बिजली मन की रानी है

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दिमाग की बात
सुधीर निगम

मध्यप्रदेश में सड़क के साथ बिजली वह मुद्दा थी जो दिग्विजय सिंह और कांग्रेस की सत्ता से विदाई का कारण बनी थी, लगता है इसलिए शिवराज सिंह चौहान नहीं चाहते कि ऐसा ही कोई मसला उनकी गद्दी की तरफ आँख टेढ़ी कर सके। यही कारण है कि उन्होंने गरीबों के बिजली बिल बकाया माफ करने और 200 रुपए प्रतिमाह के फ्लैट रेट पर बिजली देने की योजना शुरू की है।
Power is the queen of mind
हज़ारो करोड़ रुपए की सब्सिडी देने के लिए भी व्यवस्था की गई है। केंद्र में भी भाजपा और राज्य में भी भाजपा सत्तारूढ़ है, लेकिन दोनों सरकारों का रवैया इस मामले में विपरीत दिखाई पड़ रहा है। एक और जहां केंद्र सरकार और उसके समर्थक सब्सिडी छोड़ने और धीरे-धीरे खत्म करने के पक्षधर हैं, वहीं प्रदेश में इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। अब कौन सही, कौन गलत, ये भगवान जाने।

हमें गर्व होना चाहिए कि हम उस प्रदेश के वासी हैं जो देश में सबसे महंगी बिजली खरीदने वालों में शुमार होकर देश के विकास में महती योगदान दे रहे हैं। फ्लैट रेट वालों से ‘मामा जी’ कहते हैं ‘एसी-हीटर मत जलाना, नहीं तो मामा दिवालिया हो जाएगा’। बस मन्ने ऐसे ही पूछ रहा हूँ कि ईमानदारी से बिल चुकाने वाले कितने लोग एसी और हीटर चलाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार ईमानदारी से बिल भरते हैं और एकाध बार गलती से भरने से चूक गए तो बिजली कंपनी वाले घर तक पहुंच कर उसकी इज़्ज़त का ज़नाज़ा निकालने पर तुल जाते हैं।

बकाया वसूली के नाम पर बिजली कंपनी को बस आम उपभोक्ता दिखता है और जो बड़े रसूखदार उसका करोड़ों दबाए बैठे हैं, उनका क्या। शायद 6 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा ऐसे इज़्ज़तदार लोगों पर बकाया है, जो बिजली कंपनी ने बट्टे खाते में डाल दिया है। और हो क्यों न, कुछ लोगों को मुफ्त के भाव बिजली देनी है, तो कुछ बड़े उद्योगपतियों से चंदा लेना है, फिर सबकी भरपाई के लिए है न वही ईमानदार मध्यमवर्गीय आम आदमी।

इसका एक और पहलू देखिए। साल भर किसी न किसी नाम से मेंटेनेन्स चलता रहता है, लेकिन बिजली ऐसी बेवफ़ा है कि ऐन मौके पर धोखा दे जाती है। एक चुटकुला भी इसे लेकर सोशल मीडिया में चलता है ‘बिजली वो चरित्रहीन है जो रात बेरात कभी भी घर से चली जाती है और कब आएगी इसका भी पता नहीं रहता’। अभी कुछ दिन पूर्व प्री मानसून मेंटेनेन्स हुआ और बाकी जगह छोड़िए राजधानी में बिजली के हाल देख लीजिए। कई कई जगह तो 5-7 घंटे बिजली गुल और कॉल सेंटर का फोन माशाअल्लाह। पिछले 3-4 दिन में 90 हज़ार से ज़्यादा शिकायतें। अरे भाई शिकायतों का क्या, कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।

बचपन में एक कविता सीखी थी, अब उसे दूसरे अंदाज़ में गाने का मन हो रहा है,

‘बिजली मन की रानी है,
चलती उसकी मनमानी है,
पास बुलाओ गुल हो जाती है,
भारी भरकम बिल ले आती है’।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है