नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी के गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, यानी आरएसएस के तृतीय वर्ष प्रशिक्षण शिविर के नागपुर में आयोजित समापन समारोह में शिरकत करने और उनके दिए भाषण से ज्यादा चर्चा में फिलहाल कुछ नहीं है, और अलग-अलग राजनैतिक वर्गों द्वारा उसे लेकर अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं. इन्हीं विभिन्न तर्कों के बीच यह भी कहा जा रहा है कि डॉ मुखर्जी के कार्यक्रम में शामिल होने तथा उनके दिए भाषण से आरएसएस को लाभ होगा, भारतीय जनता पार्टी को खुशी हो रही है, और कांग्रेस गुस्से से आगबबूला हो रही है.
Pranab’s speech will benefit RSS, BJP happy, Congress angry
आरएसएस के मुखपत्र ‘आॅगेर्नाइजर’ के पूर्व संपादक, भाजपा के राष्ट्रीय बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के पूर्व संयोजक तथा इखढ की केंद्रीय प्रशिक्षण समिति व प्रकाशन समिति के सदस्य डॉ आर बालशंकर ने लिखे एक आलेख में कहा है कि विजिटर्स बुक में आरएसएस के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार को ‘भारत माता का महान सपूत’ लिखा जाना ऐसा दुर्लभ अवसर है, जब एक राष्ट्रीय नेता ने राष्ट्रनिर्माण में डॉ हेडगेवार के योगदान को स्वीकार किया है…
डॉ आर बालशंकर के अनुसार, डॉ मुखर्जी के स्वागत में दिखाई गई गर्मजोशी तथा आरएसएस प्रमुख (सरसंघचालक) मोहन भागवत व पूर्व राष्ट्रपति के बीच दिखी कैमिस्ट्री को लेकर लम्बे अरसे तक बहस की जाती रहेगी, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ने नागपुर पहुंचकर जो संदेश दिया है, उससे राष्ट्रीय अस्मिता के मामले में फरर नई ऊंचाइयों को छू गया है.
डॉ बालशंकर का कहना है कि डॉ प्रणब मुखर्जी की इस नागपुर यात्रा का राजनैतिक महत्व व्यापक है, और अब कांग्रेस उस तरह संघ पर निशाना नहीं साध पाएगी, जिस तरह वह अब तक करती आई है… पूर्व राष्ट्रपति के इस दौरे से संघ की स्वीकार्यता तथा विश्वसनीयता बढ़ी है… ‘आॅगेर्नाइजर’ के पूर्व संपादक ने लिखा है कि डॉ मुखर्जी तथा फरर प्रमुख के विचारों के बीच साम्यता का राष्ट्रीय महत्व काफी ज्यादा है, और इससे जाहिर होता है कि जब बात राष्ट्रवाद, देशभक्ति तथा एकता की होती है, सभी समझदार भारतीय एक ही जैसा सोचते हैं…
‘आॅगेर्नाइजर’ के पूर्व संपादक डॉ बालशंकर के अनुसार, डॉ मुखर्जी के इस दौरे से फरर राजनैतिक तथा सांगठनिक रूप से काफी लाभान्वित होगी… अब वह आने वाले समय में इसके बारे में गर्व से बात करती रह सकती है, और आरएसएस को इससे भी ज्यादा खुशी इस बात की होगी कि पूर्व राष्ट्रपति का भाषण बिल्कुल वैसा था, जैसा किसी संघ बौद्धिक का होता है…
लगभग वही बातें कही गईं, जो आरएसएस सरसंघचालक ने उसी मंच से कहीं… डॉ बालशंकर का कहना है कि आलोचकों ने शायद उम्मीद की होगी कि डॉ मुखर्जी धर्मनिरपेक्षता पर लम्बा लेक्चर देंगे, या आरएसएस से असहमति के मुद्दों को सार्वजनिक रूप से उठाएंगे, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति का भाषण दरअसल कांग्रेस के लिए सबक-सरीखा रहा.