निर्मोही आखाड़ा ने कहा- सैकड़ों साल तक राम जन्मस्थान पर हमारा नियंत्रण था

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नई दिल्ली

उच्चतम न्यायालय में मंगलवार से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित भूमि मामले में नियमित सुनवाई शुरू हो गई है। अदालत ने ऑडियो/ वीडियो रिकॉर्डिंग और केस की लाइव स्ट्रीमिंग या प्रसारण के लिए केएन गोविंदाचार्य के अनुरोध को रद्द कर दिया क्योंकि यह वर्तमान में संभव नहीं है।

सुनवाई शुरू होने पर निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील कुमार ने अपने पक्ष रखते हुए कहा कि परिसर के अंदरूनी हिस्से पर हमारा कब्जा था और बाहरी हिस्से को लेकर पहले कोई विवाद नहीं था। सुशील कुमार ने कहा कि परिसर के बाहरी हिस्से पर विवाद 1961 से शुरू हुआ।

मध्यस्थता पैनल नहीं निकाल सकी थी समाधान

बता दें कि पिछले शुक्रवार को कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद कहा था कि मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला है इसलिए मामले पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई की जाएगी और सुनवाई तब तक जारी रहेगी जब तक सभी पक्षों की बहस पूरी नहीं हो जाती।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इसमें एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा व तीसरा हिस्सा सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को देने का आदेश था। इस फैसले को भगवान राम सहित हिंदू-मुस्लिम सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

  • निर्मोही आखाड़ा ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया।
  •  मैं इस क्षेत्र का प्रबंधन और नियंत्रण मांग रहा हूं : निर्मोही आखाड़ा ने न्यायालय से कहा ।
  • 1934 से ही किसी भी मुसलमान को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी और उसपर सिर्फ निर्मोही आखाड़ा का नियंत्रण था : आखाड़ा के वकील।
  • बाहरी परिसर जिसमें सीता रसोई, चबूतरा, भंडार गृह हैं, वे आखाड़ा के नियंत्रण में थे और किसी मामले में उनपर कोई विवाद नहीं था: निर्मोही आखाड़े के वकील ने कहा।
  • सैकड़ों साल तक अंदर के परिसर और राम जन्मस्थान पर हमारा नियंत्रण था : निर्मोही आखाड़ा।
  • निर्मोही आखाड़ा के वकील ने अयोध्या मामले में बहस शुरू की, कहा-मुकदमा मूलत: वस्तुओं, मालिकाना हक और प्रबंधन अधिकारों के बारे में है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई की रिकॉर्डिंग करने की आरएसएस के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य की अर्जी खारिज की।