एससी-एसटी समुदाय पार्टी लाईन से हटकर बंद को सफल बनाने कर रही तैयारी

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नई दिल्ली। दलितों द्वारा 2 अप्रैल को बुलाए गए सफल बंद के बाद अब 9 अगस्त के बंद की तैयारियां की जा रही है। दलित ग्रुप एस/एसटी समुदाय से आने वाले सांसदों और विधायकों पर पार्टी लाइन से अलग हटकर अपने बंद को सफल बनाने के लिए साथ आने का दबाव बनाने की तैयारी कर रही हैं। पिछले दिनों एनडीए सरकार में सहयोगी पार्टी एलजेपी (लोक जनशक्ति पार्टी) के नेता चिराग पासवान ने इस मुद्दे पर सरकार से एससी/एसटी कानून को और सख्त करने और एनजीटी अध्यक्ष को हटाने की मांग की है।
SC-ST community party line breaks make successful successful
आयोजकों 131 सांसदों और 1000 से ज्यादा विधायकों को पत्र लिखकर कहेंगे कि वह आरक्षित सीटों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए उनका अपने समुदाय के प्रति भी दायित्व है। 9 अगस्त को बुलाए गए बंद के लिए 20 मांग की गई हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण मांग यह है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी ऐक्ट में किए गए बदलावों को निरस्त करने के लिए आॅर्डिनेंस लाया जाए। बता दें कि 2 अप्रैल को हुआ बंद इतने बड़े स्तर पर था कि सरकार को इसे संज्ञान में लेना पड़ा था।

आंदोलन का आयोजन करने वाले आॅल इंडिया आंबेडकर महासभा (एआईएएम) के अशोक भारती ने हमारे सहयोगी टाइम्स आॅफ इंडिया को बताया, ‘हम सिर्फ इतनी सी बात कह रहे हैं कि उन्हें अपने समुदाय का कर्ज चुकाना चाहिए।’ आयोजकों का मानना है कि यदि सांसदों और विधायकों पर दबाव बढ़ता है तो वह अपनी पार्टियों पर इस संबंध में कड़ा फैसला लेने का दबाव बना सकते हैं। इसके बाद जिग्नेश मेवानी और भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण जैसे नेताओं के आने से यह आंदोलन और बड़ा हो गया है।

वहीं आयोजकों में से कुछ का मानना है कि कुछ नेता इसका राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। अशोक भारती ने कहा, ‘रामविलास पासवान न तो आयोजकों में हैं और न ही बंद पर उनका कोई नियंत्रण है। यहां तक कि बिहार में भी उनकी कोई भूमिका नहीं है।’