सबरीमाला मंदिर: अब सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ करेगी सुनवाई

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नई दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को सबरीमाला मंदिर मामले को सुनवाई के लिए सात जजों की पीठ के पास भेज दिया है। हालांकि न्यायालय ने बड़ी पीठ में सुनवाई के बाद फैसला आने तक अपना पूर्व में दिया गया फैसला लागू रखने का निर्णय दिया है। सीजेआई ने कहा, ‘पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश केवल इस मंदिर तक सीमित नहीं है। यह महिलाओं के मस्जिदों और परसी मंदिर में प्रवेश को लेकर भी है। याचिकाकर्ताओं का उद्देश्य धर्म और विश्वास पर बहस को पुनर्जीवित करना था। पीठ ने कहा कि धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध केवल सबरीमला तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य धर्मों में भी ऐसा है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपनी ओर से तथा न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की ओर से फैसला पढ़ा।

शीर्ष अदालत ने 3:2 के बहुमत से पुनर्विचार याचिकाओं को बड़ी बेच को स्थानांतरित किया है। जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसपर असहमति जताई। मंदिर के अंदर महिलाओं के प्रवेश पर बड़ी बेंच का फैसला आने तक अदालत का पूर्ववर्ती फैसला लागू रहेगा।
पीठ ने कहा कि सबरीमला, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और दाऊदी बोहरा समुदाय में महिलाओं में खतना जैसे धार्मिक मुद्दों पर फैसला वृहद पीठ लेगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता धर्म और आस्था पर बहस फिर से शुरू करना चाहते हैं। सबरीमला मामले पर फैसले में न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन और डीवाई चंद्रचूड़ की राय अलग थी।

मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक का हवाला देते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को सबरीमला जैसे धार्मिक स्थलों के लिए एक समान नीति बनाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे धार्मिक मुद्दों पर सात न्यायाधीशों की पीठ को विचार करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सबरीमला मामले में पुनर्विचार समेत सभी अन्य याचिकाएं उच्चतम न्यायालय के सात न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजीं ।