नई दिल्ली। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के सफलता से चल रहे पावर और स्टील प्लांट जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को भी प्राइवेट सेक्टर के हाथ बेच सकती है। इस कदम का मकसद ग्रीनफील्ड इनवेस्टमेंट यानी नए प्रॉजेक्ट्स में निवेश को बढ़ावा देना है। प्लांट्स बेचने से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल नई कैपेसिटी बनाने के लिए किया जाएगा। एनटीपीसी और सेल इंडिया लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों के आॅपरेशनल और फायदे में चल रहे एसेट्स को बेचकर फंड जुटाने के प्रपोजल पर काम किया जा रहा है।
Power-Steel Plants Running In The Benefits Of Selling Government To Boost New Project
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने इस प्रपोजल की पुष्टि करते हुए बताया कि डिपार्टमेंट आॅफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंटऔर नीति आयोग ऐसे प्रॉजेक्ट्स, उनके वैल्यूएशन और उन्हें बेचने की प्रक्रिया तय कर सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम एनटीपीसी, सेल और भेल जैसी कंपनियों को ऐसे प्रॉजेक्ट्स की जानकारी देने के लिए कहेंगे, जिन्हें बेचा जा सकता है।’ बेचने के अलावा इन प्रॉजेक्ट्स को 20 वर्ष या अधिक की लॉन्ग टर्म लीज पर भी दिया जा सकता है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स से बाहर निकल जाना चाहिए और इन्हें चलाने और रखरखाव की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनियों को देनी चाहिए। इससे पहले हाइवेज के लिए सरकार इसी तरह का कदम उठा चुकी है। उन्होंने कहा, ‘नीति आयोग का मानना है कि सरकार को रिवर्स (बिल्ड, आॅपरेट एंड ट्रांसफर) का प्रॉसेस शुरू करना चाहिए और प्रॉजेक्ट्स को बेचकर प्राइवेट सेक्टर को इन्हें चलाने की जिम्मेदारी देनी चाहिए।’
सरकार का मानना है कि सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज की भूमिका नया इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने और मार्केट बनाने की है और सीपीएसई को केवल अपने पुराने इन्वेस्टमेंट से रिटर्न हासिल नहीं करना चाहिए। हालांकि, एक प्रमुख सीपीएसई के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर इससे सहमत नहीं हैं। उनका सुझाव है कि सरकार को ग्रीनफील्ड प्रॉजेक्ट्स पर काम करने में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों की मदद करनी चाहिए और उन्हें जल्द रेगुलेटरी मंजूरियां उपलब्ध करानी चाहिए।
उनका कहना था, ‘सरकार ने प्रोजेक्ट्स के लिए प्लग एंड प्ले मॉडल पेश किया था। उन्हें यह सोचने की जरूरत है कि इसके बावजूद प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी क्यों नहीं बढ़ रही।’ फाइनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने 2015 के बजट में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए प्लग एंड प्ले मॉडल की घोषणा की थी। इसमें ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाली कंपनियां प्रॉजेक्ट पर तुरंत काम शुरू कर सकती हैं और सभी रेग्युलेटरी मंजूरियां सरकार उपलब्ध कराती है।