आरबीआई गवर्नर कल करेंगे मौद्रिक नीति की समीक्षा, ब्याज दरों को घटाने रेपो रेट में हो सकती है कटौती

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए गवर्नर शक्तिकांत दास की तरफ से गुरुवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश की जाएगी और अंतरिम बजट के बाद इस पर बाजार से लेकर सरकार तक की नजर है। बाजार के जानकारों का मानना है कि दास की अगुआई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का रुख ब्याज दरों को लेकर नरम रहता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। वहीं, सरकार निश्चित तौर पर यह पसंद करेगी कि आम चुनावों से ठीक पहले पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कमी की जाए ताकि होम लोन और आॅटो लोन की दरों में और कमी हो सके।
RBI gavarnar kal karenge maudrik neeti kee sameeksha, byaaj daron ko ghataane repo ret mein ho sakatee hai katautee
भाजपा ने वर्ष 2014 के अपने चुनावी घोषणा में यह वादा किया था कि वह होम लोन व अन्य कर्जे की दरों को कम करेगी। एसबीआई की आर्थिक शोध इकाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आरबीआई ब्याज दरों को घटाने के लिए रेपो रेट में 0.25 की कटौती कर सकता है। रेपो रेट (वह दर जिस पर बैंक अपनी अतिरिक्त पूंजी आरबीआई के पास जमा करते हैं) ही अल्पावधि मे ब्याज दरों को तय करने में अहम भूमिका निभाती है। बैंक आॅफ अमेरिका मेरिल लिंच ने भी एसबीआई की तरह 0.25 फीसदी की कटौती की संभावना जताई है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और महंगाई की दर में भारी गिरावट को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनती है। कटौती की उम्मीद इसलिए भी बढ़ गई है कि अभी महंगाई में कुछ और वृद्धि होगी, तब भी यह आरबीआई के लक्ष्य से नीचे ही रहेगी। आरबीआई ने पिछले साल दिसंबर में समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में कटौती तो नहीं की थी लेकिन यह आश्वासन दिया था कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो आगे इस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं। उसके बाद सरकार की तरफ से आए आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर में थोक महंगाई की दर 2.19 फीसदी रही थी जो पिछले डेढ़ वर्षों का न्यूनतम स्तर था।
एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के रिटेल रिसर्च टीम के हेड दीपक जसानी का कहना कि ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद करना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी हालांकि हालात इसका समर्थन करते हैं। महंगाई की दर के कम रहने के साथ ही आर्थिक विकास दर की रफ्तार के तेज रहने और चुनाव का समय नजदीक होना भी कुछ अन्य ऐसी वजहें हैं जो ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते हैं। लेकिन अंतरिम बजट के कुछ ऐसे प्रस्ताव हैं जो आने वाले दिनों में महंगाई को बढ़ाने वाले साबित सकते हैं।
ऐसे में हो सकता है कि एमपीसी थोड़ा और इंतजार करने की रणनीति अख्तियार कर ले। बताते चलें कि एमपीसी की बैठक मंगलवार को ही शुरू हुई है। तीन दिनों की बैठक में जो फैसला लिया जाएगा उसकी घोषणा सात फरवरी को होगी।