अलवर-दौसा। रविवार को पीएम मोदी अलवर की रैली में जब अयोध्या, जाति, अपने और गांधी परिवार के बारे में बात कर रहे थे तो वहां से थोड़ी ही दूर शहीद स्मारक पर पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के नेता धरने पर बैठे थे। यह धरना कथित रूप से बेरोजगारी के डर से चार लड़कों की खुदकुशी के मसले पर था। अलवर में इन दोनों दलों के अलग-अलग मुद्दों की बानगी राजस्थान के रण की तासीर को समझाने के लिए खुद पर्याप्त है।
Rajasthan’s Rann: Congress’s local issues vs Modi’s national point
राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही अब अंतिम चरण के चुनाव प्रचार में दम लगा रही हैं। ऐसे में दोनों की रणनीति भी साफ हो गई है। एक तरफ कांग्रेस जहां सीएम वसुंधरा राजे की सरकार की असफलताओं पर फोकस कर रही है तो बीजेपी नैशनल और पोलराइजिंग मुद्दों से वोटर्स को अपनी ओर करने की कोशिश में है।
रविवार को मोदी जबतक अलवर में रहे यहां के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले और राहुल गांधी के भरोसेमंद कांग्रेस नेता जीतेंद्र सिंह शहीद स्मारक पर धरने पर बैठे रहे। उन्होंने कहा कि मोदी को जवाब दो चाहिए कि ऐसी बेरोजगारी क्यों है कि चार नौजवानों को ट्रेन के आगे कूदना पड़ा।
राजस्थान में बेरोजगारी और भ्रष्टचार, ये दो शब्द कहीं भी सुने जा सकते हैं लेकिन सीएम राजे की बात करते हुए लोग ‘अहंकार’ के बारे में भी बात कर रहे हैं। उधर, मोदी अपने पुराने अंदाज में मैदान में हैं। उनके भाषणों में गांधी परिवार, कांग्रेस की सरकारों में दूसरे नेताओं की कथित अनदेखी, अपने ओबीसी रूट और खुद की बातें शामिल हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी के मोदी की जाति पर की गई टिप्पणी ने उन्हें एक मौका दे दिया है।
ऐसा माना जा रहा है कि मोदी ‘गहलोत बनाम वसुंधरा’ की बजाय ‘मोदी बनाम राहुल’ की रणनीति सेट करने पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस ने गहलोत के अलावा दूसरे चेहरों को भी आगे किया है। इस वजह से मोदी को अपनी रणनीति में मदद ही मिल रही है। हालांकि असर किस बात का है यह कहना मुश्किल है।
उदाहरण के लिए मोदी की अलवर की रैली के बाद 18 साल के एक युवक अमित चौधरी ने कहा कि पीएम की आक्रामकता बीजेपी के वोटर्स में जोश भरने के अलावा ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। उनका तर्क है कि पीएम मोदी हमेशा विपक्ष पर ही निशाना नहीं साध सकते लेकिन एक ग्रामीण की सुनें तो उनकी टिप्पण थी कि ‘कटोरा पकड़ा दिया।’
दरअसल वह पीएम मोदी की पाकिस्तान के आर्थिक हालात पर की गई टिप्पणी के संदर्भ में बोल रहे थे। ग्रामीण ने कहा, ‘आदमी जोर को है यानी ताकतवर है।’ दौसा के सिकंदरा में सिकराई विधानसभा से बीजेपी कैंडिडेट के कैंपेन में वक्ता ‘पाकिस्तान’ और ‘इटली की रानी’ पर बोलते हुए सुने गए गए। साफ है कि मोदी की चुनावी ग्रामर स्थानीय बीजेपी लीडरशिप तक पहुंच हही है और वह राजे सरकार पर बोलने की बजाय इन मुद्दों पर बात कर रहे हैं।
हालांकि मोटामोटी देखें तो राजे की सरकार ही मुख्य मुद्दा है। सैनी, मीणा, गुज्जर, मेयो और दलितों सबके बीच असल मुद्दा यही है। बीजेपी का एक धड़ा भी राजे सरकार और उनके कर्मचारियों से नाराज बताया दा रहा है। अगर लोग वसुंधरा का समर्थन करते दिख रहे हैं तो वे बीजेपी के समर्थक हैं। हालांकि इस बीच कांग्रेस को लेकर एक मुद्दा तेजी से उठा है कि उसने कथित पर अच्छे कैंडिडेट का चुनाव नहीं किया, लेकिन पार्टी ने इसे संघ का प्रॉपगैंडा बता तुरंत खारिज भी कर दिया है।