रोड शो यानि की हाथ हिलाओ और निकल जाओ

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ब्रजेश राजपूत की ग्राउंड रिपोर्ट

भोपाल के सप्रे संग्रहालय में हुये मतदाता और मीडिया संवाद में किसी वक्ता ने सही कहा कि हर चुनाव पिछले चुनाव से अलग होता है चुनाव प्रचार की रणनीति, चुनाव लडने का तरीका हर चुनाव में पूरा ही बदल जाता है। ये बात एकदम सच है। पहले जहां घर घर जाकर लोगों से मिलकर प्रचार करने का तरीका होता था बाद में वो सभाओं में बदला और अब रोड शो में तब्दील हो गया है। कम समय में ज्यादा लोगों से मिलने की नेताजी की तमन्ना इस रोड शो में तो पूरी हो जाती है मगर रोड शो के दौरान कार्यकर्ता और उसके नेता की जो दुर्गति होती है हमने पिछले तीन रोड शो में देखा।
Shake the road show i.e. and get out
पहले बात करें राहुल गांधी के जबलपुर में हुये रोड शो की। राहुल गांधी ने भरी दोपहरी में ग्वारीघाट में सजे हुये पंडाल में नर्मदा आरती की और फिर निकल पडे लंबे चैडे रोड शो के लिये एक मिनी बस में सामने उपर छत तोडकर बनायी गयी जगह में एक तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया तो दूसरी तरफ कमलनाथ के बीच में खडे हंसते मुस्कुराते राहुल गांधी। इन तीनों के पीछे सांसद विवेक तन्खा एकदम किसी तरह फंसे हुये खडे थे। छोटी सी जगह में तीन तरफ से घिरे राहुल को एसपीजी के लोग भी बस में उपर से लेकर नीचे तक घेरे हुये थे।

और इन सबके बीच हंसते मुस्कुराते राहुल कभी दायें हाथ हिलाते तो कभी बांये हाथ हिलाते फिर उनको कभी कमलनाथ इस और देखने को कहते तो कभी सिंधिया उस ओर देखने को बताते और इस सबके बीच में राहुल अपना मोबाइल भी चेक कर लेते थे। रोड शो के रास्ते के दोनों तरफ टिकटार्थियों के तय की गयी जगह पर टिकट चाहने वाले नेताजी के समर्थकों की कतारें लगी हुयी थीं जिनके हाथ में फूल और मालाएं और बुके होते थे मगर सुरक्षा के कारण ना तो राहुल फूल स्वीकार पा रहे थे और ना ही बुके।

खूबसूरत फूूलों वाली बडी विशाल मालाएं राहुल के इंतजार में समर्थको के हाथ में धरी ही रह जातीं थीं। माला देने वाला शख्स कब सुरक्षा कर्मियों के धक्का लगते ही भीड में गिरता था कि बस उसके हिस्से पुलिस को कोसना ही रह जाता था। मजा तो तब आया जब रास्ते में सरोपा सोंपने खडे सिक्खों ने राहुल गांधी को लंबी सी तलवार भेंट करनी चाही। एसपीजी के कमांडों ने तुरंत राहुल की तरफ उठती तलवार छीनी और उसे इधर दे उधर दे गायब कर दी।

हाथ से तलवार छिनने के बाद सिक्ख समाज के लोगों को राहुल से हाथ मिलाकर ही काम चलाना पडा। थोडी दूर चलने पर और बडा हादसा होते होते बचा। राहुल की आरती उतारने के लिये एक नेताजी बहुत सारी बातियों वाली आरती सजाय हुये थे वहीं पास में कुछ लोग तिरंगा रंग के गुब्बारे लेकर खडे थे बस फिर क्या था धक्का मुक्की में आरती की आग गुब्बारों ने पकड ली और धमाके के साथ आग का गोला उठा। अचानक उठी आग के शोले से सब घबडा गये और फिर क्या था सुरक्षा कर्मियों ने हाथ पैर फुला देने वाली इस घटना का बदला नेताजी और उनके समथकों को लाठियों से जमकर सूताई कर लिया।

राहुल गांधी बडे वीआईपी हैं लेकिन बीजेपी के अध्यक्ष अमित भाई शाह एमपी में सबसे बडे वीआईपी होते हैं। उनके गुना में होने वाले रोड शो के दौरान जब नगर पालिका की दुकानों से महिला डिप्टी कलेक्टर ने बीजेपी के झंडे बैनर हटाने को कहा तो बीजेपी के एक बडे राष्ट्रीय नेता ऐंठ गये कहा कौन है ये मोहतरमा चुनाव बाद इनको रहना है या नहीं। गुना की संकरी गलियों में जब रोड शो चल रहा था तो एक किसान हर थोडी देर में रथ या बस के सामने आकर शिवराज जी जिंदाबाद करता था और पुलिस का धक्का लगने पर भीड़ में गिर जाता था दो तीन बार ऐसा हुआ तो हमने कहा दादा अब बस करो क्यो धक्के खा रहे हो तो वो तमककर बोला ये बीच में दो तीन लोग कौन खडे हैं हमारी बात शिवराज सुनते ही नहीं।

अब दादा को कौन बताये कि इन दो तीन लोगों को दिखाने और सुनाने ही शिवराज यहां आये हैं। रोड शो के दोनों तरफ कुछ लोग हाथों में धन्यवाद शिवराज के प्लेकार्ड लेकर खडे थे इन कार्डस पर क्या लिखा था वो नहीं जानते मगर धन्यवाद देते हुये लग रहे थे। पास के गाँव का लडडू स्कूल फीस माफी के लिये धन्यवाद शिवराज का बोर्ड लिये था वो कभी स्कूल ही नहीं गया और जो परसू प्रसूति योजना का धन्यवाद दे रहा था उसकी शादी ही नहीं हुयी थी। मगर इससे क्या। रोड शो तो रोड शो हैं रोड पर निकल रहे नेताजी के काफिले पर उन फूलों की बारिश की जा रही है जो फूलों की थैली थोडी देर पहले ही पार्टी के नेताजी घर घर पहुंचा कर गये हें

उधर रोड शो तकरीबन खत्म होने को था तो एक शख्स गाडी में चढने की कोशिश करता और सुरक्षाकर्मी उसे हटाते थोडी देर बाद बीजेपी के किसी नेता ने उसे देखा ओर उपर चढने की अनुमति दी। गुना के मेरे सहयोगी मोहन बघेल ने बताया कि सर ये स्थानीय विधायक पन्नालाल जी है जब राष्ट्रीय लीडरशिप आती है तो स्थानीय नेता को ऐसे धक्के खाने पडते हैं। मैंने कहा कि धक्के सिर्फ पन्नालाल ने नहीं हमने भी खाये हैं क्योंकि रोड शो का यही मतलब भी होता है नेता हाथ हिलाये पब्लिक धक्के खाये।

एबीपी न्यूज, भोपाल