पंकज शुक्ला
प्रकाश चन्द्र शर्मा यानि भोपाल के लोकप्रिय नेता पीसी शर्मा। वे नए भोपाल की राजनीति का ऐसा चेहरा जो सबके लिए सुलभ है। वे पार्टी के संकट के दिनों में भी भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार विरोध की आवाज बुलंद करने वाले कांग्रेस के गिने चुने नेताओं में शुमार किए जाते हैं। वे भोपाल नगर निगम में पार्षद से लेकर विधायक तथा भोपाल विकास प्राधिकरण के अध्यंक्ष और मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के संचालक जैसे तमाम पदों का दायित्व संभाल चुके हैं।
PC Sharma: Save the Bhopal pond that has emerged from the all-round leader
उन्हें कमलनाथ मंत्रिमंडल में विधि और विधायी कार्य विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाते हुए मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध रखा गया है। ये दायित्व उनकी योग्यताओं को दिखाता है। मगर, पीसी शर्मा से कांग्रेस और सरकार के मुखिया कमलनाथ को चाहे जो उम्मीदें हों, उनका शहर उनसे खास तरह के काम की आस रखता है। इसी शहर के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज मेनिट के पूर्व छात्र पीसी शर्मा से उम्मीद है कि वे अपने सारे राजनीतिक तकाजों से परे जा कर भोपाल की जीवन रेखा बड़े तालाब के संरक्षण के लिए कुछ ठोस काम कर जाएं।
आज भी कई लोग बड़ा तालाब को केवल इस कहावत के जरिए जानते हैं कि ‘तालों में ताल भोजताल बाकि सब तलैया’। ऐसे लोगों के लिए भोपाल के बड़ा तालाब का परिचय केवल इतना नहीं है कि इसे राजा भोज के नाम से जाना जाता है… यह मानव निर्मित एशिया का सबसे बड़ा तालाब है… इसका आकार 32 वर्ग किलोमीटर में फैला है… यह भोपाल की 40 फीसदी आबादी के लिए पेयजल स्रोत रहा है… प्रतिवर्ष अलग-अलग मौसम में 20 हजार से अधिक प्रवासी पंछी हजारों किलोमीटर का फासला तय कर यहां आते हैं।
भोपाल के बड़े तालाब का अधिक व्यापक परिचय यह है कि यह तालाब 106 प्रकार की जलीय वनस्पतियों और इतनी ही प्रजाति के जलीय प्राणियों की विविधता वाला जलस्रोत है। इसी के कारण इसे दुनिया भर के कुछ खास जलस्रोत बचाने के लिए ईरान के रामसार में हुई संधि में शामिल किया गया और भारत ने इस तालाब के संरक्षण के लिए संधि पर हस्ताक्षर किए।
इसे दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहें कि न तो इस तालाब के संरक्षण के लिए वेटलेंड नियमों का पालन किया जाता है और न इसे संरक्षित करने के लिए मास्टर प्लान लागू किया गया है। वीआईपी रोड की ओर कोहेफिजा से लेकर सईद नगर, खानूगांव तक अंदर ही अंदर अतिक्रमण जारी है। प्रेमपुरा, भदभदा, नेहरू नगर की ओर तालाब में 4 हजार से अधिक झुग्गियां तान दी गई हैं। बैरागढ़ की ओर डेढ़ दर्जन मैरिज गार्डन बने है तो पुराने भोपाल क्षेत्र से नालों का करीब 20 मिलियन लीटर सीवेज पानी तालाब में मिलता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तालाब का फिर से सीमांकन कर एफटीएल से 300 मीटर तक तालाब का हिस्सा मानते हुए खाली कराने का आदेश दिया है। साथ ही तालाब में मिलने वाले नालों में एसटीपी लगाने के आदेश दिए हैं लेकिन एनजीटी के आदेशों पर सरकार अमल नहीं करा सकी है।
नगर निगम ने इसकी सीमा तय करने के लिए बैरागढ़ से खानूगांव तक 2680 मीटर रिटेनिंग वॉल बनाई। निगम की कारगुजारी समझते हुए एनजीटी ने इस निर्माण पर रोक लगाई लेकिन फिर निर्माण शुरू कर दिया गया। तालाब ने निगम की पोल 2016 में खोल दी जब बारिश के बाद तालाब का दायरा इस दीवार को डुबोते हुए आगे तक फैल गया। तब समझ आया कि निगम प्रशासन ने तालाब के आकार को सीमित करने के लिए इसके कैचमेंट एरिया में अंदर तक दीवार बना दी थी। अध्ययन बताते हैं कि फुलटेंक लेवल का 11 फीसदी क्षेत्र अतिक्रमण का शिकार और लापरवाही के कारण बड़े तालाब में 5.9 मीटर तक गाद जमा हो गई है।
इतने महत्वपूर्ण तालाब की अनदेखी की राजनीतिक और प्रशासनिक चूक इस तालाब का दुर्भाग्य कहा जाना चाहिए। यह इस तालाब का स्याह पक्ष है कि सरकार और प्रशासन, राजनेता और अफसर तय ही नहीं कर पाते कि तालाब को अपनी धरोहर माने या संपदा। इसका संरक्षण करें या इसके किनारे पर्यटन जैसी तमाम गतिविधियों को बढ़ावा दे कर अपनी जेब भरें। अब पीसी शर्मा को एक अवसर मिला है कि बड़े तालाब के लिए कुछ कर जाएं। यदि वे ऐसा कर पाएं तो उनका नाम उन इक्का-दुक्का जन प्रतिनिधियों में शुमार होगा जिनके कारण बड़ा तालाब अपने वास्त़विक स्वरूप में मौजूद है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है