प्रयागराज। प्रयागराज में चल रहे कुंभ के दौरान राम मंदिर निर्माण का मुद्दा छाया हुआ है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की तरफ से गुरुवार से शुरू हो रही धर्म संसद में संगम नगरी से साधु-संत एक सुर में मंदिर की आवाज बुलंद करने जा रहे हैं। इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी कुंभ नगरी में हैं। वीएचपी की धर्म संसद से पहले गुरुवार सुबह दोनों के बीच मुलाकात हुई है। दो दिन तक चलने वाली धर्म संसद में देशभर के तकरीबन 5,000 साधु-संत जुट रहे हैं।
Sadhus and saints in Dharma Parishad for the Ram temple, the voice of the lofty, Yogi from Bhagwat
वीएचपी ने इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की हैं। इस आयोजन में वीएचपी और संघ के बड़े पदाधिकारी भी पहुंच रहे हैं। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे समेत वीएचपी की पूरी कार्यकारिणी कुंभ में मौजूद है। आरएसएस प्रमुख के अलावा भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले भी धर्म संसद में शिरकत कर रहे हैं। इस बीच झूंसी स्थित आरएसएस के कार्यालय में सरसंघचालक मोहन भागवत और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात हुई है।
राम मंदिर पर 1 फरवरी को प्रस्ताव
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के तकरीबन हर जिले से संतों के प्रतिनिधित्व पर वीएचपी ने ताकत झोंकी है। शाम पांच बजे तक धर्म संसद के पहले दिन की कार्यवाही चलेगी। बताया जा रहा है कि वीएचपी की धर्म संसद के पहले दिन केरल के सबरीमाला मंदिर विवाद, धर्मांतरण का मुद्दा और हिंदुओं की संस्कृति पर हो रहे हमले जैसे मसलों पर मंथन होगा। वहीं, दूसरे दिन यानी 1 फरवरी को राम मंदिर का मुद्दा रखा जाएगा। इस दौरान मंदिर मुद्दे पर एक प्रस्ताव भी पास किया जा सकता है।
वीएचपी की अब तक की सबसे बड़ी धर्म संसद कुंभ में विदेश में रह रहे संतों को भी आमंत्रित किया गया है। वनवासी क्षेत्रों से लेकर कश्मीर, उत्तराखंड और केरल-तमिलनाडु के संतों को भी इसमें बुलाया गया है। वीएचपी की कोशिश राम मंदिर के मुद्दे पर पूरे देश के संतों को एक मंच पर लाना है ताकि उनसे ऐसा मार्गदर्शन मिले जो आगामी आंदोलन का रास्ता तय कर सके। वीएचपी के उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र ने केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए अधिग्रहीत भूमि राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने के लिए दी गई अर्जी को राम मंदिर निर्माण के लिए पहला कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इससे आंदोलन को गति मिलेगी, लेकिन हमें तो 67 एकड़ भूमि चाहिए। इसमें 2.7 एकड़ भूमि भी शामिल है, जिस पर रामलला विराजमान हैं।