प्रचण्ड हूँ मैं ….

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प्रचण्ड हूँ मैं, प्रकाण्ड हूँ मैं
समय हूँ मैं
जब कुछ न था
तब भी विद्यमान था मैं
मैंने ग्रह नक्षत्रों को बनते देखा
सृष्टि की उत्पत्ति देखी
वेदों को भी रचते देखा
समस्त मानव का इतिहास देखा
प्रचण्ड हूँ मैं, प्रकाण्ड हूँ मैं
समय हूँ मैं ।

सतयुग देखा, हरिश्चंद्र का त्याग देखा
त्रेता में मर्यादा पुरुषोत्तम राम देखा
निष्कलंक सीता पर
लगाया गया दाग देखा
द्वापर में पांचजन्य की गूँज सूनी है
द्यूत क्रिड़ा में घसीटी गई भरतवंश की मर्यादा देखी
पांचाली के खुले बाल देखा
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में
रक्तों की बहती धार देखा
निरजा का भी काम देखा
और कितनी निर्भया वाला काण्ड देखा
प्रचण्ड हूँ मैं, प्रकाण्ड हूँ मैं
समय हूँ मैं ।

अच्छे अच्छे की यारी देखी
नर – नारी की ख्याति देखी
पल में जुड़ते रिश्ते देखा
पल में बिछड़ते अपनों को देखा
भरे बाजार में बिकते हुए जज्बात देखा
लगाव देखा
शब्दों से भी बनते घाव देखा
प्रचण्ड हूँ मैं, प्रकाण्ड हूँ मैं
समय हूँ मैं ।

बिगड़े हुए को बनते देखा
बनते को भी बिगड़ते देखा
पलकों पर रहने वालों को भी
नज़रों से उतरते देखा
महलों में होती अय्याशी देखी है
बदनाम गलियों में भी
महकती हुई फूलवारी देखी है
भरे – पूरे परिवार वाले को भी
बच्चे को कचड़े के डब्बे में डालते देखा है
बाजार में बिकाऊ तवायफ़ को
अपने बेबाप बच्चे को दुध पिलाते देखा है
प्रचण्ड हूँ मैं, प्रकाण्ड हूँ मैं
समय हूँ मैं ।

लोभ मोह हर मोह माया से परे हूँ मैं
न हर्ष मुझको, न शोक मुझको
फिर भी आँसू आ जाते हैं
न उत्थान – पतन का भय है मुझको
न जन्म मृत्यु का डर
न आदि मेरा, न अंत मेरा
निश्छल, निर्मल, निष्पाप हूँ मैं
गतिशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण हूँ मैं
प्रचण्ड हूँ मैं, प्रकाण्ड हूँ मैं
समय हूँ मैं ।

Alok Parashar
Muzaffarpur
Bihar