़ खानपान के साथ साथ यह पुस्तक हमें प्रयागराज के कुंभ और महाकाल लोक की भव्यता से लेकर गुजरात के अनछुए पर्यटन स्थानों से रूबरू कराती है।
‘चार देश चालीस कहानियां’ लिखने के लिए लिखी गई किताब न होकर अनहद नाद है। करीब 164 पेज की यह पुस्तक देश-परदेश की यात्रा कराते हुए हमें देश की अष्टलक्ष्मी यानि पूर्वोत्तर की कुछ ऐसी विशेषताओं से दो चार कराती है जो अब तक हमारी पहुंच से दूर है। मसलन यह हमें असम के सुदूर गांव के एक ऐसे शख्स से मिलवाती है जो रिक्शा चलाकर अब तक आधा दर्जन से ज्यादा स्कूल खोल चुके हैं। इससे हमें अन्नानास की मिठास, विलायती जलेबी के स्वाद,सप्तपर्णी की सुवास और अमलतास के गर्वीले अहसास का भी पता चलता है।

लेखक संजीव शर्मा की बात करें तो मध्य प्रदेश के करेली नाम के छोटे कस्बे से विज्ञान की शिक्षा हासिल करने के बाद वे मीडिया शिक्षा में आ गए और आज से कोई तीन दशक पहले पत्रकारिता की औपचारिक शिक्षा हासिल की। अखबारों में अनुभव हासिल किया। तब टेलीविजन की दुनिया जन्म ले रही थी तो वे रेडियो के साथ हो गए। भारतीय सूचना प्रसारण सेवा में रहते हुए यहां वहां जाने के अवसर मिले तो वे हर जगह से अनुभव को सोशल मीडिया में शब्दों में बांधते रहे । खासतौर पर पूर्वोत्तर में सेवा करते हुए उन्होंने इस क्षेत्र को करीब से जाना, समझा और बेहद रोचक ढंग से लिपिबद्ध भी किया। वैसे ही जैसे उन्होंने खुद को प्रकृति के करीब पाकर बदलते मौसम, पेड़, फल फूल के साथ इश्किया अंदाज में दोस्ती की और इसी अंदाज में पन्नों पर उकेरा भी ।
‘चार देश चालीस कहानियां’ अनोखे ढंग से लिखी, अनोखी किताब है। किताब की भाषा सरल, सहज और आम पाठक की समझ में आने वाली है। इसमें कुछ तस्वीरों का प्रयोग भी अनूठा है क्योंकि इनके जरिए हमें पुस्तक में वर्णित कहानियों को और बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिलता है। संजीव को इसलिए भी बधाई कि, किताब छपाई में लगा कागज पर्यावरण का नुकसान नहीं करता बल्कि वे अपनी किताब के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते है । कुल मिलाकर चार देश चालीस कहानियां’ अपने आप में एक ऐसा शाब्दिक सफ़र है जो घर बैठे हमें देश और दुनिया तक ले जाता है…एक पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक।

होली पर रंगों के साथ मिठास से भरे मनोहर के स्वीट्स और स्पेशल गियर का उठाए लुत्फ

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शशी कुमार केसवानी


होली रंगों का त्यौहार ही नहीं खुशियों और मिठास से भरा त्यौहार होता है। ये एक ऐसा त्यौहार होता है जिसमें नाराज लोगों को भी गले लगाकर गिले-शिकवे दूर किए जाते है। इसमें मिठास के रंग भर जाते है। होली आए और मिठास की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है। हिंदू धर्म में होली का अलग महत्व है, जिसमें बहुत से पकवान बनाए जाते है और आने वाले हुरियारों को परोसे जाते है। पर इसमें सिंधी समाज की भी एक अलग पहचान रखने वाली मिठाई है, जिसका नाम गियर है। हालांकि कई लोग इसे घेवर समझ लेते है। पर ये गियर होता है और इसको बनाने का तरीका भी बहुत अलग होता है।

बेसन, मेदा, केसर व अन्य ड्राई फूड का पेस्ट इसमें मिला रहता है और इसे फेट कर हाथों की पांचों अंगुलियों से फ्रेम के अंदर लहरे बनाकर बनाया जाता है। हालांकि कुछ लोगों का मानना होता है कि जलेबी की तरह बन जाता या कुछ लोग बड़ी जलेबी भी कह देते है पर हकीकत में यह एक अलग तरह का है और इसका स्वाद भी अलग होता है। भोपाल में मनोहर डेयरी में होली पर गियर के साथ अन्य बहुत मिठाईयां विशेष तौर पर होली के लिए पेश कर रहे है। जिनका स्वाद बहुत ही लजबाव है, वैसे भी मनोहर की मिठाईयां मन को तो मोहती है पर प्रदेश में अपने आप में पायोनियर होने का सम्मान भी हासिल है। मैंने तो सारे स्वाद चख लिए है अब आप भी जरूर चखे और खास तौर पर गियर का आनंद जरूर ले। आपको होली एक अलग ही आनंद देगी।

कांग्रेस के रायपुर जमावड़े से निकलते संदेश

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राजेश बादल
भारतीय लोकतंत्र के लिए यह शुभ संकेत है। पक्ष के मुक़ाबले प्रतिपक्ष भी अब अनमने और अलसाए अंदाज़ में नज़र नहीं आ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की विराट जीत ने कमोबेश सारे विपक्षी दलों को ऐसा झटका दिया था कि कुछ समय तक वे उससे उबर ही नहीं पाए।जम्हूरियत में जनादेश का सम्मान होता है। दशकों तक देश ने सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की नेहरू युग वाली लगातार सत्ता देखी। फिर इंदिरा गांधी जैसी चक्रवर्ती नेत्री का पराभव देखा। राजीव गाँधी की विराट ऐतिहासिक जीत का स्वाद चखा। गठबंधन की हुक़ूमतें आते जाते देखीं। पहली ग़ैर कांग्रेसी अटल सत्ता देखी और उसके बाद दस दस बरस तक कांग्रेस तथा बीजेपी की सरकारों का कामकाज अवाम के सामने है।
पचहत्तर बरस के इस लोकतांत्रिक सफ़र पर यक़ीनन संतोष किया जा सकता है। ख़ासतौर पर उन देशों की तुलना में ,जिन्होंने भारत के क़रीब क़रीब साथ साथ आज़ादी की हवा में साँस ली थी। उन राष्ट्रों में गणतंत्र के सरोकार और मूल्यों की स्थिति देखें तो कोई बहुत अच्छी तस्वीर नहीं उभरती। शायद वे वक़्त के साथ अपने आप को नहीं बदल सके ।भारतीय लोकतंत्र ने अपने ढाँचे में समय की माँग को देखते हुए गठबंधन सरकारों के प्रयोग किए।यद्यपि वे अपने आप में पूरी तरह कामयाब नहीं रहे और भारत को उसके कारण कई बार बढ़ते क़दम पीछे भी खींचने पड़े। लेकिन, उससे लोकतंत्र की सेहत पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ा। हम देखते हैं कि गठबंधन सरकारों अथवा मोर्चों की सत्ता तो बनी रहती है। मगर, उसमें शामिल छोटे बड़े दलों के अपने हितों की रक्षा भी मजबूरी बन जाती है।इस वजह से मुल्क़ की प्रगति की रफ़्तार कुछ ठहर सी जाती है। पार्टियों के अपने स्वार्थ ऊपर आ जाते हैं ,देश हाशिए पर चला जाता है। लोकतंत्र को बचाए – बनाए रखने के लिए आप इसे रोक नहीं सकते। यही हिन्दुस्तान की विशेषता है।


दूसरी बात यह भी महत्वपूर्ण है कि किसी पार्टी को मतदाता इतना भीमकाय जनादेश दे दें तो उसके अधिनायकवादी रास्ते पर चल पड़ने का ख़तरा बढ़ जाता है। कुछ उदाहरण भी इस राष्ट्र के सामने अपने विकृत रूप में प्रस्तुत हुए हैं । इसी कारण कहा जाता है कि पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच अधिक फासला नही होना चाहिए । मज़बूत विपक्ष ही सत्ताधारी दल पर अंकुश लगा सकता है । इस नज़रिए से कई राजनीतिक पार्टियां विपक्षी एकता की बातें सियासी मंचों पर करने लगी हैं । कांग्रेस पिछले आम चुनाव के बाद अत्यंत दुर्बल और दीनहीन आकार में आ गई थी । भारत जोड़ो यात्रा, मल्लिकार्जुन खड़गे का पार्टी संविधान के मुताबिक अध्यक्ष का चुना जाना और रायपुर जमावड़ा निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए प्राणवायु का काम करेगा ।


रायपुर अधिवेशन का सबसे महत्वपूर्ण सकारात्मक संदेश पार्टी अध्यक्ष का यह ऐलान है कि कांग्रेस समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर सकती है ।वैचारिक आधार पर ध्रुवीकरण से लोकतंत्र धड़कता है । जब गठबंधन का आधार वैचारिक नही होता तो उसमें छोटी पार्टियों की निजी दिलचस्पियां जन्म ले लेती हैं । व्यवस्था में भ्रष्टाचार का यह भी एक कारण है । कांग्रेस ने अपने 1998 के पचमढ़ी चिंतन शिविर में एकला चलो रे की नीति अख़्तियार की थी । उसका अपेक्षित लाभ नहीं हुआ था । उसमें सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली थी । इसके बाद 2003 में शिमला के चिंतन शिविर में तय किया गया कि वैचारिक समानता वाली पार्टियों से तालमेल किया जाएगा । इस नीति का लाभ हुआ और फिर पार्टी ने दस साल तक सरकार चलाई । रायपुर घोषणा भी विपक्ष को एक मंच पर लाने वाला क़दम माना जा सकता है । इसका फ़ायदा भारत के लोकतंत्र को मिलेगा इस अधिवेशन का दूसरा संकेत यह है कि पार्टी ने पहली बार संगठन में पचास फ़ीसदी आरक्षण देने की बात कही है । हालांकि इस संबंध में घोषणा तो पहले ही हो चुकी थी ,मगर पार्टी संविधान में परिवर्तन जरूरी था । पार्टी का मूल संविधान असल में भारतीय संविधान की मूल भावना का ही एक तरह से पालन करता था।

उसमें सियासी दल की अपनी संगठनात्मक क्रिया विधि और आवश्यकताओं को स्थान दिया गया था।लेकिन जैसे जैसे भारतीय राजनीति में जातिगत समीकरण बढ़ते गए ,वैसे वैसे नए नए छोटे और प्रादेशिक दल पनपने लगे। बताने की ज़रुरत नहीं कि नब्बे के दशक में जब बहुजन समाज पार्टी ,यादव बाहुल्य समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसी आदिवासी पार्टियाँ अपने अपने मतदाताओं के द्वीप पैदा करने लगीं तो नागरिकों के मन में भी उनके प्रति वही भाव उपजने लगा।इन छोटी पार्टियों ने कांग्रेस के ही मूल वोट बैंक पर आक्रमण बोला। कांग्रेस से आदिवासी वोट छिटके ,ओबीसी वोट बैंक अलग हो गया और दलितों ने भी किनारा कर लिया। इसके बाद कांग्रेस कभी इन वर्गों में घुसपैठ नहीं कर पाई। यह एक तरह से पार्टी की संगठनात्मक कमज़ोरी बताई जाने लगी। कांग्रेस के संविधान में इस आरक्षण से सामाजिक प्रतिनिधित्व में आई कथित विसंगति को दूर करने का अवसर मिलेगा । कांग्रेस ने इस निर्णय पर यदि ढंग से अमल किया तो एक बार फिर स्थानीय स्तर पर इन वर्गों का छिटका हुआ वोट बैंक एक बार फिर आकर जुड़ सकता है।ज़ाहिर है अगले आम चुनाव में इसका लाभ मिल सकता है। यह बात अलग है कि जो दल कांग्रेस का वोट बैंक लेकर छिटक गए थे ,वे शायद विपक्षी एकता की पहल के नाम पर कांग्रेस के साथ नहीं आएँ। क्योंकि उनका अपना वोट बैंक खिसक सकता है।