Home Blog Page 8

हादसा: स्कूल बस और वैन की भिड़ंत, ४ बच्चों समेत पांच मौत

0

बरेली। बदायूं के म्याऊं क्षेत्र में सोमवार सुबह स्कूल बस और वैन की आमने-सामने से भिड़ंत हो गई है। हादसे में बस चालक और चार बच्चों की मौत हो गई है। कई घायल बताए गए हैं। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के म्याऊं थाना क्षेत्र में सोमवार सुबह दर्दनाक सडक़ हादसा हो गया, जिसमें स्कूल बस ड्राइवर और चार बच्चों की मौत हो गई। हादसे में 15 से अधिक बच्चे घायल बताए गए हैं। कई बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों की संख्या की बढ़ सकती है। प्रारंभिक सूचना के मुताबिक, हादसा बच्चों को लेकर जा रही स्कूल बस और स्कूल वैन की टक्कर होने की वजह से हुआ है। जानकारी मिलते ही डीएम मनोज कुमार और एसएसपी डॉ. ओपी सिंह प्रशासनिक अमले के साथ घटनास्थल पहुंच गए। डीएम ने बताया कि म्याऊं थाना क्षेत्र में स्कूल बस और वैन की टक्कर हुई है। हादसे में अभी बस चालक और चार छात्रों की मौत की पुष्टि हुई है। 16 छात्र घायल हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायल बच्चों के बेहतर उपचार के लिए चिकित्सकों को निर्देश दिए गए हैं। वहीं, एक छात्रा को भी मृत घोषित कर दिया गया है।

विजयनगरम में दो यात्री ट्रेनों की टक्कर 14 लोगों की मौत, 50 से ज्यादा घायल

0

विशाखापत्तनम। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बचाव अभियान चल रहा है, सभी को निकाल लिया गया है। टीमें तैनात कर दी गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालात की समीक्षा की है। मैंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से बात की। स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में दो ट्रेनों की टक्कर हो गई है। हादसे में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। मंडल रेल प्रबंधक ने बताया कि हावड़ा-चेन्नई रूट पर विशाखापत्तनम-पलासा पैसेंजर ट्रेन और विशाखापत्तनम-रायगढ़ा पैसेंजर ट्रेन के बीच टक्कर हो गई। हादसे में तीन कोच क्षतिग्रस्त हुए हैं। बचाव अभियान जारी है। सहायता और एम्बुलेंस के लिए स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ को सूचित किया गया है। दुर्घटना राहत ट्रेनें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं। पूर्वी तटीय रेलवे के प्रवक्ता बिस्वजीत साहू ने बताया कि फिलहाल हादसे वाली जगह पर रेल ट्रैक की रिपेयरिंग का काम चल रहा है। राहत-बचाव कार्य खत्म हो चुके हैं। हमने फंसे हुए यात्रियों के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था की है। अब तक 18 ट्रेनों को रद्द किया जा चुका है, जबकि 22 ट्रेनें डायवर्ट की गई हैं। शाम चार बजे तक ट्रैक को दोबारा शुरू करने पर काम कर रहे हैं।

अब विदेश जाने वाले यात्री इंदौर में ही लगवा सकेंगे येलो फीवर वैक्सीन

0

इंदौर। मध्यभारत के सबसे बड़े शासकीय एमवाय अस्पताल में अब विदेश यात्रा पर जाने वाले लोगों को नई सुविधा मिलने वाली है। अस्पताल में जल्द ही अब येलो फीवर की वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके लिए यात्रियों को अब भोपाल या फिर अन्य प्रदेशों में नहीं जाना पड़ेगा। बता दें कि अफ्रीका, केन्या, इजिप्ट, अल्जीरिया, घाना, नाइजीरिया, इथोपिया, सूडान, लीबिया और युगांडा सहित करीब 43 अफ्रीकी देशों की यात्रा पर जाने से पहले येलो फीवर का टीका लगवाना जरूरी होता है।
वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र जारी होने के बाद ही इन देशों की यात्रा का वीजा मिलता है। इंदौर से जाने वाले यात्रियों को हमेशा इसे लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि जहां भी वैक्सीन लगती है। वहां पर लंबा इंतजार करना पड़ता है। साथ ही आने-जाने में भी पैसे और समय की बर्बादी होती है।
अधिकारियों ने बताया कि अभी प्रदेश में भोपाल स्थित एआइआइएम में हर बुधवार को यह वैक्सीन लगाई जाती है। हम जल्द ही एमवाय अस्पताल में भी यह सुविधा शुरू कर देंगे। वैक्सीन की दर अभी निर्धारित नहीं की गई है। साथ ही इसलिए लिए एक अलग टीम भी मौजूद रहेगी।
इसलिए अनिवार्य है यह वैक्सीन
एक खास प्रजाति के मच्छर से येलो फीवर यानि पित्त ज्वर फैलता है। रोग के नाम में येलो शब्द पीलिया की ओर संकेत करता है जो कुछ रोगियों को प्रभावित करता है। बुखार, सिरदर्द, मुंह, नाक, कान, और पेट में रक्त स्राव, उल्टी, मितली, जी मचलाना, लिवर और किडनी से सम्बंधित कार्य प्रणाली का ठप पडऩा, पेट में दर्द, पीलिया इसके लक्षण है।
भारत से विदेश जा रहे हैं लोगों को वैक्सीनेशन ज़रूर लगवाना जरूरी होता है। यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि ऐसे देशों में येलो फीवर का काफी प्रकोप है। इन देशों की यात्रा करते वक्त आपको इंफेक्शन लग सकता है।
एमवाय अस्पताल में जल्द ही येलो फीवर वैक्सीन की सुविधा मिलने वाली है। इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी गई।

  • डा. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कालेज

चुनावी दंगल में इंटरनेट मीडिया पर नेताओं के बदले रंग, छलक रहा दर्द

0

भोपाल। टिकट वितरण के बाद नाराज नेताओं का रंग और जुबान बदल गई है। टिकट न मिलने पर कोई इंटरनेट मीडिया पर शायरी तो कोई इस्तीफा देकर विरोध दर्ज कराने के साथ दूसरी पार्टी ज्वाइन कर मैदान में उतर गया है। राजनीतिक दल के इन नेताओं के रंग बदलते व्यवहार को देख आमजन की मुशिकल बढ़ गई है। उसे यह तय करना मुशिकल हो रहा है कि वह पहले सच बोल रहा था कि अब सच बोल रहा है।
चुनावी दंगल में इस बार पार्टी बदलने और उनके बयानों का देख लोग दुविधा में है। भाजपा और कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद से ही घमासान मचा है। भिण्ड में बसपा में भाजपा में गए संजीव सिंह ने टिकट न मिलने पर इंटरनेट मीडिया पर कुछ इस तरह विरोध दर्ज कराया। उन्होंने लिखा दुखों के घेरे में भी मुस्कान लाएं, हार को आओ फिर भुलाएं जीवन के पथ पर अटल रहें, असंभव को भी संभव बनाएं, क्योंकि हारा वही जो लड़ा नहीं भिण्ड की सेवा का व्रत जनता के आशीष से चलेगा अनवरत। इधर ग्वालियर ग्रामीण में कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे केदार कंसाना ने टिकट न मिलने पर फेसबुक पर कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने का मैसेज डालकर विरोध दर्ज कराया।
कुलदीप सिकरवार सुमावली
कांग्रेस ने सिकरवार को सुमावली विधानसभा से प्रत्याशी घोषित किया था। यहां कांग्रेस ने दोबारा अजब सिंह कुशवाह पर भरोसा जताते हुए कुलदीप सिकरवार का टिकट काट दिया। ऐसे में कुलदीप ने इन पंक्तियों सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए इंटरनेट मीडिया पर लिखकर विरोध दर्ज कराया।
पूर्व विधायक मुकेश चौधरी
मेहगांव से पूर्व विधायक मुकेश चौधरी भाजपा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया। ऐसे में वह जनता के सामने रो पड़े। इंटरनेट मीडिया पर उनका यह बदलाव का रंग जमकर वायरल हुआ। गणेशी लाल नायक पृथ्वीपुर भाजपा से निवाड़ी की पृथ्वीपुर विधानसभा से दावेदारी करने वाले गणेशी लाल नायक ने इंटरनेट मीडिया पर इन पंक्तियों रात अंधेरी है तो क्या हुआ, सूर्य उदय तो निश्चित है। मैं अपनों के साथ हमेशा था हमेशा हूं और अंतिम सांस तक रहूंगा। लिखकर अपना दर्द बयां किया।

चुनावी माहौल में रुलाने लगा प्याज,

0

भोपाल। छत्तीसगढ़ सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। सात नवंबर को बस्तर की सीटों के लिए मतदान होना है। ठीक चुनाव के वक्त प्याज की कीमतों में भारी उछाल आ गया है। आलू और प्याज की कीमतें बढऩे का चौतरफा असर देखा जा रहा है। रसोई घर से प्याज गायब होने के साथ ही होटलों में नाश्ता भी महंगा होने लगा है।
आम से लेकर खास लोगों की जेब पर इसका सीधा असर पडऩे लगा है। व्यापारी फसल खराब होना बता रहे हैं। इस बीच मुनाफाखोरी की भी आशंका जताई जा रही है। चुनावी माहौल में प्याज की कीमतों में आई भारी उछाल को लेकर अब तरह-तरह की अटकलबाजी भी लगाई जा रही है। लोगों की जुबान पर अब आलू और प्याज चढऩे लगा है। नवरात्र से ठीक पहले प्याज की कीमत में तेजी आई थी तब थोक मंडी में 30 से 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बिक्री हो रही थी। चिल्हर बाजार के व्यापारी अपनी मर्जी के अनुसार भाव तय कर रहे थे।
चिल्हर बाजार में व्यापारियों ने संघ बना लिया है। संघ जो निर्णय सुना देता है पूरे दिन उसी दाम पर सब्जी की बिक्री होती है। मुनाफाखोरी के इस धंधे में आम लोगों की जेब का ख्याल कोई नहीं कर रहा है और न ही कोई रख रहा है। प्याज की बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्गीय परिवार का बजट एक बार फिर बिगडऩे लगा है। इसका असर छोटे से लेकर बड़े होटलों और स्ट्रीट वेंडरों की दुकानों पर भी देखा जा रहा है। समोसा, बड़ा, आलू गुंडा सहित नाश्ते के दाम में तेजी आने लगी है। अचरज की बात ये कि एक बार कीमत बढऩे के बाद होटल संचालक घटाने का नाम भी नहीं लेते। अभी प्याज की कीमत में बढ़ोतरी का बहाना कहें या फिर मजबूरी। जब कीमतें घट जाएंगी तब भी होटलों में वही रेट रहेगा।
थोक व्यापारी बता रहे, फसल कमजोर है
व्यापार विहार स्थित थोक मंडी के व्यापारियों का कहना है कि फसल उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के नासिक में प्याज की फसल कमजोर है। नासिक स्थित देश की सबसे बड़ी मंडी में प्याज की आवक कमजोर है और देश की अलग-अलग मंडियों से मांग लगातार बनी हुई है। मांग के दबाव के चलते प्याज की कीमतें लगातार बढ़ रही है।
एक महीने इसी दाम पर बिकने के आसार
थोक मंडी में दीपावली के बाद नई फसल की आवक शुरू होगी। तब तक ऊंचे दाम पर ही प्याज खरीदना होगा। थोक मंडी व्यापार विहार में अभी नासिक से प्रतिदिन चार से पांच ट्रक प्याज की आपूर्ति हो रही है। कीमत ज्यादा होने के कारण बिक्री प्रभावित होने की बात व्यापारी कह रहे हैं। दाम ऊंचे होने के कारण जरुरत के मुताबिक ही लोग खरीदारी कर रहे हैं। जो दो किलोग्राम प्याज खरीदकर ले जाते थे वर्तमान में एक किलोग्राम से ही काम चला रहे हैं। प्याज के साथ ही आलू की कीमतें भी बढऩे लगी हैं। चिल्हर बाजार में 25 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम पर आलू की बिक्री की जा रही है।

गरबा करते हुए दिल का दौरा पडऩे से गई कई की जान

0

गांधीनगर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया गुजरात दौरे पर हैं। जब उनसे इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने अचानक दिल का दौरा पडऩे की वजह बताई और लोगों को सलाह भी दी कि वह किस तरह से इस तरह के दिल के दौरों से बच सकते हैं।
गुजरात में नवरात्रि के दौरान गरबा करते हुए दिल का दौरा पडऩे से कई लोगों की जान गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया गुजरात दौरे पर हैं। जब उनसे इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने अचानक दिल का दौरा पडऩे की वजह बताई और लोगों को सलाह भी दी कि वह किस तरह से इस तरह के दिल के दौरों से बच सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताई हार्ट अटैक की वजह
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आईसीएमआर ने एक विस्तृत अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पता चला है कि जो लोग गंभीर रूप से कोरोना की चपेट में आए थे और उस बात को ज्यादा समय नहीं गुजरा है तो ऐसे लोगों को दिल के दौरे से बचने के लिए बहुत ज्यादा व्यायाम, ज्यादा काम, दौडऩा आदि एक दो साल तक नहीं करना चाहिए। बता दें कि गुजरात में गरबा करते हुए एक हफ्ते में दिल का दौरा पडऩे से छह लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में एक महिला और एक बारहवीं कक्षा में पढऩे वाला छात्र भी शामिल था। इनके अलावा नवरात्रि के दौरान पूरे राज्य में कुल 22 लोगों की मौत ऐसे ही अचानक हार्ट अटैक के चलते हुई।
बता दें कि देश में कोरोना महामारी के बाद ऐसी कई घटनाएं सामने आयी हैं, जिनमें लोग नाचते-नाचते गिर गए और उनकी मौत हो गई। आईसीएमआर ने भी इस पर अध्ययन कर रही है। आईसीएमआर इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इन मौतों का कारण स्वभाविक है या फिर कोरोना वायरस या कोरोना वैक्सीन का इन मौतों से कुछ संबंध है।

सलकनपुर में देवी दर्शन के बाद सीएम शिवराज भरेंगे पर्चा, नामांकन का आज आखिरी दिन

0

भोपाल। मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करने का आज अंतिम अवसर है। ऐसे में आज बड़ी संख्या में नामांकन होने का अनुमान है। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान सहित कई बड़े नेता जिन्होंने अब तक नामांकन नहीं किया है वे नामांकन दाखिल करेंगे।
भाजपा प्रत्याशी की नामांकन रैली में नरोत्तम मिश्रा होंगे शामिल
भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू की आज नामांकन रैली होगी। रैली का समापन मानसरोवर काम्प्लेक्स के समक्ष सभा से होगा। रैली और सभा में प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल होंगे। इसी तरह बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सौंसर और पांढुर्ना, परासिया में केंद्रीय मंत्री भानुप्रताप वर्मा उपस्थित होंगे। अमरवाड़ा में भी भाजपा प्रत्याशी नामांकन रैली के जरिए पर्चा दाखिल करेंगे।
आज नामांकन का आखिरी दिन
बुरहानपुर विधानसभा से भाजपा से बागी निर्दलीय प्रत्याशी हर्षवर्धन सिंह रैली निकालकर आज अपना नामांकन भरेंगे। वहीं, कांग्रेस के बागी और ्रढ्ढरूढ्ढरू के प्रत्याशी नफीश मंशा खान भी रैली के साथ नामांकन दाखिल करेंगे। बुरहानपुर जिले की नेपानगर विधानसभा सीट के लिए भाजपा की प्रत्याशी मंजू राजेन्द्र दादू भी अपना नामांकन रैली के साथ दाखिल करने पहुंचेंगी।
मुख्यमंत्री चौहान परिवार सहित जैत रवाना
सीएम शिवराज सिंह चौहान आज पर्चा भरेंगे। वे परिवार के साथ जैत रवाना हो गए हैं। जैत में नर्मदा पूजन, हनुमान मंदिर में पूजन और पैतृक घर में कुल देवी देवताओं का पूजन करेंगे, इसके बाद वे सलकनपुर में मां विजयासन की पूजा कर बुधनी पहुंचेंगे। बुधनी में आज नामांकन भरेंगे, नामांकन के दौरान बड़ी संख्या में लाड़ली बहनें और बुधनी विधानसभा की जनता शामिल होंगी।
1466 नामांकन पत्र भरे गए
अब तक 1466 नामांकन पत्र भरे गए हैं। निर्धारित समय में चार शासकीय अवकाश होने के चलते इस बार अभ्यार्थियों को पर्चा भरने के लिए छह दिन का ही समय मिल पाया है। गौरतलब है कि प्रदेश में 17 नवंबर को एक ही चरण में मतदान की प्रक्रिया संपन्न होगी। मतगणना 3 दिसंबर को होगी।
सीएम भी आज भरेंगे नामांकन
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान भी आज अपना नामांकन पत्र जमा करेंगे। वे परिवार समेत पर्चा भरने जायेंगे। इसके पहले वे दोपहर एक बजे सलकनपुर पहुंचकर माता के दर्शन करेंगे। इसके बाद दोपहर दो बजे बुधनी पहुंचकर नामांकन दाखिल करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने उनके सामने टीवी कलाकार विक्रम मस्ताल को उतारा है।

राजा-महाराजाओं की सियासी किस्मत दांव पर

0

शशी कुमार केसवानी
चुनाव की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आने लगी हैं, उसके साथ ही साथ मप्र की सियासी गर्मी सिर चढक़र दिखने लगी है। उधर, भाजपा और कांग्रेस दोनों ने विधानसभा चुनाव के लिए अधिकतर उम्मीदवार तय कर दिए हैं। इन सूचियों में कई ऐसे कई नाम हैं, जिनका ताल्लुक राजघरानों से है। सूची में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन और उनके भाई लक्ष्मण सिंह जैसे जाने-पहचाने नाम हैं। आपको बताते हैं मध्य प्रदेश में राजघरानों से भाजपा-कांग्रेस ने कितने शाही उम्मीदवारों को टिकट दिया है इनकी राजनीतिक पकड़ कितनी है इन राजघरानों का इतिहास क्या है 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए भाजपा ने कुल 228 नाम घोषित किए हैं। वहीं, कांग्रेस ने सभी 230 उम्मीदवार तय कर दिए हैं।
राघोगढ़ रियासत
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव राघोगढ़ राजपरिवार दो सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस ने राघोगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं चचौड़ा से पार्टी ने दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है। राघोगढ़ ब्रिटिश राज में ग्वालियर रेजीडेंसी की एक रियासत हुआ करती थी। इसकी स्थापना 1673 में लाल सिंह खीची ने की थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पिता बलभद्र सिंह-द्वितीय इस राजघराने के अंतिम शासक रहे। दिग्विजय सिंह की अपने क्षेत्र में ऐसी पकड़ है, जैसे हर घर के वे एक सदस्य हों। पर जयवर्धन की अभी भी ऐसी पकड़ नहीं आई है। वहीं बात लक्ष्मण सिंह की करें तो वे हमेशा दूसरी पंक्ति के रहे हैं। पर अपने क्षेत्र में अच्छा दबदबा है।
देवास राजघराना
देवास राजघराने से ताल्लुक रखने वाली गायत्री राजे पंवार को देवास विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। गायत्री राजे अभी इस सीट से विधायक भी हैं। उनका विवाह देवास के दिवंगत महाराजा वरिष्ठ तुकोजी राव पवार से हुआ था। देवास राजवंश के महाराज तुकोजीराव चतुर्थ विक्रमादित्य के राजवंश से संबंध रखते थे। उनके पूर्वजों ने 250 वर्षों तक देवास राजघराने पर शासन किया। वहीं देवास सीट की बात करें तो पिछले छह चुनाव से यहां भाजपा का ही कब्जा है। तुकोजी राव पवार यहां से लगातार छह बार चुने गए और तुकोजी राव पवार का नाता शाही खानदान से रहा है। पहली बार उन्होंने 1990 के चुनाव में जीत हासिल की थी, उसके बाद वह लगातार इस सीट पर चुने जाते रहे। 2015 में तुकोजी राव का निधन हो गया, जिसके चलते उपचुनाव में उनकी पत्नी गायत्री राजे पवार ने जीत हासिल की। फिर 2018 के चुनाव में भी उन्होंने ही जीत दर्ज की। इस चुनाव में गायत्री राजे ने कांग्रेस के जयसिंह ठाकुर को हराया था। इस बार गायत्री फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। सिंपैथी वोट हमेशा उन्हें मिलते हैं। लोगों का एक घेरा उनके आसपास हमेशा बना रहता है। जिससे आम आदमी से उनका संपर्क ज्यादा नहीं रहता। फिर भी चुनाव में उनकी स्थिति मजबूत रहती है।
रीवा राजघराना
रीवा राजघराने से आने वाले दिव्यराज सिंह को रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा से टिकट मिला है। दिव्यराज अभी सिरमौर सीट से ही भाजपा के विधायक हैं। उनके पिता और पुष्पराज सिंह भाजपा और कांग्रेस दोनों से रीवा से विधायक रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पुष्पराज सिंह के दादा गुलाब सिंह ब्रिटिश राज में रीवा राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे। इस परिवार का एक जमाने में दबदबा चलता था, पर युवा पीढ़ी ने वह वर्चस्व कायम नहीं कर पाए, जो पुरुखों ने बनाया था, अभी तो सीट जीतने के लिए संघर्ष की स्थित रहेगी।
अमझेरा राजघराना
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को धार जिले की बदनावर सीट से उम्मीदवारी थमाई गई है। अमझेरा राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राजवर्धन शिवराज सरकार में उद्योग नीति और निवेश प्रोत्साहन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। स्थानीय लोग उन्हें दत्तीगांव जागीर के नामधारी मुखिया या दत्तीगांव के महाराजा या राव साहब के नाम से बुलाते हैं। राजवर्धन चार बार से बदनावर के विधायक हैं। राजवर्धन सिंह दत्तीगांव महराणा बख्तावर सिंह के वंशज हैं। दरअसल, महराणा बख्तावर सिंह अमझेरा कस्बे के शासक थे, जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से संघर्ष किया। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सन 1857 में झांसी, ग्वालियर, उत्तरप्रदेश के विद्रोह की हवा मालवा में भी आई। धार से 30 किमी दूर अमझेरा में तब बख्तावर सिंह का राज था। अपने क्षेत्र में लोगों से सीधे रिश्ते भी हैं, जिससे चुनाव में हमेशा फायदा मिलता है। पर जनता अब राज परिवारों से थोड़ा बचकर भी चलना चाहती है।
मकड़ाई राजघराना
भाजपा ने हरसूद सीट पर मंत्री कुंवर विजय शाह को उतारा है। वहीं टिमरनी से भाजपा ने विजय शाह के भाई संजय शाह को टिकट दिया है। दोनों का मकड़ाई राजघराने से नाता है। विजय ने भाजपा के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव 1990 में लड़ा था। वर्तमान में विजय शाह शिवराज सरकार में कैबिनेट वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं। मकड़ाई रियासत से विजय शाह प्रदेश में मंत्री हैं। वहीं टिमरनी से संजय शाह वर्ष 2008 से जीत रहे हैं। 2018 के चुनाव में टिमरनी से संजय शाह ने कांग्रेस उम्मीदवार और अपने भतीजे अभिजीत शाह को हराया था। विजय शाह के एक भाई अजय शाह कांग्रेस में हैं। मकड़ाई रियासत के अंतिम शासक देवी शाह थे। इस रियासत की स्थापना 16वीं शताब्दी में राज गोंड राजा कर्कट राय ने 1663 में की थी। 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद यहां के शासक भारत संघ में शामिल हो गए और रियासत को मध्य प्रदेश राज्य में शामिल कर लिया गया। 2012 तक मकड़ाई के नामधारी महाराजा राजा अजय शाह हैं। विजय शाह अपने कुछ चीजों की वजह से हमेशा विवादों में रहे हैं, बीते दिनों फिल्मी हीरोइनों के साथ जंगल में डिनर करने का जोर डाला था, जो बड़ा विवादित रहा था। साथ ही साथ बेलगाम जुबान कई उनके लिए मुसीबत की जड़ बन जाती है। यह सब चीजें चुनाव में उठेंगी और परेशान भी करेंगी।

ग्वालियर राजघराना
ग्वालियर ऐसा राजघराना है जिसके सदस्य मध्य प्रदेश और राजस्थान से लेकर केंद्र तक की सियासत में हैं। राजस्थान की झालरापाटन सीट से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को टिकट थमाया है। दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखती हैं। उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं, जबकि बहन यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार में मंत्री हैं। आजादी के पहले ग्वालियर पर सिंधिया राजाओं का राज हुआ करता था। वसुंधरा के पिता जीवाजीराव सिंधिया ग्वालियर राज्य के अंतिम आधिकारिक शासक थे।

Karan Johar gets emotional after watching Deepika Padukone-Ranveer Singh’s wedding video.

0

TIO

Filmmaker Karan Johar kick-started the eighth season of Koffee with Karan with guests Ranveer Singh and Deepika Padukone. During the episode, the couple surprised everyone by sharing their wedding video, which was so moving that it brought tears to Karan’s eyes. The director wiped away his tears and shared a heartfelt hug with Deepika and Ranveer. Karan, who is a single father to twins Roohi and Yash, expressed that even with his children and mother around, he sometimes feels lonely because he doesn’t have a romantic partner. 

Karan said, “I am not in a relationship, I am kind of single, and it just makes me feel like what I am losing out on. You feel like you don’t have a partner of your own to share the nothings of your day with. And everyday I wake up and a little part of me feels the vacuum. I have my kids and mom, but when I see this and see you, and I know relationships are tough, but that soul connection with a person that you can wake up with and hold their hand and see your day with in tough times… I felt so happy for you but I felt so alone again. And I hope this manifests into like, I hope I have a story to tell. I know it’s not easy.”

Reacting to this, Deepika said, “Karan, I want to tell you that you will when the time is right and it will all fall into place. And I think we know a lot of people today who just rush into marriage and relationships because of this feeling of like, ‘Oh, everyone seems to be moving on.’ But the reverse is also true, which is a lot of people are stuck in a relationship. So if you know you have found the right person, only then it is worth it or otherwise you are better on your own.”

हम तो डूबे हैं सनम, तुझको भी ले डूबेंगे…

0

हम तो डूबे हैं सनम, तुझको भी ले डूबेंगे…
शशी कुमार केसवानी
वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर तस्वीर अब साफ होती जा रही है। भाजपा ने 228 और कांग्रेस ने सभी सीटों पर 2३० प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। दोनों ही दल अपने बागियों से जबरदस्त तरीके से जूझना पड़ रहा है। साथ ही साथ इन्हें मनाने-समझाने की कोशिश भी जारी है। साथ ही लालीपॉप देने की बातें हो रही हैं। अगर सत्ता में तो आपको किस-किस तरह के पद दिए जाएंगे। इस पर भी अभी से ही मोलभाव चल रहे हैं। साथ में यह भी बताया जा रहा है कि मैदान में आपके डंटे रहने से क्या नुकसान होंगे। हालांकि इन बागियों के पीछे दोनों पार्टियों के कुछ बड़े नेताओं के हाथ रहता है, जिससे समय आने पर अपने ताकत का उपयोग करके उन्हें अपने पक्ष में लाकर पार्टी में कद बड़ा करते हैं। यह एक पुरानी परंपरा है जो हर चुनाव में नजर आती है। पर इस बार स्थिति कुछ बदली हुई है, इस बार धन को उपयोग जबरदस्त तरीके से हो रहा है।
यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाराज नेताओं को मनाने में जुट गए हैं। उधर, कुछ नेताओं ने तो दूसरे दलों का दामन थामकर टिकट भी ले लिया है और ये चुनावी समीकरण बिगाडऩे में अपनी भूमिका निभाएंगे। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भी बागियों ने चुनाव परिणाम प्रभावित किया था। इस बार भी कुछ बागी कुछ सीटों पर जरूर समीकरण बदलकर रख देंगे। ज्यादा नुकसान भाजपा का होगा, क्योंकि लंबे समय से सत्ता में रही पार्टी में बागियों की गिनती ज्यादा है और वहीं साथ के नेताओं को भी जब तक नीचे नहीं गिराएंगे, तब तक ऊपर कैसे आएंगे। कुछ साल पहले तक भाजपा में यह संस्कृति कम पनपी थी अब चरम पर है।
टिकट वितरण होने के साथ ही प्रदेश की कुछ सीटों पर भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के सामने उनके अपने ही चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं। सीधी से भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल टिकट न मिलने से नाराज होकर मैदान में उतर गए हैं। उनके चुनाव लडऩे से भाजपा और कांग्रेस, दोनों को नुकसान होगा। यही स्थिति चाचौड़ा में भी बन गई है। यहां से पूर्व विधायक रहीं ममता मीणा भाजपा का साथ छोडक़र आप के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गई हैं।
यहां कांग्रेस ने लक्ष्मण सिंह और भाजपा ने प्रियंका मीणा को प्रत्याशी बनाया है। सागर से पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर यादव बंडा, लहार से पूर्व विधायक रसाल सिंह और पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के पुत्र राकेश सिंह भी चुनाव लड़ रहे हैं। मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी को भाजपा ने प्रत्याशी नहीं बनाया। उन्होंने अपनी विंध्य विकास पार्टी बना ली है और वे पूरे विंध्य क्षेत्र में प्रत्याशी लड़ाने की तैयार में हैं।
यादवेंद्र सिंह ने बसपा की सदस्यता ली
इसी तरह कांग्रेस की बात करें तो यहां बगावत पार्टी को चिंता में डाल रही है। सुमावली से विधायक अजब सिंह कुशवाह ने टिकट न मिलने से नाराज होकर चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। उन्होंने इसके पहले 2018 में उन्होंने बसपा के टिकट चुनाव लड़ा था।
जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ एदल सिंह कंसाना भी भाजपा में चले गए थे तो उपचुनाव में कांग्रेस ने कुशावह पर दांव लगाया और वे विजयी रहे थे। इसी तरह नागौद सीट से पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने टिकट न मिलने पर बसपा की सदस्यता ली और अब चुनाव मैदान में हैं। वे पिछला चुनाव 1,234 मतों से हार गए थे।
मुरैना से विधायक राकेश मावई भी टिकट कटने से आहत हैं और उन्होंने कांग्रेस के लिए प्रचार न करने का निर्णय लिया है। अंतर सिंह दरबार महू, दीपक भूरिया झाबुआ, प्रेमचंद्र गुड्डू आलोट, नासिर इस्लाम भोपाल उत्तर, आप उम्मीदवार नरेला क्षेत्र से रईसा मलिक कांगे्रस प्रत्याशी शुक्ला को तो नुकसान पहुंचाएंगी ही, साथ ही साथ विश्वास सारंग के भी मुस्लिम वोट काटेंगी। वहीं आरिफ मसूद से नाराज रईसा मलिक कांगे्रस को मध्य विस क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाएंगी, जिसका पूरा फायदा भाजपा प्रत्याशी धु्रवनारायण सिंह को मिलेगा। विवेक यादव उज्जैन उत्तर भी कांग्रेस के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। पार्टी इन्हें मनाने में जुटी है, क्योंकि वह यह अच्छी तरह से जानती है कि इन्होंने यदि चुनाव लड़ा तो वोटों के बंटवारे से नुकसान हो सकता है।
पिछले चुनाव में बागियों ने भाजपा-कांग्रेस को पहुंचाया था नुकसान
2018 के विधानसभा चुनाव में बागियों ने भाजपा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था। भाजपा सरकार में मंत्री रहे डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया निर्दलीय दमोह और पथरिया से चुनाव लड़े थे। दमोह में उन्हें 1,131 मत मिले और भाजपा के जयंत मलैया 798 मतों से पराजित हो गए। इसी तरह पथरिया में कुसमारिया को 8,755 मत मिले और भाजपा के लखन पटेल 2,205 मतों से हार गए। ग्वालियर दक्षिण में भाजपा से बागी होकर समीक्षा गुप्ता ने चुनाव लड़ा और उन्हें 30 हजार 745 वोट मिले।
कांग्रेस के प्रवीण पाठक 121 मतों से जीत गए। पोहरी में कैलाश कुशवाह ने बसपा से चुनाव लड़ा और 52 हजार 736 वोट मिले। यहां भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई और प्रहलाद लोधी हार गए। भिंड में नरेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिली तो वे समाजवादी पार्टी से लड़े और 30474 लिए और भाजपा को तीसरे और कांग्रेस को चौथे नंबर पर पहुंचा दिया।
इसी तरह महेश्वर से राजकुमार मेव, थांदला से दिलीप सिंह कटारा, बदनावर राजेश अग्रवाल और सिहावल से विश्वमित्र पाठक ने चुनाव लडक़र भाजपा को नुकसान पहुंचाया। वहीं, कांग्रेस में झाबुआ से बागी होकर जेवियर मेड़ा खड़े हो गए। उन्होंने 35 हजार 943 मत लेकर डा. विक्रांत भूरिया की हार सुनिश्चित कर दी थी।
ग्वालियर ग्रामीण में साहब सिंह गुर्जर ने 49 हजार 516, बुरहानपुर में सुरेंद्र सिंह शेरा ने 98 हजार 561, पंधाना में रूपाली बारे ने 25 हजार 456, भगवानपुरा में केदार डाबर ने 73 हजार 758, उज्जैन दक्षिण में जयसिंह दरबार ने 19 हजार 560 और वारासिवनी से प्रदीप जायसवाल ने 57 हजार 793 वोट लेकर कांग्रेस की हार तय की। इनमें से सुरेंद्र सिंह शेरा, केदार डाबर और प्रदीप जायसवाल तो चुनाव भी जीते।