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प्रिटी पेटल्स फाउंडेशन स्कूल में GO GREEN सेलीब्रेट किया

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TIO भोपाल


प्रिटी पेटल्स फाउंडेशन स्कूल में GO GREEN सेलीब्रेट किया गया। इस अवसर पर सभी बच्चे हरे रंग की वेशभूषा में आए एवं टिफिन में हरे रंग के व्यंजन जैसे पालक ढोकला, पालक मैथी पूरी पराठा, हरे चावल, हरे अप्पे, हरे चीले, हरे रंग का हलवा आदि। इस आयोजन से बच्चोें को हरी सब्जियां खाने को प्रेरित किया जाता है। एवं इस अवसर पर बच्चों को पौधारोपण का महत्व बताया गया एवं पौधे वितरित किए गए। प्रोग्राम के अंत में बच्चों ने खूब डांस कर इन्जॉय किया।

जान जोखिम में डाल रस्सी के सहारे नदी पार कर स्कूल जाते हैं बच्‍चे, सीएम के गृह जिले में बच्चों का स्कूल जाना बंद

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गुना

आजाद भारत की एक ऐसी तस्वीर, जिसमें बच्चे पढ़ने के लिए हर रोज जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं। गोचापुरा के 60 परिवारों के बच्चे नदी को पार करने के लिए रस्सी का सहारा लेते हैं, क्योंकि गोचा नदी पर आज तक पुल नहीं बनाया गया है। जबकि इस गांव के सहरिया और बंजारा समुदाय के लोग पिछले 30 साल से आवेदन दे रहे हैं, उसके बाद भी पुल का निर्माण नहीं किया गया। उधर जब जिला शिक्षाधिकारी को जब इस बात की खबर लगी तो उन्होंने इस मामले में आला अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगने की बात कही।

जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर राघोगढ़ ब्लाक की गोचा आमल्या पंचायत में गोचापुरा में सहरिया-आदिवासी और बंजाराओं की बस्ती है। जहां 60 घर बने हुए है। गुरुवार की सुबह इस गांव से जगदीश बंजारा अपनी बेटी पूजा भील और पत्नी बनीबाई के साथ निकले। इस दौरान गोचा नदी के दोनों ओर पेड़ से बंधी एक रस्सी को उसने पकड़ा तो दूसरी रस्सी पर वह चलने लगी। जगदीश अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर दूसरे छोर पर खड़ा था, तो वहीं मां बनीबाई दूसरे छोर पर टकटकी लगाकर बेटी को देख रही थी। साथ ही बेटी से कह रही थी कि रस्सी को अच्छे पकड़ना बेटी पैर न फिसल जाए। हालांकि इस गांव के बच्चे हर रोज खतरों से खेलकर जामनेर और दूसरे गांव में पड़ने के लिए जाते है।

सीएम के गृह जिले में बच्चों का स्कूल जाना बंद
यहीं हाल सीहोर जिले के श्यामपुर तहसील के ग्राम दुपाड़िया दांगी की काकड़ कॉलोनी के है यहां 40 घर के लोग रहते है , लेकिन नदी में पुल और सड़क नहीं होने से अभी बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है। वहीं सरकार कहती है कि बच्चों को स्कूल भेजो, लेकिन सरकार की नाकामी और विधायक सुदेश राय द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से यह सड़क नहीं बन पा रही है। इसका प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग भोपाल पहुंच गया लेकिन विधायक और अफसरों की लापरवाही के कारण यह सड़क मंजूर नहीं हो पा रही है।

भुट्टे की कीमत सुनकर चौंक गए केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, बोले- हमारे गांव में तो फ्री में मिलता है

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TIO भोपाल

महंगाई से पीड़ित लोगों के लिए यह खबर कुछ संतोषजनक हो सकती है, यानी महंगाई से आप अकेले नहीं, बल्कि केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी परेशान हैं, चिंतित हैं। सफर के दौरान भुट्टे का स्वाद लेना भी महंगाई के चलते उनके लिए फीका रहा। 15 रुपये का एक भुट्टा सुनकर कुलस्ते न सिर्फ चौंक गए, बल्कि उसे बेच रहे लड़के से हिसाब किताब भी ले ले डाला। यह दिलचस्प वीडियो गुरुवार को इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रहा है।

हुआ यूं कि केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते नागपुर से सिवनी होते हुए मंडला जा रहे थे, तभी रास्ते में सड़क किनारे भुट्टा बेचता लड़का दिखा, तो उन्होंने बारिश के सुहाने मौसम में भुट्टे का आनंद लेने के लिए गाड़ी रुकवा दी। समय कम था, इसलिए उस लड़के के पास जितने सिंके हुए भुट्टे थे, उतने ही लेकर आगे बढ़ने का उन्होंने मूड बना लिया। लड़के ने तुरंत में तीन भुट्टा सेंक कर दिया।

मंत्री कुलस्ते ने इस पर नमक-नींबू आदि लगाकर कागज में पैक कर देने के लिए कहा और कीमत पूछी। लड़के ने सहजता से 15 रुपये के हिसाब से तीनों की कीमत 45 रुपये क्या बताई, कुलस्ते चौंक गए। वह बोले, इतना महंगा! गांव में तो यह मुफ्त मिलता है। इस पर लड़के ने सफाई भी दी कि हम तो 15 रुपये प्रति के भाव से बेचते हैं और लोग खरीदते भी हैं। जब तक वह लड़का तीनों भुट्टों पर नींबू-नमक आदि लगाकर पैक करता कुलस्ते ने दर्जन और किलो के हिसाब से भुट्टे का हिसाब-किताब भी पूछ लिया। हालांकि, कुलस्ते इस दौरान मुस्कुराते रहे और एक तरह से उस बालक के व्यावसायिक गुण को परखने की कोशिश करते रहे।

लड़के ने भी दिया खरा जवाब

भुट्टा बेच रहे लड़के ने भी मंत्री जी की बात सुनकर खरा जवाब दिया। कहा-आपकी गाड़ी देखकर मैंने रेट थोड़े बढ़ा दिया। आखिरकार कुलस्ते ने अपनी जेब से पैसे निकाले और बच्चे को दिए। उन्होंने बच्चे से नाम पूछा तो उसने अपना नाम अरविंद बताया।

कुलस्ते का यह है राजनीतिक सफर

फग्गन सिंह कुलस्ते पहली बार 1990 में विधायक बने थे। 1996 में पहली बार मंडला लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनकर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे पहली बार राज्यमंत्री बने थे। इसके बाद मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी कुलस्ते को मंत्री बनाया गया था। वे एक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे। भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। एक बार उन्होंने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव लड़ने का मन बना लिया था, तब बड़े मुश्किल से वे माने।

इंजन हटते ही इंदौर-उदयपुर एक्सप्रेस रतलाम स्टेशन से पीछे खिसकी

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रतलाम

मध्य प्रदेश के रतलाम में बड़ा रेलवे हादसा होने से टल गया। इंदौर-उदयपुर एक्सप्रेस अपने आप करीब आधी किमी पीछे लुढ़क गई। गार्ड के साथ लगा एसएलआर कोच बेपटरी हुआ है। इसमें आधे में लगेज तो आधे में यात्री रहते हैं। हालांकि किसी भी यात्री को चोट नहीं पहुंची है। दुर्घटनाग्रस्त डिब्बे को अलग कर करीब 11.20 पर ट्रेन को उदयपुर के लिए रवाना कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार हादसा शुक्रवार रात करीब 10 बजे हुआ है। बताया जा रहा है कि इंदौर से उदयपुर जा रही एक्सप्रेस का रतलाम में इंजन चेंज होता है। जब ट्रेन रतलाम पहुंची और इंजन हटाया गया तो रेक प्लेटफॉर्म से रिवर्स हो गया। किसी को कुछ समझ नहीं आया। करीब आधा किमी तक ट्रेन पीछे खिसकी और डेड एंड को तोड़कर आखिरी कोच पटरी से उतरकर पलट गया। हालांकि यात्री सुरक्षित हैं। रेलवे की टीम मौके पर पहुंच गई थी। पलटे डिब्बे को अलग कर ट्रेन को फिर से रतलाम स्टेशन पर लाया गया. थोड़ी देर बाद ट्रेन को उदयपुर के लिए रवाना कर दिया गया।डीआरएम विनीत गुप्ता ने बताया कि सभी यात्री सुरक्षित हैं, किसी को चोट नहीं आई है। जांच के बाद कारणों का पता चलेगा


यात्री घबराए
ट्रेन के अचानक लुढ़कने से यात्री भी घबरा गए, जो यात्री प्लेटफॉर्म पर थे वे चौंके कि ट्रेन चल दी, दौड़कर ट्रेन पकड़ने लगे। वहीं ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को भी कुछ समझ नहीं आया। जो एसएलआर डिब्बा बेपटरी हुआ है, उसमें भी करीब 40 यात्री थे। बेपटरी होकर डिब्बा एक तरफ लटक गया। यात्री डर गए, कुछ देर के लिए अफरातफरी का माहौल बन गया। हालांकि आरपीएफ ने मौके पर स्थिति संभाली। कुछ यात्रियों का सामान डिब्बे में है, आरपीएफ ने लोगों की जानकारी ले ली ताकि उन तक उनका सामान सुरक्षित पहुंच सके। बताया जा रहा है कि जहां ये कोट पलटा है, वहां ट्रेक की ऊंचाई ज्यादा है। ट्रेन पटरी छोड़कर नीचे गिरता तो बड़ा हादसा हो सकता था।

27 जिलों में बारिश का अलर्ट, भोपाल में मकान गिरा

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TIO BHOPAL

मध्यप्रदेश में लगातार बारिश से नदियां उफान पर हैं। अब तक प्रदेश में 13 इंच बारिश हो चुकी है। यह सामान्य (11 इंच) से 2 इंच ज्यादा है। नर्मदापुरम में तवा डैम के 13 में से 7 गेट 5-5 फीट तक खोलकर आज भी पानी छोड़ा जा रहा है। शुक्रवार को 11 गेट खोलना पड़े थे। शनिवार सुबह 7 बजे तक 7 गेट साढ़े पांच फीट तक खुले रहे। तवा डैम से पानी छोड़े जाने पर नर्मदापुरम, धार, अलीराजपुर, हरदा, देवास, सीहोर, रायसेन और खंडवा जिले में नर्मदा किनारे रह रहे लोगों को अलर्ट जारी किया गया है। ​​​मरोड़ा, सोनतलाई, मेहराघाट, सांगाखेड़ा कला, बांद्राभान, रायपुर गांव तवा नदी से लगे हैं।

भोपाल के चौकी तलैया इलाके में भी शुक्रवार रात बारिश के बीच पुराना मकान गिर गया। कोई हताहत नहीं हुआ। सागर के खुरई रोड स्थित कृषि उपज मंडी के पास शुक्रवार रात निर्माणाधीन मकान का स्लैब ढह गया। मलबे में तीन मजदूर दब गए। एक मजदूर की माैत हाे गई। इटारसी के पास मेहरागांव में बारिश से एक घर की दीवार गिर गई। मलबे में दबने से शांति बरखने नाम की बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ से जन-जीवन अस्त-व्यस्त है।

अगले 48 घंटे होती तेज बारिश

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बने लो प्रेशर एरिया की वजह से मध्यप्रदेश के सेंटर में जोरदार बारिश हो रही है। अगले 48 घंटे के दौरान भोपाल समेत 27 जिलों में हल्की से तेज बारिश का पूर्वानुमान है। इंदौर में गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है।

यह सिस्टम करा रहा बारिश

ओडिशा तट के पास लो प्रेशर एरिया चक्रवात के साथ सक्रिय है। अरब सागर के ऊपर भी स्पष्ट लो प्रेशर एरिया सक्रिय हो चुका है। मानसून ट्रफ लो प्रेशर से लेकर देसा-सागर, पेंड्रा रोड-हीराकुंड और लो प्रेशर से होते हुए पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी तक फैली है। साथ ही गुजरात तट से महाराष्ट्र तट के समांतर ट्रफ है। इसी कारण मध्यप्रदेश के मध्य में ज्यादा बारिश हो रही है।

छिंदवाड़ा में पुल पर फंसा युवक, रस्सी से खींचकर बचाया

छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा ब्लॉक के ग्राम खामीहीरा में बाढ़ के समय पुल पार कर रहा युवक बीच में फंस गया। उसे ग्रामीणों ने रस्सी के सहारे निकाला। मामला शुक्रवार दोपहर का है। ग्राम पिंडरई डवीर से खामीहीरा पहुंच मार्ग के बीच में एक नाला है, जिसे युवक पार कर रहा था। वह पुल के बीच में पहुंचा ही था कि अचानक पानी का तेज बहाव हो गया और वह बहने लगा। इस दौरान उसने पुल के पिलर को पकड़ लिया।

न्यूज पोर्टलों को भी कराना होगा रजिस्ट्रेशन, केंद्र सरकार ला रही यह विधेयक; खत्म होगा 155 साल पुराना कानून

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TIO BHOPAL

डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने व अखबार के बराबर मानने के लिए केंद्र सरकार एक बिल लेकर आ रही है। इस बिल को कानूनी मान्यता मिलने के बाद न्यूज पोर्टल को भी अखबारों की तरह पंजीकरण कराना आवश्यक हो जाएगा। अभी तक यह नियम सिर्फ समाचार पत्रों पर ही लागू है। 

दरअसल, केंद्र सरकार 155 साल पुराने प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट को खत्म करने जा रही है। इसके स्थान पर ‘प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल’ लाया जाएगा। यह बिल समाचार पत्रों के लिए नई व आसान पंजीकरण व्यवस्था होगी, इसके तहत डिजिटल मीडिया को भी लाने की तैयारी है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार मानसून सत्र के दौरान ही इस बिल को पेश कर सकती है। 

जानकारी के मुताबिक, यह विधेयक प्रेस और पुस्तकों के पंजीकरण (पीआरबी) अधिनियम, 1867 की जगह लेगा। इसके तहत मध्यम व छोटे प्रकाशकों के लिए प्रक्रियाओं को सरल रखा जाएगा और प्रेस की स्वतंत्रता के मूल्यों को बनाए रखा जाएगा। 

2019 में तैयार हुआ था मसौदा 
सरकार ने 2019 में ही प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल का मसौदा जारी किया था, जिसमें समाचार पत्रों के पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाने के अलावा डिजिटल मीडिया को अपने दायरे में लाने का प्रावधान है। 2019 के ड्राफ्ट बिल में ‘डिजिटल मीडिया पर समाचार’ को ‘डिजीटल प्रारूप में समाचार’ के रूप में परिभाषित किया था, जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सकता है। इसमें टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स शामिल हैं। 

शेर की सेहत और भयभीत जनता

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राकेश अचल

भारत में सरकारी शेर की सेहत क्या बनी ,जनता आतंकित हो गयी .निर्माणधीन नई संसद के सामने बने शेर का अनावरण होते ही सरकार विरोधी लोग फट पड़े ,जैसे की बादल फटते हैं .किसी को शेर की कद-काठी पसंद नहीं तो किसी को उसका खुला हुआ शिकारी मुंह अच्छा नहीं लग रहा .सब इस तब्दीली को सरकार की नीति और नीयत से जोड़ रहे हैं .हमारे पास जो सरकारी शेर हैं वे सम्राट अशोक के जमाने के शेरों की प्रतिकृति हैं .सम्राट अशोक के जमाने में भी ये शेर स्थान के साथ अपनी आकृतियां बदलते रहे ,लेकिन आजाद भारत में इसे बदलने का पहला मौक़ा मिला तो जनता और विपक्ष के नेताओं से बर्दास्त नहीं हो रहा .कोई कलाकार को कोस रहा है तो कोई सरकार को .गनीमत है की शेर खुद आलोचना से बचा हुआ है .कोई ये समझने को राजी नहीं है की बीते 75 साल में आखिर शेर की सेहत भी तो सुधरी होगी !
आदमी को शांत शेर पसंद हैं ,शांत शेर केवल सर्कस में मिलते हैं. अभ्यारण्यों के शेर भी बहुत ज्यादा सुडौल नहीं होते हाँ गिर के शेर जरूर तंदरुस्त दिखाई देते हैं .मुझे लगता है कि कलाकार और सरकार ने देश की समृद्धि को प्रदर्शित करने के लिए ही मजबूत कद काठी वाले शेर राजचिन्ह के लिए चुने हैं .खाता-पीता शेर शांत तो नहीं दिखाई देगा. शेर की दाढ़ में एक बार खून लग जाये तो उसका मुंह अपने आप खुल जाता है .इसलिए संसद की नई इमारत के बाहर लगाए गए राज चिन्ह के शेर की प्रतिमा को इसी दृष्टि से देखना चाहिए .हर चीज में सियासत देखना ठीक नहीं .

विरोधी नए शेर के मुकाबले में पुराने शेर को खड़ा करते हैं .अब पुराना शेर तो पुराना है. विभाजन के बाद के शेर की हालत स्वावलम्बी देश के शेर के मुकाबले तो मजबूत होगी ही. देश में 75 साल में केवल शेरोन की ही सेहत नहीं सुधरी बल्कि पूरी सियासत की हालत सुधरी है .आप गौर से देख लीजिये आजादी के बाद के नेताओं की सेहत जेलों में रहते-रहते इकहरी हो गयी थी किन्तु आजादी के बाद के नेताओं की सेहत में अप्रत्याशित सुधर हुआ है .सकी तोंदें निकली हुई हैं .अब यदि नेताओं की प्रतिमाएं बनतीं हैं तो पूरे देश से लोहा-लंगड़ जमा करना पड़ता है .गनीमत है कि इन शेरों के लिए सरकार ने ऐसा नहीं किया .
शेर हमारे राष्ट्र की समृद्धि के प्रतीक है. मान लीजिये अब जब कोई विदेशी आएगा तो सबसे पहले उसे यही शेर तो दिखाए जायेंगे .इसलिए इन शेरों का सुडौल होना जरूरी है कि नहीं ? मान लीजिये कलाकार और सरकार तनखीन शेर बना देती तो लोग कहते कि सरकार ने कमीशन खा लिया शेर बनवाने में .यानि सरकार की फजीहत तय है. सरकार मोटा शेर बनवाये या पतला,उसकी आलोचना तो होना ही है .

सरकार सम्राट अशोक के ज़माने में पैदा हुए शेरों को तो मोटा-तगड़ा कर नहीं सकती इसलिए उसके सामने एक ही विकल्प था कि वो नए और मोटे शेर बनवाये.शेर कोई गाय तो है नहीं जो उसके चेहरे से वातसल्य भाव टपके.शेर तो शेर है उसका तो खुला और खूंखार मुखड़ा ही अच्छा लगता है .मेरी मान्यता है कि यदि शेर की प्रतिमा अच्छी न होती तो माननीय प्रधानमंत्री जी न उसका लोकार्पण करते और न उसके सामने खड़े होकर तस्वीर खिंचवाते .यानि जब शेर प्रधानमंत्री को पसंद है तो आप कौन हैं आपत्ति करने वाले .
हकीकत तो ये है कि शेर मोटा हो या पतला उससे जनता परकोई फर्कनहीं पड़ने वाला .जनता तो शेरों के सामने हमेशा से चारा ही रही है .शेर को चारा चाहिए और चारे को शेर .दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं .सौभाग्य से देश में न चारे की कमी है और न शेरों की .दोनों इफरात में हैं .शेरों से केवल विपक्ष डरता है .द्वारा हुआ विपक्ष इन शेरों का बिगाड़ भी किया सकता है .विपक्ष को मोटे-तगड़े शेर देखकर शायद जलन होती है .आजादी के पचहत्तरवें साल में विपक्ष को भी खाता-पीता दिखाई देना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य है कि विपक्ष की दशा भिक्षुओं जैसी हो रही है. पूरा विपक्ष बिखरा-बिखरा दिखाई देता है .
विपक्ष का केवल एक ही काम है और वो है ट्वीट करना. अब विपक्ष सड़कों पर नहीं ट्विटर पर लड़ता है,वहीं विरोध जताता है और चुप हो जाता है .ट्विटर केंद्रित विपक्ष लोकतंत्र के लिए हानिकारक है. विपक्ष को सदैव मैदानी संघर्ष करने वाला होना चाहिए .जनता और लोकतंत्र दोनों सरकार के भरोसे कम विपक्ष के भरोसे ज्यादा रहते हैं .कमजोर विपक्ष हो तो देश की बदनामी होती है .लेकिन देश के नसीब में कमजोर विपक्ष ही लिखा है तो कोई क्या करे ?
संसद भवन के सामने लगाया गया शेर कागजी शेर नहीं है. वो ग़ालिब या अकबर इलाहाबादी का भी शेर नहीं है .ये शेर मोदी सरकार का शेर है .ऐसे शेर का सम्मान करना चाहिए न कि आलोचना .

गुरु पूर्णिमा पर शुभ संयोग देगा मंगल आशीर्वाद

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डा पंडित गणेश शर्मा स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य सीहोर

13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व है आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई बुधवार को पड़ेगी इसको गुर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है पंचांग के अनुसार पूर्णिमा का प्रारंभ 13 जुलाई को प्रातः 4:00 हो रहा है और उसका समापन रात 12:0६ बजे हो रहा है दुनिया के आरंभ से ही शैक्षणिक ज्ञान आधार एवं साधना करने और हर मनुष्य के उद्देश्य गुरु शिष्य परंपरा का जन्म हुआ शिष्य को अंधकार से बचाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाला ही गुरु कहलाता है भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से ऊपर माना गया है

इस दिन अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त कर उनका सम्मान करना चाहिए गुरु के आशीर्वाद से सोचे हुए सभी गांव पूरे होते है इस बार गुरु पूर्णिमा पर गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिय प्रातः काल से लेकर दोपहर 12:00 बजे शाम को 5:00 से 7:00 बजे शाम तक रहेगा गुरु पूर्णिमा के दिन इस योग में जो गुरु मंत्र लेता है उसको हमेशा सफलता प्राप्त होती है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार गुरु पूर्णिमा पर मंगल बुध गुरु और सूर्य अनुकूल स्थिति में विराजमान होने से सुयोग बन रहा है इसमें रूचक योग भद्र योग हंस योग और सस नामक योग का निर्माण हो रहा है इस योग में गुरुओं की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी दुख दूर होते हैं इस समय पर अपने गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त करे और उनके घर जाकर उनका सम्मान करें डा पंडित गणेश शर्मा स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार गुरु पूर्णिमा पर शुभ राजयोग बन रहा है जिसमें सूर्य बुधऔर शुक्र ग्रह का शुभ संयोग लाभप्रद सिद्ध होगा सूर्य इस दिन मिथुन राशि में है जहां पर बुध के साथ युति बनाकर बुधादित्य योग बन रहा है मंगल अपनी स्वय की राशि मेष में गोचर कर रहा है जिसके चलते रूचक योग बन रहा है

इस दिन बुध ग्रह स्वयं की राशि मिथुन में विराजमान होकर भ्रद योग बना रहा है इसी दिन बृहस्पति ग्रह भी स्वयं की राशि मीन में विराजमान होकर हंस योग का निर्माण कर रहे है शुक्र ग्रह भी स्वयं की राशि विर्षव में विराजमान होकर मालव योग बना रहा है इसी दिन शनि ग्रह भी स्वयं की राशि कुंभ में है 12 को मकर में गोचर करेगा जिसके चलते शश योग बन रहा है इस वक्त सूर्य को छोड़कर सभी ग्रह अपनी स्वय की राशि में स्थित है हालांकि सूर्य भी बुध के साथ मिलकर बुधादित्य योग बना रहा है ग्रहों की ऐसी शुभ स्थिति 30 वर्ष बाद बनी है ऐसे में इस बार की गुरु पूर्णिमा बहुत ही शुभ रहेगी पंच महापुरुष योग की स्थिति में मनाई जाएगी साथ ही त्रि ग्रही योग भी बन रहा है ज्योतिष के अनुसार ग्रह स्तिथि के कारण मिथुन वृषभ और धनु राशि वाले जातकों का मंगल ही मंगल होगा गुरु पूर्णिमा के दिन 13 जुलाई को शुक्र का मिथुन राशि में सुबह 11:01 बजे गोचर होगा यानी इसी दिन सूर्य बुध और शुक्र ग्रह एक ही राशि में रहकर त्रि ग्रह योग बनाएंगे यदि आप की राशि मिथुन है तो आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा नौकरी और कैरियर में उन्नति होगी कारोबारी है तो मुनाफा होगा घर पर भी माहोल सुखद रहेगा इसी प्रकार से वृषभ राशि वाले के मान सम्मान में वृद्धि होगी रुका पैसा मिलने की संभावना है सुख और सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी और धनु राशि वाले व्यक्ति पर गुरु की कृपा रहेगी नौकरी में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे आर्थिक स्थिति बेहतर होगी कारोबार मे मुनाफा होगा परिवारिक माहोल सुखद रहेगा

मध्यप्रदेश नगरीय – पंचायत चुनाव पीढ़ी परिवर्तन के प्रयोग में पिटती भाजपा…

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TIO BHOPAL

कॉलम में हमने करीब 1 महीने पहले लिखा था मध्य प्रदेश में भाजपा अपने सबसे कठिन दौर में है नेताओं की प्रतिक्रियाओं से ऐसी आशंका सही होने के संकेत मिल रहे हैं।दरअसल नगरी निकाय चुनाव से लेकर पंचायत के त्रिस्तरीय चुनाव में भाजपा को बगावत के कारण नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। हालत यह है कि कमजोर संगठन के चलते समूची भाजपा मतदाता पर्चियां तक वितरित नहीं कर सकी। हालंकि यह काम जिला निर्वाचन अधिकारी का भी है। लेकिन भाजपा संगठन और उनका बूथ प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता। फिलहाल इस मुद्दे पर संगठन को बचाने के लिए चुनाव आयोग की पार्टी स्तर पर खूब आलोचना हो रही है। यदि नतीजे कुछ आसमानी सुल्तानी आते हैं तो संगठन का एक बड़ा हिस्सा इसके लिए राज्य सरकार को भी दोषी बनाने का मूड माहौल तैयार कर रहा है ऐसे में शिवसेना की तरह कुछ “संजय राउत” यहां भी बनते नजर आ रहे हैं जो चुनावी रण का आंखों देखा हाल अपने-अपने धृतराष्ट्र को जो वे सुनना पसंद करते हैं सुना रहे हैं। इसमें भाजपा के साथ संघ परिवार के दिग्गज भी शामिल हैं।

वार्डों में वोटर पर्ची बांटने से लेकर उम्मीदवार के बिना भी मोहल्लों में घर घर वरिष्ठ और युवा कार्यकर्ताओं की टोलियां गायब थीं। आमतौर से 45 से 65 वाले अनुभवी कार्यकर्ता के पास कोई काम नही था। पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर घर बैठे रहे या घर बैठा दिए गए।
पार्टी के वफादार कार्यकर्ता अपने मुद्दे पर चुनाव आयोग पर ऐसे पल पड़ी है जैसे चुनाव लड़ना भाजपा या कांग्रेस का नहीं बल्कि चुनाव आयोग का ही काम है अब अपनी कमजोरी छुपाने के लिए भाजपा के कई नेता शिवसेना के संजय रावत की भूमिका में नजर आने का प्रयास करते दिख रहे हैं। कोई यह नहीं पूछ रहा है कि आखिर बूथ प्रबंधन की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले नेता और उनके कार्यकर्ता कहां हैं? पन्ना प्रमुख, पन्ना प्रभारी, मेरा बूथ सबसे मजबूत के नारे सब कहां है हवा हो गए..? अभी तक जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक मजबूत भाजपा का मजबूत संगठन कागजी साबित होता दिख रहा है। कड़वा है पर अभी तो यही सच होता दिख रहा है।


नतीजा जो भी आए कम से कम भाजपा को एक बार फिर अपने गिरेबान में झांकने और दिल टटोलने की जरूरत है कि आखिर इतनी सशक्त भाजपा ऐसी असहाय कमजोर और लाचार क्यों हो गई पीढ़ी परिवर्तन का नुस्खा यहां इस कदर पिटता दिखाई क्यों दे रहा है..? सक्रियता के साथ शांत और शालीन रहने वाली भाजपा के भीतर अंतर कलह के ज्वार भाटा चढ़ते और उतरते दिख रहे हैं। ऐसा लगता है चुनाव नतीजों के बाद कुछ बड़ा होने वाला है। इसलिए अभी से सब के सब पांचवीं क्लास के बच्चों की भांति अपने मास्टर,हेडमास्टर, प्रिंसिपल की नाराजगी से बचने के लिए बहाने बनाने और खोजने में जुट गए हैं।


कोई कद्दावर नेता नही…
भाजपा में आदमकद और कार्यकर्ताओं के बीच कद्दावर नेताओं की खासी कमी देखी जा रही है। यही वजह है कि इस बार के चुनाव में बगावत और भितरघात ने भी रिकॉर्ड बनाए हैं। अनुशासन की करवाई में चिट्ठी न नोटिस, प्रभावी संवाद न संपर्क सीधे बर्खास्तगी ने भाजपा के हालात नेतृत्व को चिंता में डाले हुए हैं। ऐसा कम ही होता था।


संगठन की एमपी और एमएलए की खूब चली
मेयर , पार्षद प्रत्याशी चयन में संगठन के बजाए विधायक और सांसदों की सिफारिश पर अमल ज्यादा किया गया। उनके पसंदीदा नेताओं को पार्षद से लेकर महापौर के टिकट दिए गए ऐसे में जो संगठन के प्रति समर्पित थे उन कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई। यही कारण है कि लगभग करीब छह हजार वार्डों में 25 फ़ीसदी बागी उम्मीदवार खड़े हुए हैं। वे किसी के समझाने बुझाने पर भी नाम वापसी के लिए राजी नही हुए। यही सबसे बड़ी चिंता की वजह है।
बिना संगठन मंत्रियों के चुनाव
भाजपा में संगठन के प्रति समर्पित चरित्रवान और चाल चलन चेहरे में सुयोग्य संगठन मंत्रियों की लंबी कतार रही है ऐसे ही संगठन मंत्री भाजपा की ताकत भी रहे हैं यही कारण है कि सुपात्र संगठन मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ न्याय और उन्हें परिष्कृत और समय आने पर पुरस्कृत भी करते आए हैं लेकिन पिछले कुछ सालों से संगठन मंत्रियों की उत्कृष्टता में गिरावट आने के कारण पार्टी ने जिला और संभाग के संगठन मंत्रियों की व्यवस्था कोई समाप्त कर दिया अब नए नए संगठन महामंत्री बने सीताराम शर्मा हित आनंद शर्मा को भाजपा जब तक समझ में आएगी तब तक विधानसभा और लोकसभा के चुनाव भी संपन्न हो चुके होंगे। इसलिए भाजपा के पुराने नेता सुपात्र संगठन मंत्रियों के भाजपा में आने की आस लगाए बैठे हैं। मध्य प्रदेश को संगठन के लिहाज से संघ और भाजपा दोनों ही प्रयोगशाला बनाए हुए हैं। अभी तक जितने भी प्रयोग हुए हैं उसने लोगों को निराश ज्यादा किया है। बहुत संभव है इसमें नेता चयन का दोषपूर्ण होना।
मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन और विचारों के प्रति समर्पण से लेकर चाल चरित्र और चेहरे के मामले में पार्टी के नंबर बढ़ने के बजाय घटाएं ज्यादा है। पंचायत और नगरी चुनाव में पार्टी की जो हालत है उसके लिए अच्छे संगठन मंत्रियों की कमी और समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।


सीएम शिवराज का भी धीरज टूटता सा दिखा
प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी प्रबंधन तक में भाजपा के भीतर जो चल रहा है उसने डैमेज कंट्रोल को लेकर सबसे कमजोर प्रदर्शन किया इसके चलते कई जगह मुख्यमंत्री के नाते शिवराज सिंह चौहान को दखल देना पड़ा हालत यह हुई कि उन्हें अपने गृह क्षेत्र में भी बागियों को संभालने के लिए खुद मोर्चा लेना पड़ा। संगठन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अपने जिले के पदाधिकारियों से भी संतुष्ट नजर नहीं आए। उन्होंने असंतुष्ट को संभालने में असफल जिला टीम को आड़े हाथों लेते हुए खरीखोटी सुनाई। मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर की शाहगंज नगर परिषद मैं अलबत्ता निर्विरोध निर्वाचन का रिकॉर्ड बनाया है यहां पर संगठन और खास तौर से सांसद रमाकांत भार्गव को संवाद और समन्वय में पूरे 100 में से 100 नंबर मिलेंगे। सांसद भार्गव की रणनीति और व्यवहार के चलते हैं पार्षद से लेकर अध्यक्ष तक निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। असल में मुख्यमंत्री संगठन की शक्ति और समन्वय का जो रूप शाहगंज में दिखा उससे सीएम खासे खुश नजर आए।

विद्युत संविदा कर्मचारी के हित में निर्णय नहीं करने पर सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी

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TIO पुणे


अखिल भारतीय विद्युत संविदा मजदूर महासंघ( भारतीय मजदूर संघ) की बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश वशिष्ठ की अध्यक्षता में वाराणसी में संपन्न हुई इस बैठक में ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न राज्यों के पदाधिकारी उपस्थित रहे बैठक में संविदा कर्मचारीयों की दयनीय स्थिति पर चिंतन किया गया जिसमें वेतनमान , पीएफ, ई एस आई ,बोनस, महंगाई भत्ता ,ग्रेच्यूटी, छंटनी नोटिस ,जैसे कई विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई जिसमें यहां सभी राज्यों से आए पदाधिकारियों ने अपने अपने क्षेत्र की ज्वलत समस्याओं पर प्रकाश डाला और अन्य पदाधिकारी के सामने समस्या रखी। सभी प्रदेशों में कार्य करने की स्थिति के अनुसार संविदा कर्मचारियों को 10 से 12 घंटे काम करने पर भी कहीं पर रू 8000 तो कहीं राज्यों में रू 6000 और कहीं राज्यों में रू 16000 तक का वेतन भुगतान किया जाता है , ईस लिए बिजली उद्योग महत्वपूर्ण उद्योग होने के कारण संविदा मजदूर को किमान वेतन प्रति माहे रू 18000 होने चाहिए इसी मांग संघटन ने किया है ।

बिचोलिए के दबाव के कारण ठेका कर्मचारी हमेशा शोषित रहता है। कई स्थानों पर ऐसे ध्यान में आया है कि पीएफ में हेरा फेरी की जाती है ठेकेदार 30 दिन कार्य करवाते हैं और 10 से 12 दिन का पी एफ जमा करते हैं तो कही खा जाते हैं उधर कहीं पर कर्मचारियों को अपनी ईएसआई का लाभ लेने के लिए 50 से 100 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है उसके लिए सरकार से मांग करने की चर्चा की और इसमें संशोधन किया जाए जिसमें जहां ठेका श्रमिकों को ई एस आई लाभ नहीं दिया जाता है या जो क्षैत्र ई एस आई के दायरे से बाहर है उनको मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाए जिससे संविदा ठेका आउटसोर्स कर्मचारियों को उनके क्षेत्र में ही उचित चिकित्सा सुविधा का लाभ ले सकते हैं । स्थाई प्रवृत्ति जो कार्य है वहां पर कांटेक्ट लेबर कार्य करती है जिसको लेकर बैठक में यह निर्णय लिया गया कि स्थाई प्रवृत्ति का कार्य करने वाले सभी ठेका कर्मचारियों को स्थाई किया जाए या उनको समान कार्य समान वेतन प्रदान किया जाए जिसमें विभागीय कर्मचारियों को जो लाभ दिए जाते हैं वह लाभ ठेका कर्मचारी को भी प्रदान किया जाए।

बोनस एक्ट के तहत बोनस भुगतान करने का कानून है जिसका कोई भी कंपनी ठेकेदार पालन नहीं करते हैं और ठेका कर्मचारियों को कंपनी ठेकेदार बोनस भुगतान नहीं करते हैं जिसको लेकर भी अखिल भारतीय बैठक में एक बड़ा आंदोलन करने का निर्णय लिया है ऐसा ऐलान अखिल भारतीय ठेका मजदूर महासंघ के महामंत्री सचिन मेंगाळे ने किया है ।

देश में ठेका कर्मचारियों के लिए जॉब की कोई सुरक्षा नहीं है जिसको ठेकेदार अपना हत्यार बनाकर उनका शोषण करते हैं कर्मचारी अपनी नौकरी जाने के डर से किसी भी प्रकार के शोषण का विरोध नहीं कर सकता उसके लिए बैठक में ठेका कर्मचारियों को जॉब सुरक्षा की गारंटी प्रदान करे उसके लिए भी चर्चा की गई। इन सभी समस्याओं को लेकर अखिल भारतीय विद्युत संविदा मजदूर महासंघ संबंध भारतीय मजदूर संघ की बैठक में सभी पदाधिकारियों ने मिलकर चर्चा की गई। आने वाले समय में अखिल भारतीय विद्युत संविदा मजदूर महासंघ प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार को अपना एक मांग पत्र तैयार कर दिया जाएगा जिसमें यदि भी किसी प्रकार की सरकार से कोई सहमति नहीं बनती है तो आने वाले समय में देश के अंदर विद्युत का एक बहुत बड़ा आंदोलन होगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार और केंद्र सरकार की होगी ऐसा दिनेश वशिष्ठ अखिल भारतीय विद्युत संविदा मजदूर महासंघ (भारतीय मजदूर संघ ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा। ईस बैठक समापन मा श्री वीरेंद्रकुमार जी ने किया, ईस संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करे असां आवाहन किया है । वाराणसी बैठक का आयोजन पूर्वांचल विद्युत संविदा मजदूर महासंघ के द्वारा करवाया गया।
बैठक में बिजली के उत्पादन प्रसारण वितरण सहित थर्मल पावर प्लांट, परमाणु बिजली घर आदि में जो यूनियन कार्यरत है उनके पदाधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक में निम्नलिखित उपस्थित अखिल भारतीय संविदा मजदूर संघ के पदाधिकारी , दिनेश वशिष्ठ हरियाणा , महामंत्री सचिन मेंगाळे(महाराष्ट्र) उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री दिनेश कुमार,जी राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री सागर पंवार (महाराष्ट्र) (राजस्थान ) के मंत्री कालूराम गर्ग, (हरियाणा ) से श्री संदिप शैरावत (तमिलनाडु ) से श्री विग्नेशरम एवं श्री जी.रिजेश एवं पूर्वांचल विद्युत संविदा मजदूर संघ के पदाधिकारी गण राजेश कुमार, दिनेश कुमार, विरेन्द्र आदि मौजूद थे।