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महिला क्रिकेटर राजश्री स्वैन का शव जंगल में फांसी पर टंगा मिला

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TIO ओडिशा

ओडिशा में महिला क्रिकेटर राजश्री स्वैन का शव जंगल में फांसी के फंदे से लटका मिला है। वे 11 जनवरी से लापती थीं। कटक के जंगल में शव मिलने के बाद परिवार ने ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कटक के पुलिस उपायुक्त पिनाक मिश्रा के अनुसार, 26 वर्षीय राजश्री की स्कूटी अथागढ़ के गुरुदिझटिया जंगल में लावारिस हालत में मिली। यहीं उनका शव एक पेड़ पर फांसी से लटका था।

राजश्री दाएं हाथ की तेज गेंदबाज थीं और मध्य क्रम की बल्लेबाजी भी करती थीं। लापता होने के बाद 12 जनवरी को उनके कोच ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। Cricketer Rajshree Swain मूल रूप से पुरी जिले की रहने वाली थीं।वो पुडुचेरी में आगामी राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट के लिए ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए कटक आई थीं। हालांकि, वह टूर्नामेंट के लिए चुनी गई 16 सदस्यीय टीम में उनको स्थान नहीं मिला था। तब वो रोते हुए कैंप से निकली थीं।

पीटीआई के अनुसार उसकी रूममेट ने कहा, ‘टीम की घोषणा के बाद शाम को उसे रोते हुए देखा गया और होटल से लापता हो गई।’

वहीं राजश्री के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की हत्या की गई है, क्योंकि उसके शरीर पर चोट के निशान थे और आंखों को भी नुकसान पहुंचा था। परिवार का कहना है कि राजश्री का प्रदर्शन शानदार रहा, फिर भी उसका चयन नहीं किया गया।इस पर ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन के सीईओ सुब्रत बेहरा ने राजश्री के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि चयन बहुत ही पारदर्शी तरीके से किया गया था।

करणी सेना के आगे नतमस्तक हुई मध्यप्रदेश सरकार

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जमीनी हकीकत शशी कुमार केसवानी के साथ

चुनावी साल में कांग्रेस के हाथ से एक ओर मुद्दा निकल गया। कांग्रेस जहां भोपाल में करणी सेना के आंदोलन से मन ही मन में प्रसन्न हो रही थी और कांग्रेस को लग रहा था कि बिना मेहनत किए हमें दोनों हाथों में लड्डू मिल जाएंगे पर ऐसा हुआ नहीं। आखिर करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर की चेतावनी के बाद मप्र सरकार को झुकना पड़ा या फिलहाल आश्वासन से ही काम चला लिया है। इस मामले में जहां मध्यप्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी जुड़ी हुई है। आने वाले समय में दोनों एक दूसरे पर मुद्दा डालते हुए नजर आएंगे। मुझे नहीं लगता कि इतनी जल्दी सरकार कोई निर्णय इतने गंभीर विषय पर ले लेगी। चुनाव के समय में सबको लोगों को आश्वासनों पर ही खुश किया जाता है,सरकार वहीं कर रही है। देखना यह है कि कांग्रेस इसमें किस तरह से मुद्दा बनाकर काम कर पाती या मूकदर्शक बनकर ही रह जाती है।


करणी सेना की मुख्य मांग है कि आरक्षण की प्रक्रिया में बदलाव किया जाए और जातिगत आरक्षण के बजाय आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण दिया जाए। प्रदर्शन के दौरान 5 लोगों की भूख हड़ताल लगातार जारी थी। जीवन सिंह शेरपुर ने दवा लेने से भी मना कर दिया था। इसके बाद सरकार और प्रशासन पर दबाव लगातार बढ़ते जा रहा था। इसके बाद आनन-फानन में सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने करणी सेना को उनकी मांगे मानने का आश्वासन दिया है, इसके बाद ही आंदोलन समाप्त किया गया।
हालांकि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ भाजपा नेता भी इस आंदोलन का अंदरखाने से समर्थन कर रहे थे। इसकी भनक सरकार और दिल्ली तक पहुंच गई थी। ज्ञात हो कि जीवन सिंह शेरपुर ने चेतावनी दी थी कि एक बात याद रखना यदि हम मर भी जाए तो भी उग्र आंदोलन मत करना, क्योंकि हम परिवर्तन लाने के लिए आए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे मरने के बाद एक कसम जरूर खाना कि जिंदगी भर भाजपा को वोट मत देना, क्योंकि यह तानाशाह सरकार है, उन्होंने कहा था कि अगर मैं मर जाऊं तो इसके बाद ऐसा न हो कि लाश लेकर निकल जाओ और तोड़-फोड़ करने लग जाओ। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि मेरे मरने के बाद भी इस आंदोलन को जीवित रखना है। यदि आपको लगता है कि जीवन सिंह मरने के बाद भी जिंदा रहना चाहिए तो शांतिपूर्ण तरीके से यहां बैठकर धरना प्रदर्शन करना। धरने से मत उठना, जो मरेगा उसकी लाश ले जाई जाएगी या जंबूरी मैदान में ही जलाई जाएगी पर तुम लोगों को यहीं बैठना है, उग्र प्रदर्शन नहीं करना है, क्योंकि यह व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है. उसके लिए बहुत कुर्बानियां देनी पड़ेगी। यदि एक कुबार्नी से पीछे हट गए, डर तो गए या आक्रोशित होकर तोड़-फोड़ कर दी तो आपका आंदोलन उसी दिन समाप्त हो जाएगा और आपने जिंदगी भर की मेहनत बेकार हो जाएगी। वहीं करणी सेना के कुछ पदाधिकारी यह भी बोल रहे थे कि भाजपा सरकार ने मांगें नहीं मानी तो विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे जिसके बाद से भाजपा की चिंता और बढ़ गई थी, क्योंकि राजपूत समाज के विभिन्न संगठन और ब्राह्मण भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे थे। वहीं कांग्रेस के समर्थन करने पर करणी सेना के राष्टÑीय अध्यक्ष वीरू दादा ने कहा था कि सरकार को हमारी मांगें माननी ही पड़ेगी। उन्होंने कहा था कि जो हमें समर्थन करेगा हम उसका स्वागत करते है।


सरकार ने करणी सेना परिवार के ज्ञापन में शामिल 22 मांगों में से 18 मांगों पर विचार के लिए सरकार ने 3 अफसरों की कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी 2 महीने के अंदर रिपोर्ट देगी। हालांकि करणी सेना की प्रमुख मांग आर्थिक आधार पर आरक्षण, एससी एसटी एक्ट में बिना जांच गिरफ्तारी पर सरकार ने कोई भी आश्वासन नहीं दिया है। वही सामान्य-पिछड़ा एक्ट, खाद्यान्न (रोजमर्रा की चीजें) को जीएसटी से मुक्त करने की मांग पर भी सरकार ने कोई विचार नहीं किया। इधर करणी सेना का वोट बैंक हासिल करने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस आंदोलन पर कहा था कि मुख्यमंत्री और सरकार को करणी सेना परिवार से बात करना चाहिए। कोई भी बात हो, उस पर चर्चा होना चाहिए। समझना चाहिए कि क्या उनका आक्रोश है। उस आक्रोश को सुनकर जो सही हो, वो मानना चाहिए। कमलनाथ ने कहा, अगर हमारी सरकार आती है तो हम उनसे बात करेंगे। मैंने यही परंपरा बनाई थी कि सब से बात करो। कई ऐसी बात होती हैं, जो सरकार के समझ में नहीं आतीं। इसीलिए अधिकारी उनके साथ मीटिंग कर लें, फिर मुख्यमंत्री बात कर लें। कांग्रेस के आंदोलन को समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये आंदोलन भाजपा सरकार के खिलाफ है। इसमें कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। ये एक समाज कर रहा है, तो कांग्रेस इसमें क्या हस्तक्षेप कर सकती है। करणी सेना के लोग हमसे बात करना चाहते हैं, तो हम जरूर करेंगे।


हालांकि करणी सेना और राजपूत समाज के एक धड़े का सीएम शिवराज पहले ही सम्मेलन बुला चुके। उन्होंने कहा था कि महाराणा प्रताप की जयंती पर प्रदेश में अवकाश रखा जाएगा। 2. फिल्म पदमावत पर प्रतिबंध की मांग को लेकर हुए आंदोलनों संबंधी प्रकरण वापिस लिए जाएंगे। 3. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास बनाने के संबंध में समाज के साथ मिलकर कार्य योजना बनाई जाएगी। 4. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों से कम परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। 5. ऐतिहासिक तथ्यों और परिवारों की वंशावली आदि से छेड़छाड़ करने वालों पर कानून कार्यवाही की जाएगी। 6. पाठ्यक्रम समिति में एक प्रतिनिधि राजपूत समाज का होगा। 7. इतिहास के पाठ्यक्रमों की गड़बड़ियों को ठीक किया जाएगा। 8. सामान्य वर्ग के गरीब विद्यार्थियों को विशेष सहयोग की व्यवस्था की जाएगी। 9. सवर्ण आयोग में एक राजपूत क्षत्रिय प्रतिनिधि आवश्यक रूप से सम्मिलित किया जाएगा। 10. सीडीएस स्व. श्री विपिन रावत की प्रतिमा लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। स्थानीय निकाय की सहायता से प्रतिमा स्थापित की जाएगी। 11. राजपूत क्षत्रिय समाज के युवाओं को जरूरत पड़ने पर आर्थिक सहयोग के लिए सहकारिता विभाग द्वारा केस क्रेडिट सोसाइटी बनाई जाएगी। राज्य शासन उसमें सहयोग करेगा। 12. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए आरक्षण में आय सीमा 8 लाख रुपए तक होगी। 13. गौशालाओं को अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा तथा गाय के गोबर व गौमूत्र खरीदने-बेचने की पारदर्शी व्यवस्था उपलब्ध की जाएगी। 14. महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित करने के लिए चर्चा कर कदम उठाए जायेंगे। 15. भोपाल स्थित मनुआभान की टेकरी पर रानी पदमावति की मूर्ति स्थापित करने के लिए आज ही भूमि पूजन किया जाएगा। 16. एमपीपीएससी की भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यार्थियों के लिए आरक्षण की
व्यवस्था होगी।

कांग्रेस ने बनाए 65 हजार बूथ अध्यक्ष, जमीन से लेकर सोशल मीडिया तक सक्रिय रहने की तैयारी

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TIO NEW INDORE

शशी कुमार केसवानी
मध्यप्रदेश में इस समय कड़ाके की सर्दी है, लेकिन सियासी सरगर्मी लगातार परवान चढ़ती हुई नजर आ रही है। इसके पीछे वजह भी साफ है साल 2023 मध्यप्रदेश में चुनावी साल है, भाजपा के सामने जहां एक बार फिर सरकार बनाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस भी प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि बूथ स्तर पर संगठन मजबूत है। सभी 65 हजार बूथ अध्यक्ष बना दिये गए हैं। हर बूथ को जीतने का लक्ष्य है। पीसीसी चीफ कमलनाथ भली भांति जानते हैं कि अगर एक बार फिर से प्रदेश कि सत्ता का सिंहासन हासिल करना है, तो बूथ पर जमकर काम करना होगा। यही वजह है कि कांग्रेस ने बूथ स्तर पर अपनी पुख्ता रणनीति तैयार कर ली है, पार्टी की मानें तो सभी बूथों पर संगठन को सक्रिय कर दिया गया है। बूथ अध्यक्षों को जमीन से सोशल मीडिया तक सक्रिय रहने की हिदायत दी गई है। इन सभी गतिविधियों पर पीसीसी लगातार निगरानी भी रख रहा है। पार्टी के दिशा निर्देश बूथ स्तर तक पहुंचाने के लिए बूथ प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया है। कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष अजय यादव ने बताया कि बूथ लेवल पर हम जनता तक कांग्रेस की रीति नीति और विजन पहुंचाने का काम करेंगे।
बूथ स्तर पर मजबूत तैयारी के जरिए प्रदेश का चुनावी रण जीतने की कांग्रेस की कवायद पर भाजपा ने कहा नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को बूथ पर बैठाने के लिए कार्यकर्ता नहीं मिले थे। एजेंसी के लोगों को बूथ पर बैठाया गया था। सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस की कोई सक्रियता नहीं है। क्योंकि कांग्रेस के ही लोग कमलनाथ की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें शेयर और रीट्वीट नहीं करते। कांग्रेस में पहले भी शून्य बटे सन्नाटा था और अभी भी वही हाल है। चंद महीनों बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने अपने सभी मोर्चा संगठन और प्रकोष्ठों को भी एक्टिव कर दिया है। इसके साथ ही अपने से संबंधित वर्गों को पार्टी के साथ जोड़ने का जिम्मा दिया है। बहरहाल देखना होगा कि साल 2023 के चुनावी समर में कौन से दल की रणनीति ज्यादा कारगर साबित होती है और जनता किसे सत्ता का सरताज बनाती है।

3 दिन से करणी सेना का भोपाल में धरना: संगठन प्रमुख बोले- कसम खाओ कभी भाजपा को वोट नहीं देंगे

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TIO BHOPAL

भोपाल में करणी सेना परिवार का आमरण अनशन और धरना आज भी जारी है। संगठन ने पुलिस कमिश्नर से जंबूरी मैदान में सम्मेलन के लिए एक दिन (रविवार) की अनुमति ली थी, लेकिन संगठन के 5 पदाधिकारी और समर्थक बिना अनुमति आम रास्ता रोककर महात्मा गांधी चौराहे पर आमरण अनशन पर बैठे हैं।

अन्य संगठनों के समर्थन से यहां भीड़ बढ़ गई है। ऐसे में महात्मा गांधी चौराहे से अवधपुरी तिराहे तक रास्ता बंद है। इससे अवधपुरी और आसपास की 2 लाख की आबादी परेशान है। उन्हें डायवर्टेड रूट से लंबा चक्कर लगाकर आना-जाना पड़ रहा है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 3000 पुलिसकर्मी मौके पर तैनात हैं।

8 जनवरी को 5 लोग भूख हड़ताल पर बैठे थे। मंगलवार को दो और बढ़ जाने से संख्या 7 हो गई। इनमें एक स्टूडेंट मानवेंद्र सेंगर (22) है। ओरछा (जिला निवाड़ी) के रहने वाले मानवेंद्र बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से एलएलबी कर रहे हैं। पिता का ट्रांसपोर्ट का काम है। दूसरे हैं रतलाम के रानायरा के रहने वाले विनोद सुनार्थी (30)। दोनों 300 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर भोपाल आए हैं।

ओरछा धाम से प्रण लेकर निकला था कि आंदोलन में शामिल होते ही अन्न त्याग दूंगा

मैं अपने घर ओरछा से निकलते वक्त राम राजा मंदिर ओरछा धाम से प्रण लेकर निकला था कि आंदोलन में शामिल होते ही अन्न त्याग दूंगा, लेकिन समिति ने भूख हड़ताल के लिए पहले ही पांच लोग नियुक्त कर दिए थे। जीवन दादा से न मिल पाने की वजह से किसी को पता नहीं चला। मंगलवार की सुबह सबको पता चला कि एक 22 साल का लड़का भी भूख हड़ताल पर है। इस पर मुझे बुलाकर साथ में शामिल किया गया और मेडिकल चेकअप कराया। सरकार बाहर के लोगों को खाना खिला रही है, लेकिन प्रदेश के लोगों की कोई चिंता नहीं है।

मेरा परिवार खेती करता है। अनुसूचित जाति से आता हूं। 340 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय कर 7 जनवरी को भोपाल पहुंचा। 3 दिसंबर की दोपहर 3 बजे रतलाम से पैदल चले थे। पैरों में छाले पड़ गए। जब मैंने 21 सूत्रीय मांग पढ़ी, तो मुझे भी लगा कि बदलाव होना चाहिए। मन में आया कि इस बदलाव को अपने गांव से ही शुरू करते हैं, बस इसीलिए पैदल ही चल दिया। रोजाना रात 12 बजे तक चलता था। रास्ते में किसी परिचित का घर होता, तो वहीं पर आराम कर लेता, वरना किसी ढाबे पर रुक जाता। इस तरह से भोपाल पहुंचा।

मैं 21 सूत्रीय मांग का समर्थन करता हूं। आरक्षण की जो बात हो रही है, वो इस आधार पर हो रही है कि आरक्षण रहेगा, लेकिन आर्थिक आधार पर। गरीबी जाति देखकर नहीं आती। हर वर्ग में गरीब हैं। जनरल और ओबीसी को भी उनका हक मिलना चाहिए। एससी-एसटी को तो उनका हक मिल ही रहा है। दूसरा एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन होना चाहिए। मैंने करीब 100 मामले ऐसे देखे कि लोग एट्रोसिटी एक्ट का गलत फायदा उठा रहे हैं। जांच नहीं होती है। जो निर्दोष होता है, उसे भी जेल भेज दिया जाता है। मैं इस परिवर्तन के लिए पैदल चलकर आया हूं।

जीवन सिंह शेरपुर ने कहा, BJP को वोट मत देना

आंदोलन के तीसरे दिन मंगलवार को करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर का VIDEO सामने आया। इसमें वे प्रदर्शनकारियों और अपने समर्थकों को भाजपा को वोट नहीं देने की कसम खिला रहे हैं। उन्होंने कहा- हम परिवर्तन करने आए हैं, व्यवस्था में परिवर्तन तभी आएगा। मर जाना, लेकिन कसम खालो BJP को वोट नहीं देना। अगर जीवन सिंह के मरने के बाद भी उसे जीवित रखना है, तो मेरे मरने के बाद कोई उपद्रव नहीं करना, बल्कि ऐसे ही शांतिपूर्ण तरीके से यहीं बैठे रहना।

15 दिन के राशन का इंतजाम

करणी सेना परिवार ने भोपाल के जंबूरी मैदान पर 8 जनवरी को धरना-प्रदर्शन शुरू किया था। इस दौरान शाम तक उनकी मांगें नहीं माने जाने पर संगठन प्रमुख जीवन सिंह समेत 5 लोगों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। इन लोगों ने 9 जनवरी को एमपी नगर की ओर कूच किया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें महात्मा गांधी चौराहे पर ही रोक लिया। तब से करणी सेना के कार्यकर्ता यहीं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि उनके पास अभी 15 दिन के राशन का इंतजाम है।
खंडवा में 2 दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पुतला जलाने वाले करणी सैनिकों पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस ने कलेक्टर के आदेश का उल्लंघन बताते हुए 188 में कार्रवाई की है। बताया कि, बगैर परमिशन के 10-15 लोग इकट्‌ठा हुए और उन्होंने प्रदर्शन कर पुतला जलाया। कई गांवों से इस प्रदर्शन में कार्यकर्ता शामिल हुए थे। अज्ञात लोगों को आरोपी बना गया है।

भारत एक ब्रांड बनकर विश्व के सामने आ रहा है- निर्मला सीतारमन

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TIO इंदौर

प्रवासी भारतीय सम्मेलन के अंतिम दिन वित्तमंत्री एन. सीतारमन ने कहा कि भारत काफी आशावादी देश बन चुका है। प्रत्येक क्षेत्र में विकास तेजी से हो रहा है। 1991 के दौरान भारत में ग्लोबलाइजेशन का दौर आया। यहां सभी वस्तुओं के लिए दरवाजे खुल चुके हैं। समय-समय पर नीतियां बदली गई है। वे कहती है कि इस तरह से नीति बनाई गई है, उस पर अपना इनपुट या सुझाव देने की जरूरत है। आपको अधिक जुड़ाव और एकीकरण करने में मदद करने के लिए सरकार आगे आई है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण को लेकर सरकार प्रत्येक स्तर पर तैयारी करने में लगी है। अगले 25 साल को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार काम करने में लगी है। ताकि भारत भी एक ब्रांड बनकर उभर कर विश्व के सामने आए। देश में मैन्यूफैक्चरिंग की दिशा में कार्य किया जा रहा है। कुछ सालों में स्थितियां बदलेगी। भारत सामान खरीदने के अलावा बेचने की स्थिति में आएगा।

एक जिला एक उत्पादवित्त मंत्री सीतारमन ने कहा कि भारत काफी भिन्नताओं वाला देश है। प्रत्येक राज्य की अपनी कुछ खास बात है, जो उसे पूरे देश व विश्व में पहचान दिलाती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार अब वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (एक जिला एक उत्पाद) योजना पर काम कर रही है। इसे लेकर प्रत्येक राज्य को अपने-अपने जिले की एक उत्पाद को बढ़ावा देना होगा। वे कहती है कि इसमें प्रवासी भारतीय भी मदद कर सकते हैं। इन उत्पाद को विदेशी बाजार उपलब्ध करवाने के लिए सुझाव दे सकते हैं। जैसे पैकेजिंग, मार्केटिंग, बिक्री सहित अन्य क्षेत्र में योगदान दे सकते हैं। ताकि भारत के स्थानीय उत्पाद को उचित मंच देना होगा। यहां तक इन उत्पाद की विदेशों में बिक्री बढ़ाकर भारत की अर्थव्यवस्था में सहयोग कर सकते है।

19 देशों में वैक्सीन दीउन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए भारत ने कई देशों की मदद की है। संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध करवाई है। करीब 19 देशों में 69 प्रतिशत वैक्सीन भारत ने भेजी है। भारतीय वैक्सीन की बदौलत ही संक्रमण को रोकने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि भारत में चिकित्सा सेवाएं बेहतर हो रही है। वह भी काफी कम कीमतों में उपचार होने लगा है। बीते कुछ सालों में दो मिलियन लोगों ने भारत आकर अपना इलाज करवाया है। इन आंकड़ों को देखते हुए भारत में 78 देशों के लोगों ने उपचार करवाया है। अब मेडिकल टूरिज्म भी यहां बढ़ने लगा है। इसके पीछे असर वजह यह है कि इनका उपचार काफी सस्ता है।

कीर्ति बिसारिया की अंडरवाटर फैशन फोटोग्राफी ने लोगों का मन मोह लिया

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शशी कुमार केसवानी

भोपाल की बेटी जिसने भोपाल में अपनी स्कूलिंग की। उसके बाद मुंबई में पढ़ाई करने के बाद एक लंबी उड़ान पर अमेरिका पहुंची। जहां उन्होंने न अपने शहर का नाम रोशन किया बल्कि पूरे देश को एक अलग पहचान भी दी। अंडर वाटर फैशन फोटोग्राफी एक अलग विधा है। जिससे उनसे अमेरिका में तो अपना नाम कमाया साथ ही साथ देश का नाम भी ऊंचा किया है। ये काम सुनने में जितना आसान लगता है उतना आसान होता नहीं है या फिर हम फिल्मों में बारिश या बिजली चमकते देखते है। वो एक आसानी से किया जा सकता है पर इस तरह की फोटोग्राफी करना बड़ा मुश्किल काम होता है। 30 मिनट के अंदर शूट करने के लिए महीनों की तैयारी लगती है। एक्सट्रैक्ट और फिगरेटिव आर्ट वर्क के अनेकों नमूने आपने शहर में लगने वाली पेंटिंग एग्जीबिशंस में देखे होंगे लेकिन पानी के भीतर की दुनिया और कई फीट गहराई में यदि फैशन की बात की जाए तो शायद आप चौंक जाएंगे। अंडर वॉटर फोटोज क्लिक करने वालीं फैशन फोटोग्राफी स्पेशलिस्ट कृति बिसारिया की पहली एग्जीबिशन भोपाल में लगाई गई। एक दिन की एग्जीबिशन में कृति के क्लिक किए 14 फोटोग्राफ्स डिसप्ले किए गए हैं।

अंडरवॉटर फोटोग्राफी के पिक्चर्स देखने में जितने स्मूथ और एफर्टलेस लगते हैं, उतने ही ज्यादा चैलेंजेज इसकी तैयारियों में होते हैं। आप अंडर वॉटर फैशन में कुछ सिलेक्टेड कलर पैलेट के साथ ही काम का ध्रुपद गायन कर सकते हैं। मॉडल को भी स्विमिंग आनी चाहिए और वह अंडर वॉटर पोज देने को लेकर कंफर्टेबल हों।

आप जितनी गहराई में जाते हैं, रोशनी उतनी कम हो जाती है, ऐसे में, डेलाइट के अलावा भी लाइट्स का अरेंजमेंट करना होता है। भले ही आपने तैयारी में महीनों लगाएं हों, लेकिन एक बार में आप 30 से 40 मिनट से ज्यादा शूट नहीं कर सकते। कृति ने बताया कि 20 साल पहले जब मैं निफ्ट मुंबई से फैशन कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रही थी।

तब पहली बार स्कूबा डायविंग करने का मौका मिला। यह मुझे इतना पसंद आया कि तब से ही जेहन में चल रहा था कि मुझे फैशन और पानी को लेकर मेरे पैशन को साथ लेकर आना है। इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने न्यूयॉर्क के स्कूल आफ विजुअल आर्ट्स से पढ़ाई की। ग्लोबल फैशन एंड एसेसरी हाउस रेबेका मिंक आफ में इट्स फोटोग्राफी डायरेक्टर के तौर पर मेरा काम काफी प्रोफेशनल है। काफी समय से मन था कि अपने अंडर वॉटर फोटोग्राफी के एक्सपर्टीज का इस्तेमाल कर कुछ आर्टिस्टिक वर्क भी किया जाए। इसके लिए एक महीने की प्लानिंग की और फिर न्यूयॉर्क के ही एक पूल में मॉडल के साथ यह फोटोशूट किया। इसके लिए एक महीने की प्लानिंग की और फिर न्यूयॉर्क के ही एक पूल में मॉडल के साथ यह फोटोशूट किया। इस अवसर पर पदश्री फोटोग्राफर भालू मोंढे, आर्टिस्ट प्रीती बावा, अनुप्रकाश, मिसेस सुनील मिश्रा, सोनल सरन व अनेक लोग मौजूद थे।

करणी सेना और सरकार में नहीं बन पा रही सहमति

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TIO BHOPAL

राजधानी भोपाल में करणी सेना परिवार का आंदोलन तेज होता जा रहा है। तीन दिन से भेल इलाके में आंदोलन जारी है। करणी सेना परिवार और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। सोमवार को करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर अपने साथियों के साथ जंबूरी मैदान से एमपी नगर के लिए बढ़े तो उन्हें पुलिस ने भेल के गांधी चौराहे पर ही बैरिकेडिंग कर रोक लिया। इसके बाद से ही करणी सेना के लोग आज मंगलवार को भी अवधपुरी जाने वाली रोड पर ही धरने पर बैठे हुए हैं।

करणी सेना के आंदोलन के चलते भोपाल के भेल, पिपलानी, अवधपुरी जाने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। करणी सेना के लोग अपनी 21 सूत्रीय मांगों का लिखित में सरकार की ओर से निराकरण के लिए मंत्रियों की कमेटी बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। रविवार शाम से लेकर सोमवार तक करणी सेना परिवार के प्रतिनिधियों की मंत्री अरविन्द भदौरिया से चार बार बैठक हुई लेकिन समाधान नहीं निकल पाया।

इधर, करणी सेना परिवार के आंदोलन की आग प्रदेश के दूसरे जिलों में भी फैल रही है। आज आगर और शाजापुर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुतले जलाए गए।

कमलनाथ संगठन को दुरुस्त करने में जुटे

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TIO BHOPAL

चुनावी साल शुरु होते ही मप्र के सियासी गलियारों में गर्मी का माहौल है। नए साल की छुटि्टयों से लौटते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जिला प्रभारियों और संगठन मंत्रियों की मीटिंग करके बूथ- मंड़लम् सेक्टर से लेकर बूथ कमेटियों को मजबूत करने को कहा। कमलनाथ संगठन को दुरुस्त करने में जुटे हैं।मप्र में चुनावी साल शुरु होने के बावजूद प्रदेश के करीब 10 जिले ऐसे हैं जहां कांग्रेस बिना मुखिया के चल रही है। यानि इन जिलों में जिलाध्यक्ष नहीं हैं। इनमें से आधे जिले ऐसे हैं जहां कार्यवाहक जिलाध्यक्षों से काम चल रहा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल का कहना है जो भी पद खाली है उनपर जल्दी नियुक्तियां हो जाएंगी।

इन जिलों में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ही नहीं

मुरैना- चंबल संभाग के मुख्यालय मुरैना जिले में कांग्रेस का ग्रामीण जिलाध्यक्ष नहीं हैं। मुरैना जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष 12 साल से अध्यक्ष रहे राकेश मावई ने पिछले साल अगस्त में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पीसीसी चीफ कमलनाथ को दिए इस्तीफे में मावई ने लिखा था कि मैं 12 साल से मुरैना जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष हूं। मुझे पार्टी ने विधानसभा का टिकट दिया अब मैं विधायक के तौर पर मुरैना की जनता को पूरा समय देना चाहता हूं इसलिए मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लें। राकेश के इस्तीफा देने के बाद से ही कांग्रेस जिलाध्यक्ष का पद खाली है।

सागर- एमपी के बुन्देलखंड की राजधानी कहे जाने वाले सागर में कांग्रेस की हालत खराब है। सागर जिले की आठ विधानसभाओं में से सिर्फ दो विधानसभाओं देवरी और बंडा में कांग्रेस के विधायक हैं। शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल में अकेले सागर जिले से ही तीन मंत्री हैं। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई में कांग्रेस के उन कार्यकर्ताओं के घर गए थे जिनके ऊपर बीजेपी के दबाव में केस दर्ज हुए हैं। पत्रकारों ने प्रत्याशी के बारे में पूछा तो दिग्गी बोले कोई नहीं लड़ेगा तो मैं खुरई से चुनाव लडूंगा। लेकिन सागर जिले में कांग्रेस की खराब हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सागर शहर और ग्रामीण दाेनों ही पदों पर अध्यक्ष नहीं हैं। 11 साल से सागर शहर की जिलाध्यक्ष रेखा चौधरी के बीते सितंबर में इस्तीफा देने के बाद से सागर की पूरी कार्यकारिणी भंग है। वहीं ग्रामीण जिलाध्यक्ष नरेश जैन की कोरोना से निधन के 4 महीने बाद उनके भाई स्वदेश को ग्रामीण जिलाध्यक्ष बनाया गया था। बीते अक्टूबर में स्वदेश ने भी व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था।

अनूपपुर- लंबे समय तक अनुपपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे जयप्रकाश अग्रवाल ने नवंबर 2020 में हुए उपचुनाव में अनूपपुर विधानसभा हारने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद विधायक फुन्देलाल मार्को को अध्यक्ष बनाया गया था। मार्को ने भी पिछले साल कमलनाथ को जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से ही अनूपपुर में कांग्रेस जिलाध्यक्ष का पद खाली है। अनूपपुर में कांग्रेस विधायकों फुन्देलाल मार्को और सुनील सर्राफ के समर्थकों के बीच हुए एक विवाद के बाद मार्को ने इस्तीफे की पेशकश की थी।

रतलाम ग्रामीण- पंचायत चुनाव के बाद रतलाम जिला कांग्रेस अध्यक्ष के पद से सैलाना विधायक हर्ष विजय गेहलोत ने इस्तीफा दे दिया था। चार महीने बीतने के बाद अब तक ग्रामीण जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। हालांकि पिछले साल पीसीसी चीफ कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को पार्टी के प्रमुख पद छोडने के निर्देश दिए थे। इसके बाद विधायकों ने जिला अध्यक्षों के पद से इस्तीफे दे दिए थे।

खरगोन- भीकनगांव विधायक झूमा सोलंकी खरगोन की जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष थीं। कमलनाथ के निर्देश के बाद विधायक झूमा सोलंकी ने जिला अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। चार मजिहीनों से खरगोन में कांग्रेस का नया जिलाध्यक्ष तय नहीं हो पाया है।

इन जिलों में कार्यवाहक अध्यक्षों से चल रहा काम

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ कई बार सार्वजनिक तौर पर यह कह चुके हैं कि हमारा मुकाबला बीजेपी के नेताओं से नहीं उसके संगठन से है। कमलनाथ बीजेपी से निपटने के लिए संगठन को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं। नाथ के प्रयासों के बावजूद स्थानीय स्तर पर गुटबाजी के कारण संगठन का काम प्रभावित हो रहा है। निमाड़ अंचल के बुरहानपुर, खंडवा दोनों जिलों में शहर और ग्रामीण इकाईयों में कार्यवाहक जिलाध्यक्ष से काम चल रहा है। शहडोल में सुभाष गुप्ता, कटनी शहर में विक्रम खम्परिया बतौर कार्यवाहक जिलाध्यक्ष काम कर रहे हैं।

प्रदेश प्रभारी बोले- जल्द होंगी नियुक्तियां

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल से जब पूछा गया कि कई जिले ऐसे हैं जहां जिलाध्यक्ष नहीं हैं वहां नियुक्तियां कब तक होंगी? इस पर उन्होंने कहा- नियुक्तियां बहुत जल्दी हो जाएंगी। ये प्रोसेस है कोई भी सीट खाली नहीं रहती। संगठन में यदि जिलाध्यक्ष नहीं हैं तो कार्यवाहक होगा, उपाध्यक्ष, महामंत्री को जिम्मेदारी दी जाती है। जब भी कोई पद खाली होता है तो समन्वय बनाने और नई नियुक्ति करने में समय लगता है।

इंदौर शहर नहीं दौर है

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इंदौर के प्रवासी सम्मेलन में बोले प्रधानमंत्री, यहां का खानपान दुनियाभर में लोकप्रिय

शशी कुमार केसवानी की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज दुनिया भारत की सुनती है। भारत में स्किल कैपिटल बनने का सामर्थ्य है, यह दुनिया के विकास का इंजन बन सकता है। आज भारत के पास सक्षम युवाओं की एक बड़ी तादाद है। हमारे युवाओं के पास स्किल भी है, वैल्यूस भी हैं। काम करने के लिए जरूरी जज्बा और ईमानदारी भी है। इस साल भारत दुनिया के जी-20 समूह की अध्यक्षता भी कर रहा है। भारत इस जिम्मेदारी को एक बड़े अवसर के रूप में देख रहा है। हमारे लिए यह दुनिया को भारत के बारे में बताने का अवसर है। हमें जी-20 केवल एक डिप्लोमेटिक इवेंट नहीं, बल्कि जनभागीदारी का आयोजन बनाना है। मोदी आज इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दूसरे दिन शामिल हुए। पीएम ने कहा कि इंदौर दुनिया में लाजवाब है। लोग कहते हैं कि इंदौर एक शहर है, लेकिन मैं कहता हूं कि इंदौर एक दौर है, जो समय से आगे चलता है।


ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर के ग्रैंड हॉल में मोदी जब मंच पर पहुंचे, तो हॉल मोदी-मोदी के नारों से गूंज उठा। प्रधानमंत्री ने कहा, अपनों से आमने-सामने की मुलाकात, बात का अलग आनंद और महत्व होता है। उन्होंने ठफक को कहा कि टढ में मां नर्मदा का जल, जंगल, आदिवासी परंपरा और यहां बहुत कुछ है, जो आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बनाएगा। उज्जैन में भी भव्य महाकाल लोक का विस्तार हुआ है। आप सभी वहां जाएं और महाकाल का आशीर्वाद लें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, आजादी के अमृत काल में मुझे ऐसा लग रहा है कि मध्यप्रदेश में अमृत वर्षा हो रही है। इंदौर ने अपने दिल के दरवाजे भी खोले हैं और अपने घरों के दरवाजे भी खोले हैं। प्रधानमंत्री के एक-एक मंत्र को मध्यप्रदेश ने साकार करने की कोशिश की है। आज भारत दुनिया को शांति और प्रेम का संदेश दे रहा है। पश्चिमी देश और रूस से अगर कोई कह सकता है तो वे केवल नरेंद्र मोदी जी हैं, जिन्होंने कहा कि युद्ध नहीं, शांति चाहिए। सीएम ने कहा- भारत में दो नरेन्द्र हुए हैं… 100 साल पहले एक नरेंद्र स्वामी विवेकानंद जी थे जिन्होंने भारत को विश्व गुरु बताया था। आज दूसरे नरेंद्र के नेतृत्व में ये कार्य हो रहा है। विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है। माफी चाहता हूं, हॉल छोटा पड़ गया, लेकिन दिल में जगह की कमी नहीं है।


सुरीनाम के राष्ट्रपति बोले, हमारे देश में हम हिंदी लैंग्वेज ट्रेनिंग पर काम कर रहे:
सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी ने अपनी स्पीच की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रणाम कर की। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री आपको हृदय से मेरा नमस्कार और प्रणाम। हम अपने देश में हिंदी लैंग्वेज, यहां के कल्चर, आयुर्वेद पर ट्रेनिंग सेंटर बनाने पर काम कर रहे हैं। हिंदी लैंग्वेज के स्कूलों पर भी हमारा फोकस है। ये एक मेमोरेबल पल है। जननी और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। सूरीनाम की जनता की ओर से मैं मध्यप्रदेश और भारत सरकार का आभार प्रकट करता हूं, जो आदर-सत्कार मुझे और मेरे प्रतिनिधिमंडल को मिला है। यह सम्मेलन हम दोनों देशों के आपसी सहयोग को बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
गुयाना के राष्ट्रपति मोदी से बोले, हमारे बीच दूरियां, लेकिन दिल-आत्माएं जुड़ी हैं: गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। खासकर वैक्सीनेशन की। उन्होंने मोदी के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को भी सराहा। उन्होंने कहा कि इसके बिना कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता। महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि इंडिया का फ्रीडम स्ट्रगल दूसरे देशों के लिए इंस्पायरिंग है। मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। 107 साल पहले शारीरिक रूप से कमजोर दिखने वाले, लेकिन मानसिक रूप से दृढ़ गांधी घर लौटे थे। उन्होंने देश को आजाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत प्रतिभाओं को निखारने में दुनिया में नंबर एक है। हम प्रवासियों के लिए भारत के चलाए जा रहे कार्यक्रमों से काफी कुछ सीख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि हमारे बीच दूरियां बहुत हैं, लेकिन दिल और आत्माएं जुड़ी हुई हैं। मैं यहां भारतीयों के मिले प्रेम का आभारी हूं। गुयाना के लोगों का प्यार और सपोर्ट आपके साथ है।

साहित्य उत्सवों और पुस्तक मेलों के बहाने

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राजेश बादल


इन दिनों देश के अनेक राज्यों से पढ़ने लिखने वालों के लिए अच्छी ख़बरें मिल रही हैं । कहीं साहित्य उत्सव हो रहे हैं तो कहीं पुस्तक मेले चल रहे हैं ।जयपुर का साहित्य उत्सव,भोपाल का साहित्य उत्सव, कोकराझार साहित्य उत्सव, असम पुस्तक मेला ,गोरखपुर पुस्तक मेला तो दक्षिण भारत के राज्यों में भी ऐसे ही आयोजन हो रहे हैं । समाज से विलुप्त हो रही पुस्तक संस्कृति पर हम लोग कई बरस से माथापच्ची करते रहे हैं ।लेकिन जब बौद्धिक आयोजनों के समाचार मिलते हैं तो दिल के किसी कौने में ठंडक सी होती है ।


इन पुस्तक मेलों या अदबी जलसों का आयोजन आसान नहीं होता।कोविड काल के बाद तो और भी मुश्किल है।आर्थिक दबावों ने आम जनता और संस्थाओं की कमर तोड़ दी है । अपने दम पर लाखों रुपए खर्च करना नामुमकिन सा हो गया है । बिना प्रायोजकों की मदद के कोई जलसा नहीं हो पाता । जिसको जितने अधिक प्रायोजक मिलेंगे,वह साहित्य उत्सव उतना ही कामयाब होगा । बीते दिनों आजतक या कहूं कि इंडिया टुडे समूह का सालाना साहित्य उत्सव बहुत चर्चा में रहा । ख़ासकर इस बात पर कि इसके प्रायोजकों में एक गुटके वाला भी था । लेखकों और पत्रकारों का एक धड़ा खफ़ा था कि गुटके वाले को किताब पढ़ने का संदेश क्यों देना चाहिए । उसे क्या अधिकार है ? उसका पुस्तक या साहित्य समागम से क्या वास्ता है ?


मुझे भी इस उत्सव में आमंत्रित किया गया था । जाने माने ग़ज़ल उस्ताद जगजीत सिंह के ज़िंदगीनामे पर मेरी किताब कहां तुम चले गए पर चर्चा होनी थी । आप कह सकते हैं कि चूंकि मेरी किताब पर चर्चा होनी थी,मुझे पांच सितारा होटल में आयोजकों ने ठहराया ,वायुयान का टिकट दिया और एक स्थानीय वाहन दिया इसलिए मैं इसकी आलोचना क्यों करूंगा । बात सही है । लेखकों पर कभी इतना खर्च होते तो मैने पिछले पैंतालीस बरस में कभी नहीं देखा । यह शब्द की ताक़त ही तो है । उस साहित्य उत्सव में भारत के सभी नामी गिरामी प्रकाशकों ने अपनी स्टॉल लगाई थी ।उनमें बड़ी भीड़ रही और किताबें भी खूब बिकीं। अलबत्ता गुटका बिकते मैने कहीं नहीं देखा न ही मुझे किसी ने गुटका खरीदने के लिए बाध्य किया ।हां गुटके के प्रचार पोस्टर अवश्य देखे । उत्सव में लेखक थे ,कलाकार थे,पत्रकार थे,समीक्षक थे और कुछ स्वयंभु सितारा एंकर थे । उनके पीछे पगलाई भीड़ थी ।
मेरा सवाल यह भी है कि जब कोई विधा या पाठक संस्कृति की सांसें उखड़ रही हों तो इसकी पुनर्स्थापना के पुण्य कार्य में सहयोग देने वालों को क्यों कोसा जाना चाहिए ? वैसे तो अख़बार के पन्नों पर भी गुटकों , शराब, सिगरेट , तंत्र मंत्र, धार्मिक पाखंडों के विज्ञापन प्रकाशित होते हैं । मैने अमेरिका में देखा कि अखबारों में सेक्स क्लब के विज्ञापन भी होते हैं । किसी ने आज तक एतराज़ नहीं किया कि प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में स्वस्थ्य सूचनाएं देने वाले समाचारपत्रों को ये विज्ञापन क्यों प्रकाशित करना चाहिए ।


इतना ही नहीं,टीवी के परदे पर हम क्रिकेट से लेकर तमाम खेलों की स्पर्धाएं देखते हैं । खेल कूद के लिए शरीर मज़बूत होना ज़रूरी है,पर परदे के किसी भी कोने में या स्टेडियम में दूध, दही, व्यायाम के उपकरणों, सूखे मेवे,फल और व्यायाम शालाओं के विज्ञापन नही दिखाई देते । न ही इनकी कंपनियां खेल प्रतियोगिताओं को प्रायोजित करती दिखाई देती हैं ।वहां तो इनके आयोजक सोडे के बहाने शराब कंपनियां होती हैं ,वहां भी यही गुटके वाले होते हैं ।उन्हें देखते हुए तो आजतक किसी ने आपत्ति नहीं उठाई कि खेल कूद स्पर्धाओं के प्रायोजक शराब या सोडे की कंपनियां क्यों होती हैं । हम मन लगाकर भारतीय टीम या विदेशी टीमों को चुपचाप खेलते देखते रहते हैं । कोई महिला अभिनेत्री पुरुष जांघिया या बनियान का विज्ञापन क्यों करती है ,कोई मॉडल पुरुष इत्र को सेक्सी क्यों बताती है या कोई गंजा अभिनेता विग लगाकर बालों को काला और मजबूत बनाने वाले विज्ञापन क्यों करता है ? तब समाज के किसी तबके से विरोध नहीं होता ।
साहित्य समाज का दर्पण है ,यह कहावत बचपन से सुनते आए हैं । जब समाज अपने इस दर्पण की चमक बनाए रखने के लिए कोशिश करता है तो हम गुटका प्रायोजक का विरोध करते हैं ।जीवन में यह दोहरे पैमाने क्यों हैं भाई ? मेरा निवेदन है कि साहित्य और किताबों को हमारी धड़कनों में शामिल होने दीजिए । बड़ी मेहरबानी होगी ।
चित्र आजतक के साहित्य उत्सव के हैं ।