एससी-एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कर फंस गए मध्यप्रदेश सहित तीन राज्य

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भोपाल/रायपुर/जयपुर। एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोपों की जांच किए बिना तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के पुलिस महानिदेशकों द्वारा लागू करने से मध्यप्रदेश सहित तीनों राज्य सरकारें फंस गई हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने तो पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश को स्थगित कर दिया है।

वहीं, मप्र सरकार ने करीब 12 घंटे के मंथन के बाद तय किया कि कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार होगी। राजस्थान की मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य की पुलिस द्वारा उठाए गए ऐसे किसी कदम की उन्हें जानकारी नहीं है। मप्र में 12 घंटे का मंथन मध्य सरकार छत्तीसगढ़ के फैसले के बाद मंगलवार को करीब 12 घंटे तक उलझी रही। आखिर में रात नौ बजे सरकार ने फैसला किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन ही मप्र पुलिस एससी-एसटी एक्ट के मामलों में कार्रवाई करेगी।

डीजीपी कार्यालय को निर्देश दिए हैं कि 28 मार्च को जारी परिपत्र के निदेर्शों का पुनरावलोकन कर अग्रिम कार्रवाई की जाए। सूत्रों ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के सामने यह तथ्य रखा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कानून का ही रूप ले लेता है, वहीं एक तर्क यह भी दिया कि छत्तीसगढ़ में कैसे संभव हो रहा है? काफी देर चली बैठक के कारण मीडिया मंत्री का इंतजार करता रहा। कोई फैसला न होते देखकर उन्होंने मीडिया से बातचीत को स्थगित कर दिया गया। अंतत: रात को सरकार ने फैसला किया और गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह की ओर से अधिकृत बयान जारी किया।

छग में पुलिस मुख्यालय का आदेश स्थगित वहीं, छत्तीसगढ़ में पुलिस मुख्यालय ने छह अप्रैल को सर्कुलर जारी कर दिया कि इस एक्ट के तहत लगाए गए आरोप में किसी को भी जांच किए बिना गिरफ्तार ना किया जाए। राज्य सरकार को जब इस बात की जानकारी हुई तो मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश को स्थगित कर दिया। रमन सिंह ने घोषणा की कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के सम्मान की रक्षा के प्रति जवाबदेह है।

आदेश मेरी जानकारी में नहीं : राजे
राजस्थान में पुलिस अधिकारियों ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दो दिन बाद ही निर्देश जारी कर दिए थे। यह मामला एक पखवाड़ा बाद जब मंगलवार को सामने आया तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा- ‘पुलिस विभाग ने मेरी जानकारी के बिना ही यह आदेश जारी किया है। हम इस आदेश का समर्थन नहीं करते। मैंने गृह मंत्री और पुलिस विभाग को स्पष्टीकरण जारी करने को कहा है ताकि कोई भ्रम न रहे।’

अनुसूचित जाति-जनजाति एक्ट के प्रावधानों में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए फैसले के बाद केंद्र व राज्य सरकारें रिव्यू याचिका की बात कर रही है। राजस्थान में भी सरकार इस रिव्यू याचिका के पक्ष में है। तीनों ही राज्यों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की आबादी कुछ इलाकों में ज्यादा है। तीनों ही राज्यों में इस वर्ष नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव हैं।