नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी इन दिनों आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। साथ ही साथ आम आदमी तक अपनी पहुंच बनाने के लिए अब घर-घर जाकर लोगों से मिलने का यह रास्ता बहुत आसान दिख रहा है जो हकीकत में है भी बहुत आसान रास्ता। इससे लोगों को पार्टी की आर्थिक स्थिति व नीतियों के बारे में बताने में सहूलियत भी रहेगी। यह बात अलग है कि कांग्रेस ने जितना लक्ष्य बनाया है चुनाव का खर्च उससे बड़ा है, पिछली बार के मुकाबले इस बार का चुनाव बहुत ज्यादा हाईटेक होना वाला है। आर्थिक संकट से गुजर रही कांग्रेस लिए यह परीक्षा की घड़ी होगी। आने वाले चुनाव के लिए किस तरह से चंदा इकट्ठा कर पाती है यह तो समय ही बताएगा।
Sahara will now be a charity for Congress in election time
कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने के बाद पार्टी को मिलने वाले चंदे में भी कमी आयी है। अब आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए पार्टी ने जनता से पैसे जुटाने की योजना बनायी है। इस योजना के तहत पार्टी के 10 लाख बूथ कार्यकर्ता देश की जनता के बीच जाएंगे और पार्टी के लिए चंदा जुटाएंगे। चंदा जुटाने के लिए कांग्रेस आगामी 2 अक्टूबर से अभियान की शुरूआत करने जा रही है। कांग्रेस का यह अभियान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती 19 नवंबर तक चलेगा। इस तरह कांग्रेस ने 500 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है।
इसके साथ ही कांग्रेस ने अपने सभी बूथ कमेटी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वह लोगों के घर-घर जाकर 5 रुपए, 10 रुपए का चंदा इकट्ठा करें। इसके साथ ही पार्टी कार्यकर्ता चंदा इकट्ठा करने के साथ ही चुनाव प्रचार के लिए पंपलेट भी वितरित करेंगे। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इस तरीके से जमीनी स्तर पर पार्टी का जनाधार मजबूत होगा। साथ ही देश की जनता पार्टी के प्रति ज्यादा जुड़ाव महसूस करेगी। इस मुद्दे पर बोलते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अपने इस अभियान की शुरूआत 2 अक्टूबर से करेगी। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता लोगों के साथ प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर चर्चा भी करेंगे। हमारे कार्यकर्ता हर बूथ पर जाएंगे और लोगों के साथ जुड़ने का प्रयास करेंगे।
बता दें कि कांग्रेस में इन दिनों पैसे की इतनी किल्लत है कि पार्टी की कई राज्य इकाईयों को रोजमर्रा के खर्चे चलाने में भी दिक्कत आ रही है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोहरा पहले ही पार्टी सांसदों और विधायकों को पार्टी फंड में अपनी एक-एक महीने की सैलरी देने की अपील कर चुके हैं। बीते दिनों गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स की एक रिपोर्ट में पार्टियों को मिले चंदे का खुलासा किया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, इस साल भाजपा को 1194 लोगों या कंपनियों से 532.27 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। वहीं कांग्रेस को इस साल 599 लोगों या कंपनियों से सिर्फ 41.90 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।