rakesh achal
सत्ता किसी खांटी नेता के हाथ में हो या किसी संत-मेहनत के हाथ में होती हृदयहीन है ।उत्तरप्रदेश में एक झटके में २५ हजार नगर रक्षकों की सेवाएं समाप्त कर योगी सरकार ने इस धारण को एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है। देश में सरकारों ने अपने खर्च इतने बढ़ा लिए हैं कि वे अब उन्हें संधारित करने के लिए अपने ही कर्मचारियों के मुंह का निवाला छीनने पर आमादा हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार का तर्क है कि उसके पास बजट की तंगी है इसलिए ये कठोर कदम उठाना पड़ा है ।
किसी भी सरकार के लिए कोई भी जन विरोधी कदम उठाना अब आसान हो गया है क्योंकि देश से अब प्रतिरोध की ताकत लगभग समाप्त हो गयी है। जनता हो या राजनीतिक दल अब प्रतिरोध के बूते किसी सरकार को अपने फैसले वापस करने के लिए मजबूर नहीं कर पा रहे हैं पूरे देश की तरह यूपी में भी विपक्ष बिखरा और खंडित है ।यूपी में कांग्रेस शुरू से हाशिये पर है और समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी के शीर्ष नेताओं के पीछे तोता-मैना जैसी जांच एजेंसियां लगाकर केंद्र की सरकार उन्हें पहले ही बढ़िया बना चुकी है,ऐसे में अचानक बेरोजगार हुए होमगार्डों की लड़ाई लड़ने वाला या उनेह दिशा देने वाला यूपी में फिलहाल कोई नहीं है ।
उत्तर प्रदेश देश के सबसे बड़े सूबों में से एक है। यहां पहले से ही आबादी एक बड़ी समस्या है।और इसके साथ ही बेरोजगारी हमेशा से हर सरकार के लिए चुनौती रही है ।दुर्भाग्य ये है कि राज्य सरकार ने इस चुनौती से निपटने के बजाय इसे और विकराल कर लिया है ।दीपावली से ऍन पहले बेरोजगार हुए इन होमगार्डों के घरों में अचानक अन्धेरा बढ़ गया है ।25 हजार होमगार्डों के घरों में दिया जलना तो दूर दो जून की रोटी का प्रबंध भी अब कठिन होगा लेकिन बजट का रोना रोने वाली सरकार को इसकी फ़िक्र नहीं।सरकार की प्राथमिकता तो अयोध्या में अभिनव दीपावली मनाने की है ।
पूरे सूबे में अन्धेरा पसरा रहे इससे उस पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई देता ।
आपको शायद पता न हो लेकिन हकीकत ये है कि यूपी सरकार इन २५ हजार होमगार्डों को मिलाकर अब तक ४० हजार होमगार्डों की नौकरी छीन चुकी है और जो बचे हैं उन्हें भी महीने में १५ दिन की हाजरी दी जा रही है।प्रदेश में होमगार्ड की संख्या ९० हजार है लेकिन अब इन्हें धीरे-धीरे घर बैठाया जा रहा है ।मजे की बात ये है कि सरकार ने पिछले दिनों यूपी सरकार ने हाल ही में 19,हजार होमगार्ड भर्तियों की घोषणा की थी फिर अचानक इन्हें हटाने का फैसला भी इसी सरकार ने ले लिया । होमगार्ड भारत की पैरामिलिट्री फोर्स होती है जो देश में पुलिस बल के सहयोग के लिए होती है । यह एक स्वयंसेवी फोर्स है जिसका 1962 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध के बाद इस फोर्स का पुनर्गठन किया गया है
अब सवाल ये है कि हटाए गए होमगार्ड क्या करें,खान जाएँ,कोई उनकी सुनवाई करने वाला है भी या नहीं। यदि वे अदालत जाते हैं तो ये लड़ाई लम्बी खींच सकती है,यदि वे सड़कों पर उतरते हैं तो उनके संघर्ष को कुचला जा सकता है और यदि वे खामोश बैठते हैं तो उनके परिवारों पर भुखमरी का खतरा मंडराने लगेगा ।बेहतर हो कि सबसे अपने मन की बात करने वाले देश के संवेदनशील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी इन होमगार्डों के मन कि बात समझें और हस्तक्षेप कर इन २५ हजार परिवाओं को भुखमरी के स्नाक्त से बाहर निकालें ।अन्यथा इन सबकी है सूबे की ही नहीं केंद्र की सरकार को भी लग सकती है ,और गरीब की हाय लोहे को जला देती है लौह पुरुष तो दूर की बात हैं ।