TIO NEW DELHI
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दिए बयान पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। दरअसल, नेड प्राइस से पूछा गया कि राहुल गांधी ने कहा है कि पीएम मोदी की अप्रभावी नीतियों के कारण चीन और पाकिस्तान पहले से कहीं ज्यादा करीब आ गए हैं, इसपर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मैं निश्चित रूप से इन टिप्पणियों का समर्थन नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान और चीन का मुद्दा है और इसे उन दोनों देशों पर ही छोड़ देना चाहिए।
राहुल गांधी को लोकतंत्र में विश्वास नहीं- कानून मंत्री
किरन रिजिजू ने लोकसभा में राहुल की टिप्पणी पर कहा था कि न केवल भारत के कानून मंत्री के रूप में बल्कि एक सामान्य नागरिक के रूप में, राहुल गांधी ने भारत की न्यायपालिका और चुनाव आयोग के बारे में जो कुछ भी कहा है, उसकी मैं निंदा करता हूं। ये हमारे लोकतंत्र की महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं। राहुल गांधी को तुरंत लोगों, न्यायपालिका और चुनाव आयोग से माफी मांगनी चाहिए।
कानून मंत्री ने आगे कहा, ‘हम जानते हैं कि राहुल गांधी लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं और उन्हें संवैधानिक संस्थाओं के लिए कोई सम्मान नहीं है। हम उनकी आदतन मूर्खतापूर्ण टिप्पणियों को गंभीरता से नहीं लेते हैं, लेकिन उन्होंने संसद भवन से संवैधानिक संस्थाओं के बारे में कहा है, इसलिए उन्हें बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।’
भाजपा सांसद बोले- राहुल ने देश तोड़ने की साजिश की
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस देने की बात कही है। भाजपा सांसद ने ट्विटर पर लिखा, ‘लोकसभा में कल राहुल जी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दूंगा। राहुल गांधी जी ने आज संसद में केंद्र और राज्य के संबंध में गलत बयानबाजी कर देश को तोड़ने की साजिश की है। भारत में राज्य की सीमा संसद तय करती है विधानसभा को राज्य की सीमा निर्धारित करने का अधिकार नहीं है।’
चीन-पाकिस्तान टिप्पणी पर विदेश मंत्री ने याद दिलाया इतिहास
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस टिप्पणी पर निशाना साधा है, जहां लोकसभा में भाषण के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि बीजेपी की नीतियों ने चीन और पाकिस्तान को एक साथ लाने का काम किया है। विदेश मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी को इतिहास के बारे में जानने की जरूरत है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘1963 में पाकिस्तान ने गैरकानूनी तरीके से शक्सगाम वैली चीन को सौंप दी। चीन ने 1970 के दशक में पीओके के जरिए काराकोरम हाईवे का निर्माण किया था। 1970 के दशक से दोनों देशों के बीच करीबी परमाणु सहयोग भी है। साल 2013 में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की शुरुआत हुई। तो, खुद से पूछें कि क्या तब चीन और पाकिस्तान दूर थे?