पशुपति पारस बोले, लोजपा को तोड़ा नहीं, बचाया, चिराग चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं

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TIO NEW DELHI

बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर होता नजर आ रहा है। रामविलास पासवान के निधन के चंद महीनों बाद ही उनकी पार्टी लोकजनशक्ति पार्टी (LJP) में बड़ी बगावत हो गई है। पार्टी के छह में से पांच सांसद अलग हो गए हैं। खास बात यह भी है कि इस बगावत की अगुवाई रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस पासवास कर रहे हैं। पशुपति पारस का कहना है कि उन्होंने पार्टी को तोड़ा नहीं है बल्कि बचाया है, क्योंकि उनके बड़े भाई के निधन के बाद असामाजिक तत्व पार्टी में आ गए हैं। इसको लेकर देशभर के कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी है। पशुपति पारस की बातों से साफ है कि वे पार्टी की कमान अपने हाथों में लेना चाहते हैं। उन्होंने चिराग पासवान से कहा कि वे चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं। पूरे मामले में लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी जा चुकी है और अब ये नेता चुनाव आयोग से भी मिलेंगे।

अब तक का जानकारी के मुताबिक, इन सांसदों ने नई पार्टी बनाकर उसकी मान्यता लेने की योजना बनाई है। कहीं-कहीं यह भी कहा जा रहा है कि ये जदयू में शामिल हो सकते हैं। बता दें, दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ में पार्टी की कमान है। पार्टी में अंदरखाने इसी का विरोध हो रहा था, जो खुलकर सामने आ गया है। आगे हो सकता है कि ये सांसद पार्टी नेतृत्व में बदलाव से मान जाएं यानी चिराग पासवान के हाथ से निकलकर पार्टी की कमान पशुपति पासवान के पास जा सकती है।

कौन हैं ये पांच सांसद: राम विलास पासवान के भाई और चिराग के चाचा पशुपति पारस पासवान, चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब केसर अली।

एक मात्र विधायक भी जदयू में शामिल: इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तब एलजेपी केवल एक सीट जीत पाई थी, लेकिन महिटानी के अपने विधायक रामकुमार शर्मा को भी चिराग पासवान सहेज नहीं सके और वह जेडीयू में शामिल हो गए थे। तभी से सांसदों में टूट का डर सता रहा था, जो अब खुलकर सामने आ गया है।