ट्रम्प समर्थकों के हंगामे के बाद संसद की कार्यवाही जारी, हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत

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TIO NEW DELHI

अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हजारों समर्थक अमेरिकी कैपिटल में घुस गए और पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई। इन घटनाओं में एक महिला समेत चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हैं। साथ ही नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन के नाम पर मुहर लगाने की संवैधानिक प्रक्रिया बाधित हुई। बुधवार को कांग्रेस के सदस्य इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की गिनती कर रहे थे, इसी दौरान बड़ी संख्या में ट्रंप के समर्थक सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करते हुए कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए। पुलिस को इन प्रदर्शनकारियों को काबू करने में काफी मश्क्कत करनी पड़ी। इन हालातों में प्रतिनिधि सभा और सीनेट तथा पूरे कैपिटल को बंद कर दिया गया। उपराष्ट्रपति माइक पेंस और सांसदों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। बिगड़ते हालात के बीच राष्ट्रीय राजधानी में कर्फ्यू लगा दिया गया। लेकिन बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सड़कों पर उतर आए।

‘उन जानकारियों को प्राप्त किया जा रहा है जिससे उन लोगों की पहचान करने में सहायता मिलेगी जो वाशिंगटन डीसी में सक्रिय रूप से हिंसा भड़का रहे हैं।’ नेवादा के इलेक्टोरल वोटों को रिपब्लिकन प्रतिनिधियों द्वारा चुनौती दी गई थी, लेकिन किसी भी सीनेटर ने आपत्ति पर हस्ताक्षर नहीं किए। इसलिए इन वोटों को स्वीकार किया जाता है।
पहले पूरा विवाद संक्षेप में समझिए
3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुआ। बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 वोट मिले। सब साफ होने के बावजूद ट्रम्प ने हार नहीं कबूली। उनका आरोप है कि वोटिंग के दौरान और फिर काउंटिंग में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। कई राज्यों में केस दर्ज कराए। ज्यादातर में ट्रम्प समर्थकों की अपील खारिज हो गई। दो मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं। चुनाव प्रचार के दौरान और बाद में ट्रम्प इशारों में हिंसा की धमकी देते रहे हैं। बुधवार को हुई हिंसा ने साबित कर दिया कि सुरक्षा एजेंसियां ट्रम्प समर्थकों के प्लान को समझने में नाकाम रहीं।

7 लोगों की मौत
अमेरिकी संसद के बाहर और अंदर हिंसा में तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। वॉशिंगटन डीसी के पुलिस चीफ रॉबर्ट कॉन्टे ने कहा- मेडिकल इमरजेंसी की वजह से तीन लोगों की मौत हुई है। इनमें एक महिला और दो पुरुष हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं। जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों ने किसी मौत की पुष्टि नहीं की। न्यूज एजेंसी ने मरने वालों की संख्या चार बताई है।

मोदी फिक्रमंद
अमेरिका में पैदा हुए हालात पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिंता जाहिर की। मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा- वॉशिंगटन डीसी में हुई हिंसा और दंगा-फसाद से चिंतित हूं। सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और तय प्रक्रिया के मुताबिक होना चाहिए। लोकतांत्रिक तरीकों पर गैरकानूनी प्रदर्शनों का असर नहीं पड़ना चाहिए।

संसद में भी पिछड़े ट्रम्प

एरिजोना और पेन्सिलवेनिया में बाइडेन की जीत के खिलाफ आपत्तियां दर्ज कराई गईं। लेकिन, कांग्रेस ने इन्हें खारिज कर दिया है। एरिजोना के लेकर मामला ज्यादा फंसा। पहले सीनेट में यहां के नतीजों पर आपत्ति दर्ज कराई गई। जब यहां खारिज हो गई तो मामला हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के पास पहुंचा। आखिरकार यहां भी ऑब्जेक्शन नकार दिया गया। सीनेट में तो ट्रम्प की पार्टी को मुंह की खानी पड़ी। प्रस्ताव के पक्ष में 6 और विरोध में 93 वोट पड़े। पेन्सिलवेनिया को लेकर रिपब्लिकन सांसद जो हैले ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे आपत्ति दर्ज कराएंगे। उन्होंने ऐसा किया भी। लेकिन, उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला।

ट्रम्प के सांसद बोले- ट्रम्प ने समर्थकों को भड़काया
रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मिट रोमनी ने घटना के बाद कहा- मैं इस घटना की निंदा करता हूं। मैं शर्मिंदा हूं कि हमारे राष्ट्रपति ने दंगाइयों को संसद में घुसने के लिए भड़काया। लोकतंत्र में जीत और हार को स्वीकारने की हिम्मत होनी चाहिए। दंगाइयों को साफ मैसेज है कि वे सच को कबूल करें। मैं अपनी पार्टी के सहयोगियों से भी यही उम्मीद करता हूं कि वे लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आएंगे।
इस बीच, CNN ने दावा किया है कि ट्रम्प कैबिनेट के कुछ मेंबर्स ने एक अर्जेंट मीटिंग की है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 25 के जरिए ट्रम्प को हटाने पर विचार किया गया है। हालांकि, इस बारे में कोई बयान जारी नहीं किया गया।

कैपिटल हिल में हिंसा
बुधवार को इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती और बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने के लिए अमेरिकी संसद के दोनों सदन यानी सीनेट और HOR की बैठक शुरू हुई। इसी दौरान ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी के सैकड़ों समर्थक संसद के बाहर जुट गए। नेशनल गार्ड्स और पुलिस इन्हें समझा पाती, इसके पहले ही कुछ लोग अंदर घुस गए। बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की। हिंसा हुई। इस दौरान गोली भी चली। किसने चलाई, क्यों चलाई? यह साफ नहीं है। लेकिन, एक महिला की मौत हो गई।
फिलहाल क्या हो रहा है?
दोनों सदनों से हंगामा करने वालों को निकाल दिया गया है। हंगामे के दौरान सांसदों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था। ये फिर सदन में पहुंचे। संसद की कार्यवाही फिर शुरू हुई।

ट्रम्प की सबसे बड़ी फजीहत
प्रेसिडेंट इलेक्ट की जीत पर मुहर लगाने के लिए कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद का संयुक्त सत्र बुलाया जाता है। इसकी अध्यक्षता उप राष्ट्रपति करते हैं। इस बार इस कुर्सी पर माइक पेंस थे। पेंस रिपब्लिकन पार्टी के हैं। ट्रम्प के बाद उनका ही नंबर आता है। वे ट्रम्प समर्थकों की हरकत से बेहद खफा दिखे। कहा- यह अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन है। हिंसा से लोकतंत्र को दबाया या हराया नहीं जा सकता। यह अमेरिकी जनता के भरोसे का केंद्र था, है और हमेशा रहेगा।

अमेरिकी संसद में फायरिंग
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक फोटो के जरिए बताया है कि जब ट्रम्प समर्थक संसद में हिंसा कर रहे थे, तभी कुछ पुलिस अफसरों ने दंगाइयों पर रिवॉल्वर तान दी। एक महिला की मौत हुई। हालांकि, यह बहुत साफ नहीं है कि महिला की मौत पुलिस की गोली से हुई या फायरिंग कहीं और से हुई।
आर्मी के स्पेशल गार्ड्स तैनात
घटना के बाद डीसी में मौजूद यूएस आर्मी की स्पेशल यूनिट को बुलाया गया। महज 20 मिनट में इसने मोर्चा संभाला। कुल मिलाकर 1100 स्पेशल गार्ड्स अब भी कैपिटल हिल के बाहर और अंदर तैनात हैं। राजधानी में कर्फ्यू है।

फेसबुक ने ट्रंप का वीडियो हटाया, ट्विटर ने प्रतिबंध लगाया
वॉशिंगटन में हिंसा के बीच फेसबुक ने डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो साइट से हटा दिया है। इस वीडियो में ट्रंप अपने समर्थकों को संबोधित करते दिख रहे हैं। फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि ऐसा करने से हिंसा में कमी लाने में मदद मिलेगी। वहीं, टि्वटर ने भी ट्रम्प का अकाउंट सस्पेंड कर दिया।