नई दिल्ली। असम में नैशनल रजिस्टर आॅफ सिटिजन (एनआरसी) का फाइनल ड्राफ्ट जारी होने के बाद मचे सियासी घमासान पर केंद्र सरकार ने एकबार फिर अपना रुख साफ किया है। विपक्ष के भेदभाव के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह ड्राफ्ट असम समझौते के तहत ही बनाया गया है और इसमें किसी के साथ भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है।
Rajnath in the Rajya Sabha, on the NRC report, replied to the opposition, said – discrimination will not happen to anyone
राजनाथ ने साथ ही जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बने इस ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं उनको दावा करने का पर्याप्त मौका दिया जाएगा। केंद्र ने कहा कि इस मसले पर बिना वजह माहौल बिगाड़ने की कोशिश हो रही है, जो सही नहीं है।
केवल फाइल ड्राफ्ट, अंतिम एनआरसी नहीं
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को राज्य सभा में अपने बयान में कहा, ‘ यह फाइनल ड्राफ्ट है न कि फाइनल एनआरसी। 24 मार्च 1971 के पहले से राज्य में रह रहे व्यक्तियों के नाम इसमें शामिल किया गया है। जिन लोगों के पास लैंड रिकॉर्ड, पासपोर्ट, बीमा पॉलिसी थी उनका नाम भी एनआरसी में शामिल किया गया है। जिनके पास जरूरी दस्तावेज है उनका नाम नहीं छूटेगा।
अन्य राज्यों के नागरिक जो असम में रह रहे हैं वह भी 1971 के पहले का देश में कहीं का सर्टिफिकेट दिखाने पर एनआरसी में शामिल किए जाने के योग्य माने जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 1985 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के समय शुरू हुई थी। एनआरसी को अपडेट करने का फैसला 2005 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में किया गया था।
किसी के साथ भेदभाव नहीं
गृहमंत्री ने साफ कहा कि यह फाइनल ड्राफ्ट है। इसे बनाने की प्रक्रिया बिल्कुल ही पारदर्शी है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में समयसीमा के भीतर सभी योग्य भारतीय लोगों का नाम शामिल किया गया है। जिनका नाम शामिल नहीं है वह कानूनी प्रक्रिया के अनुसार दावा कर सकते हैं। जिन व्यक्तियों का नाम फाइनल एनआरसी में भी शामिल नहीं होगा तो उनके पास फॉर्नर्स ट्राइब्यूनल में जाने का पूरा अधिकार होगा।’
एनआरसी विरोधियों पर साधा निशाना
राजनाथ सिंह ने एनआरसी पर मचे हायतौबे पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मसले पर अनावश्यक रूप से डर का माहौल पैदा किया जा रहा है। कुछ गलतफहमियां भी फैलाने की कोशिश की गई है। सोशल मीडिया पर प्रोपगैंडा फैला जा रहा है ताकि सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘यह नहीं होना चाहिए। हर देश का यह दायित्व बनता है कि वह यह पता करे कि उसके देश में कितने उसके नागरिक हैं और कितने विदेशी।’