राहुल का राग राफेल और रेवांचल की धुक धुकी

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ब्रजेश राजपूत की ग्राउंड रिपोर्ट

यार अब पता चला कि जब मैंने अपने दिल्ली के दोसतों को राहुल का रोड शो कवर करने जाने का मैसेज भेजा था तो क्यों सभी ने हंस कर आल द बेस्ट कहा था। बडा मुश्किल है ये काम। ये हमारे हेमेंद्र शर्मा थे जो सिर पर सफेद गमछे का फेंटा कस कर टक के किनारे में बैठकर भारी अव्यवस्था में थोडी बहुत व्यवस्था जमाकर आराम तलाशने की असफल कोशिश कर रहे थे। ऐसा नहीं है कि आवाज सिर्फ हेमेंद्र की आ रही थी हर बडे गड्ढे पर जो चीख निकलती थी उसमें सारे कैमरामेन और रिपोर्टर की आवाजों को पहचाना जा सकता था।
Rahul’s anger rafael and fog in fog
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का रोड शो का दूसरा दिन था। रीवा से त्योंथर की ओर जा रहे थे। यूपी की सीमा के पास इस गांव में राहुल की आखिरी सभा होनी थी और वहीं से राहुल इलाहाबाद उड जाने वाले थे। राहुल और कांग्रेस के नेता संकल्प यात्रा की एयर कंडीशन बस में बैठे चल रहे थे रास्ते में जहां भीड दिखती राहुल खिडकी पर आकर हाथ हिलाते थे जनता से मिलते थे। मगर हमारे एमपी की अमेरिका से अच्छी सडकों का आनंद तो हम रिपोर्टर कैमरामेन अकेले ही ले रहे थे।

जो रोड शो के कवरेज के लिये बनायी गयी एक खास गाडी में उछल रहे थे। गाडी क्या थी छोटा सा मिनी ट्रक था जिसमें नीचे हरे रंग का कवर था तो उपर धूप से बचने के लिये हरे रंग की ही मोटी तालपटरी। बीच बीच में फोटोग्राफरों के लटकने या फंसने के लिये नीचे उपर लोहे की राड लगी थीं जिनमें थमार्कोल लपेटकर उसे पकडने के लिये आरामदायक बनाया था। एक एक विजुअल के लिये जान जोखिम में डाल देने को उतावले हमारे कैमरामेन साथी ट्रक के पीछे लगी राड से सटकर कैमरा लगाये खडे थे।

इस टक पर कोई गैर पत्रकार ना चढे इसे देखने के लिये एआइसीसी से नियुक्त दो कार्यकर्ता भी सीढियों पर लटके रहते थे जो ट्रक की गति को हमारे भोपाल की मिनी बस जैसे अंदाज में पीछे से ठोंक कर चलने और रूकने को कहते थे। वैसे इस विशेष ट्रक पर वही चढ पाया जो एसपीजी की सुरक्षा जांच और उनकी लिस्ट में जिनका नाम था।

ये ट्रक भागा जा रहा था रीवा से त्योंथर जहां सभा होनी थी। राहुल खास बस से उतर कर तेज रफतार कार में सवार हो गये थे। हमारे ट्रक में डाईवर के साथ बैठने वाला एसपीजी का सुरक्षा अधिकारी भी काफिले के साथ गायब हो गया था। अब तक सबसे आगे चलने वाला ये मीडिया वाहन अब बिलकुल पीछे हो गया था और उसमें बच रह गये थे हम कुछ रिपोर्टर कुछ कैमरामेन। सामने रीवा इलाहाबाद के बीच का फोर लेन कई जमाने से बन रहा है। रास्ते में पडने वाले उखडे पैच और उड रही धूल में हम सब एक दूसरे को पकडे डाईवर को चिल्ला रहे थे जो काफिले में पीछे रह जाने के कारण बिना सडक देखे तेज दौडा रहा था। जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ।

हम सब कैमरा टीमें जब तक चुनरी गांव पहुंची राहुल की सभा खत्म होने को थीं। मंच के पास जाने की कोशिश की तो एसपीजी के अफसर ने कहा मीडिया का काम तो खत्म हो गया अब जाइये। जब उसे कहा कि राहुल ने मीडिया से बात करने का वायदा किया था तो उसने कहा साइड हो जाइये वीआईपी का मूड हुआ तो बात करेंगे। राहुल मंच से उतर कर आये और जब हम मीडिया वालों ने माइक लहराये तो कहा हैलीपेड आइये वहां बात करेंगे। हम सब अवाक ढाई किलोमीटर दूर हैलीपेड कैसे जायें हमारी अपनी गाडियां काफिले में दूर फंसी थीं और सामने उबड खाबड रास्ते पर सभा खत्म कर वापस लौट रही भारी भीड।

हमको वापस भोपाल रेवांचल एक्सप्रेस से वापस लौटना भी था जो रीवा में रात आठ बजे चलती है लगा कि हैलीपेड गये तो गई रेवांचल गयी। मगर रिपोर्टर तो फील्ड पर सारी परेशानियां झेलने के लिये ही पैदा होता है। फैसले लेने के लिये कुछ सेकेड ही थे वापस जाकर रीवा से ट्रेन पकडें या फिर हैलीपेड पर राहुल की बाइट लें। उधर जान पहचान के नेताओं की गाडियां लगातार निकलती जा रहीं थीं। सोचा राहुल पकडो रेवांचल छोडो। मगर जायें कैसे।

ऐसे में काम आती है त्वरित बुद्वि। एक दुपहिया वाले से चिरौरी की तो उसने अहसान करने के अंदाज में पीछे बैठा लिया। हमारे कैमरामेन होमेंद्र ने जब हमें देखा तो वह भी किसी मोटरसाइकिल पर सवार हो गया। मनोज शर्मा अजय सिंह की कार में ठस कर रवाना हो गये थे। तो हेमेंद्र अपनी फिटनेस के दम पर दौड लगा रहे थे। त्योंथर कस्बे के बाहर स्कूल में हैलीपेड बना था जहां राहुल पहुंच चुके थे और एक एक मिनिट गिनते हुये मीडिया का इंतजार कर रहे थे।

हमारी लौटने की गाडी रेवांचल एक्सप्रेस थी जो हम मान चुके थे कि अब राहुल के इस फरमाइशी प्रोग्राम के बाद गाडी गयी। राहुल ने मीडिया के माइक आते ही सभाओें के समान राफेल राग गाया और पलटकर चले गये हमारे दूसरे तीसरे सवाल के लिये कोई गुंजाइश ही नहीं छोडी। हैलीकाप्टर उड रहा था और हम यहां नीचे राहुल के दौरे के निष्कर्षों पर पीटीसी कर रहे थे।

काम खत्म होते ही फिर रेवांचल याद आयी। वापस चुनरी गांव पहुंचने के लिये फिर काम आये अंजान मोटरसाइकिल सवार। इधर सभा स्थल से दूर वापसी की तरफ पलट कर गाडी खडी थी और बैठते ही तेज एसी चला कर चल पडे रीवा की ओर रास्ते में फिर मिली वही अमेरिका से अच्छी सडकें मगर इस बार हम इनोवा में थे तो झेल गये ओर राम राम करते रीवा पहुंचे पूरा शहर पार कर जब स्टेशन पहंचे तो रेवांचल चलने की तैयारी में थी…

एबीपी न्यूज
भोपाल