नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों कैलास मानसरोवर की तीर्थयात्रा पर निकले हैं। राहुल के कार्यक्रम की जानकारी रखने वाले उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह 12 सितंबर को दिल्ली वापस लौटेंगे। इस दौरान एक अहम सवाल यह है कि आखिर राहुल की गैरमौजूदगी में पार्टी के अहम फैसलों को कौन लेगा।
Question: Rahul went on Kailas Mansarovar Yatra, who will take important decisions in his absence
2011 में करीब एक महीने की यात्रा पर सोनिया गांधी जब अमेरिका गई थीं, तब उन्होंने पार्टी के मामलों को मैनेज करने के लिए 4 सदस्यों की एक कमिटी का गठन किया था। इसे उन्होंने अपनी गैर-हाजिरी में पार्टी के मामलों पर फैसले के लिए अधिकृत किया था। हालांकि करीब 15 दिनों के लिए दिल्ली से दूर रहने के बावजूद राहुल गांधी ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई है।
यदि किसी बड़े मसले पर इस बीच फैसले की जरूरत पड़ती है तो कांग्रेस के महासचिव आपस में समन्वय कर निर्णय लेंगे। इसके अलावा पार्टी के सीनियर सदस्य जैसे कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, संगठन महासचिव अशोक गहलोत और एके एंटनी जैसे लोगों से मदद ली जा सकती है।
तीर्थयात्रा पर निकलने से पहले राहुल गांधी ने चुनाव से संबंधित पैनल की 30 अगस्त को अध्यक्षता की थी। इसके अलावा उन्होंने मेनिफेस्टो और पब्लिसिटी कमिटी भी बनाई हैं। सूत्रों के मुताबिक इनकी मीटिंग क्रमश: सोमवार और गुरुवार को होंगी। राहुल गांधी की गैर-मौजूदगी में कांग्रेस के कामकाज को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में एक सीनियर लीडर ने कहा, ‘राहुल जी की वापसी तक काम देखने के लिए किसी औपचारिक व्यवस्था की जरूरत नहीं है। कांग्रेस के महासचिव अहम मसलों पर को-आॅर्डिनेट कर फैसला ले सकते हैं, इसके अलावा सीनियर लीडर्स की सलाह ली जा सकती है।’
सीनियर ने कहा, ‘तकनीक के सहारे भी नेता किसी भी वक्त राहुल जी से बात कर सकते हैं। यदि कोई बेहद महत्वपूर्ण फैसला होता है तो पार्टी लीडर फोन और ईमेल के जरिए राहुल गांधी जी से तीर्थयात्रा के दौरान भी बात कर सकते हैं।’ इसके अलावा कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी भी किसी फैसले के लिए दिल्ली में मौजूद हैं।