रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर केन्द्र सरकार ने राज्यों को लिखा पत्र, पहचान पत्र देने से भी किया मना

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों को पत्र लिखकर गैर कानूननी तरीके से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को उन्हीं जगहों तक सीमित रखने का निर्देश दिया है जहां वे पहले से रह रहे हैं। इसके साथ ही केंद्र ने रोहिंग्या शरणार्थियों को आधार कार्ड या किसी भी तरह का पहचान पत्र देने से मना किया है। सरकार के एक सूत्र की मानें तो यह तैयारी इसलिए की जा रही है ताकि इन जानकारियों को म्यांमार के साथ साझा किया जाए और भारत में रह रहे रोहिंग्याओं को उनके देश वापस भेजा जा सके।
Regarding writing Rohingya refugees, the Central Government has also refused to give the letter to the states, identity card
सरकार द्वारा जारी इन निदेर्शों से यह पता चलता है कि वह रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच उग्रवादियों की मौजूदगी की आशंका और उनके अपराध में शामिल होने को लेकर चिंतित है। राज्यों को लिखे गए अपने पत्र में केंद्र ने इस बात का भी जिक्र किया है कि रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स आॅफ इंडिया को सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने लिखा है कि भारत में गैरकानूनी रूप से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी नकली पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनाने, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स आॅफ इंडिया को बताया कि ऐसे ही पत्र अन्य राज्यों को भी भेजे गए हैं। पिछले साल इंटेलिजेंस एजेंसियों द्वारा लगाए गए अनुमान के मुताबिक भारत के अलग-अलग हिस्सों में करीब 40,000 रोहिंग्या गैर कानूननी रूप से रह रहे हैं। इनमें से जम्मू कश्मीर में 7,096, हैदराबाद में 3,059, हरियाणा के मेवात में 1,114, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1200, दिल्ली के ओखला में 1,061 और जयपुर में 400 रोहिंग्या बसे हुए हैं। सेंट्रल एजेंसियों के मुताबिक पश्चिम बंगाल और असम में मौजूद दलालों का एक नेटवर्क रोहिंग्याओं के लिए देश में दाखिल होते ही नकली दस्तावेज बनाने का काम कर रहा है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम संगठनों द्वारा चलाए जा रहे कुछ एनजीओ भी इन्हें कैंप में रहने की सुविधा मुहैया करवा रहे हैं।

एक इंटेलिजेंस अफसर के मुताबिक हाल में ही रोहिंग्याओं के केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में जाने की खबरें आई हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और आंडमान निकोबार आईलैंड्स में शरणार्थी बड़ी संख्या में जाने लगे हैं। गृह मंत्रालय इस बात पर भी हैरान है कि आखिर क्यों मुसलमान होने के बावजूद रोहिंग्याओं ने घाटी में न जाकर जम्मू में बसने का फैसला लिया। रोहिंग्याओं पर सितंबर 2017 में जारी एक अडवाइजरी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है। इसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मुद्दे पर मानवीय तरीकों से काम करने की बात कही।