कश्मीर में PDP के साथ सरकार बनाना थी महामिलावट: PM मोदी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभवत: पहली बार स्वीकार किया है कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार चलाना उनकी तरफ से की गई महामिलावट थी। न्यूज चैनल ‘आज तक’ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यह तेल और पानी का मिलन था। दरअसल, जब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि पांच साल केंद्र में रहने के बाद क्या आपको समझ में आ रहा है कि कश्मीर को लेकर बेस्ट अप्रोच क्या है? इस पर पीएम ने वाजपेयी फॉर्म्युले (इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत) को दोहराते हुए कहा कि मुट्ठीभर परिवारों ने जम्मू-कश्मीर को इमोशनल ब्लैकमेल करने का रास्ता चुना है।

PM ने आगे कहा, ‘मुफ्ती साहब थे तो हमें उम्मीद थी कि हम उससे बाहर आएंगे लेकिन वह हमारी महामिलावट थी। तेल और पानी का मिलन था और वह हमने कहकर किया था। हमने कहा था कि हम दोनों अलग-अलग ध्रुव के हैं, हमारा कोई मेल नहीं बैठेगा लेकिन जनता ने ऐसा जनादेश दे दिया है कि साथ चले बिना और कोई विकल्प नहीं है। आगे चलकर लोकतंत्र के लिए हमने छोड़ भी दिया।’

उन्होंने कहा कि अटल फॉर्म्युला ही काम आने वाला है। पीएम ने कहा कि मुट्ठीभर परिवार कश्मीर में एक भाषा बोलते हैं लेकिन दिल्ली में आकर दूसरी बोलते हैं। यह दोगलापन उजागर करना पड़ेगा और मैं अभी वो कर रहा हूं। उन्होंने कहा, ‘आपमें हिम्मत होनी चाहिए कि जो दिल्ली में बोल रहे हैं वही कश्मीर में बोलिए। ये लोग नहीं बोल रहे हैं और एक्सपोज हो रहे हैं।’

कश्मीर के पंचायत चुनाव का जिक्र करते हुए PM ने कहा कि दोनों पार्टियां वहां की ठेकेदार हैं। इन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया था उसके बाद भी 75 फीसदी मतदान हुआ। उन्होंने बताया कि पंचायत में जीते लोगों को सरकार से सीधा पैसा भेजा जा रहा है।

आर्टिकल 370 और 35A को हटाने की बात बीजेपी के मेनिफेस्टो में शामिल होने पर नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी द्वारा भारत से रिश्ता खत्म करने की बात कहने को लेकर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट तौर पर आगाह किया। उन्होंने कहा, ‘ये भाषा बोलने वालों को इस देश का नागरिक होने का हक नहीं है, चुनाव लड़ने का हक ही नहीं है। ये कोई अग्रीमेंट है क्या? जम्मू-कश्मीर हजारों साल से हिंदुस्तान का हिस्सा है, लोगों की तपस्या का केंद्र रहा है। हमने कोई सौदा किया है क्या?’

उन्होंने आगे कहा कि हम मानते हैं कि कश्मीर का सबसे बड़ा नुकसान इन धाराओं ने किया है। आज वहां हमने एम्स बनाया, आईआईएम बनाया, लेकिन बड़े प्रफेसर वहां जाने को तैयार नहीं हैं। वे कहते हैं कि रहने के लिए घर नहीं मिलता, घर खरीद नहीं सकते, किराया महंगा पड़ता है, बच्चों को ऐडमिशन नहीं मिलता है। निवेश नहीं आ रहा है, युवाओं को रोजगार नहीं मिलता, पर्यटन को आतंकियों ने खत्म कर दिया। धाराओं के कारण पूंजी निवेश खत्म हो गया। वहां के लोगों को भी अब समझ में आ रहा है कि वहां बड़े बदलाव की आवश्यकता है।