न्यूयॉर्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित किया। यह यूएन में उनका दूसरा भाषण था। मोदी ने कहा कि गांधीजी की 150वीं जयंती पर यहां संबोधन करना गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत ने मुझे जो पहले से ज्यादा मजबूत जनादेश दिया है, उसकी वजह से मैं यहा दोबारा खड़ा हूं। मोदी ने आतंकवाद पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम उस देश के वासी हैं, जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए और इसीलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ आक्रोश है।
India is the country that has made the biggest sacrifice at the UN Peacekeeping Mission.
Our country has given the world Gautam Buddha, and a message of peace, not war.
That is exactly why we have seriousness and anger in our voice against global terrorism: PM Modi #PMModiAtUN pic.twitter.com/Dd4z9WCRwj
— BJP (@BJP4India) September 27, 2019
LIVE: PM Shri @narendramodi‘s address to the UNGA. #PMModiAtUN https://t.co/195AOHyohw
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1. गांधी का संदेश आज भी प्रासंगिक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘इस वर्ष पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा था। सत्य और अहिंसा का उनका संदेश विश्व की प्रगति के लिए आज भी प्रासंगिक है। इस वर्ष दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव हुआ। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों ने वोट देकर मुझे और मेरी सरकार को पहले से ज्यादा मजबूत जनादेश दिया। इस जनादेश की वजह से ही अाज मैं यहां आज सब के बीच हूं। लेकिन इस जनादेश से निकला संदेश ज्यादा व्यापक और प्रेरक है।’’
2. भारत की व्यवस्थाएं प्रेरक संदेश देती हैं
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब एक विकासशील देश दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान सफलतापूर्वक संपन्न करता है। सिर्फ 5 साल में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर अपने देशवासियों को देता है तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं पूरी दुनिया को एक प्रेरक संदेश देती है। जब एक विकासशील देश दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम सफलतापूर्वक चलाता है। 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है तो उसके साथ बनी संवेदनशील व्यवस्था पूरी दुनिया को नया मार्ग दिखाती है।’’
3. भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का अभियान शुरू
उन्होंने कहा- ‘‘जब एक विकासशील देश अपने नागरिकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम चलाता है, उनको पहचान देता है और भ्रष्टाचार रोककर 20 अरब डॉलर बचाता है तो वह व्यवस्था पूरी दुनिया के लिए उम्मीद लेकर आती है। मैंने संयुक्त राष्ट्र की दीवार पर पढ़ा- नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक। आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, तब इस वक्त हम आज भी पूरे भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए बड़ा अभियान चला रहे हैं।’’ मोदी के इस वक्तव्य पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में जमकर तालियां बजीं। मोदी ने कहा- ‘‘हम 15 करोड़ घरों को पानी की सप्लाई से जोड़ने वाले हैं। हम दूरदराज के गांवों में सवा लाख किमी से ज्यादा नई सड़कें बनाने जा रहे हैं। 2022 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा तब हम 2 करोड़ घरों का निर्माण करेंगे।’’
4. हमारा प्राण तत्व जनभागीदारी से जनकल्याण
उन्होंने कहा, ‘‘सवाल यह है कि आखिर हम ये सब कैसे कर पा रहे हैं? आखिर नए भारत में तेजी से बदलाव कैसे आ रहा है? भारत हजारों वर्ष पुरानी एक महान संस्कृति है, जिसकी अपनी जीवन परंपराएं हैं, जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए हैं। हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति जीव में शिव देखती है। इसलिए हमारा प्राण तत्व है- जनभागीदारी से जनकल्याण। यह जनकल्याण भी सिर्फ भारत के लिए जगकल्याण के लिए हो। जनकल्याण से जगकल्याण। तभी तो हमारी प्रेरणा है- सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। यह सिर्फ भारत की सीमाओं में सीमित नहीं है। हमारा परिश्रम न तो दयाभाव है और न ही दिखावा। यह सिर्फ और सिर्फ कर्तव्यभाव से प्रेरित है।’’
5. सारे प्रयास 130 करोड़ भारतीयों को ध्यान में रखकर
मोदी ने कहा- ‘‘हमारे प्रयास 130 करोड़ भारतीयों को केंद्र में रखकर हो रहे हैं, लेकिन ये प्रयास जिन सपनों के लिए हो रहे हैं, वो सारे विश्व के हैं, हर देश के हैं, हर समाज के हैं। प्रयास हमारे हैं, परिणाम सभी के लिए है। सारे संसार के लिए हैं। मेरा ये विश्वास दिनाें-दिन तब और भी दृढ़ हो जाता है, जब मैं उन देशों के बारे में सोचता हूं जो विकास की यात्रा में भारत की तरह ही अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। जब मैं उन देशों के सुख-दुख सुनता हूं, उनके सपनों से परिचित होता हूं तब मेरा ये संकल्प और भी पक्का हो जाता है कि मैं अपने देश का विकास और भी तेज गति से करूं, जिससे भारत के अनुभव उन देशों के भी काम आ सकें।’’
6. भारत ने यूएन के पीसकीपिंग मिशन में सबसे बड़ा बलिदान दिया
मोदी ने कहा, ‘‘यूएन पीसकीपिंग मिशन में अगर किसी ने सबसे बड़ा बलिदान दिया है, तो वह देश भारत है। हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध िदए हैं। शांति का संदेश दिया है। इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी। हम मानते हैं कि ये किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। आतंक के नाम पर बंटी हुई दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर यूएन का जन्म हुआ है। इसलिए मानवता की खातिर आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना, एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं।’’
7. बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा- 21वीं सदी की आधुनिक टेक्नोलॉजी, समाज जीवन, अर्थव्यवस्था, कनेक्टिविटी अंतरराष्ट्रीय संबंधों में परिवर्तन ला रही है। इन परिस्थितियों में एक बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है। न ही हम सभी के पास अपनी-अपनी सीमाओं के भीतर सिमट जाने का विकल्प है। इस नए दौर में हमें मल्टीलैटरिज्म और संयुक्त राष्ट्र को नई शक्ति और नई दिशा देनी ही होगी। सवा सौ साल पहले भारत के महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व धर्म संसद में हारमनी एंड पीस एंड नॉट डिसेंशन का संदेश दिया था। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी पूरी दुनिया के लिए यही संदेश है।
2014 में मोदी ने यूएन में आतंकवाद के मुद्दे पर बात की थी
इससे पहले मोदी 2014 में महासभा की बैठक में शामिल हुए थे। मोदी ने 27 सितंबर 2014 को यूएन में दिए अपने भाषण में वैश्विक आतंकवाद पर व्यापक संधि को स्वीकार करने की अपील की थी और पाकिस्तान को द्विपक्षीय वार्ता के लिए माहौल बनाने को कहा था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में तत्काल सुधार की भी बात कही थी।
मोदी ने ह्यूस्टन में नाम लिए बगैर आतंकवाद के मुद्दे पर पाक पर निशाना साधा था
मोदी ने 22 सितंबर को ह्यूस्टन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ 50 हजार से ज्यादा भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया था। यहां मोदी ने कहा था, ‘‘भारत जो कर रहा है, उससे कुछ ऐसे लोगों को भी दिक्कत हो रही है, जिनसे खुद अपना देश संभल नहीं रहा है। अमेरिका में 9/11 हो या मुंबई में 26/11 हो, उसके साजिशकर्ता कहां पाए जाते हैं? साथियों! अब समय आ गया है कि आतंकवाद के खिलाफ और उसे बढ़ावा देने वालों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाए।’’