पूर्वोत्तर से सेना को हटाने की तैयारी, नरवणे बोले- पारंपरिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित करेंगे

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नई दिल्ली

एनडीएफबी से शांति समझौते के बाद भारतीय सेना पूर्वोत्तर से सैनिकों को हटाने की तैयारी कर रही है। सेना प्रमुख जनरव मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि पूर्वोत्तर से दो बटालियनों को पहले ही हटाया जा चुका है। बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के चुनाव समाप्त होने के बाद हम और सैनिक कम करेंगे।

उन्होंने कहा कि अगले दो से ढाई साल में हम उग्रवाद के खिलाफ अभियान ना चलाकर पारंपरिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से हालात सुधरे हैं।

एनडीएफबी के साथ केंद्र और राज्य सरकार ने समझौते पर किए हस्ताक्षर
असम के बोडो इलाके में स्थायी शांति के लिए केंद्र ने असम सरकार व तीन मुख्य विद्रोही गुटों के साथ त्रिपक्षीय समझौता किया। गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सोमवार को गृह मंत्रालय में हुए समझौते के तहत अब कोई गुट अलग बोडो राज्य की मांग नहीं करेगा।

असम के खतरनाक उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के चार गुटों के 1550 विद्रोही 150 हथियारों के साथ 30 जनवरी को आत्मसमर्पण करेंगे। सरकार हथियार डालने वाले विद्रोहियों के पुनर्वास और क्षेत्र के विकास के लिए 1500 करोड़ का आर्थिक पैकेज देगी।

इन तीन उग्रवादी गुटों ने किया समझौते पर हस्ताक्षर
एनडीएफबी, ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन (एबीएसयू) और यूनाईटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गनाईजेशन (यूबीपीओ) के शीर्ष नेताओं ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। केंद्र की ओर से गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने हस्ताक्षर किए। असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने गवाह के तौर पर हस्ताक्षर किए। एबीएसयू 1972 से अलग बोडोलैंड के लिए आंदोलन चला रही थी।

27 साल में तीसरा समझौता
इस मसले पर 27 साल में तीसरा करार है। पहला समझौता 1993 में ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन से हुआ था, जिसमें सीमित राजनीतिक शक्तियों के साथ बोडोलैंड ऑटोनोमस काउंसिल के गठन की बात थी। 2003 में दूसरा समझौता विद्रोही संगठन बोडो लिबरेशन टाइगर से हुआ।

उसमें असम के चार जिलों कोकराझार, चिरांग, बसका और उदालगुड़ी को मिलाकर बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (बीटीएडी) बनाने की सहमति हुई। नए समझौते के तहत बीटीएडी का नाम बदलकर बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) कर दिया गया।

असम सरकार ने की उल्फा-आई के साथ शांति वार्ता की पहल
असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने उग्रवादी संगठन उल्फा-आई के लीडर परेश बरुआ को बातचीत के लिए न्योता दिया है। उत्तर पूर्व भारत और असम में लंबे समय से हिंसक गतिविधियों में इस संगठन का हाथ रहा है। हाल ही में गणतंत्र दिवस के मौके पर डिब्रूगढ़ में उल्फा-आई ने चार जगह धमाके किए थे। हालांकि, इनमें कोई हताहत नहीं हुआ था।