राजस्थान: सरकारी खजाना खाली, गहलोत सरकार चुनावी घोषणओं को कैसे करेगी पूरा!

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जयपुर। राजस्थान में नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार के लिए घोषणापत्र में किया गया हर महीने 3500 रुपये बेरोजगारी भत्ता और कर्जमाफी का वादा पूरा करना बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डेप्युटी सीएम सचिन पायलट चुनाव प्रचार के दौरान बेरोजगारी भत्ते के लिए बार-बार दोहराते रहे हैं लेकिन अब अपने वादे को पूरा करने के लिए वह राज्य के पहले से ही तंग चल रहे कोष को खंगालने जा रहे हैं जो वर्तमान में सिर्फ 1.5 फीसदी बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की क्षमता रखता है। सचिन पायलट ने बताया, ‘हम पहले युवाओं के लिए जॉब क्रिएट करने की कोशिश करेंगे, उसके बाद उन्हें स्वपोषित रोजगार के लिए आसान ऋण मुहैया कराएंगे और अगर यह काम नहीं करता है तो हम उन्हें हर महीने 3500 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे।’
Rajasthan: How the government’s treasury is empty, Gehlot government will complete the election announcements!
हालांकि इस स्कीम में कई अड़चनें भी हैं। इस तरह की स्कीमों को तैयार करने वाले एक सीनियर ब्यूरोक्रेट ने बताया, ‘स्कीम की समय सीमा का जिक्र नहीं है… जैसे कि कितने साल तक भत्ता दिया जाना है। इसके अलावा आयु वर्ग और परिवार की वार्षिक आय का भी कहीं जिक्र नहीं है। राज्य सरकार जनसंपत्ति बचाने के लिए ज्यादातर युवाओं को इस स्कीम से बाहर रख सकती है।’

हर साल 210 करोड़ रुपये की जरूरत
राज्य में पहले से ही एक स्कीम अक्षत योजना चल रही है जिसके तहत 21 से 35 साल के 50 हजार शिक्षित बेरोजगार युवाओं को 2 साल तक भत्ता दिया जाएगा। इस स्कीम के तहत बेरोजगार पुरुष को हर महीने 650 रुपये और महिला व दिव्यांग को हर महीने 750 रुपये मिलते हैं।

श्रम विभाग के सूत्रों के अनुसार, ‘सरकार को विभाग में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं को सहायता देने के लिए हर साल 210 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। ऊपर से राज्य सरकार पर 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज भी बकाया है। वर्तमान में बड़ी संख्या में युवाओं को आकर्षित करने के लिए भत्ते के रूप में यह रकम काफी कम है लेकिन बाद में रकम के 5 गुना बढ़ाए जाने पर हमें उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा युवा इससे जुड़ेंगे। यह राज्य सरकार के वित्तीय कोष में गड़बड़ी पैदा कर देगा।’

बेरोजगारी बढ़ने के साथ बिगड़ जाएगी स्थिति
राज्य में बेरोजगारी तेजी से बढ़ने की वजह से स्थिति और बिगड़ती जाएगी। नवंबर 2019 तक, राष्ट्रीय औसत 6.62 फीसदी के सामने राजस्थान में बेरोजगारी दर 12.3 फीसदी है। श्रम एवं रोजगार केंद्रीय मंत्रालय के तहत नैशनल करियर सर्विस के मुताबिक, राजस्थान में 31 मार्च 2018 तक 857316 लोगों ने पंजीकरण कराया जबकि राज्य में जॉब वैकन्सी सिर्फ 12,854 रुपये है- यानी महज 1.5 फीसदी बेरोजगारों को ही नौकरी मिल सकेगी।