विमान लापता होते समय कंट्रोल रूम में तैनात थी पायलट की पत्नी

0
221

नई दिल्ली

भारतीय वायुसेना के लापता विमान अठ-32 के लिए सर्च आॅपरेशन आज चौथे दिन भी जारी है। विमान का पता लगाने के लिए सैटलाइट और अन्य संसाधनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सुखोई -30, सी-130 जे और अन्य संसाधनों को आज फिर से सर्च आॅपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। विमान में 29 साल के पायलट आशीष तंवर भी सवार थे। उनकी पत्नी संध्या असम के जोरहाट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम (एटीसी) में तैनात हैं।

यहीं से विमान ने दोपहर के 12.25 बजे अरुणाचल प्रदेश के मेनचुका के लिए उड़ान भरी थी। आशीष के चाचा फ्लाइट लेफ्टिनेंट उदयवीर सिंह ने कहा, ‘विमान से एक बजे संपर्क टूट गया था और उसने (संध्या) हमें एक घंटे बाद फोन करके घटना के बारे में बताया।’

विमान का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि उसका अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। हर बीतते समय के साथ पायलट का परिवार मायूस होता जा रहा है। पलवल के हुड्डा सेक्टर-दो स्थित आशीष के घर पर मौजूद चाचा ने कहा, ‘पहले हमें उम्मीद थी कि विमान चीन में चला गया होगा और वहां आपातकालीन लैंडिंग की होगी लेकिन अगर ऐसा होता तो वह अबतक हमसे किसी तरह संपर्क करने की कोशिश करते। अगर उनका विमान पहाड़ों पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा तो…’

उन्होंने बताया, ‘उसके पिता अधिकारियों से मिलने और अपडेट लेने के लिए असम गए हैं लेकिन उसकी मां घर पर है। वह बुरी तरह टूट गई है और बिना रोए एक शब्द भी नहीं बोल पा रही है।’ आशीष के पिता के छह भाईयों में से पांच सेना में हैं। आशीष के पिता राधेलाल सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। परिवार से प्रभावित होकर ही आशीष देश सेवा को प्रेरित हुआ। उसकी बड़ी बहन वायुसेना में स्कवाड्रन लीडर है।

आशीष अपने पिता की नौकरी के कारण एक जगह से दूसरी जगह जाते रहे। उन्होंने कई केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाई की है और उसके बाद बीटेक किया। इसके बाद गुड़गांव की एक एमएनसी में दो से तीन महीने नौकरी की। इसके बाद 2013 मे वायुसेना में शामिल हो गए। रिश्तेदार ने कहा, ‘मई 2015 में ट्रेनिंग खत्म करने के बाद आशीष जोरहाट चला गया। जहां मथुरा की रहने वाली संध्या पिछले साल पहुंची। फरवरी 2018 में उनकी शादी हो गई। यह शादी माता-पिता ने कराई थी।’

आशीष के चाचा नारायण ने कहा, ‘दोनों आखिरी बार दो मई को घर आए थे क्योंकि वह 26 मई तक छुट्टियों पर थे। 18 मई को वह पलवल से चले गए और छुट्टियों के लिए बैंकॉक पहुंचे। यहां से वह सीधे असम गए। किसी ने भी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। लगभग 20 दिन पहले दोनों यहां हमारे पास थे।’ पायलट के घर पर हजारों लोग किसी तरह की खबर आने के इंतजार में बैठे हुए हैं।