Home Blog Page 50

गांधीवाद फिर खतरे में ?

0

राकेश अचल

विधानसभा चुनावों में हार-जीत की गर्द अभी कुछ दिन और उड़ती दिखाई देगी.इसी गर्द में देश को गांधीवाद को तलाश करना होगा,क्योंकि गाँधी प्रासंगिक होकर भी खतरे में हैं .गांधीवादियों की हवा लगातार निकलती जा रही है .वे सत्ता प्रतिष्ठान से लगातार दूर होते जा रहे हैं ,ये केवल एक चमत्कार नहीं है बल्कि इसके पीछे एक गहन अभियान है जो नजर नहीं आ रहा .
देश की राजनीति में गांधी कभी अप्रासंगिक नहीं हुए,गांधीऔर उनके वाद ने हमेशा देश को दिशा दी ,दुनिया में उन्हें मान्यता दी गयी किन्तु अब गांधी और गांधीवाद दोनों खतरे में है .देश में गांधी से घृणा करने वालों की राजनीतिक ताकत लगातार बढ़ रही है .वे येन-केन सत्ता पर हावी होते जा रहे हैं और इसे जनादेश कहा जा रहा है .जनादेश है भी क्योंकि जनादेश अब मशीनों से निकलता है .मशीने अपने आप नहीं चलतीं,उनके बटन दबाने होते हैं.मशीने अपने कमांडर का कमांड मानती हैं .
देश में भाजपा को कभी गांधीवादी नहीं माना गया हालाँकि भाजपा मन मारकर गांधी जी को ढोती है और राजघाट पर जाकर गाहे-वगाहे ढोक भी लगाती है .ये सत्ता में रहने की मजबूरी है ,यदि आप गांधी के सामने जाकर नहीं झुकते तो ये देश मुमकिन है आपको खारिज कर दे .भाजपा ने गांधी के बरक्श डॉ भीमराव अंबेडकर का इस्तेमाल किया.सावरकर को पुनर्जीवित किया ,दूसरी तमाम प्रतिमाएं गढ़ीं ,लेकिन कोशिश यही है कि गाँधी और गांधीवाद को समूल उखाड़ फेंका जाये .भाजपा में ये ताकत है भी और यदि भाजपा कांग्रेस की तरह लगातार दो-तीन दशक सत्ता में रही तो ये करके भी दिखा देगी .

भाजपा की तर्ज पर ही राजनीति में पैर पसार रही ‘आप ‘ भी गांधी और गांधीवाद के बहुत करीब नहीं है. दिल्ली में जहां आप पहले ही गांधी को स्कूली पाठ्यक्रमों से चुपके से बाहर कर चुकी है वहां भी अम्बेडकर इस्तेमाल किये जा रहे हैं .आप कांग्रेस के बजाय भाजपा के साथ ज्यादा सहज है और जहाँ भाजपा को पांव रखने की जगह नहीं मिलती वहां जाकर खड़ी हो जाती है .जाहिर है कि जब भी देश में भाजपा हरिज की जाएगी उसकी जगह आप लेही ,क्योंकि उसका चरित्र भी भाजपा से मैच करता है .
पंजाब में आप का उदय और भाजपा का पराभव यही संकेत देता है .आप माने या न माने भाजपा और आप के बीच कहीं न कहीं कोई खिचड़ी जरूर पक रही है . इस खिचड़ी में गांधी का नमक नहीं है .गांधी और गांधीवाद की पोषक कांग्रेस के पास गांधी और गांधीवाद को बचाने की तो छोड़िये अपने आपको बचाने की ताकत नहीं बची है .सियासी शब्दावली में कांग्रेस इन दिनों वेंटिलेटर पर है .अब कांग्रेस में कांग्रेस का नेतृत्व तो जान फूंक नहीं सकता,भगवान ही कोई चमत्कार कर दे तो और बात है .कांग्रेस में जान फूंकने का इस दशक का पहला और अंतिम अवसर कांग्रेस के हाथ से निकल चुका है .प्रियंका वाड्रा ने बड़े प्रयास किये किन्तु उन्हें कामयाबी नहीं मिल पायी .
कांग्रेस की लगातार चुनावी हार की वजह गांधी या गांधीवाद नहीं है. गांधी और गांधीवाद आज भी सबल है लेकिन कांग्रेस खुद कमजोर हो रही है,इसीलिए गांधीवाद कांग्रेस की कोई मदद नहीं कर पा रहा है .गांधी आखिर कब तक बीमार कांग्रेस के लिए संजीवनी बने रह सकते हैं ? कांग्रेस का लगातार कमजोर होना गाँधी और गांधीवाद के लिए चिंता का विषय है.क्योंकि गांधी और गांधीवाद को भाजपा या कोई और दूसरा दल अपना आका मानने से रहा .अब सवाल ये है कि क्या आने वाले दिनों में देश में गैर कांग्रेस के साथ ही क्या गैर गांधीवादी राजनीति का श्रीगणेश होगा ?


अतीत को तो आप खंगाल कर देख सकते हैं भविष्य के गर्भ में क्या पल रहा है ये किसी भी स्केनर से नहीं जाना जा सकता .इसलिए ये कहना बड़ा कठिन है कि भाजपा किस शिखर तक और कांग्रेस किस गर्त तक जाएगी .दोनों की कुंडलियों में क्या लिखा है ये अब साफ़ दिखाई देने लगा है .भविष्य में शायद गांधी का चश्मा भी किसी काम का न रहे,गांधी स्वच्छता का प्रतीक न माने जाएँ ,उनकी जगह कोई और ले ले .भविष्य में सब कुछ हो सकता है .इसलिए उत्सुकता को मरने मत दीजिये .
आप इसे दुर्भाग्य कहिये या कुछ और कि इस देश की सियासत में मौजूद गांधीवादी कांग्रेस,लोहिया के समाजवादी अनुयायी और मार्क्स-लेनिन के वामपंथी मिलकर भी हिंदूवादी भाजपा को आगे बढ़ने से नहीं रोक पा रहे हैं .इसका मतलब ये नहीं है कि आने वाले दिनों में देश हिन्दू राष्ट्र घोषित होने जा रहा है ,किन्तु इतना अवश्य है कि यदि भाजपा इसी तरह आगे बढ़ती रही तो भविष्य में संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ जैसे शब्द को उसी तरह निकला जा सकता है जिस तरह से जोड़ा गया था .भाजपा के शब्दकोश में धर्मनिरपेक्षता है ही नहीं .भाजपा आरम्भ से धर्मनिरपेक्षता को एक छल बताती रही है .

पिछले कुछ वर्षों में देश की संवैधानिक संस्थाओं की क्या स्थिति है,ये किसी से छिपी नहीं है. न्यायपालिका और कार्यपालिका की सेहत में भी बहुत बदलाव आया है.सब एक सुर में सुर मिलाकर बोलने कि कोशिश कर रहे हैं.ऐसे में अब बारी संविधान की ही है .यदि 2024 में भाजपा लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में वापस लौटी तो आप संविधान को बदलता हुआ देखने के लिए तैयार रहिये . बदलाव एक नैसर्गिक क्रिया है ,भले ही बदलाव आपको अच्छा लगे या न लगे .देश में गांधी से बड़ी प्रतिमाएं पहले से लगाई जा चुकी हैं .आगे गांधी और गांधीवाद को क्या झेलना है ये कोई नहीं जानता ,लेकिन गांधी और उनका गांधीवाद एक विषैले गर्द -गुबार में जरूर घिरा दिखाई दे रहा है .यदि आप गांधीवादी हैं तो सतर्क हो जाएँ और चाहें तो गांधी और गांधीवाद को बचाने के लिए जतन करना शुरू कर दें.

UP में भाजपा 254 सीटों पर आगे, सपा को 118 पर बढ़त, करहल से सपा प्रत्याशी अखिलेश यादव 10 हजार वोट से आगे

0

TIO NEW DELHI

उत्तर प्रदेश में वोटों की गिनती को दो घंटे पूरे हो चुके हैं। रुझानों में भाजपा को बहुमत हासिल हो गया है। भाजपा ने 203 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है। सपा भी 100 के पार पहुंच गई है। तीसरे नंबर की पार्टी बसपा दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई है। गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ और करहल से अखिलेश यादव आगे चल रहे हैं। पर, काशी विश्वनाथ सीट से भाजपा कैंडिडेट नीलकंठ तिवारी पीछे चल रहे हैं।

चुनाव रिजल्ट/ रुझान अपडेट्स…

भाजपासपाबसपाकांग्रेसअन्य
251112080804


  • यूपी की सबसे हॉट सीट कैराना पर सपा के नाहिद हसन 1951 वोट से आगे हैं। नाहिद ने जेल से ही चुनाव लड़ा। भाजपा की मांगृका सिंह को 3476 वोट मिले हैं।
  • अखिलेश यादव ने शेर ट्वीट किया- इम्तिहान बाकी है हौसलों का, वक्त आ गया है फैसलों का। उन्होंने लिखा कि लोकतंत्र के सिपाही जीत का प्रमाणपत्र लेकर ही लौटें।
  • जसवंत नगर से शिवपाल यादव, गाजीपुर के जहूराबाद से ओम प्रकाश राजभर पीछे। फाजिल नगर से स्वामी प्रसाद मौर्य, नोएडा से राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, कुंडा से राजा भैया और रामपुर से आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आगे चल रहे हैं।
  • अयोध्या से भाजपा प्रत्याशी वेद प्रकाश और मथुरा सीट से श्रीकांत शर्मा आगे चल रहे हैं।
  • लखनऊ के सरोजिनी नगर से भाजपा कैंडिडेट राजेश्वर सिंह ने बड़ी जीत का दावा किया। उन्होंने कहा कि यूपी में भाजपा की सरकार बनेगी और वो खुद एक लाख वोटों से जीतेंगे।

पंजाब रिजल्ट:रुझानों में आम आदमी पार्टी ने किया क्लीन स्वीप

शुरुआती रुझानों में आम आदमी पार्टी पंजाब में दिल्ली की कहानी दोहराकर जोरदार बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। दूसरे नंबर के लिए कांग्रेस और अकाली दल में कड़ी टक्कर है। हालांकि यह केवल रुझान हैं और नतीजों के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। पंजाब के दिग्गज नेता अपनी सीटों पर पिछड़ते नजर आ रहे हैं। इनमें CM चरणजीत चन्नी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और सुखबीर सिंह बादल शामिल हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला शहर सीट से पीछे चल रहे हैं।
CM चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ और चमकौर साहिब सीट से पीछे चल रहे हैं। उनके सभी मंत्री भी पिछड़ते नजर आ रहे हैं।
अमृतसर ईस्ट सीट से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू पिछड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब में गुरुद्वारा श्री कतलगढ़ साहिब में माथा टेकने पहुंचे।
आप के CM कैंडिडेट भगवंत मान ने संगरूर के गुरुद्वारा साहिब में माथा टेका। उनके घर सुबह से जलेबियां बननी शुरू हो गईं और घर को सजाया भी गया है।
प्रशासन की पूरी तैयारी न होने के कारण नवांशहर जिले के बलाचौर में वोटों की गिनती पूरे 21 मिनट की देरी से 8:21 बजे शुरू हुई।

कुल सीटेंकांग्रेसAAPअकालीभाजपा+अन्य
1171390842


विधानसभा चुनाव के 23 दिन बाद आज उत्तराखंड में सभी 70 विधानसभा सीटों के चुनाव नतीजे आएंगे। इसके साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि इस बार सत्ता की बागडोर किस दल के हाथों में आएगी। शुरुआती रुझानों में भाजपा ने 20 सीटों की बढ़त बना कर रखी है।

देश के सबसे छोटे राज्य गोवा में BJP 19 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस ने 12 सीटों जबकि MGP+ ने 5 सीटों पर बढ़त बनाई है। AAP 1 और अन्य 3 सीटों पर लीड कर रहे हैं। सांकेलिम से CM प्रमोद सावंत 317 वोट से पीछे हो गए हैं। दूसरे राउंड के बाद डिप्टी CM चंद्रकांत कवलेकर क्वेपम सीट से 1422 वोटों से पीछे चल रहे हैं।

उत्तराखंड और मणिपुर में विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है। उत्तराखंड की सभी 70 सीट पर आए रुझान में भाजपा ने बहुमत से बहुत ज्यादा सीटों पर बढ़त बना ली है। पिछली बार 57 सीट जीतने वाली भाजपा अब 45 सीट पर आगे है। कांग्रेस की बढ़त अब 21 सीट पर रह गई है, जबकि चार सीट पर अन्य को बढ़त मिली हुई है। सभी 70 सीटों पर पहली बार चुनाव लड़ी AAP अब किसी सीट पर आगे नहीं है।

मणिपुर की 60 सीटों में से सत्ताधारी भाजपा अब 23 सीट पर आगे है, जबकि कांग्रेस को 12 सीट पर बढ़त मिली हुई है। राज्य में 2002 से 2017 तक सरकार बनाने वाली कांग्रेस और भाजपा को स्थानीय दलों NPP और NPF ने कड़ी टक्कर दी है। रुझान में NPP को 10 सीट पर, NPF को 6 सीट पर और अन्य को 9 सीट पर बढ़त मिली हुई है।

खास बात यह है कि उत्तराखंड में मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट पर दोबारा कांग्रेस के भुवन सिंह कापड़ी से आगे आ गए हैं, लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत भी लालकुआं सीट पर बेहद पिछड़ गए हैं। रावत के सामने भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने करीब 6 हजार वोट की बढ़त बना ली है। उधर, AAP के सीएम कैंडिडेट अजय कोठियाल भी गंगोत्री सीट पर पिछड़कर तीसरे नंबर पर आ गए हैं।

खतरे में ईवीएम का इकबाल

0

राकेश अचल

सियासत बहुत बुरी चीज हो गयी है.सियासत को किसी के इकबाल की फ़िक्र नहीं है .बेफिक्र सियासत ने एक के बाद एककर सभी का इकबाल खतरे में डाल दिया है .अब इनसान तो छोड़िये ,संवैधानिक संस्थाएं तो छोड़िये बेचारी मशीनों तक का इकबाल असुरक्षित है उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के फौरन बाद माननीय प्रधानमंत्री जी के चुनाव क्षेत्र बनारस में पकड़ी गयी ईवीएम की खेप बताती है की अब ईवीएम को खिलौना बनाकर मनमाने ढंग से उसका इस्तेमाल करने की कोशिश की जा रही है .
भारत में ईवीएम की शुरुवात दुर्भाग्य से 2014 के पहले हो गयी थी .ईवीएम का पंजीयन 1980 में इंदिरा गांधी के जमाने में किया गया था. 1982 में प्रयोग के तौर पर केरल के पारावुर विधानसभा क्षेत्र के 50 मतदान केंद्रों पर इसका इस्तेमाल किया गया गया था लेकिन इसकी विश्वसनीयता पर उस समय उंगली उठायी गयी थी ये चुनाव विवादों में आ गया था क्योंकि इस मशीन की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मतदान खारिज कर दिया था.अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा था कि ईवीएम को तब तक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जब तक इस पर कोई स्पष्ट कानून ना बने.


माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद 1988 में संसद ने पहली बार जन प्रतिनिधित्व क़ानून 1951 में संशोधन किया गया और ईवीएम के इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी गई. नवंबर 1998 में प्रयोग के तौर पर 16 विधानसभा सीटों पर इस मशीन का इस्तेमाल किया गया था. तब मध्य प्रदेश और राजस्थान में 5-5 सीटों पर और दिल्ली में 6 सीटों पर भी इस मशीन को आजमाया गया था. इसके बाद 2001 में तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर ईवीएम का प्रयोग हुआ और फिर 2004 के लोकसभा चुनाव में पहली बार पूरे देश ने ईवीएम के ज़रिए अपना वोट दिया था.
कागज के मतपत्र के बाद हम मशीन का बटन दबाकर मतदान तो करने लगे लेकिन इस मशीन से छेड़छाड़ की शिकायतें हर समय बनी रहीं. बात आगे बढ़ी और अब इस मशीन की अदला-बदले के मामले भी प्रकाश में आने लगे हैं .बनारस का मामला तक एकदम ताजा है .आमतौर पर सत्तारूढ़ दल कहते हैं की विपक्ष जब हारने लगता है तब मशीनों की विश्वसनीयता या उसके साथ छेड़छाड़ का आरोप लगता है ,.मशीन पर यकीन न करने वाले केवल राजनेता ही नहीं बल्कि शायर भी होते हैं. एक शायर ने लिखा था –
लहू में भीगी हुई आस्तीन जीत गयी
चुनाव हार गए ,हम मशीन जीत गयी
मशीनी युग में यदि मशीन अविश्वनीय हो जाये तो मुश्किल बढ़ना स्वाभाविक है .सियासत ने अब केवल चुनावों को ही मशीनों के हवाले नहीं कर दिया अपितु पूरा सिस्टम ही मशीनों के हवाले कर दिया है. समस्याएं इतनी विकराल हो गयीं हैं की आम आदमी सबकुछ भूलकर मशीन बन गया है .आम आदमी के पास सियासत से जूझने का न समय है और न माद्दा .आप कह सकते हैं की आम आदमी ने मशीनों के समाने समर्पण कर दिया है .समर्पण न करे तो बेचारा करे क्या ?संवैधानिक संस्थाएं पहले ही सत्तारूढ़ दलों के लिए या तो तोता-मैना बन गयी हैं या उन्हें केंचुआ कहा जाने लगा है .मशीनों को क्या कहा जायेगा अभी बताना कठिन है .
बनारस में ईवीएम मशीनों की खेप पकड़े जाने के बाद विपक्ष आक्रामक है.विपक्ष का कहना है कि जब तक बनारस के डीएम और कमिश्नर को नहीं हटाया जाता ,हम मतगणना नहीं होने देंगे .विपक्ष का गुस्सा जायज है .सवाल यही है कि आखिर ये मशीने आयीं कहाँ से ?इन्हें लाया कौन ? और क्यों लाया ? मशीने आखिर मशीने होतीं हैं .उनकी अपनी सीमा होती है ,मशीनों का अपना दिमाग नहीं होता .वे रिमोट से चलाई हैं .रिमोट जिसके हाथ में होतीं हैं उसके इशारे पर नाचती हैं,उन्हें नहीं मतलब की रिमोट किसके हाथ में है ,वो परिवारवादी है या अंधभक्त .
आफत की जड़ लेकिन लोकतंत्र को आधुनिक बनाने वाली ईवीएम मशीन का आविष्कार वर्ष 1898 में अमेरिका के गिलेस्पी और जैकब मायर्स, ने किया था मायर्स ने एक वोटिंग मशीन का पहला प्रदर्शन 1892 लॉकपोर्ट, न्यूयॉर्क, शहर के चुनाव में दिया।हालाँकि ईवीएम के माध्यम से पारदर्शिता, चुनाव की प्रकिया की सरलता, 90 फीसदी से अधिक सुरक्षित, एवम् समय के साथ परिवर्तन को सुनिश्चित किया जा सकता है,किया जा रहा है .मजे की बात ये है कि इस मशीन के अनेक लाभ के बावजूद अनेक देशों के द्वारा इस पर प्रतिबंध लगा रखा है, उनका मानना है कि यह लोकतांत्रिक पद्धति नहीं या असंवैधानिक है। प्रतिबंध लगाने वाले प्रमुख देशो में अमेरिका, इंग्लैंड, नीदरलैंड एवम् जर्मनी आदि प्रमुख हैं।
बहरहाल मशीन के जरिये कोई चुनाव जीते या हारे ,हमें इससे कोई लेनादेना नहीं है. हमारी फ़िक्र ये है कि मनुष्य की तरह मशीन की साख को कोई बट्टा नहीं लगना चाहिए पांच राज्यों में राजनीतिक दलों के लिए आज ‘कत्ल की रात ‘ है. इस कातिल रात में ही मशीनों की इज्जत -आबरू को सबसे ज्यादा खतरा रहता है. बनारस में विपक्ष मशीनों से दूरबीनों से नजर रख रहा है.आप भी जहाँ हैं नजर रखें .आमीन .

राजवाड़ा टू रेसीडेंसी

0

अरविंद तिवारी

विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार का ट्वीट करके जीतू पटवारी बुरी तरह उलझ गए। दरअसल पटवारी ने नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ की जानकारी के बिना ये ट्वीट किया था। सदन में जब यह मुद्दा उठा तो कमलनाथ ने पटवारी के ट्वीट से किनारा करते हुए कहा कि मैं ऐसी राजनीति में विश्वास नहीं करता हूं। बाद में नेता प्रतिपक्ष के कक्ष में उन्होंने पटवारी के कट्टर समर्थक विधायक कुणाल चौधरी की मौजूदगी में कई वरिष्ठ नेताओं के सामने जमकर नाराजगी दर्शाई और यह तक कह बैठे मैं उसे अब मीडिया सेल की जिम्मेदारी से मुक्त ही कर देता हूं।

बसपा से विधायक चुने जाने के बाद कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा से नजदीकी बढ़ाकर पूरा फायदा लेने वाली पथरिया की विधायक रामबाई ने कहने को तो कह दिया वह रहली से अगला चुनाव लड़ना चाहेगी। अब रामबाई को कौन समझाए कि वहां से लगातार 8 चुनाव जीत चुके गोपाल भार्गव से टकराना कोई आसान काम नहीं है। भार्गव आज भी दिल्ली और भोपाल की राजनीति से दूर रहकर क्षेत्र के लिए जिस अंदाज में काम करते हैं उसी कारण उन से पार पाना अच्छे-अच्छे दिग्गजों के बस की बात नहीं है। रामबाई के इस उत्साह को मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य की भार्गव से पुरानी अदावत से जोड़कर देखा जा रहा है।

त्वरित टिप्पणी में कैलाश विजयवर्गीय की कोई जोड़ नहीं। पिछले दिनों इंदौर के सांध्य दैनिक अग्निबाण द्वारा महाशिवरात्रि पर आयोजित भजन संध्या में विजयवर्गीय और कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला का आमना-सामना हुआ। सालों से भगवा दुपट्टा धारण कर रहे विजयवर्गीय ने शुक्ला को भगवा कुर्ते में देखते ही कहा अरे यार हम तो भगवान दुपट्टा ही पहन रहे हैं तुमने तो भगवा कुर्ता पहन लिया देखना हमारी दुकान बंद मत करा देना। वह यहीं तक ना रुके हैं जब मंच पर काबिल हुए तो वहां से भी उन्होंने फिर यही बात दोहराई नीचे बैठे भाजपा के कई नेता विजयवर्गीय की इस टिप्पणी के बाद शुक्ला को गौर से देखते रहे।

प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद अर्चना जायसवाल भले ही महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा को कटघरे में खड़ा कर रही हो लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से कमलनाथ द्वारा आयोजित एक बैठक में वे महिला कांग्रेस के पदाधिकारियों को बुलाने पर अड़ गई थी। महासचिव राजीव सिंह याद दिलाया की आपकी बॉडी तो होल्ड पर है तो अर्चना ने तीखे तेवर दिखाते हुए बोला यह मेरी बॉडी है और इससे कोई होल्ड पर नहीं रख सकता है। अर्चना के इसी तेवर ने उनकी महिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से रवानगी पर अंतिम मुहर लगाई।

इंदौर में पलासिया का वह सरकारी बंगला जिसमें पूर्व मंत्री महेश जोशी सालों तक रहे अब आईडीए के अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा का आशियाना बनने जा रहा है। अध्यक्ष बनने के बाद से ही चावड़ा के लिए नया बंगला तलाशा जा रहा था और यह लगभग तय हो गया था कि वह विजय नगर थाने के पीछे स्थित आईडीए के बंगले में शिफ्ट हो जाएंगे। अचानक इसमें बदलाव हुआ और अब चावड़ा सांसद शंकर लालवानी के पड़ोसी बनने जा रहे हैं। बंगले में इस बदलाव को राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो इससे इंदौर 5 की राजनीति में चावड़ा की एंट्री माना जा रहा है। देखते हैं आगे क्या होता है।

मध्य प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर में इन दिनों इस बात की बड़ी चर्चा है कि जब जांच के नाम पर शहर के व्यापारियों को पुलिस द्वारा परेशान करने का मामला सामने आया तो किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने मुंह नहीं खोला। परेशान व्यापारी कुछ लोगों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचे और इसी के बाद एक एसीपी और टीआई के साथ ही पांच और पुलिसकर्मियों पर भी गाज गिरी। जनप्रतिनिधियों की यह चुप्पी बहुत खुलने वाली थी। हां खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने जरूर इस मामले में मुखर था दिखाएं और कहा की ऐसी हरकत बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अगल-बगल के जिलों में ही कलेक्ट्री कर रहे गुना कलेक्टर फ्रैंकलीन नोबल और अशोकनगर कलेक्टर उमा महेश्वरी की जुगल जोड़ी इन दिनों प्रशासनिक हलकों में बहुत चर्चा में है। मंत्री एक दिग्गज केंद्रीय मंत्री और दो तेजतर्रार प्रभारी मंत्रियों से घिरे ये कलेक्टर दंपत्ति बिना एक दूसरे से पूछे कोई बड़ा फैसला नहीं लेते हैं। हां इतना जरूर है कि कई मामलों में साहब मैडम के ग्रीन सिग्नल के बिना आगे ही नहीं बढ़ते हैं।

चलते चलते

डीजीपी सुधीर सक्सेना की आईपीएस बेटी इंदौर में इन दिनों प्रोबेशनर की भूमिका में है। पुलिस विभाग में लल्लो चप्पो करने वालों की कमी नहीं है। ऐसे कई लोगों ने सक्सेना के डीजीपी बनने के काफी पहले से ही बेटी के इर्द-गिर्द मंडराना शुरू कर दिया था। लेकिन सख्त मिजाज बेटी ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी।

पुछल्ला

एनएसयूआई युवक कांग्रेस सेवादल और महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद दिग्विजय सिंह समर्थकों के खाते में जाने के बाद चर्चा इस बात की है कि नेता प्रतिपक्ष का पद अब किसके खाते में जाएगा।

वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा का बजट भाषण शुरू

0

TIO BHOPAL

मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा 2022-23 का बजट पढ़ रहे हैं। देवड़ा दूसरी बार बजट पेश कर रहे हैं। पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा उनकी बजट स्पीच के बीच लगातार बोल रहे हैं। कांग्रेस विधायक आसंदी के सामने जाकर नारेबाजी कर रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि एक साल में साढ़े पांच लाख बेरोजगार हो गए। कैसा बजट है ये। बिजली के बिल पर जेल में डालने का काम कर रहे हैं। किसान परेशान हैं। CM शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बजट भाषण हो जाने दें। जनता सुनना चाहती है। ऐसा नहीं होगा तो कांग्रेस की छवि खराब होगी। बजट के बाद जितना विरोध करना हो कर लें।

कांग्रेस के हंगामे के बीच मंत्री और विधायक भी बजट भाषण सुन नहीं पा रहे। सदस्यों ने हेडफोन उतार दिए हैं। बजट भाषण की कॉपी देख रहे हैं। यहां तक कि वित्त मंत्री के ठीक पीछे बैठे बिसाहूलाल को भी उनकी आवाज नहीं सुनाई पड़ रही है। वह बजट कॉपी देख रहे हैं। कुल बजट 2 लाख 79 हजार 237 करोड़ का है। 55 हजार 111 करोड़ का राजकोषीय घाटा।

क्या मिला बजट में…

महंगाई भत्ता 20% से बढ़ाकर 31% किया जाएगा। साढ़े सात लाख कर्मचारियों को इसका फायदा होगा।
MBBS और नर्सिंग की सीटें बढ़ेंगी।
भोपाल, इंदौर, जबलपुर में PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर 217 इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन बनेंगे।
भोपाल के बगरोद और बैरसिया में उद्योग पार्क बनेंगे। स्पोर्ट्स साइंस सेंटर की स्थापना की जाएगी।
जनजाति विकास निगम बनेगा। गायों की सेवा के लिए नई योजना शुरू की जाएगी।
बुरहानपुर जिले के हर घर को नल-जल की सुविधा मिल रही है। यह पहला जिला बन गया है।
अजा वित्त विकास निगम के लिए 40 करोड़ का प्रावधान किया गया है। ओबीसी के लिए पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के लिए 50 करोड़ का प्रावधान है।
सागर, शाजापुर, उज्जैन में सोलर प्लांट लगेंगे।
उद्यानिकी फसलों के लिए एक लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता विकसित की जाएगी। दुग्ध उत्पादन योजना शुरू होगी। इसके लिए 1050 का प्रावधान है। प्रदेश में घर-घर पशु चिकित्सा सेवा शुरू होगी। मछली पालन के क्षेत्र में रोजगार की संभावना है। मुख्यमंत्री मत्स्य पालन योजना शुरू होगी। इसके लिए 50 करोड़ का प्रावधान है।
13000 टीचर्स की नियुक्ति की जाएगी। 11 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे।
अजा-अजजा और ओबीसी की महिलाओं के स्वरोजगार के लिए भी काम किए जा रहे हैं। यह काम स्व-सहायता समूहों के जरिए हो रहा है। इनको 2000 करोड़ रुपए का क्रेडिट दिया जाएगा।
31 लाख हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाएगा। 10 हजार करोड़ का प्रावधान रखा गया है।

  • गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा- विपक्ष सार्थक चर्चा करे। सदन हंगामे या बाहुबल के लिए नहीं, बुद्धि बल के लिए है। स्टेट की GDP 19.74% पहुंचने पर है। मध्यप्रदेश में सकल घरेलू उत्पाद 11 लाख 79 हजार 4 करोड़ हो गया है। बजट में सभी क्षेत्र का ध्यान रखा है। इनफ्रॉस्ट्रक्चर पर मध्यप्रदेश 50% बजट खर्च करेगा। मैं मानता हूं कि सरकार आमजन पर कोई नया टैक्स नहीं लगाएगी।
  • सुबह 10 बजे विधानसभा में CM शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रियों की बैठक हुई। इसमें वित्तमंत्री के बजट भाषण को मंजूरी दी गई।

कांग्रेस ने विधानसभा घेराव की रणनीति बनाई

कांग्रेस ने बिजली के बढ़े बिलों को लेकर विधानसभा घेराव की रणनीति बनाई है। प्रदेश कांग्रेस झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के नेतृत्व में विधानसभा घेराव होगा। रंगमहल चौराहा न्यू मार्केट होते हुए कांग्रेसी विधानसभा का घेराव करने पहुंचेंगे। इसके चलते विधानसभा के चारों ओर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर रखे हैं। चारों ओर से बैरिकेडिंग की गई है।

एग्जिट पोल ही ‘परिणाम’ हैं तो 2024 के लिए भी मोदी को बधाई !

0

श्रवण गर्ग

यूपी के नतीजे किस करवट बैठने वाले हैं? अपनी विश्वसनीयता को लेकर हर चुनाव के दौरान विवादों में घिरे रहने वाले एग्जिट पोल ही अगर दस मार्च की शाम तक अंतिम रूप से भी सही साबित होने वाले हैं तो फिर नरेंद्र मोदी को 2024 में भी 2014 और 2019 जैसी ही जीत दोहराने के लिए अग्रिम बधाई अभी से दे देनी चाहिए। मान लिया जाना चाहिए कि जो तमाम सदृश्य और अदृश्य ताक़तें यूपी में संघ और भाजपा के बुलडोज़री-हिंदुत्व को फिर फिर सत्ता में ला रही हैं वे ही लोकसभा के लिए भी अपनी दोगुना शक्ति और संसाधनों के साथ दिल्ली-मिशन में जुटने वाली हैं।

कोई तो अज्ञात कारण अवश्य होना चाहिए कि इतनी ज़बरदस्त एंटी-इंकम्बेन्सी के बावजूद अमित शाह , जे पी नड्डा और योगी आदित्यनाथ सभी का सार्वजनिक रूप से यही दावा क़ायम है कि सरकार तो भाजपा की ही बनेगी। बलिया ज़िले के एक थाना प्रभारी ने तो एक बड़े भाजपा नेता को कथित रूप से कैबिनेट मंत्री बनने की अग्रिम शुभकामनाएँ भी दे दीं। लखनऊ में अफ़सरों के बंगलों के रंग फिर से भगवा होना शुरू हो गए होंगे।अखिलेश के सत्ता में आने के यूपी के देसी पत्रकारों के दावों को चुनौती देते हुए अंग्रेज़ी के नामी-गिरामी जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई ने तो एग्जिट पोल के पहले ही लिख दिया था कि भाजपा की जीत साफ़ दिखाई पड़ रही है। उन्होंने उसके कारण भी गिनाए हैं। बड़े पत्रकार अपनी बात पुख़्ता सूत्रों के आधार पर ही करते हैं इसलिए राजदीप के दावे में कुछ सच्चाई ज़रूर होगी ऐसा दस मार्च तक के लिए माना जा सकता है।

एग्जिट पोल्स के दावों के विपरीत जो लोग अखिलेश यादव की जीत का सट्टा लगा रहे हैं उनके पास भी अपने कुछ तर्क हैं। मसलन, प.बंगाल के बाद से भाजपा ज़्यादातर चुनाव हार ही रही है। उसके जीतने का सिलसिला काफ़ी पहले से बंद हो चुका है। एग्जिट पोल्स के अनुमानों के ख़िलाफ़, पश्चिम बंगाल में हुई करारी हार के बाद पिछले साल के अंत में हिमाचल सहित दस राज्यों के उपचुनावों में भाजपा को अपनी पहले जीती हुई कुछ सीटें भी उस कांग्रेस के हवाले करना पड़ीं थीं जिसे वह ख़त्म करने का दावा आये दिन करती रहती है। एनडीए के बचे-खुचे घटक दल भी एक-एक करके भाजपा का साथ छोड़ रहे हैं। मुमकिन है बिहार वाले ‘सुशासन बाबू’ भी दस मार्च की प्रतीक्षा कर रहे हों।

सपा के पक्ष में सटोरियों के उत्साह का दूसरा बड़ा कारण अखिलेश-प्रियंका की रैलियों में भीड़ और मोदी-शाह-योगी की सभाओं में कुर्सियों का ख़ाली नज़र आना बताया गया है। कहा जा रहा है कि पश्चिमी यूपी में मुसलिमों और जाटों के बीच खून ख़राबे का सफलतापूर्वक आज़माया जा चुका प्रयोग इस बार काठ की हांडी साबित हो गया। महंगाई, बेरोज़गारी और कोरोना से मौतों को लेकर लोगों की नाराज़गी चरम सीमा पर है। पूछा जा रहा है कि अपने कामों को लेकर भाजपा अगर इतनी ही आश्वस्त थी तो यूक्रेन सहित सारे ज़रूरी काम ताक पर रखकर पीएम को बनारस में तीन दिन क्यों गुज़ारना पड़ गए? क्या उन्हें डर पैदा हो गया था कि अपने संसदीय क्षेत्र की कुछ सीटों पर हार का सामना करना पड़ा या उन पर जीत का मार्जिन कम हो गया तो उसे उनकी लोकप्रियता के ग्राफ़ से जोड़ लिया जाएगा?

कोई छुपी हुई बात नहीं है कि यूपी में चुनाव के सातों चरणों के दौरान भाजपा को जिस तरह के जन-विरोध की लहर का सामना करना पड़ा पार्टी उसके लिए वह क़तई तैयार नहीं थी। पार्टी अपने इस भय को भी ख़ारिज नहीं कर सकती कि एग्जिट पोल्स के दावों के विपरीत अगर सरकार नहीं बनी तो जिस तरह के दल-बदल का ( स्वामीप्रसाद मौर्य, ओम् प्रकाश राजभर ,दारासिंह चौहान,आदि) उसे चुनाव के पहले सामना करना पड़ा था उससे कहीं और बड़ा पश्चिम बंगाल की तर्ज़ पर यूपी में झेलना पड़ जाएगा। प.बंगाल की भगदड़ का असर चाहे कहीं और नहीं हुआ हो, यूपी का असर उन सब हिंदी-भाषी राज्यों पर पड़ेगा, जहां 2024 के पहले चुनाव होने हैं। लोक सभा के पहले ग्यारह राज्यों में विधानसभा चुनाव होना हैं।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा में एक ‘साइलेंट मायनोरिटी’ ऐसी भी है जो ‘पार्टी’ को 2024 में जिताने के लिए ‘व्यक्तियों’ के कमजोर होने को ज़रूरी मानती है। इस मायनोरिटी के अनुसार, यूपी में पार्टी की हार लोकसभा के लिए अहंकार-मुक्त नेतृत्व प्रदान करने का काम भी कर सकती है। यूपी में एग्जिट पोल्स के अनुमान सही साबित होने की स्थिति में विपक्ष तो निराश- हताश होगा ही, भाजपा के कई दिग्गजो को मार्गदर्शक मंडल में जाना पड़ सकता है।

वोटिंग मशीनों में अंतिम समय पर ( मूर्तियों के दूध पीने वाले चमत्कार की तरह ) कोई आसमानी-सुलतानी नहीं हो जाए तो ज़मीनी नतीजों का रुझान तो इस समय भाजपा के ख़िलाफ़ जाने का ही है। इसके बावजूद, ज़्यादा अंदरूनी जानकारी उन अनुभवी पत्रकारों, चुनावी-विश्लेषकों और टी वी एंकरों को ही हो सकती है जो डंके की चोट मुनादी कर रहे हैं कि जीत तो भाजपा की ही होने जा रही है।

यूपी में सत्तारूढ़ भाजपा के ख़िलाफ़ बेहद प्रतिकूल मौजूदा परिस्थितियों के बावजूद अगर सपा गठबंधन स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने से चूक जाता है तो फिर आगे आने वाले समय में यूपी और देश में विपक्ष की राजनीति का चेहरा कैसा बनेगा उसकी भी कल्पना की जा सकती है। उसमें यह भी शामिल रहेगा कि मोदी को फिर 2024 में दुनिया की कोई भी ताक़त नहीं रोक पाएगी। यूपी की जनता अगर ऐसा ही चाहती तो उसके फैसले पर पूरे देश की प्रतिक्रिया जानने के लिए थोड़ी प्रतीक्षा की जानी चाहिए।

कांग्रेस को विधायकों की खरीद-फरोख्त का डर, ईवीएम पर सियासी घमासान

0

TIO NEW DELHI

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने की स्थिति में जोड़तोड़ की चर्चाओं के बीच कांग्रेस सतर्क हो गई है। गोवा चुनाव से सबक लेते हुए पार्टी मतगणना के तुरंत बाद अपने विधायकों को कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान या छत्तीसगढ़ में शिफ्ट कर सकती है। गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस वहां अपनी सरकार बनाने में विफल रही थी। ऐसे में इस बार पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।

मतगणना से पूर्व देहरादून के एक होटल में कांग्रेस का वार रूम सक्रिय हो गया है। मंगलवार को पार्टी नेताओं का बंद कमरे में बैठकों का दौर चला तो बाहर मीडिया का जमावड़ा लगा रहा। पार्टी अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने 42 से 45 सीटें जीतने का दावा किया तो दूसरे नेता भी इस आंकड़े के आसपास रहे। लेकिन सूत्रों के मुताबिक पार्टी खंडित जनादेश को लेकर भी घबराई हुई है।

वह ऐसी स्थिति के लिए वक्त से पहले सचेत हो जाना चाहती है। इसलिए मतगणना के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है। मतगणना के दिन हर पोलिंग स्टेशन पर कांग्रेस का एक केंद्रीय पर्यवेक्षक तैनात रहेगा। पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी होगी कि वह मतगणना के दौरान प्रत्याशी की सहायता करे। आवश्यकता पड़ने पर प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व की सहायता ले। चुनाव नतीजे आने के बाद जीते हुए विधायक पर्यवेक्षक की सुरक्षा में रहेगा। सू्त्रों के अनुसार जीते हुए विधायकों को कांग्रेस शासित दूसरे राज्यों में शिफ्ट किया जा सकता है।

उचित समय आने पर देंगे उचित जवाब
मंगलवार को बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से कैलाश विजयवर्गीय की उत्तराखंड में उपस्थित पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिस तरह से भाजपा लोकतंत्र का मजाक उड़ाती है, उसके लिए यह सब करना कुछ नई बात नहीं है। लेकिन, हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस बार ऐसा नहीं होगा। उनको उचित समय पर उचित जवाब दिया जाएगा।
हमें प्लान बी, सी की जरूरत नहीं, जनता ने स्पष्ट बहुमत दिया है : हरीश
बैठक में भाग लेने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में इस बार जनादेश भाजपा के खिलाफ है। इसलिए भाजपा प्लान बी, प्लान सी की बात कर रही है। हमे ऐसा कुछ सोचने की आवश्यकता ही नहीं है। क्योंकि हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना रहे हैं।

एग्जिट पोल पर पूर्व सीएम ने कहा कि जनता का पोल बड़ा है। उसने राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए पोल किया है। इसलिए निश्चित तौर पर उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। विजयवर्गीय के सवाल पर हरीश ने कहा कि वह खरीद-फरोख्त के पुराने खिलाड़ी हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस पहले से सचेत है।

उत्तराखंड में भाजपा का कोई भी प्लान सफल नहीं होगा : हुड्डा
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान की ओर से सांसद दीपेंद्र हुड्डा को विशेष पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। जनता ने कांग्रेस पर विश्वास जताया है। भाजपा के कुशासन से जनता त्रस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा का कोई भी प्लान सफल नहीं होगा।

हम 42 से 45 सीटें जीत रहे हैं : गोदियाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि हम 42 से 45 सीटें जीतकर बहुमत की सरकार बनाने जा रहे हैं। जहां तक एग्जिट पोल का सवाल है, अधिकांश चैनलों और समाचार एजेंसियों ने भी कांग्रेस को आगे दिखाया है। हम सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। गोदियाल ने इशारों ही इशारों में कहा कि जो भी हमारे जीतने वाले प्रत्याशी हैं, हम उन्हें यथा सुरक्षा और सहयोग प्रदान करेंगे।

मोर्चा संभालने दून पहुंचे राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले यादव, आज गौरव वल्लभ भी पहुंचेंगे
विधानसभा चुनाव के बाद 10 मार्च को होने वाली मतगणना से पहले कांग्रेस के रणनीतिकारों ने एक बार फिर मोर्चा संभाल लिया है। प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के अलावा चुनाव प्रबंधन में अहम भूमिका निभाने वाले प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव जहां दून पहुंच चुके हैं तो वहीं पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने वाले राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. गौरव के भी आज पहुंचने की संभावना है।

चुनाव के बाद अगर कांग्रेस सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है तो उसमें कहीं न कहीं राष्ट्रीय नेताओं की भी बड़ी भूमिका रही है। विशेषकर पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रो. गौरव वल्लभ ने पूरे समय मोर्चा संभाले रखा। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले देवेंद्र यादव को विशेष तौर पर उत्तराखंड के मोर्चे पर लगाया गया था।

चुनाव के दौरान उन्होंने कई मौकों पर अपने कुशल प्रबंधन को परिचय दिया। उनके साथ लगी प्रभारियों की टीम ने भी बेहतर तालमेल के साथ काम किया। पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने 100 से अधिक प्रेसवार्ता को संबोधित किया और भाजपा को घेरा।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अब 24 घंटे से भी कम का समय बचा है। 10 मार्च को मतगणना होनी है। इस बीच ईवीएम में छेड़छाड़ या अदला-बदली के आरोपों पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कई जिलों में प्रदर्शन किया है। मंगलवार देर रात मिर्जापुर के बथुआ स्थित पॉलिटेक्निक में बने स्ट्रांग रूम के सामने देर रात निगरानी के लिए मौजूद सपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया।

आरोप लगाया कि रात में स्ट्रांग रूम के अंदर से बीप की आवाज आ रही थी। हंगामे के बाद मौके पर पहुंचे सपा-अपना दल (क) गठबंधन के प्रत्याशी ने बीप की आवाज की जांच की मांग की। आरोप लगाया कि जैसे मतदान के बाद बीप की आवाज आती है। उसी तरह आवाज आ रही है।

मंगलवार शाम वाराणसी में वाहन से ईवीएम मिलने के बाद सपा कार्यकर्ताओं के हंगामे का मामला शांत नहीं हुआ था कि देर रात मिर्जापुर के बथुआ स्थित पॉलिटेक्निक में बने स्ट्रांग रूम के सामने प्रदर्शन शुरू हो गया। कार्यकर्ताओं का कहना था कि अंदर से बीप की आवाज आ रही थी।

लेखिका ज्योति झा की पुस्तक आनंदी कर री है महिला वर्ग को प्रोत्साहित

0

TIO NEW DELHI

लेखिका ज्योति झा की पुस्तक आनंदी इस समय खूब धमाल मचा रही है। युवाओं की खूब पसंद आ रही इस पुस्तक में एक नहीं, दो नहीं खूब सारे प्रेरणादायी संदेशों की भरमार है। किस प्रकार आनंदी नाम की एक बालिका अपने जीवन की प्रारम्भिक कठिनाइयों से जूझते हुए अपने जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति की ओर आगे बड़ती है बहुत शिक्षाप्रद है। पुणे में रह रही लेखिका ज्योति झा इन दिनो अपने लेखन के माध्यम से समाज को सकारात्मक संदेश दे रही है। ज्योति झा एक लेखिका होने के साथ- साथ एक गीतकार और एक बहुत अच्छी स्टॉरीटेलर भी है। हिंदी और अंग्रेज़ी डोनो ही भाषाऑ में लेखन के माध्यम से पाठकों के मध्य अपनी एक ख़ास पहचान बनाने वाली ज्योति की पुस्तक आनंदी ने कैसे बहुत ही कम समय में अपने नाम के झंडे गाड़ दिए हो। पुस्तक का प्रकाशन बुक्सक्लिनिक पब्लिशिंग हाउस ने किया है और पुस्तक की मार्केटिंग लिटेरिया इन्सायट के द्वारा की गयी है। पुस्तक का सम्पादन लेखक, प्रोडूसर और क्रिटिक नीतीश राज ने किया है। उपन्यास की ख़ास बात यह है कि हयह युवा पीडी को झकझोरकर रख देती है। महिला वर्ग को ह्ह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए जिससे वह अपने जीवन में कठिन समय से सामना कर अपने जीवन को सफल बना सकें।

MS Talks India: Online International Impromptu Speaking Championship 2022.

0

TIO NEW DELHI

There are so many contests going on the world, but have you heard about the ‘Online International Impromptu Speaking Championship (OIISC). May be not! There was a  mega online event  in India by ‘MS Talks India’ founded by Author Sherry on 6th March 2022 in New Delhi on  Zoom video conferencing platform .

Author Sherry is a Renowned International Public Speaking Coach and TEDx Speakers coach in India and has created a niche of his own, in the speaking world. Author Sherry is 9 times TEDx speaker and 4 times Josh Talks Speaker himself. Author Sherry gave a platform to 20,000 public speakers across the world with more than 300+ events online and offline. Author Sherry himself has trained more than 35,000 public speakers around the world and has spoken 500+ corporates, international conferences and global events in 10+ countries as a ‘global conference speaker.’ He is on a mission to create a million ‘public speakers’ in the country by 2030.

Encouraged by the phenomenal success, Author Sherry started ‘MS Talks’ around 5 years back with like-minded and equally passionate people joined hands, as a vehicle to bring on board ‘real people’ from various walks of life and share their real stories, real experience and give platform for public speaking to various speakers.

And MS Talks India is now not just a name but a cult figure. Today MS talks has a wider reach and a community of 2.5 lacs+ public speakers globally by the name of Public Speaking Institute Community (PSI) on Facebook.

For the first time in India, any such Online International Impromptu Championship was organized. Where public speakers can come and can share their Impromptu Topic Experience Which is given by Respected Juries. All Speakers delivered their speech without being planned or rehearsed.  All Credit goes to MS Talks Team for giving a vision to the field of Public Speakers, authors, professional speakers, motivational speakers in the world.

Public speakers from New Delhi, Lucknow, Mohali, Chennai, Chandigarh, Mumbai, Hyderabad, Vadodara, Kochi and from the United Kingdom (UK) participated at the Online International Impromptu Speaking Championship. The Speakers list included Manuj Matta, Kanupriya, Super Suresh, Jitendra, Senorita Joyce, Saakshi Chouthani, Indu Bala, Shobana Karthik, Nidhi Maini, Kamini Kalra, Kavita Sirothia, Kavita Misra, Haritosh Srivastav, Sirish Kaundinya, Richu Katoch, Kala Natrajan, Rajiv Bangari, and Dr.Dhivya Pratheepa.

Advocate Subhash sharma – Secretary General MS Talks India also motivated the participants with his words of wisdom from life. Kulvinder Kaur (Kara) – Co founder MS Talks India has been the backbone with other team members. Deepti Negi also contributed with her melodious voice & wonderful performance as a singer. And Ms. April Strong did an amazing anchoring at the event as an anchor.

The Jury comprised internationally acclaimed personalities The Juries were industry experts, International Professional Speaker, Emotional Intelligence Coach – Mr.Chander Sharma, Ms. Indu Ticku Kohli. They  evaluated the performances of each speaker by observing their expressions, public speaking skills and impromptu content on the given topic.

Overall Champion Founder choice winner is Mr. Manuj Matta from New Delhi, India. The Winner Trophy 1st Runner-up Mrs. Kamini Kalra from Mohali, India. 2nd Runner-up is Mrs. Kanupriya from New Delhi, India. Winner deservingly went to Mrs. Nidhi Maini from New Delhi, India.

Titles to be won: Best Soft Skills – Mrs. Dr.Dhivya Pratheepa, Best Presentation – Mr. Super Suresh G, Best Content – Mrs. Shobana Karthik.

We are truly very thankful to our Associate Sponsor – Neel David’s, digital partner – Daily Social Media and the Media Partners – Navdrishti Times, DP News, P News, The Informative Observer (TIO) for their support. Our upcoming event National Storytelling Championship 2022 will be held on 9th April at Hotel Radisson Blu, Delhi. So, are you ready to share your story on India’s leading platform?

कोर्टयार्ड बाय मैरियट में 10 दिवसीय पंजाबी फूड फेस्टिवल

0

TIO BHOPAL
कोर्टयार्ड बाय मैरियट, भोपाल में 4 से 13 मार्च तक 10 दिवसीय पंजाबी फूड फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। होटल के मोमो कैफे में शाम 7.30 से रात 11 बजे तक चल रहे इस फूड फेस्टिवल मे स्वाद के शौकीन चटखारेदार पारंपरिक पंजाबी व्यंजनों का लुत्फ ले रहे हैं। फेस्टिवल को पंजाब का रंग देने के लिए लाइव पंजाबी म्यूजिक व डांस का आयोजन भी डिनर के दौरान किया जा रहा है।

होटल के एक्जीकिटिव शेफ अमोल पाटिल ने आज आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि जब उत्तर भारतीय व्यंजनों की बात हो, तो सबसे पहले पंजाबी स्वाद ही याद किया जाता है। भोपाल में पंजाबी समुदाय तथा पंजाबी फूड लवर्स बड़ी संख्या में मौजूद है इसलिए पंजाबी संस्कृति का आनंद उठाने और सौहार्द बढ़ाने का इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है। व्यंजनों को परंपरागत रखते हुए हमने पंजाबी स्वाद के अनुभव के लिए खास मसालों का इस्तेमाल किया है।
शेफ अमोल ने आगे कहा कि फेस्टिवल मैन्यू में पंजाब के अलग अलग हिस्सों की स्थानीय व लोकप्रिय डिशेस को हमने अपने मैन्यू में शामिल किया है ताकि हमारे मेहमानों को पंजाब के हर हिस्से के व्यंजन चखने को मिल सकें।

होटल के जनरल मैनेजर, राकेश उपाध्याय ने कहा कि पंजाब की संस्कृति व व्यंजनों के इस फेस्टिवल को भोपालवासियों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें खुशी हो रही है। पंजाब की पहचान खुशी, हर्षोल्लास व शानदार व्यंजनों वाले प्रदेश के रूप में की जाती है।

उन्होंने बताया कि इस फेस्टिवल के लिए उनके शेफ्स की टीम ने एक से बढ़कर एक डिशेस का एक बड़ा मैन्यू तैयार किया है तथा प्रतिदिन नई-नई डिशेज मेहमानों को सर्व की जा रही हैं। फूड फेस्टिवल की शाम की शुरूआत लजीज स्टार्टरस् से की जाती है जिसमें दही और मेवे के कबाब, मच्छी अमृतसरी, तंदूरी कुक्कड़, अजवाइन मच्छी, कठहल का टिक्का, काली मिर्च का मच्छी टिक्का आदि शामिल हैं। शाकाहारी व्यंजनों के मेन कोर्स में छोलिया मसाला, खुम्ब हरा प्याज, कढ़ी पकोड़ा, पनीर माखनवाला, मटर मेथी मलाई और सरसो दा साग परोसे जाते हैं। नान वेजीटेरियन प्रेमियों को रेल्वे कुक्कड़ करी, मीट शाही पटियाला, मुँगेवाला कुक्कड़, मखानी चुजे, मुर्ग मसालेदार मच्छी और चिकन व मटन बिरयानी सर्व किये जा रहे हैं। यही नहीं खाने के अंत में मीठे की चाह रखने वाले फूड लवर्स बादाम खीर, गाजर का हलवा, जाफरानी फिरनी, केसरी खीर व मटका मलाई लस्सी जैसे मिष्ठान परोसे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पंजाबी फूड फेस्टीवल के दौरान परांठे वाली गली, भट्टी दा मुर्ग, कीमा कलेजी, छोले भटूरे, अमृतसरी कुलचे, कढ़ी चावल, राजमा चावल, सरसों दा साग मक्के दी रोटी, और पाटियाला लस्सी के लाइव काउंटर भी लगाये गये हैं।