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Pirates, Grills, and a Buffet!

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Samarpita Mukherjee Sharma

I love dimsums, and I cannot lie. The last time I’d eaten perfect
chicken dimsums was about two weeks ago, and probably the first time in
Bhopal. Having travelled the world and eaten across the globe, my
expectations from food don’t get met too often in the city unless it’s a handful of places. So every time I find a new place that wows me, I hope they keep their standard consistent
and don’t jinx the experience. With this in mind, two weeks after my
first experience, I headed over to the newly opened Pirates of the Grill
at DB Mall, Bhopal. This time it was on a special invite as a member of
Bhopal’s first organisation for bloggers and content creators, Bhopal
Bloggers Association.


The starters just don’t end and I say this happily as well as with
exasperation. I mean, when the food is good and cooked to perfection,
who doesn’t want to eat it all? But who can eat so much! The
complimentary drink with lunch included a choice between soft drinks,
fresh lime soda, ice tea, virgo mojito, pirates wanna, pulpy orange and
shikanji. Alternatively there were interesting mocktails that can be
ordered – guava jalapeño twist, kala khatta sherbet, kokum fizz, litchi
rose love, mango curry, pirates devil, sandal west and elder tree. These
signature mocktails are prices at Rs 169 + taxes and the second one you
order is at 50% discount!


The food menu is exhausting, and that’s an understatement. There are 809
starters for both veg and non-veg customers followed by an array of
salads, soups, a chinese section, and Indian delicacies. To polish off
this well-earned food coma, Pirates of the Grill offers a collection of
about 10 sweet dishes.


All this for how much, you ask? The buffet are priced differently for
weekdays and weekends. If you request buffets, the price will pleasantly
surprise you as will the quality & taste of the food & drinks. Both the
times I went, the place was full, so book your table when you plan to
go!

ओमनगर बस्ती में मनाया राष्ट्रीय बालिका दिवस

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भोपाल। अनुनय एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी ने 24 जनवरी को ओमनगर बस्ती में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया। इस दौरान बस्ती में रहने वाली बालिकाओं को उनके अधिकारों की जानकारी दी गई। खेल-खेल में उन्हें उपयोगी जानकारी दी गई।

अनुनय एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष माही भजनी ने बताया कि ओमनगर बस्ती में बालिकाओं के बीच मंगलवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। इस दौरान महिला अधिकार विशेषज्ञ डॉ. प्रतिभा राजगोपाल ने बालिकाओं को उनके अधिकारों की जानकारी दी। सरल और सहज भाषा में खेल-खेल में उन्हें उपयोगी जानकारी दी गई।

24 जनवरी को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला था। इस वजह से इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने की थी। इस दिन का उद्देश्य भारतीय समाज में लड़कियों के साथ होने वाले अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

वीडी शर्मा का कार्यकाल बढ़ेगा या नहीं? फीडबैक करेगा तय

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TIO BHOPAL

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक के बाद मध्यप्रदेश में फिलहाल सत्ता और संगठन में बदलाव की अटकलों पर विराम लग गया है। हालांकि प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा है। इस बीच भाजपा मध्य प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 24 जनवरी को भोपाल मुख्यालय में होगी। 

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को राष्ट्रीय कार्यसमिति की फॉलोअप बैठक कहा जा रहा है। इसमें केंद्रीय बैठक में मिले कार्यक्रमों को लेकर चर्चा की जाएगी। सरकार और संगठन के कार्यक्रमों और चुनाव को लेकर रणनीति तय की जाएगी। बैठक में पार्टी की तरफ से जी-20 की प्रदेश में होने वाली बैठकों को लेकर बातचीत हो सकती है। वहीं, पार्टी राजनीतिक प्रस्ताव भी ला सकती है। प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यक्रमों पर बैठक में फोकस होगा।

प्रदेश में एंटी इंकम्बेंसी को लेकर गुजरात चुनाव मॉडल लागू करने को लेकर लंबे समय से चल रहा रही थी। इसमें मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रिमंडल में बदलाव की बात कही जा रही थी। वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कार्यकाल फरवरी 2023 में पूरा हो रहा है। ऐसे में प्रदेश में बड़े परिवर्तन की चर्चा हो रही थी। अब राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद पार्टी सूत्रों का कहना है कि फिलहाल सत्ता और संगठन में कोई बदलाव नहीं होगा।

भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों का कहना कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल बढ़ने के साथ ही आगामी दिनों में उनकी टीम में कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे। कुछ राष्ट्रीय पदाधिकारियों के अलावा प्रदेश अध्यक्षों को बदलने जाने की चर्चा है। इसके अलावा 2024 के चुनाव को देखते हुए संगठन में भी कुछ नए लोगों को शामिल किया जाएगा। कुछ प्रदेश अध्यक्षों के कार्यकाल भी बढ़ाए जा सकते है। वी.डी. शर्मा का कार्यकाल बढ़ेगा या नहीं यह सब कुछ फीडबैक पर निर्भर करेगा। राष्ट्रीय स्तर से फीडबैक लेने का काम चल रहा है। इसकी रिपोर्ट कुछ दिनों में दिल्ली पहुंच जाएगी। इसके बाद विधानसभा चुनाव के हिसाब से जिम्मेदारियों में जरूरी बदलाव होंगे। 24 जनवरी को प्रदेश की राजधानी भोपाल में कार्यसमिति की बैठक होगी। इस बैठक में केंद्रीय नेतृत्व से मिले कार्यक्रमों और निर्देशों पर बात चर्चा होगी।

अगर वीडी शर्मा हटे तो इन लोगों की खुल सकती है किस्मत

पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा अगर वीडी शर्मा को हटाती है, तो उनके स्थान पर सामान्य वर्ग से ही आने वाले किसी नेता को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस रेस में पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला सबसे आगे नजर आ रहे हैं। शुक्ला की सीएम चौहान के साथ अच्छी ट्यूनिंग बताई जाती है। शुक्ला को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपकर भाजपा विंध्य और महाकौशल को आसानी से साध लेगी। 2018 के चुनावों में विंध्याचल में ऐसा क्षेत्र था जहां पार्टी ने उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन किया था। क्षेत्र की 30 सीटें में से भाजपा को 24 पर विजय मिली थी। जबकि महाकौशल की 38 सीटों में से पिछले 13 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

इस बीच शिवराज सरकार में मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी इस रेस में शामिल है। दोनों ही नेताओं की संगठन में अच्छी पकड़ मानी जाती है। भदौरिया का सीएम चौहान के साथ अच्छा तालमेल है। ग्वालियर चंबल बेल्ट में उनका प्रभाव है। पिछली बार भी उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष की रेस में शामिल था। लेकिन एन वक्त पर वीडी शर्मा बाजी मार ले गए। हाल ही में भदौरिया ने करणी सेना का आंदोलन को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों जिम्मेदारी मुक्त हैं। उनके समर्थक दावा करते है कि वे प्रदेश अध्यक्ष के सबसे प्रबल दावेदार हैं। प्रदेश के हर जिले में उनके समर्थक बताए जाते हैं। जबकि मालावा-निमाड़ में विजयवर्गीय की मजबूत पकड़ मानी जाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मालवा निमाड़ की 66 सीटों में 28 सीटें मिली थीं। जबकि कांग्रेस ने यहां 35 सीटों पर जीत हासिल की थी। मालवा-निमाड़ में भाजपा के पिछड़ने के कारण पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। 2013 के चुनाव में भाजपा ने 57 सीटों पर कब्जा जमाया था, कांग्रेस सिर्फ 9 सीटें जीत सकी थी।  

पार्टी की नजर दलित और आदिवासी वोट बैंक पर

विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा जातीय कार्ड भी खेल सकती है। पार्टी की नजर दलित और आदिवासी वोट बैंक पर है। 2018 के विधानसभा चुनावों में यह तबका पार्टी से छिटक गया था। ऐसे में प्रदेश की कमान किसी दलित या आदिवासी चेहरे को भी सौंपी जा सकती है। आदिवासी चेहरों में राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी का नाम सबसे आगे है। सोलंकी बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हैं। वे खरगोन-बड़वानी के सांसद रहे माकन सिंह सोलंकी के भतीजे है। मप्र में करीब 22 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं। 84 सीटें आदिवासी बहुल हैं। 2018 के चुनावों में इन 84 सीटों में से 34 पर भाजपा ने कब्जा किया था। जबकि 2013 के चुनावों में पार्टी को 59 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में भाजपा एक बार फिर आदिवासियों के बीच पैठ बनाने में जुटी हुई नजर आ रही है।

दलित वर्ग को साधने के लिए पार्टी प्रदेश से किसी दलित चेहरे को भी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा सकती है। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य का नाम सबसे आगे है। आर्य, शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं। वे 2018 में चुनाव हार गए थे। लाल सिंह ने पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के लिए जो काम किए हैं, उसे पार्टी में सराहा जा रहा है। आर्य राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और अध्यक्ष जेपी नड्डा की गुड बुक में भी शामिल है। मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए प्रदेश की 35 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं, जबकि वोट बैंक के लिहाज से 17 फीसदी वोट इसी वर्ग के हैं। यह वोट बैंक 50 से ज्यादा सीटों पर अपनी सीधी पकड़ रखता है और निर्णायक भूमिका में रहता है। वर्तमान में 35 सीटों में से भाजपा के पास 21 सीट है, 14 सीटें कांग्रेस के पास हैं।

विधायकों से वन-टू-वन बात 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को प्रदेश के कुछ विधायकों के साथ भी वन टू वन बैठक की। इसमें उन विधायकों को शामिल किया गया, जो पिछले महीने वन टू वन बैठक में शामिल नहीं हो सके थे। सीएम ने विधायकों को सर्वे के आधार पर उनका परफार्मेंस सुधारने और क्षेत्र में जनता के बीच पकड़ बनाने के सुझाव दिए हैं।

चुनावी साल में MP कांग्रेस की आज बड़ी बैठक

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TIO BHOPAL

चुनावी साल शुरू होते ही कांग्रेस ने अपने संगठन में कसावट शुरू कर दी है। आज भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में पीसीसी चीफ कमलनाथ महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, बाल कांग्रेस सहित सभी प्रकोष्ठों के अध्यक्षों की बैठक लेंगे।

संगठनों के कामकाज की होगी समीक्षा

कमलनाथ आज कांग्रेस के सभी प्रकोष्ठों के अध्यक्षों से संगठनों और प्रकोष्ठों के कामकाज की समीक्षा करेंगे। जिलों में पदाधिकारियों के कामकाज की समीक्षा पर भी चर्चा होगी। निष्क्रिय पदाधिकारियों की संगठन से छुट्‌टी भी हो सकती है। बैठक में बुलाए गए सभी प्रकोष्ठों के अध्यक्षों, महामंत्रियों को अपने जिलों की लिस्ट लेकर आने के निर्देश दिए गए हैं। इस बैठक में संगठन द्वारा दिए गए कार्यक्रमों की परफॉरमेंस रिपोर्ट, प्रदेश और जिला पदाधिकारियों की परफॉरमेंस की भी समीक्षा की जाएगी।

पीसीसी की नई टीम पर भी होगी चर्चा

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और नई प्रदेश कांग्रेस कमेटी की टीम के गठन पर भी आज की बैठक में चर्चा होगी। इस बैठक में कमलनाथ चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को पार्टी के अहम पदों से मुक्त होने के लिए भी कह सकते हैं। यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने इस बैठक से पहले ही एक जिलाध्यक्ष 3 प्रदेश सचिवों सहित कुल 23 पदाधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है।

ब्लॉक अध्यक्षों की नई लिस्ट हो सकती है फाइनल

प्रदेश भर में ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों के नए अध्यक्षों की सूची पर भी आज की बैठक में चर्चा हो सकती है। कमलनाथ ने साफ लहजे में कहा है कि यदि चुनाव जीतना है तो जिले से लेकर बूथ तक मजबूत और फुल टाइम वर्कर्स को ही पदाधिकारी बनाया जाए।

सीएम के क्षेत्र में आदिवासी वर्ग से टिकट देने की मांग पकड़ रही जोर

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नरेश मेवाड़ा

मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए आदिवासी वोटर्स निर्णायक हैं। आदिवासी वोट बैंक जिससे दूर हुआ, वो ‘सिंहासन’ से दूर हो गया। ऐसा ही नजारा सीएम शिवराज सिंह के क्षेत्र बुधनी विधानसभा में नजर आ रहा है। आदिवासियों को साधने जहां भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है, तो प्रदेश के कई जिलों के आदिवासी नेता कांग्रेस से विधायक पद की दावेदारी कर रहे है। बुधनी विधानसभा सीट पर चुनावी साल में आदिवासी नेता अपनी अलग ताकत दिखाने लगे हैं। स्थानीय आदिवासी नेता कांग्रेस से टिकट देने की मांग कर रहे हैं। पूरे सीहोर जिले में आदिवासियों वोटरों की संख्या लगभग डेढ़ लाख के करीब है। वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे है और मुख्यमंत्री को अपने घर में ही घेरने की रणनीति के तहत कांग्रेस के द्वारा अपनी गोटी बिछाई जा रही है। सूत्रों ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद भी कमलनाथ सीएम के गृह जिले सीहोर से चिंतामन गणेश का आशीर्वाद लेकर करेंगे। रायसेन जिले की सिलवानी से जहां नीलमणि शाह तो सीएम की विधानसभा सीट बुधनी से पूर्व जिला पंचायत सदस्य बलराम सीराम, कांग्रेस के सक्रिय युवा नेता आदिवासी कांग्रेस विभाग सीहोर जिला अध्यक्ष सुमित नर्रे, विजेंद्र उइके कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे है। वहीं बुधनी विस सीट से इस बार भाजपा से कार्तिकेय चौहान का नाम चर्चा में है और वह क्षेत्र में जोर-शोर से तैयारी भी कर रहे है। बुधनी में स्थानीय स्तर पर कुछ कांग्रेस के आदिवासी नेता टिकट की मांग कर रहे है, जो 15 वर्षों से कई आंदोलन कर कांग्रेस को मजबूत कर रहे हैं। उनका मत है कि विधान सभा में दलित एवं आदिवासियों के 90 हजार से भी अधिक मतदाता है। इस लिए इस बार किसी स्थानीय आदिवासी नेता को मैदान में उतारा जाए तो बुधनी विधानसभा सीट कांग्रेस को मिल सकती है। वहीं भाजपा के कद्दावर पूर्व मंत्री रामपाल सिंह राजपूत के क्षेत्र से वर्ष 2018 में विस का निर्दलीय चुनाव लड़ चुके आदिवासी नेता नीलमणि शाह फिर कांग्रेस से विधायक पद की दावेदारी कर रहे है। क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। इसके साथ उनके पिताजी मोतीलाल बोरा जी के समय उद्यमी विभाग संस्थान के अध्यक्ष रहे चुके है और उनकी दादी झलकन कुमारी कांग्रेस से विधायक रह चुकी है।


गोंडवाना के वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर

कांग्रेस नेताओं ने बताया कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 40 हजार आदिवासी मतदाता हैं। अब तक सामान्य वर्ग का प्रत्याशी होने से पूरा वोट सरकार यानी मुख्यमंत्री के साथ चला जाता है। यदि आदिवासी वर्ग से प्रत्याशी होगा, तो इस वर्ग का एकमुश्त वोट कांग्रेस की झोली में आ सकता है। इस प्रयोग के जरिए क्षेत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के असर को भी कम किया जा सकता है।


सिलवानी-भोजपुर से भी उठी मांग
आदिवासी नेताओं का कहना है कि बुधनी के अलावा प्रदेश सरकार के मंत्री रामपाल सिंह के क्षेत्र सिलवानी में लगभग 48 हजार आदिवासी वोट हैं। इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री स्वगीय सुंदरलाल पटवा के भतीजे व प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेंद्र पटवा के भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में भी इस वर्ग के वोटों की संख्या 42 हजार बताई गई है। मप्र में 20 फीसदी आदिवासी नेता है।


विधानसभा चुनाव 2018 में किसे मिले कितने वोट
पार्टी प्रत्याशी वोट मिले
भाजपा शिवराज सिंह 123492
कांग्रेस अरुण यादव 64493
गोडवाना गणतंत्र पार्टी रेवाराम सल्लाम 8,152
बीएसपी संजीव कुमार 1,683


बुधनी का सियासी इतिहास
बुधनी से शिवराज सिंह ने पहला चुनाव 1990 में लड़ा था. इसके बाद 2005 उनके लिए बदलाव लेकर आया जब उन्हें मध्य प्रदेश में बाबूलाल गौर को हटाकर मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद 2006 में अपनी पुरानी सीट बुधनी से उपचुनाव में कांग्रेस के राजकुमार पटेल को करीब 36 हजार मतों से हराकर विधानसभा के सदस्य बने. इसके बाद चौहान ने लगातार 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बुधनी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा. 2008 में उन्होंने कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत को 41 हजार वोटों से परास्त किया जबकि 2013 में महेंद्र सिंह चौहान को 84 हजार मतों से हराया था.


ये नेता कमलनाथ से कर चुके मांग
विगत दिनों आदिवासी नेता कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ से मिलकर अपनी बात रख चुके है और क्षेत्र में आदिवासी समुदाय एकजुटता के साथ अपनी बात रख रहा है। आदिवासी समुदाय के कई नेताओं के द्वारा कांग्रेस नेताओं से संपर्क कर अपनी बात रखी है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों बुधनी विधान सभा से आदिवासी वर्ग के वोट बैंक को देखते हुए इसी वर्ग से प्रत्याशी घोषित किए जाने की चचार्एं भी चली थी। ऐसे में आदिवासी नेता अब कांग्रेस से टिकट मिलने की आस में लगातार भोपाल के चक्कर लगा रहे है।

47 सीटों का खेल
2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के वोटों के कारण ही कांग्रेस सत्ता हासिल कर पायी थी। कांग्रेस को 47 में से 30 सीटें मिली थी। प्रदेश में आदिवासियों की बड़ी आबादी होने से 230 विधानसभा में से 84 सीटों पर उनका सीधा प्रभाव है। प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थी। कांग्रेस के खाते में 15 सीट आयी थी। लेकिन 2018 के चुनाव में सीन एकदम उल्टा हो गया। आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा सिर्फ 16 पर ही जीत दर्ज कर सकी। कांग्रेस ने 30 सीटें जीत ली थी। भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी थी। बहरहाल देखना होगा कि 2023 के चुनावों में आदिवासी समाज किस दल को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाता है।

गौर महाविद्यालय में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर संपन्न

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भोपाल

बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आज छात्रों और शिक्षकों का स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित किया गया । इसका शुभारंभ प्राचार्य श्री संजय जैन ने किया । शिविर का आयोजन महाविद्यालय के क्लिनिकल न्यूट्रीशन विभाग की ओर से किया गया । महाविद्यालय की एक विज्ञप्ति में क्लिनिकल न्यूट्रीशन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर मीता बादल ने बताया कि इस शिविर में बड़ी संख्या में छात्रों तथा प्राध्यापकों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य परीक्षण किए गए । डॉक्टर बादल ने बताया कि पिछले दो दशक से विभाग छात्रों के स्वास्थ्य को लेकर एक अनूठा अभियान संचालित कर रहा है । इसके तहत एक एक छात्र का निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और उसकी जांच की रिपोर्ट्स के आधार पर उनको परामर्श दिए जाते हैं ।


आज के शिविर में भोपाल के सिटी मल्टी स्पेशियल्टी हॉस्पिटल और यू एस पैथोलॉजी और केयर पैथोलॉजी की तरफ़ से यह निशुल्क परीक्षण किए गए । संपूर्ण रक्त परीक्षण के दौरान नमूने लिए गए और उनके वज़न , कद तथा पोषण की स्थितियों की पहचान की गई । छात्रों के इस परीक्षण के बाद उनको व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन दिया जाएगा । स्वास्थ्य परीक्षण अभियान का उद्देश्य छात्र छात्राओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाना है। महाविद्यालय की ओर से इस अभियान में सहयोग देने के लिए दोनों चिकित्सा संस्थानों का आभार प्रकट किया गया ।

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी

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(अरविंद तिवारी)

बात यहां से शुरू करते हैं…गेम, मैच एंड शो टू शिवराज सिंह चौहान प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट से किसी को कुछ मिला हो या ना मिला हो, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो फायदे में ही रहे। पांच दिन के इन दोनों आयोजनों में शिवराज पूरी तरह छाए रहे और उन्होंने मौके को भुनाने में कोई भी कसर बाकी नहीं रखी। जो भी प्लेटफार्म उन्हें मिला उस पर चाहे राष्ट्रपति मौजूद रही हों, या प्रधानमंत्री शिवराज अपने अंदाज में ही बोले और खूब दाद बटोरी। चाहे मध्यप्रदेश को सबसे आगे बताने का मामला हो या फिर माफी मांगने का। अब कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि यह सियासत की मेहफिल नहीं, कार्पोरेट सेक्टर का जमावड़ा था और यहां उनका कुछ अलग अंदाज सामने आना था। पर शिवराज तो शिवराज हैं, उन्हें जो भाता है, वही जुबां पर आ जाता है।

सियासत, सेक्स और सीडी

मध्यप्रदेश में इन दिनों फिर एक सीडी की बड़ी चर्चा है। सियासत और सेक्स से जुड़ी यह सीडी कइयों का राजनीतिक भविष्य बिगाड़ सकती है। सीडी का जुमला नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह सामने लाए। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने जो कुछ कहा उससे गोविंद सिंह की बात को वजन मिला। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक अलग ही राग छेड़ा और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा इस मामले में नेता प्रतिपक्ष को ही चुनौती दे बैठे। इस सबके बीच कमलनाथ अचानक बैकफुट पर आ गए और बोले, मेरे पास तो सीडी नहीं है, हां, जब मैं मुख्यमंत्री था, तब अफसरों ने मुझे ऐसी सीडी की जानकारी तो दी थी। फिलहाल तो सीडी की इस चर्चा ने कइयों की धड़कने बढ़ा रखी हैं।

सिंधिया के महल में ‘पाराशर पुराण’

15 साल तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ साये की तरह रहे पुरुषोत्तम पाराशर का यूं सिंधिया हाउस को बाय-बाय कर देना किसी को समझ नहीं आ रहा है। इस घटनाक्रम ने सिर्फ सिंधिया खेमे और भाजपा के तमाम गुटों में हलचल मचाई, बल्कि कांग्रेस भी उसमें नजर गड़ाए हुए हैं। 15 दिन से दफ्तर नहीं आ रहे पाराशर ने नए साल के दूसरे दिन इस्तीफा दे दिया। उन्होंने खुद इसकी जानकारी सिंधिया समर्थकों को वाट्सएप के माध्यम से दी। अब कोई कह रहा संघ के दबाव में हटाया गया, कोई कह रहा है कि उनके खिलाफ शिकायत मिल रही थी, लेकिन जिन लोगों को पाराशर की हैसियत और महत्व का अंदाजा है, उनके गले ये बातें उतर नहीं रही हैं। इस बदलाव में तड़का दिग्विजय सिंह के उस ट्वीट ने लगा दिया है कि क्या महाराज अपने सबसे विश्वस्त को भी नहीं बचा पाए। वैसे जिन लोगों ने 2010 के पीसीए के प्रतिष्ठा को चुनाव से लेकर कांग्रेस के विधायकों को बेंगलुरु ले जाने तक की घटनाएं देखी है उन्हें पता है कि पाराशर का राजनीतिक प्रबंधन और टीम सिंधिया में उनकी पकड़ कितनी है।

दिल्ली में रुक गई कमलनाथ की सूची

सामान्यत: यह माना जाता है कि कमलनाथ जैसा चाहते हैं, मध्यप्रदेश कांग्रेस में वैसा ही हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा हो नहीं पा रहा है। प्रदेश के डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिलों के शहर और जिला अध्यक्ष बदले जाने का कमलनाथ का प्रस्ताव दिल्ली वालों ने अटका दिया है। दरअसल ये बदलाव प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल और कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्री की स्वीकृति मिलने के बाद होना है। मध्यप्रदेश से सूची दिल्ली पहुंचे एक महीने से ज्यादा हो गया है, लेकिन बात बन नहीं पा रही है। अब ऐसा लग रहा है कि मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के हस्तक्षेप से निपट पाएगा।

मददगार सुलेमान और बैचमेट के बल्ले बल्ले

प्रवासी भारतीय सम्मेलन में केंद्रीय विदेश मंत्रालय की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण थी। इस मंत्रालय में प्रवासी भारतीय विभाग देखने वाले सचिव ओफाक सईद और मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान के बैचमेट हैं। सुलेमान प्रदेश में अप्रवासी भारतीय विभाग भी देखते हैं। इंदौर में हुए आयोजन के दौरान सईद और सुलेमान की जोड़ी ने गजब का तालमेल दिखाया और इसी का नतीजा था कि सारे सूत्र इन दो अफसरों के हाथ में ही केंद्रित हो गए। सईद के मददगार की भूमिका निभाने वाले सुलेमान के वजन का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए लंच में उन्हीं के प्रयासों के कारण ऐनवक्त पर प्रदेश के एक वजनदार भाजपा नेता का नाम सूची में शामिल हो पाया। अब ये नेता कौन थे, यह आप पता कीजिए।

नौकरशाही का दबदबा और टकटकी लगाए बैठे मंत्री

ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट और प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मध्यप्रदेश की नौकरशाही ने अपना दबदबा साबित कर दिया। दोनों आयोजनों में जैसा अफसरों ने चाह वही हुआ और मंत्री तो दर्शक दीर्घा तक ही सीमित हो गए। थोड़ी पूछताछ राज्यवर्धन सिंह की रही, जिनके महकमें ने ही ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट आयोजित की थी। पर मजेदार यह भी है कि इस सम्मिट के माध्यम से मध्यप्रदेश में जो निवेश आने की बात कही जा रही है, उसमें सिंह से जुड़े विभागों में आने वाला निवेश बहुत कम है। उनका यहां पीछे रह जाना चर्चा का मुद्दा भी बन गया है।

किरण देशमुख से पंगा अब भारी पड़ रहा है संजय चौधरी को

सरकारी नौकरी में रहते हुए कई अहम पदों पर रहे भारतीय पुलिस सेवा के अफसर संजय चौधरी के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। चौधरी जिस भी पद पर रहे, वहां दोनों हाथों से माल बटोरने का रिकार्ड बना चुके हैं। खेल संचालक के रूप में उन्होंने जो गुल खिलाए वह तो रिकार्ड पर आ गए थे। जेल महानिदेशक रहते हुए उन्होंने अपने बेटे के माध्यम से क्या नहीं किया। विभाग के तबादलों की सूची बिल्डर बेटे के दफ्तर पर बनती थी। जमीन के कारोबारी जब जेल में बंद हुए तो उनकी सुविधाओं का फैसला इसी दफ्तर पर नजराना उतरने के बाद हुआ। पैसा खपाने और बेटे को सेट करने के चक्कर में इंदौरी बिल्डर किरण देशमुख के साथ पहले अच्छा तालमेल रहा और जब बिगड़ा तो दोनों एक-दूसरे के जानी दुश्मन हो गए। पॉवर में रहते चौधरी ने देशमुख को दिक्कत में डाला, तो अब देशमुख हिसाब बराबर करने में लगे हैं।

चलते-चलते

दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू होने के साथ ही मध्य प्रदेश में सत्ता एवं संगठन में बदलाव की खबरें तेज हो गई है। कौन किस भूमिका में रहेगा इसका फैसला जल्दी ही होगा पर यह तय है मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा और संघ की पसंद के चलते राजसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी को महत्वपूर्ण भूमिका मिलने जा रही है।

कांग्रेस की मध्यप्रदेश की राजनीति में सुरेश पचौरी का वजन बढऩे लगा है। संगठन प्रभारी के दायित्व से चंद्रप्रभाष शेखर को मुक्ति, पचौरी के खासमखास राजीव सिंह का संगठन महामंत्री बनना, शोभा ओझा का फिर वजनदार हो जाना, पचौरी के बढ़ते दबदबे का संकेत है। हां, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह के लिए यह जरूर परेशानी का कारण बन सकता है।

पुछल्ला

प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर सम्मिट के दौरान शहर की साफ-सफाई चाक-चौबंद रखने और सुंदरता निखारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने वाले नगर निगम के महापौर पुष्यमित्र भार्गव को ‘फर्स्ट सिटीजन ऑफ इंदौर’ के रूप में जो सम्मान मिलना था, वह आखिर क्यों नहीं मिला। न वे प्रधानमंत्री के लंच में बुलाए गए और न ही पूरे आयोजन में उनकी कोई पूछ-परख हुई। जरा इसका कारण तो पता कीजिए।

अब बात मीडिया की

अभी तक पर्दे के पीछे रहकर कमलनाथ का साथ दे रहे वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बबेले अब घोषित तौर पर उनके मीडिया सलाहकार हो गए हैं। इंडिया टुडे और दैनिक भास्कर में अहम पदों पर रह चुके बबेले पर कमलनाथ बहुत भरोसा करते हैं और इन दिनों वे ही कमलनाथ के साथ ही प्रदेश कांग्रेस के मीडिया से जुड़े मामलों के मुख्य रणनीतिकार हैं।

दैनिक भास्कर के भोपाल और इंदौर संस्करण में आने वाले समय में बड़े बदलाव हो सकते हैं। यह बदलाव वरिष्ठ रिपोर्टर के स्तर पर प्रस्तावित हैं। इंदौर के वरिष्ठ रिपोर्टर हरिनारायण शर्मा भोपाल में महत्वपूर्ण भूमिका में आ सकते हैं, वहीं गुरुदत्त तिवारी और शैलेन्द्र चौहान की भूमिका भी बदल सकती है। इंदौर संस्करण से कुछ ही समय पहले जुड़ी रिपोर्टर आरती मंडलोई भी नई भूमिका में आ सकती है।

स्वदेश समूह के इंदौर और ग्वालियर संस्करण अब एक बोर्ड द्वारा संचालित हो रहे हैं। इस बोर्ड के सर्वेसर्वा विवेक गौरे बनाए गए हैं, जबकि पर्दे के पीछे मुख्य भूमिका अतुल तारे निभा रहे हैं। इस बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद अब स्वदेश इंदौर-ग्वालियर ने भोपाल में भी पांव पसारे हैं और नव स्वदेश के नाम से प्रकाशन शुरू कर दिया है।

अभी तक डिजिटल एडिशन पर फोकस कर रहे अमर उजाला समूह ने अब अपना मध्यप्रदेश संस्करण ई-पेपर के रूप में शुरू कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक चेंडके के बाद पत्रिका में लम्बे समय से सेवाएं दे रहे वरिष्ठ साथी अर्चुन रिछारिया भी अब अमर उजाला टीम का हिस्सा हो गए हैं। अमर उजाला के इस कदम को आने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।

इंदौर से अपने पत्रकारिता के करियर की शुरुआत करने वाले वरिष्ठ पत्रकार योगेश दुबे दैनिक भास्कर भिलाई के संपादक हो गए हैं। वे लंबे समय से भोपाल भास्कर में सेवाएं दे रहे थे।

14 साल से भी ज्यादा समय से दैनिक भास्कर भोपाल से जुड़े रहे वरिष्ठ साथी भीम सिंह मीणा ने भास्कर को अलविदा कह दिया है उनकी नई पारी का इंतजार सभी को है।

बहन हसीना के बेटे ने बताया था- कराची में ही है दाउद, पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया

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TIO NEW DELHI

मोस्ट वांटेड आतंकवादी दाऊद इब्राहिम ने पाकिस्तान में दूसरी शादी भी की थी। दाऊद की बहन हसीना पारकर के बेटे अली शाह ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के सामने यह खुलासा किया है। अली ने एजेंसी को बताया कि दाऊद ने पहली पत्नी महजबीं को अभी तलाक नहीं दिया है और वह अभी कराची में ही रह रहा है।

अली ने NIA के सामने यह बयान सितंबर 2022 में दिए थे। इसके बाद NIA ने कई जगह छापे मारे और दाऊद के नेटवर्क से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया। इसके बाद एजेंसी ने कोर्ट के सामने चार्जशीट भी पेश की थी।

  1. महजबीं से एजेंसियों का ध्यान हटाना चाहता था
    दस्तावेजों के मुताबिक, अली ने NIA को बताया कि दाउद ने दूसरी शादी इस मकसद से की थी, क्योंकि वह जांच एजेंसियों का ध्यान पहली महजबीं से हटाना चाहता था। अली जुलाई 2022 में दुबई में अपने काम के सिलसिले में गया था। वहीं वह महजबीं से मिला था। इस मुलाकात में ही महजबीं ने बताया कि दाउद ने दूसरी शादी कर ली है। महजबीं भारत में अपने रिश्तेदारों से वॉट्सऐप कॉल पर बात करती है।
  2. कराची के डिफेंस एरिया में रह रहा है दाउद
    अली ने बताया कि दाउद इब्राहिम कराची में ही रह रहा है। वह गाजी बाबा दरगाह के पास डिफेंस एरिया में ही रहा है। NIA ने दावा किया था कि दाउद हवाला के जरिए बड़ी रकम उन आरोपियों को भेजता रहा है, जो भारत में डी कंपनी की आतंकी साजिशों में मदद करते रहे हैं।
  3. पाकिस्तानी महिला से की शादी, वो पठान है
    अली शाह ने कहा कि दाउद ने दूसरी शादी पाकिस्तानी महिला से की है। वह पठान है। जबकि महजबीं भारतीय है और मुंबई की रहने वाली है। पूछताछ के दौरान दाउद के भाई इकबाल कासकर ने बताया था कि महजबीं पिता से मिलने मुंबई भी आई थी।
  4. दाउद ऐसा दिखा रहा था कि तलाक लिया, पर ये फैक्ट गलत
    अली शाह ने बयान दिया था कि दाउद ऐसा दिखा रहा था कि उसने महजबीं से तलाक ले लिया है, पर यह गलत फैक्ट है। उसकी तीन बेटियां हैं। उनका नाम मारुख, मेहरीन और माजिया है। एक बेटा है, जिसका नाम मोइन नवाज है। महजबीं अली शाह की पत्नी से त्योहारों पर बात करती है। वह वॉट्सऐप कॉल के जरिए उससे बात करती है।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहुंचे PM मोदी, तय होगा 2024 का चुनावी एजेंडा

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TIO BHOPAL

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दूसरी दिन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंच चुके हैं। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 15 मिनट तक रोड शो किया और इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ देखने को मिली। बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि भाजपा को 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करनी है। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को जीत का लक्ष्य रखना है। बैठक में PM मोदी 9 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा नेताओं को गुरु मंत्र दे सकते हैं।

बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा

यह बैठक दिल्ली में एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर हो रही है। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई बड़े नेता हिस्सा ले रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक कार्यकारिणी की बैठक में G-20 आयोजनों की तैयारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल विस्तार, गुजरात चुनाव में भाजपा के ऐतिहासिक जीत के अलावा आगामी लोकसभा चुनाव के एजेंडे पर भी चर्चा होगी।

बैठक में पेश होगा आर्थिक प्रस्ताव

मिली जानकारी के मुताबिक आज दूसरे दिन बैठक में एक आर्थिक प्रस्ताव भी पेश किया जाएगा, जिसमें देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के साथ-साथ आर्थिक रूप से पिछड़े और हाशिए पर पड़े सामाजिक वर्गों के लिए किए कामों पर चर्चा की जाएगी। बैठक में G20 आयोजनों के प्रचार के लिए एजेंडे पर भी चर्चा होगी। इसमें बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे।

सीहोर में भी है एक ‘जलियांवाला बाग!

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TIO BHOPAL

14 जनवरी 1858 को सीहोर के सीवन नदी के तट पर अंग्रेजी फौज द्वारा किए गए नरसंहार से आज भी देश अनजान है। सीहोर का गजेटियर जरूर इसके प्रमाण देता है, पर न पाठ्य पुस्तकों में इस अब तक स्थान मिला और न ही ब्रिटिश हुकूमत से जुड़ी किताबों में इसका कोई जिक्र आया। 356 क्रांतिकारियों का बलिदान आज भी यहां मिट्टी के टीलों में दफन है। जहां स्थानीय लोग आज भी हर वर्ष 14 जनवरी को अमर बालिदानियों को याद कर श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं।

154 वर्ष बाद स्मारक बनाकर फिर भूलेनवाब भोपाल के शासन काल में सीहोर ब्रिटिश सेना की छावनी हुआ करता था। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चहुंओर विद्रोह की चिंगारी सुलग रही थी। जनरल ह्यूरोज ने सीहोर में विद्रोह दबाने की कमान संभाली थी। इसी दौरान उसने अपने सैनिकों से सीवन तट पर चांदमारी में 356 क्रांतिकारियों को न सिर्फ गोलियों से भुनवा दिया, बल्कि उनके शव पेड़ों पर टंगवा दिए थे। नरसंहार के 154 वर्ष बाद 2012 तक तो यहां कोई स्मारक भी नहीं था। जर्जर मिट्टी के टीलेनुमा समाधियां थीं। तात्कालीन राज्यसभा सांसद (स्व.) अनिल माधव दवे ने यहां पक्का स्मारक बनवाया, लेकिन उसके बाद इन बलिदानियों को फिर भुला दिया गया।

अंग्रेज रेजिमेंट को नवाब के खजाने से जाता था वेतन
इतिहासकार ओमदीप के अनुसार 1818 से सीहोर में अंग्रेजों की रेजिमेंट थी। रेजिमेंट के सैनिकों का वेतन भोपाल नवाब के खजाने से दिया जाता था। 1857 में मेरठ की क्रांति से पहले ही सीहोर में क्रांति की चिंगारी सुलग गई थी। तब भोपाल रियासत में अंग्रेजों की सबसे वफादार बेगम सिकंदर जहां का शासन था। मई 1857 में सैनिकों ने विद्रोह कर सीहोर को आजाद कराकर यहां स्वतंत्र सिपाही बहादुर सरकार की स्थापना की थी।