राष्ट्रपति से दोषी की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश, कोविंद बोले- नाबालिगों के दुष्कर्मी को यह अधिकार भी नहीं

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नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को निर्भया केस के दोषी की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजी। दिल्ली सरकार ने यह सिफारिश उप-राज्यपाल अनिल बैजल के जरिए गृह मंत्रालय को भेजी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राजस्थान के सिरोही में महिला सशक्तिकरण पर हो रहे एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। यहां कोविंद ने कहा कि महिला अपराध गंभीर मसला है। इसमें भी दोषियों की दया याचिकाओं पर समीक्षा की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि पॉक्सो एक्ट में दोषी पाए गए लोगों को तो दया याचिका भेजने का भी अधिकार नहीं होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा- समानता और सामंजस्य भरे समाज का निर्माण महिला सशक्तिकरण से ही संभव है। इस मुद्दे पर काफी काम हो चुका है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। लड़कियों पर होने वाले ऐसे राक्षसी हमलों से देश का हृदय दहल जाता है। यह हर माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बेटों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाएं।

केंद्र ने खुद भी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की
दिल्ली सरकार ने 4 दिसंबर को दिल्ली के उप-राज्यपाल के पास दया याचिका खारिज करने की सिफारिश भेजी थी। अधिकारियों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने दया याचिका पर अंतिम फैसले के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश भेजी है। इसके साथ ही केंद्र ने खुद भी यह अनुशंसा की है कि दया याचिका खारिज कर दी जाए। 4 दोषियों में से एक विनय शर्मा ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई थी।

2012 में निर्भया की दुष्कर्म के बाद हत्या की गई

  • 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिक छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ था। दोषियों ने उसके साथ अमानवीय तरीके से मारपीट भी की थी। घटना में गंभीर घायल हुईं निर्भया को इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से सिंगापुर ले जाया गया था, जहां उसने 29 दिसंबर, 2012 को दम तोड़ दिया था।
  • 2 दिसंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के साथ गैंगरेप और हत्या के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक जनहित याचिका खारिज कर दी थी। मुकेश, पवन, विनय और अक्षय नाम के चार व्यक्तियों को इस मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
  • दिसंबर, 2018 में गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता ने अदालत में याचिका दाखिल कर सभी चार दोषियों को फांसी दिए जाने की प्रक्रिया तेज करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया कि इस मामले में सजा पाने वाले दोषियों के सभी कानूनी अधिकार खत्म हो चुके हैं।